1839 का रामपुर एक फिरंगी के नज़रिए से

उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक
16-11-2018 04:48 PM
1839 का रामपुर एक फिरंगी के नज़रिए से

भारत प्राचीन काल से ही संस्कृति, धन-संपदा, विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों और जड़ी बूटियों आदि से समृद्ध रहा है। जिस कारण इस पर समय-समय पर विदेशी आक्रमण होते रहे हैं, इन विदेशी आक्रमणों के कारण भारत के इतिहास में समय-समय पर काफी महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। औपनिवेशिक काल में अनेकों विदेशी लेखकों ने भारत के कई स्थानों का भ्रमण किया और अपने दैनिक विवरण में शब्दों के माध्यम से यहां के जन-जीवन, संस्कृति, प्राकृतिक दृश्यों को कैद कर लिया। इन विदेशी लेखकों के विवरण से भारतीय इतिहास की अमूल्य जानकारी हमें प्राप्त होती है।

1857 की क्रांति से भी पहले के रामपुर का एक दुर्लभ वर्णन का अनुवाद ब्रिटिश सेना के लेफ्टिनेंट-कर्नल सी.जे.सी. डेविडसन की यात्रा डायरी “डायरी ऑफ ट्रेवल्स एंड एडवेंचर्स इन अपर इंडिया, फ्रोम बरेली, इन रोहिलखंड, टू हरिद्वार, एंड नहान, इन द् हिमालयन माउंटेन्स; विद अ टूर इन बुंदेलखंड, अ स्पोर्टिंग एक्सकर्ज़न इन दी किंगडम ऑफ़ अवध, एंड अ वॉयेज डाउन दी गैंजेस” (Diary of travels and adventures in Upper India, from Bareilly, in Rohilcund, to Hurdwar, and Nahun, in the Himmalaya Mountains; with a Tour in Bundelcund, A Sporting Excursion in the Kingdom of Oude, and a Voyage Down the Ganges-1839) में मिलता है। डेविडसन बरेली में रहते थे और कुछ हद तक उन्हें उर्दू भाषा का भी ज्ञान था। उन्होंने रामपुर का एक दुर्लभ वर्णन बुंदेलखंड के दौरे, अवध राज्य में शिकार भ्रमण और गंगा की जलयात्रा के दौरान किया था। उनका यह विवरण 1843 में लंदन हेनरी कॉलबर्न द्वारा प्रकाशित किया गया था।

डेविडसन बंगाल सैपर्स में लेफ्टिनेंट-कर्नल और एक खनिक थे। बंगाल सैपर्स या बंगाल इंजीनियरिंग ग्रुप (Bengal Sappers or Bengal Engineering Group) औपनिवेशिक काल की ब्रिटिश भारतीय सेना की बंगाल आर्मी ऑफ़ दी बेंगॉल प्रेसिडेंसी (Bengal Army of the Bengal Presidency) की टुकड़ी थी। बंगाल सैपर्स का रेजिमेंटल केन्द्र रुड़की कंटोनमेन्ट, रुड़की नगर (उत्तराखण्ड) में है। बंगाल सैपर्स उन गिनी चुनी रेजिमेंटों में से है जो 1857 की बग़ावत से बची रही। डेविडसन ने मई 1839 से मार्च 1840 तक भारत में अपनी यात्रा की श्रृंखला का वर्णन किया, जो उन्हें गंगा के साथ हिमालय के अन्य स्थानों से अवध के साम्राज्य तक ले गयी। हिंदू धर्म पर बिशप हेबर द्वारा की गयी व्याख्या और इसके विपरित विलियम वार्ड द्वारा हिंदू धर्म पर की गई व्याख्या का डेविडसन द्वारा किया गया उल्लेख प्रशंसनीय है।

रामपुर के विषय में बताते हुए वे अपनी डायरी में लिखते हैं कि, “मैं शाम को रामपुर पहुचां जो आम और बांस के पेड़ों से घिरा हुआ था।” साथ ही साथ वे बताते हैं कि यह शहर कुछ बेतरतीब, घनी आबादी वाला और कुछ गंदा है जहां कुछ छोटे प्यारे बच्चे खेल रहे हैं, जो लेखक के आने पर अलार्म बजने से दौड़ कर एकत्रित हो गए और ख़ुशी से चिल्लाने लगे क्योंकि सभी को एक फिरंगी को देखने की उत्सुकता थी। साथ ही वे बताते हैं कि फिरंगियों को इस शहर में ज़रा विनम्रता से ही बात करनी चाहिए क्योंकि यहाँ के लोग फिरंगियों को काफी छेड़ते हैं।

डेविडसन आगे बताते हैं कि पतंग बाजी जिसे दशकों से सार्वभौमिक प्रशंसा प्राप्त है, शहर की सड़कें रंग बिरंगी पतगों से भरी हैं, यहाँ हर छोटा-बड़ा व्यक्ति पपतंगों के खेल में माहिर है। पतगों का व्यापार भी शहर में खूब होता है और इस बौद्धिक रोजगार में सभी प्रसन्न हैं। सड़क के एक दृश्य का वर्णन करते हुए वे कहते हैं कि सड़क पर गाय का दूध बेचने वालों, सूती कालीनों पर अपने हज़ारों कताई लेख प्रदर्शित करने वालों, कपड़े के प्रदर्शन के साथ दर्जी इत्यादि से शायद ही कभी सड़क खाली मिलती हो।

“वहां पर कुछ लड़के जंगली कबूतर बेच रहे थे तो कुछ कौवे, और आवारा लड़कों का एक झुंड मेरा पीछा कर रहा था और वे बोल रहे थे- "ओह, फिरंगी! अरे, फिरंगी! देखो, यहाँ एक बाघ है! यहाँ एक शेर है! देखो, यहाँ एक भालू है!" मैं जैसे ही पीछे मुड़कर उनकी ओर देखता, वे बहुत ही विनम्रता से मेरे चेहरे पर हँसे देते। परंतु वे मेरी सादगी पर हँस रहे थे। इसके विपरीत लन्दन में पले बड़े बच्चे इनसे काफी अलग होते हैं जो विदेशियों के साथ सभ्यता से पेश आते हैं।” इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि कुरीतियों से भरे इस समाज में उन्हें कुछ खास पसंद भी नहीं किया जाता था, समाज के लोग उन्हें देख कर मुंह सिकोड़ लेते थे, और ऐसा लगता था जैसे कि वे चुपके से कह रहे हों "तुम हम से मेल नहीं खाते हो!"। यहां के हिंदु हो या मुसलमान सभी हमें कड़वाहट औए नफरत से देखते हैं।

उन्होंने अपनी डायरी में यात्रा के दौरान कई अन्य स्थानों की घटनाओं का भी विवरण किया था फिर चाहे वो असम में उनके हाथी के पैर की उंगली के बारे में हो या बाघ शिकार, चाय रोपण जैसी घटनाओं के बारे में, उनका यह गद्य बहुत ही प्रभावशाली और आकर्षक है।

संदर्भ:
1.https://archive.org/details/diarytravelsand00davigoog/page/n59
2.https://www.indoislamica.com/stock_detail.php?ref=BK000250
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Bengal_Engineer_Group

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