विलुप्त होने की कगार पर भारतीय हाथी

स्तनधारी
19-10-2019 12:00 PM
विलुप्त होने की कगार पर भारतीय हाथी

भारत विश्व के 17 भूविविधता वाले देशों में से एक है। यहाँ विश्व की 7-8 प्रतिशत प्रजातियों को देखा जा सकता है। यह एशियाई शेरों, बंगाल के बाघों से लेकर एशियाई हाथी और एक सींग वाले गेंडे जैसे बड़े शाकाहारी जानवरों का घर है। ये समृद्ध जीव न केवल भारत के पर्यावरण इतिहास का एक अभिन्न अंग रहे हैं, बल्कि कई देशी संस्कृतियों को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वहीं भारत की संस्कृति और परंपरा में हाथियों ने विशेष स्थान प्राप्त किया है। उन्हें राजस्वी गौरव के लिए परिवहन के साधन के रूप में और लड़ाई लड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। हाथी आधुनिक मानव के समय का पृथ्वी पर विचरण करने वाला, सबसे विशालकाय स्तनपायी जीव है।

एशियाई हाथी एशिया में सबसे बड़ी जीनस (Genus) एलिफस (Elephas) की एकमात्र जीवित प्रजाति है और यह पूरे भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया में वितरित है। 1986 से, एशियाई हाथी को आई.यू.सी.एन. रेड लिस्ट (IUCN Red List) में लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, क्योंकि पिछली तीन पीढ़ियों से जनसंख्या में कम से कम 50% की गिरावट आई है, जिसका अनुमान 60-75 वर्ष है। ये मुख्य रूप से निवास स्थान से छेड़छाड़, विखंडन और अवैध शिकार से लुप्त होने की स्थिति में हैं। 2003 में, 41,410 और 52,345 के बीच हाथी की जंगली आबादी का अनुमान लगाया गया था।

सामान्य तौर पर, एशियाई हाथी अफ्रीकी हाथी से छोटा होता है और इसके शरीर का सबसे ऊंचा भाग इसका सर होता है। इसके पीछे का हिस्सा उत्तल या समतल होता है और इसके कान छोटे होते हैं। औसतन, पुरुष हाथियों के कंधे लगभग 2.75 मीटर लंबे और वज़न 4.4 टन होता है, जबकि मादाओं के कंधे लगभग 2.4 मीटर और वज़न 3.0 टन होता है। इनकी विशिष्ट सूंड इनकी नाक और ऊपरी होंठ की ही विस्तृति होती है। सूंड में 60,000 से अधिक मांसपेशियां होती हैं, जिसमें अनुदैर्ध्य और विकिरण समूह होते हैं।

एशियाई हाथियों को घास के मैदानों, उष्णकटिबंधीय सदाबहार जंगलों, अर्ध-सदाबहार जंगलों, नम पर्णपाती जंगलों, शुष्क पर्णपाती जंगलों और शुष्क कांटेदार जंगलों और माध्यमिक जंगलों में देखा जा सकता है। निवास स्थान की इस श्रेणी में हाथी समुद्र तल से 3,000 मीटर से अधिक दूरी पर होते हैं। पूर्वोत्तर भारत के पूर्वी हिमालय में, वे नियमित रूप से कुछ स्थानों पर गर्मियों में 3,000 मीटर से ऊपर चले जाते हैं। वहीं भारत में अब तक जंगली एशियाई हाथियों की सबसे बड़ी संख्या मौजूद है, जिनका अनुमान लगभग 26,000 से 28,000 या इनकी कुल आबादी का लगभग 60% है।

वहीं भारत में एशियाई हाथियों की चार उपजातियों में से एक भारतीय हाथी (एलिफ़स मैक्सिमस इंडिकस / Elephas maximus indicus) भी पाए जाते हैं। हालांकि यह एशियाई प्रजाती की उपजाति है लेकिन इन दोनों में काफी विभिन्नता देखने को मिलती है। भारतीय हाथियों के कंधे 2 से 3.5 मीटर के बीच की ऊँचाई तक पहुँचते हैं और इनका वज़न 2,000 और 5,000 किलोग्राम के बीच होता है और इनमें 19 पसलियाँ मौजूद होती हैं। मादा आम तौर पर नर की तुलना में छोटी होती हैं, और इनमें सूंड या तो छोटी होती है या नहीं होती है।

भारतीय हाथी मुख्य रूप से एशिया का मूल निवासी है। ये भारत, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार, थाईलैंड, मलय प्रायद्वीप, लाओस, चीन, कंबोडिया और वियतनाम में पाए जाते हैं। वहीं भारतीय हाथी पाकिस्तान में संपूर्ण रूप से विलुप्त हो चुके हैं। इन्हें घास के मैदानों, शुष्क पर्णपाती, नम पर्णपाती, सदाबहार और अर्ध-सदाबहार वनों में देखा जा सकता है। उत्तरी भारत में हाथी उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश राज्यों में हिमालय की तलहटी में फैले हुए हैं और आंशिक रूप से नेपाल से भी सटे हुए हैं। उत्तर प्रदेश में हाथी की आबादी 2019 तक 232 है। राजाजी और कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान और लैंसडाउन वन प्रभाग इस क्षेत्र के महत्वपूर्ण हाथी आवास हैं।

वर्तमान समय में ये हाथी निवास स्थान में हानि, क्षरण, विखंडन और बढ़ती मानव आबादी के चलते विलुप्ति की कागार पर आ गए हैं। मानव गतिविधियों के चलते हाथियों में काफी आक्रोश देखा जा सकता है, जैसे हाल ही में विगत कुछ महीनों पहले दो हाथी पीलीभीत के पास उत्तर प्रदेश-नेपाल सीमा के साथ जंगलों में अपने सामान्य रास्ते से जाने वाले अपने झुंड से भटक गए थे, और उनके द्वारा विभिन्न स्थानों में पाँच से अधिक लोगों पर हमला किया गया।

वहीं आज तक जहां हाथियों द्वारा हमला करने की खबरें देखी जाती थीं, अब अखबारों में हाथियों की मृत्यु या यहां तक कि बंदी हाथियों के साथ उनके मालिकों द्वारा दुर्व्यवहार की खबरें अक्सर देखने को मिलती हैं। हाथियों को कैद रखने की परंपरा भारत के सांस्कृतिक इतिहास से जुड़ी हुई है और इस प्रथा को हमारे द्वारा ही स्वीकारा हुआ है। हालांकि, यह सांस्कृतिक प्रथा भारत भर में होने वाले अवैध ज़िन्दा हाथियों के व्यापार की दुखद वास्तविकता का सामना करती है। कैद में एक हाथी प्रतिकूल और तनावपूर्ण परिस्थितियों का सामना करता है जो उनके शारीरिक और मानसिक कल्याण में बाधा डालता है। कैद किए गए हाथियों को नियमित रूप से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं जैसे कि पैर में सड़न, गठिया और पोषण की कमी से पीड़ित होना पड़ता है।

संदर्भ:
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Asian_elephant
2. https://www.asesg.org/PDFfiles/2012/35-47-Baskaran.pdf
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Indian_elephant
4. https://bit.ly/2qkm534
5. https://bit.ly/2MtcrUB

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