मानव शरीर में मौजूद हैं असंख्य लाभकारी सूक्ष्मजीव

कीटाणु,एक कोशीय जीव,क्रोमिस्टा, व शैवाल
18-09-2019 11:12 AM
मानव शरीर में मौजूद हैं असंख्य लाभकारी सूक्ष्मजीव

हमारे चारों ओर कई सूक्ष्मजीव निवास करते हैं जो किसी न किसी रूप में हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। किंतु ये सूक्ष्मजीव केवल वातावरण में ही नहीं बल्कि हमारे शरीर के भीतर भी निवास करते हैं। अधिकांश सूक्ष्मजीव हमारे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं किंतु कुछ ऐसे सूक्ष्मजीव भी हैं जो हमारे शरीर के लिए लाभदायक हैं। विभिन्न प्रजातियों के इन सूक्ष्मजीवों का समूह माइक्रोबायोम (Microbiome) कहलाता है जिनका वज़न मानव शरीर में 1% के करीब होता है। इन सूक्ष्मजीवों की संख्या मानव कोशिकाओं की अपेक्षा बहुत अधिक होती है। माइक्रोबायोम के समूह में जीवाणु, विषाणु, कवक आदि जीव सम्मिलित होते हैं जो किसी न किसी रूप में मानव शरीर को प्रभावित करते हैं। यह समूह मनुष्य आंत में सर्वाधिक पाया जाता है तथा शरीर की विभिन्न कार्यिकी के लिए लाभदायक होता है। माइक्रोबायोम जन्म से ही हमारे शरीर में बनने लगते हैं और इस प्रकार मानव तथा सूक्ष्मजीव दोनों ही सह-अस्तित्व की अवस्था में रहते हैं अर्थात दोनों ही एक दूसरे को लाभांवित करते हैं।
मानव शरीर में माइक्रोबायोम निम्नलिखित भूमिका निभाते हैं:

• माइक्रोबायोम मानव द्वारा ग्रहण किए गये भोजन को पचाने में मदद करते हैं।
• ये हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाते हैं तथा रोगों से लड़ने में सहायता प्रदान करते हैं।
• हमारे चयापचय तंत्र को भी नियंत्रित करने में माइक्रोबायोम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
• ये सूक्ष्मजीव विभिन्न प्रकार के विटामिन (Vitamin) और प्रोटीन (Protein) का निर्माण करते हैं जो हमारे शरीर के लिए लाभकारी हैं।
• विभिन्न रोगों, जैसे मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए इन सूक्ष्मजीवों का उपयोग किया जा सकता है।

वैज्ञानिकों द्वारा किये गये शोधों से यह पता चलता है कि आंत में उपस्थित माइक्रोबायोम मानसिक स्वास्थ्य से भी सम्बंधित हैं और इसलिए ये कई मानसिक विकारों जैसे चिंता या तनाव आदि को नियंत्रित करते हैं। मस्तिष्क का केंद्रीय तंत्रिका तंत्र आंतों से इन सूक्ष्मजीवों के समूह से जुड़ा होता है। ये जीव हमारी आंतों में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालते हैं। इस प्रक्रिया में न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmitters) निकलते हैं जो सुचारू रूप से कार्य करने में मस्तिष्क की मदद करते हैं। यदि विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर न निकले तो मस्तिष्क पर दबाव पड़ता है तथा व्यक्ति चिंता या डिप्रेशन (Depression) की स्थिति में आ जाता है। इस प्रकार मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करने में भी माइक्रोबायोम महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

इनके अतिरिक्त अन्य भी कई ऐसे फायदे हैं जो माइक्रोबायोम के माध्यम से मानव शरीर को प्राप्त होते हैं। माइक्रोबायोम की भूमिका को समझने और इनसे लाभांवित होने के लिए वर्तमान में मानव माइक्रोबायोम परियोजना शुरू की गयी है जिसका उद्देश्य मानव स्वास्थ्य पर सूक्ष्मजीवों के प्रभाव को पहचानने और विश्लेषण करने हेतु संसाधनों और विशेषज्ञों को विकसित करना है। यह परियोजना 2007 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (National Institute of Health-NIH) द्वारा शुरू की गयी थी। NIH ने इस परियोजना के लिए पांच सालों के अंदर 170 मिलियन डॉलर का निवेश किया है तथा यह संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के कई संस्थानों और केंद्रों को सहायता प्रदान कर रहा है। यह परियोजना एक नक़्शे की भांति कार्य कर रही है जो मानव स्वास्थ्य, पोषण, प्रतिरक्षा तंत्र आदि में सूक्ष्मजीवों की भूमिका को खोजती है तथा शरीर के प्रमुख अंगों जैसे-नाक, मुंह, त्वचा आदि पर केंद्रित है।
इसकी सहायता से शरीर के हानिकारक सूक्ष्मजीवों को लाभकारी सूक्ष्मजीवों से प्रतिस्थापित किया जा सकता है ताकि सूक्ष्मजीवों से होने वाले हानिकारक रोगों की सम्भावना को कम किया जा सके। इस परियोजना के माध्यम से उन विभिन्न कारकों की पहचान की जा सकती है जो सूक्ष्मजीवों की संरचना को बदल या बना सकते हैं।

इस परियोजना को भारत में भी शुरू किया जा चुका है जो उन असंख्य सूक्ष्मजीवों के अध्ययन को केंद्रित करती है जो भारतीय लोगों में मौजूद हैं, विशेष रूप से उनकी त्वचा और आंतों में। इस परियोजना के तहत 20,600 व्यक्तियों की त्वचा, लार, खून और मल के नमूने एकत्रित किये गये हैं। इनमें 32 जनजातियां भी शामिल हैं जो लद्दाख के चांगपा से लेकर महाराष्ट्र के वरली तक, तथा उड़ीसा और तेलंगाना के कुछ क्षेत्रों में निवास करती हैं। नमूने एकत्रित करने के बाद इनमें मौजूद सूक्ष्मजीवों के जीनोम (Genome) अनुक्रम की पहचान की जा रही है। यह परियोजना केंद्र सरकार द्वारा 150 करोड़ रूपए की लागत से संचालित की गयी है जिसके भविष्य में बहुत लाभकारी परिणाम हो सकते हैं।

संदर्भ:
1.
https://www.healthline.com/nutrition/gut-microbiome-and-health
2. https://bit.ly/2uJWCzG
3. https://bit.ly/2kfwvOR
4. https://bit.ly/2i3RUsi
5. https://depts.washington.edu/ceeh/downloads/FF_Microbiome.pdf
6. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6282467/

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.