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1774 में वॉरेन हेस्टिंग्स द्वारा रोहिलखंड में किए गये हमले का संपूर्ण वृतांत ब्रिटिश लेखक सर जॉन स्ट्रैची द्वारा अपनी पुस्तक ‘हेस्टिंग्स एंड दी रोहिल्ला वॉर’ (Hastings and The Rohilla War) में किया गया है, जो इस प्रकार है:
रोहिल्ला अफगानी थे, जिन्होंने 18वीं शताब्दी में मुग़ल साम्राज्य के पतन के दौरान भारत में प्रवेश किया था और रोहिलखंड पर नियंत्रण प्राप्त किया था। औरंगजेब की मृत्यु के बाद, रोहिलखंड एक स्वतंत्र राज्य बनना चाहता था। इसलिए रोहिलखंड के शासक हाफिज रहमत खान ने अपने राज्य को शक्तिशाली और समृद्ध बना दिया। लेकिन दूसरी तरफ मराठों की रोहिलखंड पर नज़र थी। इस कारण हाफिज रहमत खान ने अवध के नवाब से संधि कर ली कि अगर मराठों ने हमला किया तो अवध उनकी सहायता करेगा, जिसके फलस्वरूप हाफिज रहमत खान, नवाब को चालीस लाख रुपये देगा। मराठों ने 1773 में रोहिलखंड पर हमला किया लेकिन माधव राव पेशवा की अचानक मौत के कारण युद्ध किए बिना वापस चले गए। हालांकि, जब अवध के नवाब ने संधि के मुताबिक 40 लाख रुपये मांगे तो हाफिज रहमत खान ने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि युद्ध तो हुआ ही नहीं।
उसके बाद अवध के नवाब ने ब्रिटिशों से रोहिलखंड पर हमला करने में मदद के लिए अनुरोध किया और वादा किया कि वे सेना का खर्चा और 40 लाख रुपय का भुगतान भी करेंगे। वॉरेन हेस्टिंग्स ने इस प्रस्ताव को स्वीकार लिया और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने 1774 में रोहिल्लाओं को हरा दिया। हाफिज रहमत खान और कुछ 20,000 रोहिल्ला को देश से हटा दिया गया, और रोहिलखंड को अवध से जोड़ दिया गया। इस घटना में रोहिलखंड के गांव को जलाने के साथ बच्चों और महिलाओं को भी मार दिया गया। इंग्लैंड में वॉरेन हेस्टिंग्स द्वारा किये गये इस कार्य की काफी निंदा हुई।
नंद कुमार एक प्रभावशाली बंगाली जमींदार थे, जो हेस्टिंग्स के विरोधी थे। कुछ परिषद के सदस्य, जो हेस्टिंग्स के प्रति शत्रुता रखते थे, ने साजिश रच नंद कुमार की मदद से हेस्टिंग्स के खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया। 1775 में नंद कुमार ने हेस्टिंग्स के खिलाफ विधवा मीर जाफर से 3.5 लाख रुपये लेने का आरोप लगाया। हेस्टिंग्स पर लगे आरोप सिद्ध होने पर परिषद का बहुमत उनके खिलाफ था, जिस कारण उन्होंने परिषद को भंग कर दिया। हालांकि, परिषद ने उन्हें कंपनी के खजाने में धन जमा करने के लिए कहा। इसके बाद, हेस्टिंग्स ने सुप्रीम कोर्ट में नंद कुमार के खिलाफ काउंटर चार्ज (Counter charge) दर्ज कराया, जिसमें उसने नंद कुमार पर जालसाज़ी का आरोप लगाया, क्योंकि नंद कुमार उसके खिलाफ रिश्वत का आरोप साबित नहीं कर सका था। नंद कुमार के खिलाफ जालसाज़ी के आरोप सिद्ध हो गए और उसे फांसी की सज़ा सुना दी गयी। इस सुनवाई और निष्पादन को वॉरेन हेस्टिंग्स के आलोचकों ने न्यायिक हत्या कहा, क्योंकि भारत के किसी भी कानून में जालसाज़ी के लिए फांसी की सज़ा नहीं थी।
और वहीं ब्रिटिशों द्वारा रामपुर में एक छोटे से संरक्षित रोहिल्ला राज्य की स्थापना की गयी, जिसमें फैजुल्ला खान को नवाब बनाया। 1793 में, फैजुल्ला खान की मृत्यु हो गई जिसके परिणामस्वरूप उनके बेटे रामपुर का नवाब बनने के लिए आपस में लड़ने लग गये। इस कारण, जनरल एबरक्रॉम्बी के नेतृत्व में फिर से ब्रिटिशों ने दखल देना शुरु कर दिया। जिसके कारण 1794 में दूसरा रोहिला युद्ध हुआ, जिसमें रोहिल्ला हार गए और करीब 25,000 रोहिल्ला सैनिकों को मार दिया गया। युद्ध के बाद, रोहिल्ला युद्ध स्मारक का निर्माण सेंट जॉन चर्च, कलकत्ता के परिसर में ब्रिटिश द्वारा किया गया।
स्वतंत्रता के बाद रोहिल्ला की विशाल बहुमत पाकिस्तान में बस गयी, और जो भारत में रहे वे रोहिलखंड, उत्तर प्रदेश राज्य में बस गए।
संदर्भ:
1.https://www.gktoday.in/gk/warren-hastings/
2.https://www.mapsofindia.com/history/battles/rohilla-war.html
3.http://archive.spectator.co.uk/article/2nd-april-1892/20/hastings-and-the-rohillas-sin-john-strachey-in-his
4.https://archive.org/details/hastingsrohillaw00strauoft/page/n5
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