सौर नववर्ष का प्रतीक है वैसाख का पहला दिन

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
13-04-2020 10:00 AM
सौर नववर्ष का प्रतीक है वैसाख का पहला दिन

कोरोना (Corona) विषाणु के प्रकोप के कारण भले ही बैसाखी इस बार घरों के अंदर रहकर मनायी जाएगी लेकिन इसका महत्व वैसा ही रहेगा जैसा सदियों पहले से रहा है। बैसाखी एक हिन्दू पर्व है, जिसे पूरे भारत सहित उन देशों में भी मनाया जाता है जहां हिन्दू लोग रहते हैं। भारत और अन्य देशों में यह विभिन्न कारणों से महत्वपूर्ण है। जैसे किसान इस दिन को किसान पर्व के रूप में, सिख लोग खालसा पंथ की स्थापना के रुप में, तथा अन्य लोग इसे हिन्दू नववर्ष के रूप में मनाते हैं। वैसाख (Vaisakh) का पहला दिन पारंपरिक सौर नव वर्ष (solar new year) को चिह्नित करता है। हालांकि, यह सभी हिंदुओं (गुजरात में और उसके आस-पास) के लिए सार्वभौमिक नया साल नहीं है, लेकिन असम, बंगाल, बिहार, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, केरल, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और भारत के अन्य हिस्सों में रहने वाले हिंदुओं के लिए नए साल का दिन है। अन्य क्षेत्रों के लिए, नया साल चेटी चंद, गुड़ी पड़वा और उगादि पर पड़ता है जो बैसाखी से कुछ सप्ताह पहले होता है। विशेष बात यह है कि इस दिन या इसके आस-पास के दिनों में मनाया जाने वाला नववर्ष कई क्षेत्रीय नामों से जाना जाता है।

भारत में इस दिन के अनेक क्षेत्रीय रूपांतर हैं जिन्हें पारंपरिक नए साल के रूप में मनाया जाता है।

नववर्ष के कुछ क्षेत्रीय रूपांतर निम्नलिखित हैं:
• बिखु (Bikhu) या बिखौटी (Bikhauti) - भारत के उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में
• बिसु (Bisu) - भारत में तुलु लोगों के बीच तुलु नववर्ष दिवस
• बोहाग बिहू (Bohag Bihu) - भारत के असम में
• एडम्यार 1 (Edmyaar)- कोडावा नववर्ष।
• जर्शीतल (JurShital) - मिथिला (नेपाल और भारत में बिहार के कुछ हिस्सों) में
• महाविषुव संक्रांति या पाना संक्रांति (Maha Vishuva Sankranti or Pana Sankranti) - भारत के ओडिशा में
• नबा बरसा (Naba Barsha) या पोहेला बोइशाख (Pohela Boishakh) - भारत के पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में, नेपाल और बांग्लादेश में
• पुथंडु (Puthandu ) - तमिलनाडु, भारत में
• उगादी (Ugadi) - भारत के आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में
• विशु (Vishu) - भारत में केरल

उत्तराखंड के बिखोटी महोत्सव में पवित्र नदियों में डुबकी लगाई जाती है। लोग एक लाठी को राक्षस का रूप देकर उस पर पत्थर से प्रहार करते हैं। इसके अलावा इसमें स्थानीय ढोल और अन्य वाद्ययंत्रों के साथ बहुत अधिक गायन और नृत्य किया जाता है। केरल में लोग विशु के दिन रंगीन शुभ वस्तुओं को निर्मित करते हैं। बच्चे पटाखे फोड़ते हैं, नए कपड़े पहनते हैं तथा सदया (Sadya) नामक एक विशेष भोजन खाते हैं, जो नमकीन, मीठी, खट्टी और कड़वी सामग्रियों का मिश्रण होता है। बोहाग बिहू या रंगाली बिहू को असम में नए साल की शुरुआत माना जाता है। वैसाख महीने की विशुव संक्रांति (मेष संक्रांति) के लिए यह पर्व सात दिन तक मनाया जाता है। बिहू के तीन प्राथमिक प्रकार हैं: रोंगाली बिहू, कोंगाली बिहू, और भोगली बिहू। उड़ीसा में इसे महा विशुव संक्रांति के रूप में मनाया जाता है जो नववर्ष का प्रतीक है। समारोह में विभिन्न प्रकार के लोक और शास्त्रीय नृत्य किये जाते हैं, जैसे कि शिव से संबंधित छऊ नृत्य (Chhau dance)। लोग इस दिन अपने घरों के सामने नीम की शाखाओं के टुकड़ों को लटकाते हैं, ताकि उन्हें स्वास्थ्य लाभ हो। वे गुड़, आम, काली मिर्च और अन्य अवयवों का एक तरल मिश्रण तैयार करते हैं जिसे पना (Pana) कहा जाता है। एक मिट्टी का बर्तन जिसके तल पर एक छोटा छेद हो, उसमें घास डाली जाती है तथा उसे तुलसी के ऊपर लटकाया जाता है। मटके में प्रतिदिन पानी भरा जाता है जो पवित्र पौधे को गर्मी से बचाता है।

बांग्लादेश में इसे पोहेला बोइशाख के रूप में मनाया जाता है। यहाँ इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित किया जाता है। इसे यहां नोबो बार्शो (Nobo Barsho) भी कहा जाता है, जिसमें मेलों का आयोजन किया जाता है। तमिलनाडु में इस दिन को पुथंडु कहा जाता है, जो तमिल कैलेंडर के महीने का पहला दिन है। इस दिन लोग घर की सफाई करते हैं, फल, फूल और शुभ वस्तुओं की एक थाली तैयार करते हैं, हवन करते हैं तथा अपने स्थानीय मंदिरों का दौरा करते हैं। लोग नए कपड़े पहनते हैं और नौजवान बड़ों के पास जाकर उनका आशीर्वाद मांगते हैं, फिर परिवार शाकाहारी भोज के लिए बैठता है। बिहार और नेपाल के मिथल क्षेत्र में, नए साल को जर्शीतल के रूप में मनाया जाता है। परिवार के सदस्यों को कमल के पत्तों पर सत्तू (लाल चने, जौं और अन्य सामग्रियों को सूखा पीस कर बनाया गया मिश्रण) का प्रसाद परोसा जाता है।

रामपुर में भी यह पर्व बड़े हर्ष-उल्लास के साथ मनाया जाता है। यहां लगभग 3,500 सिखों का घर है। यहाँ स्थित गुरुद्वारा श्री गुरुसिंघ सभा में भक्तों का एक बड़ा जमावड़ा या समूह हमेशा देखा जा सकता है। बैसाखी के पर्व के दौरान शहर में लंगर लगाए जाते हैं। यहां का सिख समाज बैसाखी के दिन गुरुद्वारों पर जाकर मत्था टेकता है तथा अरदास करता है। लोग सुबह से ही बैसाखी की तैयारियों में जुट जाते हैं। गुरुद्वारा श्री गुरुसिंह सभा परिसर में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जमा होती है तथा सभी को लंगर भी खिलाया जाता है।

संदर्भ:
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Vaisakhi#Regional_variations
2. https://bit.ly/34qgSqA
चित्र सन्दर्भ:
1.
Youtube.com - बिसु पर्व - तुलु कड़ाबा
2. Youtube.com - भारत के उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में बिखु (Bikhu)
3. Wikimedia commons - बोहाग बिहू
4. wikimedia commons - बेला पना ओडिशा में चैत्र और बैशाख के महीने में बेल के गूदे से बना पेय है। ओडिया न्यू ईयर में इसका उपयोग होना चाहिए।
5. Wikimedia Commons - केरल में विशु कानी

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