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सर्दियों का मौसम आते ही हम अपने गरम कपड़े निकाल लेते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके द्वारा पहनी हुई चमड़े की जैकेट असली है या नहीं? जी हाँ, बाजारों में बिकने वाली चमड़े की जैकेट कई कृत्रिम (Artificial) चमड़े की भी हो सकती है। साथ ही इसकी असल पहचान न कर पाने के कारण आप ठगे जा सकते हैं।
चमड़े का उपयोग मानव अस्तित्व के शुरुआती समय से कपड़े के रूप में होता आ रहा है। प्रागैतिहासिक लोगों द्वारा अपने शरीर को गर्म रखने के लिए जानवरों की खाल का उपयोग किया गया था। वहीं मिस्र के फाराओस (pharaohs) की कब्रों से चमड़े के जूते भी पाए गए। प्राचीन समय में जानवर की खाल को पहले धुएं में सुकाया, उसके बाद लघुशंका में भिगोकर, जानवरों के विष्ठा के साथ रगड़कर, और तेज छड़ों पर घसीटा जाता था। वहीं कुछ संस्कृतियों में, खाल से प्राकृतिक तेलों को हटाने के लिए सिलखड़ी और आटे का छिड़काव करते थे। साथ ही महिलाओं के चमड़े के वस्त्रों को अक्सर इत्र में भिगोया जाता था। ज्यादातर हिरन, भेड़ और गाय की खाल से सबसे अधिक चमड़े की जैकेट का निर्माण होता है।
चमड़े की जैकेट के निर्माण की विधि निम्न है :-
• सबसे पहले जैकेट के डिजाइन के पैटर्न को आमतौर पर परिधान निर्माताओं द्वारा तैयार किया जाता है। उसके बाद कम्प्यूटरीकृत मशीनों द्वारा सरकार की मानवमितिय तालिका (जो शरीर की ऊंचाई और वजन के आधार पर आकार को नियुक्त करता है) के अनुसार डिजाइनों को क्रम में रखता है। उसके बाद कंप्यूटर मूल डिजाइन से आकारों की एक श्रृंखला में पैटर्न तैयार करता है।
• दूसरे चरण में शोधित चर्म को स्प्रेडर्स (spreaders) नामक चलती तालिकाओं पर रखा जाता है। आधुनिक तकनीक कपड़े के कई परतों को एक साथ काटने की अनुमति देती है, फिर भी चमड़े को आमतौर पर एक ही परत को काट देता है। पैटर्न को चमड़े के ऊपर रखा जाता है।
• उसके बाद जैकेट को निम्न क्रम में संकलित किया जाता है :- जैकेट के किनारो को पीछे की तरफ सिला जाता है। दोनों आस्तिनों की एक साथ सिलाई की जाती है और आस्तिनों को कपड़े के बाहों से जोड़ा जाता है। कॉलर, कफ, बटनहोल (button-holes), बटन, ज़िप्पर (zipper) और जेब जैसे फिनिशिंग टुकड़ों का संलग्न जैकेट के डिजाइन के अनुसार भिन्न होता है।
• जानवर की खाल को चमड़े में पूरी तरह परिवर्तित करने के लिए कई कपड़े पर दबाव देने वाली प्रक्रियां (गर्मी आवेदन, स्टीमिंग और अवरुद्ध) शामिल की जाती हैं। भाप और दबाव की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए नियंत्रण और गेज (gauge) से सुसज्जित बक प्रेस (Buck press) की मदद से जैकेट को विशिष्ट आकार दिया जाता है।
• विक्रेताओं के पास भेजने से पहले प्रत्येक जैकेट का कर्मचारियों द्वारा निरीक्षण किया जाता है।
ये तो हुई चमड़े की जैकेट के निर्माण की बात, अब हम आपको बताते हैं कि कृत्रिम चमड़े की जैकेट और असली में अंतर कैसे किया जा सकता है? लेकिन उससे पहले कृत्रिम चमड़े की जैकेट के बारे में जान लें। कृत्रिम चमड़े का उपयोग अक्सर कपड़ो, फर्नीचर और मोटर वहानों की सामग्रियों में होता है। इसके उपयोग का नुकसान यह है कि यह छिद्रपूर्ण नहीं है और हवा को आर-पार जाने की अनुमति नहीं देती है, जिस वजह से इसके उपयोग पर पसीना इकट्टा हो सकता है। वहीं कारों में इसके उपयोग के फायदे यह है कि चमड़े की तुलना में इसके रखरखाव की आवश्यकता कम होती है और इसमें आसानी से दरारे या रंग नहीं उतरता है। वहीं चमड़े की जैकेट और कृत्रिम चमड़े की जैकेट में अंतर निम्न प्रक्रियाओं से जान सकते हैं :-• चमड़े को पहचानने का काफी आसान तरीका है कि उसे दबाकर या खींचकर देखें, अगर चमड़ा असली है तो इसमें सिकुड़न और खिंचाव नजर आएगा और वहीं अगर नकली है तो इस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
• वहीं जैकेट की बनावट में हल्की-फुल्की खराबी असली चमड़े की पहचान है। असली चमड़े से प्लास्टिक या केमिकल की गंध नहीं आती है, जबकि नकली लेदर जैकेट से ऐसे गंध आते हैं।
• असली चमड़े के जैकेट को खींचने पर उसमें बहुत बारीक रोमछिद्र नजर आते हैं। जबकि कृत्रिम चमड़े के जैकेट को खींचने पर कोई छेद नजर नहीं आते हैं।
• असली चमड़ा जल्दी खराब नहीं होता और यह 10 साल से अधिक समय तक भी टिका रह सकता है।
• असली चमड़े का जैकेट छूने पर मुलायम व कोमल स्पर्श देगा, जबकि नकली चमड़ा कठोर महसूस होता है।
• असली चमड़ा आसानी से पानी को अवशोषित कर सकता है, जबकि नकली चमड़ा पानी को अवशोषित नहीं कर पाता है और इसकी सतह पर पानी की बूंदें नजर आती हैं।
• असली चमड़े के जैकेट को मोड़ने या खींचने पर लचीलापन और रंग में थोड़ा बदलाव नजर आएगा। वहीं नकली चमड़ा कठोर व सख्त बना रहेगा।
भारतीय चमड़ा उद्योग विश्व में चमड़े के उत्पादन का लगभग 12.93 प्रतिशत का हिस्सेदार है। वहीं भारतीय चमड़ा उद्योग काफी विकसित हो चुका है, केवल कच्चे माल के आपूर्तिकर्ता से मूल्य वर्धित उत्पाद निर्यातक में परिवर्तित हो रहा है।
• अप्रैल-अक्टूबर 2018 के दौरान भारत से कुल चमड़े के निर्यात 305 करोड़ था।
• अप्रैल-अक्टूबर 2018 के दौरान, भारतीय चमड़े के उत्पादों के लिए प्रमुख बाजार अमेरिका (16.73 प्रतिशत), जर्मनी (12.31 प्रतिशत), ब्रिटेन (11.41 प्रतिशत), इटली (7.48 प्रतिशत), और फ्रांस (5.54 प्रतिशत) थे।
• अप्रैल-अक्टूबर 2018 के दौरान, निर्यात किए गए उत्पादों में चमड़े के जूते के घटक, चमड़े के वस्त्र, पूर्ण चमड़े के निर्यात, चमड़े के जूते और चमड़े के सामान शामिल थे।A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
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