लेडी एलिस रीडिंग द्वारा रामपुर के जनाने, बेगम और नवाब पर कुछ दिलचस्प टिप्पणियां

उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक
22-04-2019 09:00 AM
लेडी एलिस रीडिंग द्वारा रामपुर के जनाने, बेगम और नवाब पर कुछ दिलचस्प टिप्पणियां

नवाबों के शहर रामपुर में जाने वाला हर व्यक्ति उसकी भव्य सुंदरता की ओर आकर्षित हो जाता है। कई लोगों के लिए रामपुर की यात्रा एक अभूतपूर्व और ज्ञानवर्धक अनुभवक साबित होती है। ऐसी ही एक रामपुर यात्रा का जिक्र लेडी एलिस रीडिंग (Lady Alice Reading) द्वारा किया गया है। 1920 के शुरुआती दिनों में रामपुर की यात्रा के दौरान लेडी एलिस रीडिंग (भारत के वायसराय (Viceroy) की पत्नी) द्वारा रामपुर के जनाना, बेगम और उनके पान खाने की आदतों और नवाब के साथ बातचीत के बारे में एक दिलचस्प पत्र लिखा गया था। जिसका उल्लेख हमें आईरिस बटलर (Iris Butler) की पुस्तक “द वाइसरायस वाइफ: लेटर्स ऑफ़ ऐलिस रीडिंग” (अंग्रेजी में: The Viceroy's Wife : Letters of Alice Reading) में भी मिलता है।

इसमें ऐलिस रीडिंग ने उल्लेख किया है कि रामपुर के नवाब मोहम्मद अली एक आकर्षक, मिलनसार, सुसामाजिक चरित्र के व्यक्ति थे। मोहम्मद अली ने हरकोर्ट बटलर (Harcourt Butler) को पगड़ी बदल संधि के बारे में समझाया था और बताया कि यह पगड़ी का आदान-प्रदान करना भाईचारे की भावना का प्रतीक होता है। साथ ही ऐलिस रीडिंग बताती हैं कि मोहम्मद अली के लिए रिश्ते काफी मायने रखते थे। अगला उन्होंने अपनी बेगम के साथ मुलाकात के बारे उल्लेख किया है, जिसमें वे बताती हैं कि बेगम के साथ उनकी मुलाकात काफी मनोरंजक रही थी। बेगम एक नृत्यांगना तो थी ही साथ ही वह पूरे दिन सुपारी चबाती रहती थी और एक दिन में लगभग 100 पान का सेवन कर लेती थी। वहीं जब बेगम से यूरोप चलने के लिए पुछा गया तो उन्होंने जाने से मना कर दिया क्योंकि वहाँ उन्हें ताजे पान नहीं मिल पाते।

साथ ही ऐलिस बताती है कि उनके एक कमरे के बगल में ईंटों से बनी एक ऊँची दीवारों से घिरा जनाना मौजूद था। उस जनाने में लगभग 100 पत्नियाँ रहती थीं, प्रत्येक के लिए एक अलग तीन कमरों का घर था और भोजन तैयार करने के लिए सबके पास अपने निजी नौकर मौजूद थे क्योंकि उन्हें एक दुसरे पर बिलकुल भरोसा नहीं था और यह डर था कि दूसरी औरतें उनके खाने में जहर न दे दें। वहीं नवाब के साथ उनके बिताए गए समय के बारे में बताते हुए ऐलिस बताती हैं कि नवाब ने उनसे यहूदियों की आदतों, तरीकों और जीवन के बारे में पूछताछ की और मूसा की समाधि की बेहतर देखभाल ना होने से परेशान हो गए थे। साथ ही उन्होंने ऐलिस को जेरूसलम (Jerusalem) के अभिलेखागार की तीर्थ यात्रा करने का सुझाव दिया था।

ऐलिस रीडिंग (Alice Reading), रूफस आइजैक (Rufus Isaacs) की पहली पत्नी थी और 1910 में उनके पति को नाइटहुड (Knighthood) की पदवी मिलने के बाद उन्हें भी मिसेज आइजैक (Mrs Isaac) से लेडी आइजैक (Lady Isaac) की उपाधि दे दी गई थी, वहीं 1914 में बैरोनेस रीडिंग (Baroness Reading) की, 1916 में विस्काउनटेस रीडिंग (Viscountess Reading) की, 1917 में काउंटेस ऑफ़ रीडिंग (Countess of Reading) की और अंत में 1926 में मारसनिस ऑफ़ रीडिंग (Marchioness of Reading) की उपाधि दी गई थी। 1921 में लॉर्ड रीडिंग को भारत का वायसराय नियुक्त किया गया, लेकिन वे इस पद को स्वीकार करने के लिए अनिच्छुक थे क्योंकि ऐलिस का स्वास्थ्य नाजुक था, परंतु ऐलिस ने उन्हें किसी प्रकार इस पद को स्वीकार करने के लिए मना लिया था। ऐलिस के खराब स्वास्थ्य होने के बावजूद वे अपने पति के साथ भारत आयीं और भारत में इन्होंने वायसराय की पत्नी के रूप में कई प्रमुख सेवाएं की। उन्होंने कई उदार कार्य किए विशेष रूप से भारतीय महिलाओं और बच्चों की मदद की थी।

पुस्तक की लेखिका आइरिस मैरी बटलर (Iris Mary Butler) एक अंग्रेजी पत्रकार और इतिहासकार थी। बटलर का जन्म भारत के शिमला में सर मोंटेगू शेरार्ड डावस बटलर (Sir Montagu Sherard Dawes Butler) और उनकी पत्नी एन (Ann) के यहाँ हुआ था। उन्होंने ईस्टर्न डेली प्रेस (Eastern Daily Press) के लिए लिखा था और 1967 में ऐनी (Anne)(ब्रिटेन की रानी)(Queen Of Great Britain), सारा चर्चिल (Sarah Churchill) (मार्लबोरो की डचेस)(Duchess Of Marlborough) और अबीगैल माशम (Abigail Masham)(सारा की चचेरी बहिन)(Cousin Of sarah) के बीच के रिश्ते के बारे में प्रकाशित किया था। 1927 में उन्होंने गेरवस पोर्टल (Gervas Portal) से शादी की लेकिन उन्होंने अपने प्रकाशनों को अपने प्रथम नाम के तहत ही प्रकाशित करना जारी रखा था।

संदर्भ :-

1. https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.111361/page/n99
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Alice_Isaacs,_Marchioness_of_Reading
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Iris_Butler
4. https://www.telegraph.co.uk/news/obituaries/1413908/Iris-Portal.html

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