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भारत विविधताओं से भरा एक ऐसा देश है जिसमें प्रत्येक शहर व गाँव दशकों पुरानी भारतीय परम्पराओं को संजोए हुए हैं। यहां बहुत से लोगों के पास उनके घरों में मूल्यवान प्राचीन वस्तुएं होती हैं जिनमें से कई लोगों को उसके महत्व के बारे में पता भी नहीं होता। उन्हे यह ज्ञात ही नहीं होता है कि वे वस्तुएं कितनी कीमती और बहुमूल्य हैं। हममें से कई लोग इन पुरानी बहुमुल्य वस्तुओं को फेंक देते हैं या आधुनिक वस्तुओं को उनके बदले घर में रख लेते है। अब आप सोच रहे होंगे कि केवल 100 साल से पुरानी वस्तुएं ही एंटीक (संग्रहणीय) होती हैं या जो वस्तु पुरानी सी दिख रही हो वो ही एंटीक है, परंतु ऐसा नहीं है।
सिर्फ पुराने दिखने से कोई भी वस्तु एंटीक नहीं हो जाती। एंटीक वस्तु वे होती हैं जो पुरानी तो होती ही हैं परंतु जिनमें दुर्लभता के साथ-साथ उस दौर का ऐतिहासिक महत्व भी छिपा होता है। यहां तक की आपके घर में रखा हुआ एक टाइपराइटर भी एंटीक वस्तुओं में शामिल है। वर्तमान में इन पुराने टाइपराइटरों की कीमत 200 से 560 अमेरिकी डॉलर तक आसानी से मिल जाती है। ये कीमत उसकी आयु, स्थिति, रंग आदि पर निर्भर करती है। 70 के दशक के कुछ पात्रों (जिनको आप आज टि.वी. में देखते है) पर आधारित कॉमिक बुक का संग्रह भी कुछ लोगों के द्वारा किया जाता है। हाल में ही ब्लैक पैंथर कॉमिक बुक की एक श्रृंखला की नीलामी 150 अमेरिकी डॉलर से अधिक में हुई थी। यह तो कुछ भी नहीं है पुरानी कॉमिक बुकों की कीमत कुछ सौ से लेकर 1000 डॉलर तक पहुंच जाती है।
सिर्फ इतना ही नहीं आपके घरों में मिलने वाले रेट्रो वीडियो गेम, विंटेज विज्ञापन संकेत, पोकिमोन कार्डस, विंटेज हि-मैन (HE-MAN), और ट्रांसफॉर्मर्स (TRANSFORMERS) खिलौने, प्राचीन संगीत वाद्य यंत्र, पुरानी इत्र की बोतलें, प्राचीन किताबों का प्रथम संस्करण, विंटेज कंप्यूटर, प्राचीन पेंटिग, पुराने पेन तथा पोस्टकार्ड आदि का संग्रह भी आज के दौर में कुछ लोगों के द्वारा किया जाता है और वे इनके लिये कोई भी कीमत देने को तैयार हो जाते हैं। उपरोक्त विवरण से तो आप समझ ही गये होंगे कि पुरानी चीजों को संभालकर रखने की जरूरत है। इन्हें बेकार समझकर फेंकने की गलती न करें क्योंकि क्या पता कब, कौन सी चीज आपको मालामाल बना दे। आज के समय में पुरानी चीजों का मूल्य ब्रैंडेड (Branded) और प्रचलित वस्तुओं से भी कहीं ज्यादा है। इस प्रकार के संग्रह के क्रय-विक्रय के लिए एक बाजार होता है, जहाँ से आप उन धूल वाले पुराने खिलौने और दादी माँ के पुराने जंग लगे पायरेक्स कैसरोल बर्तन से सैकड़ों रुपये ला सकते हैं।
यदि हम भारतीय प्राचीन वस्तुएं की बात करें तो हम आपको बता दें कि 18वीं और 19वीं सदी से पुरानी अधिकांश वस्तुएं भारतीय संग्रहालय का भाग हैं। कहते है संग्रहालय मानव इतिहास को संजोह कर रखते हैं, किसी भी देश की कला-संस्कृति और इतिहास को जानना, और देखना हो तो संग्रहालयों से बेहतर कोई जगह नहीं होती है। संग्रहालय सशक्त जरिया है हजारों साल पुराने कालखंड के चिह्नें को देखने का। भारतीय संग्रहालयों में उस दौर की वस्तुएं रखी गई है जब राजा-महाराजा शासन करते थें, जैसे कि – संदूक, कटोरे, एशियाई फर्नीचर, नक्काशीदार बर्तन , स्क्रॉल पेंटिंग, मूर्तियां, चाय का सेट, तलवार आदि। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण है हाथी हौदा (हाथी की पीठ पर कसा जाने वाला आसन), जिस पर राजा व उनकी रानी बैठ सफर किया करते थें। महाराजा और उनके दरबारों के सदस्यों द्वारा पहने जाने वाले गहने जोकि रत्नों के साथ बनाये जाते थे, पगड़ी में इस्तेमाल किये जाने वाले रत्न, अंगूठी, कंगन, हार, हीरे, नीलमणि, तथा रूबी आदि ये सभी भारतीय प्राचीन वस्तुएं का अभिन्न अंग है।
अगर आपमें भारतीय पुरानी चीजों के प्रति गहरा लगाव है या कीमती वस्तुओं को खोजने में दिलचस्पी है तो आपको भारत में ऐसी कई दुकाने मिल जाएंगी जहां पर पुरातन वस्तुओं जैसे फर्नीचर, आभूषण, पुस्तकें, फिल्में, संगीत एलबम, हस्तशिल्प, कांच की कलाकृतियां, पोशाकें, नक्काशीदार बर्तन, ऐतिहासिक महत्व के खिलौने और अन्य संग्रहणीय वस्तुएं आदि की खरीद व बिक्री होती है। भारत में बहुत से स्टोर और दुकानें हैं जो प्राचीन वस्तुओं से संबंधित हैं, जहाँ से आप अनेक तरह की संग्रहणीय वस्तुएं खरीद या बेच सकते हैं, जैसे- रॉयल ट्रेज़र (अलीबाग), दीवान ब्रदर्स (देहरादून), डैनी मेहरास कार्पेट्स (बेंगलुरु), एक्युरेट डिमोलिसर (बेंगलुरु), बालाजी एंटिक्स और कोलेक्टिब्ल्स (बेंगलुरु), मयूर आर्ट्स (उदयपुर), देवराजा बाजार (मैसूर), ज्यू स्ट्रीट (Jew Street) (कोच्चि), अंजुना फली मार्केट (गोवा) तथा चांदनी चौक (दिल्ली) आदि।
इन दुकानों पर आप 19वीं से 20वीं शताब्दी के मध्य के दुर्लभ कार्पेट, पौराणिक युग के फर्नीचर, कलाकृतियां लैंप, भंडारण बक्से, दक्षिण भारतीय घरों के वास्तुशिल्प स्तंभ, मुगल-युग की कलाकृतियां, विक्टोरियन लैंप, गिल्ड फ्रांसीसी शीशे, क्रिस्टलीय झूमर तथा 170 वर्षीय सत्सुमा फूलदान (Satsuma vase), इत्यादि को देख सकते और खरीद सकते हैं।
संदर्भ:
1.https://www.collectorsweekly.com/asian/indian
2.http://mentalfloss.com/article/533411/old-things-your-house-are-worth-fortune
3.https://www.popularmechanics.com/home/g2715/valuable-antiques-attic/
4.https://www.architecturaldigest.in/content/ads-guide-to-antiques-around-the-country/
5.https://timesofindia.indiatimes.com/travel/destinations/5-ancient-markets-in-india-that-have-survived-the-test-of-time/as65486476.cms
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