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धरती पर विभिन्न पक्षियों की अत्यधिक विविधता पायी जाती है, जिसके कारण यहां विभिन्न गुणों और विशेषताओं वाले अनेक पक्षियों को देखा जा सकता है। शिकरा (shikra) भी इन्हीं पक्षियों में से एक है, जिसे विश्व भर में एक छोटे शिकारी पक्षी के रूप में जाना जाता है। वैज्ञानिक रूप से एक्सीपीटर बैजियस (Accipiter badius) के नाम से जाना जाने वाला शिकरा, एक्सीपीट्रिडा (Accipitridae) परिवार से सम्बंधित है। यह पक्षी एशिया और अफ्रीका के क्षेत्रों में व्यापक रूप से विचरण करता है। इस पक्षी का अफ्रीकी रूप एक अलग प्रजाति का प्रतिनिधित्व करता हैं, लेकिन आम तौर पर शिकरा की उप-प्रजाति के रूप में माना जाता है। शिकरा चीनी गोशॉक (goshawk) और यूरेशियन स्पेरोहॉक (Eurasian sparrowhawk) सहित अन्य छोटे बाजों की प्रजातियों के समान है, जो तीक्ष्ण और दो नोट (two note) वाली ध्वनि उत्पन्न करते हैं। शिकरा या शिकारा शब्द का मतलब हिंदी भाषा में शिकारी होता है। यह शब्द उर्दू भाषा के शिकारी से लिया गया है क्योंकि यह बड़े पक्षी जैसे कौवे, मोर, चकोर आदि का शिकार करने के लिए विख्यात हैं। 26-30 सेंटीमीटर लंबे इस प्रजाति के पंख छोटे तथा गोलाकार होते हैं तथा पूंछ लम्बी और संकीर्ण होती है। वयस्क का शरीर महीन लाल-भूरी धारियों के साथ अंदर से सफेद होता है, जबकि ऊपरी हिस्सा ग्रे (grey) रंग का होता है। निचले उदर में अपेक्षाकृत कम धारियां पायी जाती हैं। नर की परितारिका प्रायः लाल होती है जबकि मादाओं में यह कम लाल होती है। इसके अलावा मादाओं का अपेक्षाकृत बडा आकार उन्हें नर से अलग बनाता है। ये पक्षी पी-वी (pee-wee) जैसी ध्वनि उत्पन्न करते हैं। पहला नोट ऊंचा, जबकि दूसरा नोट लंबा होता है। उडते समय ये प्रायः किक-की....किक-की (kik-ki) की ध्वनि उत्पन्न करते हैं जोकि छोटी और तीक्ष्ण होती है।
शिकरा जंगलों, खेतों और शहरी क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला में पाया जाता है, जो अपने भोजन के लिए मुख्य रूप से कृन्तकों, गिलहरी, छोटे पक्षियों, छोटे सरीसृपों (मुख्य रूप से छिपकली लेकिन कभी-कभी छोटे सांप) और कीड़ों का शिकार करता है। इनसे बचने के लिए आमतौर पर छोटे पक्षी पत्तियों का प्रयोग करते हैं। इसके अलावा छोटे ब्लू किंगफिशर (Blue Kingfisher) को इनसे बचने के लिए पानी में गोता लगाते हुए भी देखा गया है। रामपुर में भी इस पक्षी को आमतौर पर अकेले या जोड़े में देखा जा सकता है। भारत में इनके प्रजनन का समय गर्मियों में प्रायः मार्च से लेकर जून तक होता है। भारत और पाकिस्तान में जो लोग शिकार के लिए बाज का पालन-पोषण करते हैं तथा उन्हें प्रशिक्षित करते हैं, उनमें यह पक्षी अत्यधिक लोकप्रिय है। स्वतंत्रता से पूर्व यह शिकारियों का सबसे अच्छा दोस्त हुआ करता था क्योंकि इसे शिकार के लिए आसानी से प्रशिक्षित और नियंत्रित किया जा सकता था। इसलिए इसे बाज़ की कला में भी अत्यधिक इस्तेमाल किया गया। हालांकि अब इस तरह की गतिविधियों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है, किंतु आज भी यह अपने असाधारण धैर्य, अनुशासन, साहस, शिकारी के रूप में अपनी बुद्धि, और आसानी से प्रशिक्षित और नियंत्रित होने की अपनी विशेषताओं के लिए लोकप्रिय है जो इसे अद्भुत और अन्य जीवों से अलग बनाती हैं।
कई संस्कृतियों में इसे दिमाग और बहादुरी का प्रतीक भी माना गया है। 2009 में एक भारतीय नौसेना के हेलीकॉप्टर बेस (helicopter base) का नाम INS शिकरा (INS Shikra) भी रखा गया था। प्रसिद्ध पंजाबी कवि शिव कुमार बतालवी ने ‘मैंने इक शिकरा यार बनाया’ नामक कविता भी लिखी है, जिसमें उसने अपने खोए हुए प्यार की तुलना शिकरा से की है। आईयूसीएन (International Union for Conservation of Nature) द्वारा शिकरा को सबसे कम चिंताजनक (Least concern) जीव की श्रेणी में रखा गया है।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Shikra
2. https://www.thehindu.com/sci-tech/energy-and-environment/the-shikra-is-a-bird-that-embodies-brains-and-bravery/article30533788.ece
चित्र सन्दर्भ:
1. Picseql.com - Shikara
2. Pixabay.com - Eagle bird
3. Pexels.com - Shikara
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