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वन हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग हैं तथा इनकी उपयोगिता को देश-विदेश में प्राचीन काल से ही देखा जा सकता है। वनों का कोई भी ऐसा भाग नहीं है जो जीवों के काम न आता हो। जहां मानव एवं पशु-पक्षी वनों पर निर्भर हैं वहीं हमारे वातावरण की शुद्धता और संतुलन भी वनों पर ही निर्भर है। भारत में धार्मिक आयोजनों में भी वनों में उग रहे पेड़-पौधों को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। 300 ईसा पूर्व में जब चंद्र गुप्त मौर्य सत्ता में आए, तो उन्होंने वनों के महत्व को महसूस किया और वनों की देखभाल के लिए एक उच्च अधिकारी नियुक्त किया। सम्राट अशोक ने भी जंगली जानवरों और जंगलों के महत्व को समझते हुए उन्हें संरक्षित करने का निरंतर प्रयास किया और पेड़ लगाने के कार्यक्रम शुरू किए जो गुप्त काल के दौरान भी जारी रहे। मुस्लिम आक्रमणों के दौरान लोगों ने बड़ी संख्या में जंगलों में शरण ली तथा अपने आप को बचाया। लगभग 2500 साल पहले, गौतम बुद्ध ने भी उपदेश दिया कि मनुष्य को हर पाँच साल में एक पेड़ लगाना चाहिए।
किंतु वर्तमान समय में जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है वैसे-वैसे वनों का दोहन भी अत्यधिक होता जा रहा है। इसलिए विज्ञान और तकनीकी के इस युग में वनों को संरक्षण प्रदान करने, इनका सदुपयोग करने और इनके संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए वनों से सम्बंधित कई पाठ्यक्रम निर्धारित किए गये हैं जिन्हें पढ़कर समाज या लोग तो जागरूक होंगे ही, साथ ही साथ युवाओं को रोज़गार या व्यवसाय के नए विकल्प भी प्राप्त होंगे। इस प्रकार वानिकी से संबंधित विभिन्न पाठ्यक्रम निर्धारित किए गये जिनकी शिक्षा प्राप्त कर युवा वानिकी के क्षेत्र में आगे बढें। कृषि आयोग ने 1976 में वनों के संरक्षण, प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण के संरक्षण के लिए वानिकी शिक्षा की शुरुआत का सुझाव दिया। इसके बाद, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने राज्य कृषि विश्वविद्यालयों में वानिकी में स्नातक की डिग्री (Degree) शुरू करने का सुझाव दिया तथा 1985 में वनों और प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन हेतु कुशल कर्मियों को उत्पन्न करने के लिए भारत भर में विभिन्न राज्य कृषि विश्वविद्यालयों ने वानिकी कार्यक्रम (4 साल या 8 सेमेस्टर का पाठ्यक्रम) शुरू किया।
वानिकी के स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश लेना एक आसान काम नहीं है। उम्मीदवारों को आईसीएआर-एआईईईए (ICAR-AIEEA-All India Entrance Examination for Admission) द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा के लिए अर्हता प्राप्त करनी होती है। कुछ मामलों में, उन्हें राज्य स्तर की परीक्षाओं के लिए भी उपस्थित होना पड़ता है। वर्तमान में, भारत के विभिन्न राज्यों से हर साल लगभग 1,500 वन स्नातक पास होते हैं। पाठ्यक्रम में चार साल समर्पित करने के बावजूद भी उचित राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय भर्ती नीतियों की कमी के कारण नौकरियों के लिए उन्हें बहुत कठिन संघर्ष करना पड़ता है। इस कारण वन स्नातकों की यह दुर्दशा देश के लिए एक चिंता का विषय है।
वानिकी वनों के रोपण, प्रबंधन, संरक्षण और इससे सम्बंधित संसाधनों के रखरखाव का विज्ञान या अभ्यास है जिससे मानव जीवन को लाभ पहुंचाया जा सकता है। वानिकी के अभ्यासी को वनपाल या फोरेस्टर (Forester) के रूप में जाना जाता है। ये कई गतिविधियों जैसे पारिस्थितिक संरक्षण और सुधार, लकड़ी की कटाई और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा, सार्वजनिक और निजी स्वामित्व वाली वन भूमि के लिए वन प्रबंधन योजना, नए पेड़ों के लिए उचित क्षेत्रों को चुनना, वानिकी परियोजनाओं की योजना और पर्यवेक्षण आदि में शामिल होते हैं।
वर्तमान में वानिकी के क्षेत्र में विभिन्न पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं जिनमें से आप स्नातक, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा (Diploma) तथा पीएचडी (Phd) पाठ्यक्रमों में भाग ले सकते हैं। स्नातक पाठ्यक्रम के अंतर्गत वानिकी में बी.एससी. (B.Sc.), वाइल्ड लाइफ (Wild life) में B.Sc, वानिकी में B.Sc ऑनर्स (B.Sc. Honors) आदि कोर्स शामिल हैं। इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने के लिए उम्मीदवार को भौतिकी, रासायनिक विज्ञान, और जीव विज्ञान विषयों के साथ इंटरमीडिएट (Intermediate) परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है। मास्टर (Master) पाठ्यक्रम के तहत वानिकी में एम.एससी. (M.Sc.), वाइल्ड लाइफ में एम.एससी, एग्रोफोरेस्ट्री (Agroforestry) में एम.एससी, आदि कोर्स शामिल हैं। इसके लिए प्रासंगिक अनुशासन में स्नातक की डिग्री का होना अनिवार्य है। इस कोर्स की अवधि 2 वर्ष होती है। उच्च विशिष्ट कार्यों के लिए, आपको वानिकी के क्षेत्र में उच्चतम डिग्री अर्जित करनी होगी। इच्छुक उम्मीदवार वानिकी में एम.फिल (M.Phil) / पीएचडी का विकल्प चुन सकते हैं जिससे करियर के अवसरों के साथ-साथ वेतन में भी वृद्धि होती है।निम्नलिखित लिंक पर जाकर आप इस विषय में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं:
https://www।sarvgyan।com/courses/science/forestry
इस क्षेत्र में बहुत सारे करियर (Carrier) अवसर उपलब्ध हैं। ये अवसर सार्वजनिक के साथ-साथ निजी क्षेत्रों में भी उपलब्ध हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में ज़ूलॉजिकल पार्क (Zoological Park), वन्यजीव अनुसंधान संस्थान, भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (ICFRE) और इसके संबद्ध संस्थान, वन्यजीव विभाग, वन विभाग, राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों आदि में कार्य शामिल हैं। वानिकी में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने वाले युवा संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित भारतीय वन सेवा (IFS) परीक्षा के माध्यम से केंद्र सरकार के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त प्रवक्ता के पद के लिए आप कॉलेजों में भी आवेदन कर सकते हैं।
वानिकी में प्रशिक्षण के बाद आप फोरेस्टर, वन रेंज अधिकारी (Forest Range Officer), प्रवक्ता, वानिकी टेकनीशियन (Forestry Technician), वन अधिकारी, वानिकी कर्मचारी, वन पेशेवर, प्राकृतिक संसाधन टेकनीशियन, वरिष्ठ वानिकी सलाहकार, व्यवसाय विकास अधिकारी, शिक्षक या प्रवक्ता, लेखा परीक्षक-वानिकी आदि के रूप में कार्य कर सकते हैं। शिक्षण संस्थान, बीज और नर्सरी कंपनियां, वन सेवा, खाद्य कंपनियां, भूमि प्रबंधन एजेंसियां, संयंत्र स्वास्थ्य निरीक्षण सेवाएँ, पादप संसाधन प्रयोगशालाएँ, जैव प्रौद्योगिकी फर्म, रासायनिक उद्योग आदि ऐसे क्षेत्र हैं जहां आप कार्य कर सकते हैं।
संदर्भ:
1. http://edugreen.teri.res.in/explore/forestry/history.htm
2. https://bit.ly/2r5pMu6
3. https://www.sarvgyan.com/courses/science/forestry
4. https://www.firescience.org/forestry-careers/
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