रामपुर में एक क्रेन की मदद से बनारस के महाराज करते थें गाय का दर्शन

उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक
20-04-2019 09:00 AM
रामपुर में एक क्रेन की मदद से बनारस के महाराज करते थें गाय का दर्शन

रुहेलखंड का रामपुर जिला पहले से ही अपने इतिहास के लिये जाना जाता है। यहां के नवाब खानदान का दबदबा सियासत में काफी समय तक रहा और रज़ा अली खान, रामपुर के अंतिम शासक नवाब थे। रामपुर कई कारणों से विशेष है यह भारतीय संघ में प्रवेश करने वाली पहली रियासत थी। इसके पहले संसदीय प्रतिनिधि हमारे स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अबुल कलाम आज़ाद थे। यहां कभी भी हिंदू-मुस्लिम दंगें नहीं देखे गये, यहां तक की 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद भी। महात्मा गांधी की राख को संरक्षित करने के लिए रामपुर को दिल्ली के राजघाट से अलग एकमात्र स्थान होने का गौरव प्राप्त है।

इसके अलावा शहर के केंद्र के बाहर कोठी खास बाग, एक शानदार मुगल महल है, जो रामपुर किले से कुछ दूरी पर स्थित है, जहाँ नवाब मूल रूप से रहते थे। यह मुगल वास्तुकला में ब्रिटिश पैटर्न के प्रभाव के साथ 1930 में बनाया गया था तथा यह एअर कंडिशनिंग यूनिट (air-conditioning unit) वाला भारत का पहला महल था। यह महल औपनिवेशिक युग की वास्तुकला का एक सुंदर नमूना है। यहां तक की भारत के अंतिम वायसराय लुइस फ्रांसिस एल्बर्ट विक्टर निकोलस माउंटबेटन( Louis Francis Albert Victor Nicholas Mountbatten) ने 1940 के दशक में एक बार रामपुर कोठी खास बाग का दौरा किया था।

माउंटबेटन को 1947 में 20 फरवरी को ब्रिटिश भारत का आखिरी अंग्रेज वायसराय नियुक्त किया गया था। उनका जन्म 25 जून, 1900 में हुआ था। माउंटबेटन बहुत ही मिलनसार स्वभाव के थे। भारत तथा पाकिस्तान के बटवारे के बाद उन्होंने ब्रिटिश हाथों से भारतीय हाथों में राजनीतिक सूझ-बूझ के साथ सत्ता सौंपने का काम किया था। अपनी एक किताब, द प्रिंसेस ऑफ इंडिया इन द एन्डगेम ऑफ एम्पायर (The Princes of India in the Endgame of Empire), 1917-1947 में, इयान कोपलैंड (Ian Copeland) ने बताया कि जब लॉर्ड माउंटबेटन रामपुर आए थे, तो उन्होंने खास बाग महल की तुलना "न्यूयॉर्क होटल" (New York Hotel) से की थी।

इसके अलावा रामपुर कोठी खास बाग के दौरे के दौरान एक और घटना का जिक्र 1973 में प्रकाशित एक किताब “द वाइसरॉयज जर्नल” (The Viceroy's Journal) जिसे पेंडेल मून (Penderel Moon) ने लिखा था, में किया गया है। पेंडेल ने इस किताब में बनारस के महाराजा और लॉर्ड माउंटबेटन की रामपुर की यात्रा की कहानी का वर्णन किया है। उन्होंने बताया कि ‘महाराजा बहुत परंपरागत व्यक्ति थे, और अपने आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिये वे मानते थे कि हर सुबह सबसे पहले एक गाय को देखना आवश्यक होता है। लेकिन रामपुर में अतिथि कक्ष ऊपरी मंजिल पर था, परंतु रामपुर में एक चीनी कारखाने से एक क्रेन (crane) मिली और एक मंच स्थापित किया गया जिस पर हर सुबह एक गाय को क्रेन की सहायता से उनकी महारानी के बेडरूम की खिड़की तक ऊपर ऊंचा उठाया जाता था’

1947 में आजादी के बाद रामपुर जिला भारत के गणतंत्र के साथ एकजुट हो गया और नवाबों से उनकी शक्तियां और राजसी गौरव छीन ली गई और उन्हें सिर्फ उपाधि धारण करने की अनुमति दी गई। नवाब रज़ा अली खान की नाती नगहत अबेदी और उनके भाई मोहम्मद अली खान को वर्तमान के प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी माना जाता है।

ऊपर दी गयी तस्वीर राष्ट्रीय रक्षा परिषद (National defence Council) के साथ वायसराय (Viceroy) की तस्वीर है, जो 1940 में प्रांतों और रियासतों ने स्थापित किया गया था। इस तस्वीर में , रियासतों के शासक पहली और दूसरी पंक्तियों में हैं और पहली पंक्ति के केंद्र में वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन (Lord Mountbatten) और रामपुर के नवाब साथ में विराजमान हैं।

संदर्भ:

1. https://bit.ly/2PhKcb6
2. https://bit.ly/2GkR0AM
3. https://bit.ly/2UHZMmg
4. https://bit.ly/2Pi3DRg

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