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आज हम किसी भी खूबसूरत पल या कोई भी अविस्मरणीय दृश्य को देखते हैं, उसे तुरंत अपने फोन में कैद कर लेते हैं। लेकिन कैमरे के आने से पहले भी अनेक जिज्ञासु लोगों के समक्ष इस प्रकार के खूबसूरत दृश्य आये होंगे, जिन्हें उन्होंने संजो कर रखना चाहा होगा। इसके लिए एकमात्र विकल्प होते थे चित्रकार। जिनके चित्रों की सहायता से हम फोटोग्राफी से पहले के विश्व के अनेक निःशब्द दृश्यों को देख सकते हैं। ऐसे चित्रकारों में से एक हुए 19वीं सदी के सीताराम जिन्होंने ऐतिहासिक नगरों के अनेक खूबसूरत चित्र बनाये। बंगाल के गर्वनर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स ने अपनी बंगाल से दिल्ली की यात्रा (1814-15) को चित्रों में संजो कर रखने के लिए, चित्रकार सीताराम को अपने साथ लिया, इस दौरान इनके द्वारा रोहिलखंड के अनेक रमणीय चित्र बनाये गये।
नजीबाबाद के करीब पत्थरगढ़ किला:
पानी के रंगों का उपयोग करके इनके द्वारा पत्थरगढ़ के किले का खूबसूरत दृश्य तैयार किया गया। पहाड़ों से घिरे इस किले का निर्माण नजीबाबाद के संस्थापक नाजि़ब-उद्-दौला द्वारा सन 1755 में करवाया गया। पत्थरगढ़ को नजफ़गढ़ के नाम से भी जाना जाता है तथा इसका निर्माण मोर्धज के पत्थरों से किया गया था जो कि एक करीबी प्राचीन किला था।
नजीबाबाद की मस्जिद:
इस मस्जिद के बाह्य परिदृश्य को अत्यंत खूबसूरती से इनके द्वारा अपने चित्र में उकेरा गया है। यह चित्र पानी वाले रंगों से तैयार किया गया। जिसमें मस्जिद का अग्रभाग, यहां का आंगन तथा आंगन में बनायी गई फूलों की क्यारी, कुछ मानवीय गतिविधियां, कब्र इत्यादी को दर्शाया गया है।
बरेली में स्थित हाफिज़ रहमत खान का मकबरा:
19वीं सदी के प्रारंभिक दौर तक रूहेलखंड का हिस्सा रही बरेली में अफ़ग़ान रोहिल्ला प्रमुख हाफिज़ रहमत खान का मकबरा बनाया गया, जिसे सीता राम जी द्वारा अपने चित्रों में संजोया गया है। इसमें मकबरे के बाह्य दृश्य के साथ मकबरे के भीतर बनी कब्र को भी चित्रित किया गया है। बरेली रोहिलखंड का एक अत्यंत महत्वपूर्ण भाग था और कई रोहिल्लाओं के मकबरे भी यहीं मौजूद हैं।
बरेली में विशाल बरगद के नीचे बनीं मुस्लिम कब्रें:
रूहेलखंड की राजधानी रही बरेली में अनेक ऐतिहासिक खूबसूरत दृश्य देखने को मिलते हैं। जिनमें से एक दृश्य है विशाल बरगद का वृक्ष और उसके आस-पास बनी कब्रें। दृश्य को देखते ही यहाँ की खूबसूरती का अनुमान लगाया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त सीता राम जी द्वारा अनेक दृश्यों को चित्रित किया गया था, जिनमें फर्रुखाबाद में मौजूद महल (नीचे पहला चित्र) और मुरादाबाद की सड़कों का एक दृश्य जिसमें नवाबी कला में बना एक दरवाज़ा भी दिखता है (नीचे दूसरा चित्र), तथा इस प्रकार अन्य अनेक दृश्यों को शामिल किया गया।
लंदन में (1974) एक व्यक्ति ने सीताराम जी द्वारा बनाये गये चित्रों (मुर्शीदाबाद से पटना तक के चित्र) की दो एल्बम को नीलाम किया। सीता राम जी द्वारा बनाये गये चित्रों को विभिन्न संस्करणों में संरक्षित किया गया, जिनमें से कुछ ब्रिटेन के पुस्तकालय में रखे गये। रोहिलखंड के चित्रों को वोल्यूम- V (Volume-V) में एकत्रित किया गया है। इस प्रकार सीता राम जी अतुल्य भारत की अमूल्य निधि को अपने चित्रों में संजो कर चले गये।
संदर्भ:
1.https://in.pinterest.com/starscanner/artistsita-ram/?lp=true
2.http://www.bl.uk/onlinegallery/onlineex/apac/addorimss/p/019addor0004777u00000000.html
3.http://www.bl.uk/onlinegallery/onlineex/apac/addorimss/a/019addor0004778u00000000.html
4.http://www.bl.uk/onlinegallery/onlineex/apac/addorimss/t/019addor0004771u00000000.html
5.http://www.bl.uk/onlinegallery/onlineex/apac/addorimss/a/019addor0004770u00000000.html
6.https://blogs.bl.uk/asian-and-african/2016/01/the-rediscovery-of-an-unknown-indian-artist-sita-rams-work-for-the-marquess-of-hastings.html
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