कैसे हुई थी चमगादड़ों की उत्पत्ति

शारीरिक
29-11-2019 12:20 PM
कैसे हुई थी चमगादड़ों की उत्पत्ति

चमगादड़ एक अद्भुत स्तनधारी जीव है, जो आकाश में पक्षियों की भांति उड़ता है। चमगादड़ की उत्पत्ति का कोई मूल प्रमाण नहीं है क्योंकि इनके जीवाश्म के अभिलेख काफी कम है। कुछ क्लेदिस्टिक (cladistic) विश्लेषणों से संकेत मिलता है कि चमगादड़ डर्मोप्टेरान (dermopterans) से सबसे अधिक निकटता से संबंध रखते हैं, जैसे कि सिंथोफालस (Cynocephalus), कोलुगो (colugo) या फ्लाइंग लेमुर। वहीं सबसे पहला ज्ञात चमगादड़ ईओसिन युग में दिखाई दिए थे और वे आधुनिक चमगादड़ से केवल लंबी पूंछ और अन्य आदिम उड़ान अनुकूलन से भिन्न थे।

यदि बात की जाए चमगादड़ के पंख की तो यह हाथ से समर्थित एक झिल्ली से बना होता है जिसके अंत में हाथ की बहुत लम्बी उँगलियाँ होती हैं, जो पंख के बाहर वाले भाग का समर्थन करती हैं। वहीं इंडियन फ्लाइंग फॉक्स, जिसे आमतौर पर भारतीय फलों के चमगादड़ के रूप में भी जाना जाता है, यह दक्षिण एशिया में पाया जाने वाले फ्लाइंग फॉक्स की एक प्रजाति है। इसे 1825 में डच जूलॉजिस्ट और म्यूजियम क्यूरेटर कोनराड जैकब टेम्पमिनक द्वारा एक नई प्रजाति के रूप में वर्णित किया गया था, जिसने इसे “Pteropus medius” वैज्ञानिक नाम दिया था।

इंडियन फ्लाइंग फॉक्स भारत का सबसे बड़ा चमगादड़ है और विश्व के सबसे बड़े चमगादडों में से एक है, जिसका वजन 1.6 किलोग्राम तक है और इसके शरीर का द्रव्यमान 0.6-1.6 किलोग्राम तक होता है। इनमें नर चमगादड़ मादा चमगादड़ से बड़े होते हैं और इनके पंखों का फैलाव लगभग 1.2-1.5 मीटर और शरीर की लंबाई औसतन 15.5-22.0 सेमी होती है। पीठ के किनारे से और दूसरे पैर के अंगूठे के पीछे से पंख निकलते हैं और इसके अंगूठे में एक शक्तिशाली पंजा होता है। इंडियन फ्लाइंग फॉक्स की काले रंग की पीठ होती है, और भूरे रंग का सिर और गहरे भूरे रंग का निचला हिस्सा होता है।

इंडियन फ्लाइंग फॉक्स को बांग्लादेश, भूटान, भारत, चीन (तिब्बत), मालदीव, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका में देखा जा सकता है। यह बड़ी, स्थापित कालोनियों में, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में या मंदिरों में खुले पेड़ की शाखाओं पर बेठना पसंद करते हैं। इनका निवास स्थान भोजन की उपलब्धता पर अत्यधिक निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, चमगादड़ के वितरण के भीतर कई निवासों में बाहरी उद्यान पाए जाते हैं जो उनके लिए खाद्य पदार्थ का समर्थन करते हैं। घने जंगल में मौजूद खाद्य पदार्थ की विस्तृत शृंखला के चलते ये घने जंगल में भी अपना निवास स्थान बनाते हैं।

शहरीकरण या सड़कों के चौड़ीकरण की वजह से इनकी आबादी पर बड़ा खतरा मंडराया हुआ है। पेड़ के गिरने के कारण से इनका झुंड बिखर जाता है। वैसे तो फिलहाल इंडियन फ्लाइंग फॉक्स की प्रजाति कम चिंताजनक की सूची में आते हैं। मनुष्यों द्वारा चमगादड़ों के क्षेत्रों में प्रवेश करने से केवल न उनकी प्रजाति को खतरा है बल्कि उनके संपर्क में आने से मनुष्यों को भी कई वायरस प्रसारित हो सकते हैं। साथ ही इस प्रजाति को अक्सर फलों के खेतों के प्रति विनाशकारी प्रवृत्ति के कारण हिंसक जानवरों के रूप में माना जाता है, लेकिन इसके परागण और बीज प्रसार के लाभ अक्सर इसके फल की खपत के प्रभावों को अनदेखा कर देती है।

जैसा कि हम जानते ही हैं कि चमगादड़ झुंड में रहते हैं तो वे एक दूसरे को बड़ी मात्रा में वायरस प्रसारित करने में सक्षम रहते हैं और ये वायरस चमगादड़ों द्वारा फलों या पालतू जानवरों में संक्रमित कर फैलाया जाता है। वहीं सबसे आम पूछे जाने वाला सावाल यह आता है कि ये वायरस चमगादड़ों को प्रभावित क्यों नहीं करते हैं? वैज्ञानिकों का मानना है कि चमगादड़ लंबी उड़ान भरकर इस वायरस को मार देते हैं।

जब चमगादड़ उड़ते हैं, तो उनका आंतरिक तापमान लगभग 40 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है, जो कई वायरस के लिए बहुत गर्म होता है। यह चमगादड़ में मौजूद बहुत सारे वायरस को मार देता है, केवल उन वायरस को छोड़कर जो कठोर होते हैं। इससे हम यह विचार कर सकते हैं कि मानव के तपते बुखार को ये कठोर वायरस आसानी से सहन कर सकते हैं।

संदर्भ :-
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Indian_flying_fox
2. https://ucmp.berkeley.edu/vertebrates/flight/bats.html
3. https://www.iflscience.com/plants-and-animals/why-do-bats-transmit-so-many-diseases/
चित्र सन्दर्भ:-
1.
https://bit.ly/2Dvc8TG
2. https://hu.m.wikipedia.org/wiki/F%C3%A1jl:Kaguang-drawing.jpg
3. https://bit.ly/35PSuOJ
4. https://pixabay.com/pt/photos/colugo-mam%C3%ADfero-natureza-1651526/
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Patagium#/media/File:Lasiurus_blossevillii_wing.jpg
6. https://www.maxpixels.net/Flying-Foxes-Tropical-Bat-Bat-2237209
7. https://pixabay.com/pt/photos/morcegos-raposas-voadoras-3495805/

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