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यमुना नदी के किनारे सफेद पत्थरों से निर्मित अलौकिक सुंदरता की मिसाल ‘ताजमहल’ न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चुका है। ताजमहल को दुनिया के सात अजूबों में शामिल किया गया है। वहीं आज हम ताजमहल की तस्वीरों को कई जगह देख सकते हैं, लेकिन क्या आपको कभी ये जानने की जिज्ञासा हुई कि ताजमहल की पहली तस्वीर किसने खिंची होगी? ताजमहल की पहली तस्वीर जॉन मरी (John Murray) द्वारा 1858-1862 में खिंची गई थी। यही नहीं, इसके अलावा जॉन मरी द्वारा कई मुगल स्मारकों की भी तस्वीर खिंची गईं।
एक चिकित्सकीय डॉक्टर के रूप में प्रशिक्षित होने के बाद भी डॉक्टर जॉन मरी एक फोटोग्राफर (Photographer) के रूप में प्रसिद्ध हुए। स्कॉटलैंड में पैदा हुए डॉक्टर मरी को ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) द्वारा सन 1833 में एक चिकित्सक के रूप में कलकत्ता भेजा गया। उन्होंने 1849 के आस-पास ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में सर्जन (Surgeon) के रूप में पदोन्नति पाने के बाद फोटोग्राफी में अपना पहला कदम बढ़ाया। मरी ने भारत के अपने सफर में भारतीय वास्तुकला और ऐतिहासिक संस्कृति के कई पहलुओं को तस्वीरों में खींचा और साथ ही ये भारत के पहले फोटोग्राफरों में से थे, जिन्होंने चार ऐतिहासिक स्थलों (आगरा, मथुरा, सिकंदरा और फतेहपुर सीकरी) के प्रसिद्ध पुरातन वास्तुकला की क्रमानुसार तस्वीरें खिंची।
उनकी ताजमहल की एक तस्वीर (ऊपर दी गयी तस्वीर) पूर्व से ली गयी, जिसमें डाक्टर मरी अग्रभूमि में बैठे थे। और उनके द्वारा खिंची गयी मोती मस्जिद की तस्वीर (नीचे दी गयी तस्वीर) में मोती मस्जिद के सामने शस्त्रागार देखने को मिलता है, यह तस्वीर आगरा में लगभग 1858 में खिंची गयी थी। 1800 के दशक के मध्य में, तस्वीरों को बड़ा करने के लिए कोई आसान तरीका उपलब्ध ना होने के कारण मरी ने एक बड़े प्रारूप वाले लकड़ी के कैमरे (Camera) का इस्तेमाल किया, जो 16 से 20 इंच तक के नेगेटिव (Negatives) को स्वीकार करने में सक्षम था।
उनके द्वारा खींची गयी तस्वीरें पहली बार मई 1856 में बंगाल फोटोग्राफिक सोसाइटी (Bengal Photographic Society) के सदस्यों को दिखाई गईं, और मार्च 1857 में सोसाइटी के उद्घाटन प्रदर्शनी में शामिल की गयी। वे जब 1857 में अपनी पहली छुट्टी पर अपने साथ कुछ नेगेटिव ब्रिटेन ले गए, तो वहाँ जोसेफ़ होगार्थ द्वारा सिंगल प्रिंट (Single Print) और पोर्टफोलियो (Portfolio) में 30 के सेट के रूप में प्रकाशित किए गये। नीचे दी गयी तस्वीर में मरी ने ताज महल के बाग़ों को बड़ी ही खूबसूरती से प्रदर्शित किया है।
बंगाल सोसाइटी (Society) में उनकी तस्वीरों की आखिरी प्रदर्शनी 1862 में हुई थी, जहाँ उन्हें उनके केलोटाइप (Calotypes, एक तरह की फोटोग्राफी तकनीक) के लिए पदक देने से मना कर दिया गया था। यद्यपि सोसाइटी ने यह स्वीकार लिया था कि वे सब तस्वीर कला के बहुत अच्छे उदाहरण थे, परंतु उनका मानना था कि वे हाल की फोटोग्राफी तकनीक की खोजों की स्पष्टता, तीखेपन और कलात्मक प्रभाव के परिणामों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकती थीं। मरी ने उनकी अस्वीकृति को नज़रअंदाज कर अपने कुछ बेहतरीन कामों को जारी रखा। उन्होंने अंतिम तस्वीर 1865 में ली, और वे 1870 में सेवानिवृत्त हो गए। मरी के सबसे खूबसूरत कार्यों में से एक थी ताज महल की पैनोरमा (Panorama) दृश्य वाली तस्वीर, जिसे नीचे दिखाया गया है।
1.https://indianexpress.com/article/lifestyle/windows-to-the-past-2/
2.http://prahladbubbar.com/wp/wp-content/uploads/2015/05/TheNewMedium_Final.pdf
3.https://sothebys.gcs-web.com/static-files/e1536f02-2a90-416c-a0cb-353434097907
4.http://www.luminous-lint.com/app/photographer/John__Murray/A/
5.https://collections.vam.ac.uk/item/O81315/photograph-murray-john-dr/
6.http://blogs.reuters.com/india/2014/08/22/first-pictures-of-taj-mahal-to-hairy-family-of-burma-subcontinent-photos-from-1850-1910/
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