समयसीमा 234
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 960
मानव व उसके आविष्कार 743
भूगोल 227
जीव - जन्तु 284
एक अध्ययन से पता चलता है कि एक साधारण प्याज में मनुष्यों की तुलना में अधिक मात्रा में डीएनए होते हैं, परंतु मनुष्य एक प्याज की तुलना में बहुत अधिक जटिल प्राणी है। तो सवाल यह उठता है कि क्या पौधों में मौजूद सभी डीएनए उनके अस्तित्व के लिए आवश्यक होते हैं? डीएनए वह पदार्थ होता है, जिससे जीन बनते हैं और जीन में प्रोटीन बनाने के लिए व्यंजन उपलब्ध होते हैं, ये मनुष्यों, अमीबा, प्याज और आदि में अलग-अलग स्वरूप देता है। अब आप सोच रहें होंगे कि अधिक जटिल जीवों को जीवित रहने और प्रजनन करने के लिए अधिक डीएनए की आवश्यकता होती होगी। परंतु सभी डीएनए उपयोगी नहीं होते हैं, साथ ही यह सब जीन गतिविधि में शामिल नहीं होते हैं इसके पीछे का कारण वास्तव में स्वयं वैज्ञानिकों को भी नहीं पता है, पर वे इसे जंक डीएनए के नाम से जानते हैं।
हालांकि कई बार प्रजनन के दौरान गलती से मनुष्य, प्याज और अन्य जीव डीएनए खो देते हैं। जीन ले जाने वाले गुणसूत्रों द्वारा माता-पिता से संतानों में जीन को बिल्कुल वैसे ही अनुकृत किया जाना चाहिए, लेकिन कभी-कभी चीजें बिल्कुल गलत हो जाती हैं। अधिकांशतः पौधे या जानवरों में कुछ उतार-चढ़ाव लाने के लिए जीन के घटकों को हटा या बदल दिया जाता है। लेकिन जंक डीएनए में परिवर्तन इस तरह के परिणामों के कारण नहीं होते हैं। यदि पुराने जंक को हटाने की प्रक्रिया नए जंक के सम्मिलन की प्रक्रिया की तुलना में धीरे-धीरे होती है तो एक प्राणी के जीवन पर बिना प्रभाव डाले उसमें आनुवंशिक पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है।
साथ ही यह प्रक्रिया मनुष्यों, प्याज और फल मक्खियों जैसी प्रजातियों के बीच आनुवंशिक अंतर की व्याख्या कर सकती है। जैसे फल मक्खियां जंक डीएनए की नकल करने में लापरवाह हो सकते हैं। वहीं प्याज हर चीज को पुनः तैयार कर सकते हैं, जिसके परिणाम में एक गुच्छेदार और जंक जीनोम होते हैं। वहीं कई शोधकर्ताओं का यह सोचना था कि क्या "जंक" एक मिथ्या नाम हो सकता है और क्या यह जंक डीएनए द्वारा कोई मुख्य भूमिका निभाई जाती है।
एनकोड (Encode) परियोजना का प्राथमिक लक्ष्य जीनोम के शेष घटक की भूमिका निर्धारित करना है। वहीं मानव जीनोम में 3.3 बिलियन बेस पेयर या डीएनए के अक्षर, जो प्रोटीन के लिए कोड नहीं करते हैं, के बारे में इन्होंने पाया है कि टेस्ट ट्यूब में, लगभग 80 प्रतिशत जीनोम में कुछ जैविक गतिविधि होती है, जिससे यह पता चलता है कि जीन कार्य कर रहें है या नहीं। अल्बर्ट और उनके सहयोगियों ने मांसाहारी ब्लैडरवर्ट पौधों और यूट्रीक्युलेरिया गिब्बा के जीनोम का अनुक्रम किया, इन जीनोम में सिर्फ 80 मिलियन बेस पेयर थे और अन्य पौधों की प्रजातियों की तुलना में, यह जीन सकारात्मक रूप से छोटे थे।
वहीं ब्लैडरवर्ट के समान पौधों की तरह ब्लैडरवर्ट में लगभग 28,500 जीन थे, बस इनमें जंक में अंतर था। एक ब्लैडरवर्ट पौधों से नॉन-कोडिंग डीएनए की एक बड़ी मात्रा निकल जाती है। इतनी बड़ी संख्या में डीएनए के निकल जाने पर भी पौधे में कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। वास्तव में एक आनुवंशिक विचित्रता के माध्यम से ब्लैडरवर्ट में पूरे जीनोम की नकल मौजूद थी। शोध करने के बाद यही निष्कर्ष निकाला गया कि जंक डीएनए वास्तव में स्वस्थ पौधों या मनुष्यों जैसे अन्य जीवों के लिए आवश्यक नहीं होता है। लेकिन यह अभी भी एक रहस्य है कि कुछ जीवों में जीनोम जंक से भरे हुए क्यों होते हैं, जबकि अन्य जीवों में जीनोम अतिसूक्ष्म होते हैं।
संदर्भ :-
1. https://bit.ly/2XVtr9y
2. https://www.livescience.com/31939-junk-dna-mystery-solved.html
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Non-coding_DNA
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.