लोक कला का नाट्य अनुभव में परिवर्तन

द्रिश्य 2- अभिनय कला
15-04-2019 02:22 PM
लोक कला का नाट्य अनुभव में परिवर्तन

‘मंगणियार सेडक्शन (Manganiyar Seduction) कि अवधारणा मंगणियार के संगीत और एम्स्टर्डम (Amsterdam) के लाल बत्ती जिले के दृश्य प्रलोभन के बीच एक चमकदार संघ बनाती है। यह सेट(set) हवा महल और एम्स्टर्डम के रेड लाइट (red light)जिले का एक संयोजन है। इसकी तुलना मैजिक बॉक्स (Magic Box)से भी की जाती है। 43 संगीतकारों को 36 लाल-पर्दे वाले क्यूबिकल(Cubicles) में चार क्षैतिज पंक्तियों में व्यवस्थित किया जाता है, जो एक दूसरे के ऊपर निर्मित की जाती हैं; और जैसे ही एक क्यूबिकल लाइट जलती है और पहला गायक अपना गीत शुरू करता है, आनंद शुरू हो जाता है । प्रत्येक बक्से पर एक एकल कलाकार का कब्जा होता है, जो कि जब भी उसकी आवाज या वादन संगीत में शामिल होता है, रौशन हो जाता है।जल्द ही एक और क्यूबिकल लाइट जलती है और फिर इस तरह से संगीत वाद्य और आवाज के रूप में एक नाटकीय और आश्चर्यजनक निर्माण होता है, जो आपको खुद के परे एक नई दुनिया में ले जाता है। भारत के जाने-माने थियेटर-निर्देशक रोयस्टेन एबेल (Roysten Abel)की यह शानदार परिकल्पना 2006 से दुनिया भर में अपने संगीत का जादू बिखेर रहे है ।

इस समुदाय के लोगों के लिए संगीत ही जीवन है। उनके पास मुस्लिम संत हैं और वे अल्लाह की पूजा करते हैं। और फिर उनके पास हिंदू देवी-देवता भी हैं और वे दोनों को गाते हैं। सूफी इस्लाम गीत गाने या हिंदू गीत गाना उनके लिए कोई अंतर नहीं होगा। यह भक्ति के बराबर राशि के साथ होगा। ”- रोयस्टेन एबेल - वह शख्स जो इनके संगीत से प्यार करता था और इनमे सांस्कृतिक समारोहों और विवाहों में गाने की तुलना में कुछ अधिक बड़ी क्षमता देखता था।

उनके संगीत के कारण उनके गाँवों तक विकास पहुचा है और जिसने उनके समुदाय में एक संकट को जन्म दिया है, जो कि कई पारंपरिक भारतीय कला रूप आज भी देख रहे हैं। उनकी विरासत कौन जारी रखेगा? मंगणियार के बच्चों को संगीत पे ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो गया है । उन्हें संगीत सीखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, लेकिन एक पेशे के रूप में नहीं बल्कि सिर्फ शौक के लिए।

मंगणियार सेडक्शन 2006 से हर साल दुनिया भर में प्रस्तुति देते रहे है। आज भी हर साल लगभग 20-25 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रस्तुतियां करते है, मतलब २ प्रस्तुति प्रति माह ।हर टिकट कि राशि लगभग 1000 रहती है। अनुमान के लिए हर प्रस्तुति में 500 दर्शको का आंकड़ा लिया जाए तो इनकी अनुमानित कमाई पता लगाई जा सकती है जो प्रति प्रस्तुति 500*2*1000= 10,00,000 रुपये कि बनती है।

सब खर्च हटा कर भी 6,00,000 रुपये कि कमाई यह टोली कर लेती है. हम जानते है कि हर प्रस्तुति में 45 कलाकार का योगदान रहता है। यह राशि प्रति कलाकार को 13,400 (6,00,000/45) कि कमाई देता है जो आज हमारे देश कि GDP (सकल घरेलु उत्पाद ) जो 5800 है, से पूरे 7,600 अधिक है। यह आंकड़े हमे यह बताते है कि कला के माध्यम से जीविका ही नहीं बल्कि एक सुखी जीवन जिया जा सकता है ।

यह विडियो आपको भारतीय संस्कृति और विदेशी जगमगाहट का एक ऐसा नमूना दिखाएगा जिससे आपके मन मे अपने देश कि कलाओं को जानने की जिज्ञासा और बढ़ जाएगी। हमारे देश मे ऐसी न जाने कितनी ही संगीत कलाएं है जो प्रसिद्धि और प्रेरणा के आभाव मे लुप्त होती जा रही हैं। ‘मंगणियार सेडक्शन के भांति हम अपनी बाकि कलाओं को भी एक नए पन के साथ बढ़ावा दे सकते है और दुनिया भर मे प्रसिद्धि पा सकते है।

सन्दर्भ:-
1. http://www.riotartists.com/artist-roster/themanganiyarseduction/
2. https://bit.ly/2KDRaZs
3. https://bit.ly/2v5MgKg
4. https://youtu.be/gWOuYAJ1-zI
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://bit.ly/2PdnAbY
2. https://bit.ly/2Pal6uD

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