दो ग्रीक दार्शनिक एवं उन पर भारत का प्रभाव

विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
16-07-2019 03:12 PM
दो ग्रीक दार्शनिक एवं उन पर भारत  का प्रभाव

ग्रीस अपने समय में विश्व भर में अपने विद्वानों और ज्ञान के लिए जाना जाता था। यही कारण है कि यूनान का इतिहास स्वर्णिम इतिहास में लिखा गया है। ज्ञान और दर्शन किसी भी देश की महत्ता को प्रदर्शित करते हैं और साथ ही साथ वे यह भी बताते हैं कि प्रस्तुत देश में या स्थान पर शिक्षा का क्या स्थान था। दर्शन एक ऐसा विषय है जो समाज से जुड़े हर उस विषय का अध्ययन करता है जो मानव जीवन से जुड़ा हुआ हो। भारत और प्राचीन ग्रीस के वैसे तो कई रिश्ते हैं जैसे व्यापार आदि और उन्ही में से एक है ज्ञान का प्रसार। प्राचीन ग्रीस के कई लेखों में भारतीय दर्शन के प्रमाण पाए जाते हैं उन्हीं में से दो ऐसे प्राचीन ग्रीस के दार्शनिक हैं जिनके लेख में हमें भारतीय दर्शन का प्रमाण सीधे तौर पर देखने को मिलता है। ये दार्शनिक हैं प्लोटीनस और पोरफायरी।

प्लोटीनस का जन्म मिश्र में 204 इसवी में हुआ था। वे एक महान दार्शनिक होने के साथ-साथ एक वक्ता भी थे। उनके तीन महत्वपूर्ण सिद्धांत थे - एक, ज्ञान और आत्मा। प्लोटीनस के शिक्षक अम्मोनियस सक्कास थे। 19वीं शताब्दी के इतिहासकारों ने एक नए शब्द की रचना की जिसे कि नवप्लेटोवाद की संज्ञा दी गयी तथा प्लोटीनस परंपरा का विलय उसमें कर दिया।

दूसरे दार्शनिक पोरफायरी का जन्म टायर (रोम साम्राज्य) में सन 234 इसवी में हुआ था तथा उनकी मृत्यु 305 इश्वी में हुयी थी। पोरफायरी के गुरु प्लोटीनस थे और उन्होंने एन्नीड्स (Enneads) नामक पुस्तक की रचना की जो कि उनके शिक्षक प्लोटीनस के लेखों का संग्रहण है। उन्होंने अन्य कई और रचनाएँ कीं जो कि उनके दार्शनिक विचारों को प्रदर्शित करती हैं।

अब दर्शन और ज्ञान के आदान और प्रदान की बात करें तो यह एक चर्चा का विषय है। इस पर कई मत विभिन्न इतिहासकारों ने प्रस्तुत किये हैं जिनमें से कई का मानना है कि भारतीय विचारों का प्रभुत्व प्लोटीनस और पोरफायरी के लेखों में देखने को मिलता है तो कई इतिहासकार इसे मात्र एक संयोग कहते हैं। इन्हीं इतिहासकारों में से एमिल ब्रेहायर (1928) कहते हैं कि प्लोटीनस के जीवन और कार्यों में उपनिषदों की छाप दिखाई पड़ती है, तो वहीँ आर्मस्ट्रांग (1936) ब्रेहायर के इस तथ्य को गलत ठहराते हुए कहते हैं कि नवप्लेटोवाद को एक अलग तरीके से देखा जाना चाहिए और इसे पूर्णरूप से ग्रीस के दर्शन परंपरा के ही एक अंग के रूप में देखा जाना चाहिए। हांलाकि यदि इसी परिपेक्ष्य में देखा जाये तो नागासाधुओं का सम्बन्ध भी ग्रीस के दर्शन के साथ देखा जा सकता है। ग्रीस में ऐसे भी दार्शनिक रहते थे जो कि वस्त्र नहीं पहनते थे तथा उन्हें नग्न दार्शनिक या ज्ञानवान के नाम से जाना जाता था। ग्रीस में ऐसी कई कहानियाँ प्रचलित हैं जो नागाओं पर आधारित हैं। प्लूटार्क ने अपने लेख में सिकंदर महान की और 10 नागाओं के मिलन की बात लिखी जो कि सिकंदर से सिन्धु नदी के किनारे मिले थे। स्ट्रैबो अपने लेख में कहता है कि नागा सबसे धार्मिक प्रवृत्ति के इंसान होते हैं तथा वे आम भारतीय दार्शनिकों से भिन्न हैं जो कि ब्राह्मण और श्रमण में विभाजित हैं। भारत में हिन्दू नागाओं के अलावा दिगंबर जैन सम्प्रदाय के लोग भी 6ठी शताब्दी से निवास करते हैं जो कि नग्न रहते हैं। भारत और ग्रीस दोनों स्थानों पर नागों को साधू, दार्शनिक और जानकार व्यक्ति की संज्ञा दी गयी है।

सन्दर्भ:-
1. https://link.springer.com/chapter/10.1057%2F9780230240773_7
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Porphyry_(philosopher)
3. https://www.bloomsbury.com/uk/porphyry-on-abstinence-from-killing-animals-9781780938899/
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Gymnosophists
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Plotinus

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.