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भारत को हमेशा अपनी पारंपरिक कला और शिल्प के माध्यम से सांस्कृतिक और पारंपरिक जीवंतता को चित्रित करने वाली भूमि के रूप में जाना जाता है। भारत के 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की अपनी अलग–अलग सांस्कृतिक और पारंपरिक पहचान है और ये वहां के प्रचलित कला के विभिन्न रूपों के माध्यम से प्रदर्शित की जाती है। आरी का काम एक विशेष हुक(hook) जैसे सुई की मदद से कपड़े को एक फ्रेम पर टांका लगा कर किया जाता है, साथ ही यह बहुत ही महीन कढ़ाई का एक रूप है जिसमें फूलों के विस्तृत रूप शामिल होते हैं। ऊपर दी गयी आकृति मधुबनी कला से प्रेरित है जिसे आरी की कढ़ाई के मेल के साथ बनाया गया है, जिससे दोनों की खूबसूरती निखर के आती है।
वैसे तो आरी कढ़ाई काफी सुंदर है लेकिन आज यह पतन की ओर बढ़ रही है। इसे बचाने का एक तरीका यह भी है कि इसे मधुबनी पेंटिंग के साथ जोड़कर इसका प्रयोग किया जाए। पेंटिंग के विशेष लक्षणों के साथ आरी के कार्य का संयोजन, उत्पादों के चयन और रुचि के अनुसार विभिन्न प्रकार के कपड़ा उत्पादों को उपभोक्ताओं तक पहुँचाने में मदद करेगा। आरी के कार्य के माध्यम से डिजाइन करना कठिन समय लेने वाला, महंगा और श्रमसाध्य काम है। वहीं विभिन्न तकनीकों के साथ पारंपरिक कलाओ के संयोजन से समय और ऊर्जा की बचत के साथ-साथ डिजाइनिंग की लागत को प्रभावी बनाकर इस समस्या का हल निकाला जा सकता है। पारंपरिक चित्रों के विशेष भावों और आरी के कार्य के संयोजन के माध्यम से प्राचीन कलाओ को जीवित रखने के साथ-साथ वर्तमान समय की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है।
आरी कारीगरी, हैंड-पेंटिंग(hand-painting), पैच-वर्क(patch-work) और स्टैंसिल-प्रिंटिंग(stencil-printing) के साथ मधुबनी पेंटिंग को तैयार करने पर वे काफी आकर्षक बन जाते हैं। वहीं इन्हें तैयार करने में श्रमिक शुल्क लगभग 380 रुपये की दैनिक वेतन तक लगती है। साथ ही इसकी लागत की गणना कच्चे माल के उपयोग के आधार पर की जा सकती है यानी कपड़े, धागा, रंग, पत्थर, ब्रश, स्टैंसिल और कुशल श्रम की लागत के अनुसार। मधुबनी पेंटिंग डिजाइन (design) के मामले में आरी के कार्य के साथ तैयार की गई आरी वर्क वाली हैंड पेंटिंग तथा पैच और आरी वर्क वाली स्टैंसिल प्रिंटिंग की कुल लागत लगभग 500-900 रुपये तक की हो सकती है।
संदर्भ :-
1. https://www.ijcmas.com/6-12-2017/Suman%20Sodhi,%20et%20al.pdfA. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
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