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यूनीलीवर एक ब्रिटिश-डच (British-Dutch) अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता वस्तु कंपनी है, जिसका मुख्यालय लंदन, यूनाइटेड किंगडम और नीदरलैंड्स के रॉटरडैम में है। इसके उत्पादों में खाद्य और पेय पदार्थ, सफाई करने के उत्पाद और व्यक्तिगत देखभाल के उत्पाद शामिल हैं। 2016 में यह राजस्व द्वारा मापी गयी दुनिया की सबसे बड़ी उपभोक्ता वस्तु कंपनी थी। यूनीलीवर के आज 400 से अधिक ब्रांड हैं, जिनका 2016 में कुल कारोबार 52.7 बिलियन यूरो और 2017 में 53.7 बिलियन यूरो रहा।
यूनीलीवर ने 1890 में लीवर ब्रदर्स नाम की ब्रिटिश साबुन निर्माता कंपनी से शुरुआत की, जिसमें उन्होंने सनलाइट साबुन का व्यापार शुरु किया। इसे खोलने का विचार लीवर ब्रदर्स के संस्थापक विलियम हेस्केथ लीवर का था। इस उत्पाद ने पूरे ब्रिटेन में सफलता प्राप्त की और इसकी मदद से व्यवसाय दुनिया भर में फैलाया गया। 1925 में विलियम लीवर की मृत्यु के बाद, लीवर ब्रदर्स के अध्यक्ष फ्रांसिस डी’आर्सी कूपर बने। कूपर ने लीवर ब्रदर्स के लिए कई फायदे किए, और विभिन्न कंपनियों का नेतृत्व करते हुए लीवर ब्रदर्स को एंग्लो-डच (Anglo-Dutch) कंपनियों में शामिल किया। साथ ही 1930 में, लीवर ब्रदर्स मार्जरीन यूनी के साथ विलीन हो गए, जिससे कंपनी का नाम "यूनीलीवर" बन गया।
यूनीलीवर के गठन को ज्यादा समय नहीं हुआ था कि उनके कच्चे माल में 30% से 40% तक का घटाव हो गया। यूनीलीवर कंपनी के उत्पाद : लिपटन और ब्रूक बॉण्ड चाय, डाल्डा वानस्पति तेल, वॉल आइस क्रीम, किसान जेम, सर्फ वॉशिंग पाउडर, पोंड्स क्रीम, वैसलीन, रेक्सोना, लक्स, डव, और लाइफबॉय साबुन, पेपसोडेन्ट टूथपेस्ट, सनसिल्क शैम्पू और कई अन्य उत्पाद हैं।
यूनीलीवर द्वारा 1933 में भारत में लीवर ब्रदर्स के रूप में कंपनी की स्थापना की गयी। जो बाद में (1956) लीवर ब्रदर्स, हिंदुस्तान वनस्पति मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड और यूनाइटेड ट्रेडर्स लिमिटेड के बीच विलय के परिणामस्वारूप ‘हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड’ के नाम से जाना जाने लगा। यह 16,000 से अधिक श्रमिकों को रोज़गार देता है, साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से 65,000 से अधिक लोगों के रोजगार को सुविधाजनक बनाने में मदद करता है। वहीं जून 2007 में कंपनी का नाम बदलकर ‘हिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड’ कर दिया गया था। विदेशी सहायक कंपनियों में से यह सबसे पहली कंपनी थी जिसने भारतीय जनता को अपनी इक्विटी (Equity) का 10% प्रस्ताव दिया।
1937 में इन्होंने घी की एवज़ में डालडा को प्रस्तुत किया। लेकिन इसका विपणन शुरु होने से पहले ही खत्म हो गया, क्योंकि भारतीय जनता को विश्वास नहीं हो रहा था कि घी का भी कोई अन्य विकल्प हो सकता है। तब लीवर कंपनी ने इसको लोगों के समक्ष विज्ञापन के द्वारा पेश किया। डालडा का कोई भी अन्य प्रतिद्वंद्वी नहीं था, लेकिन वह एक विवाद का शिकार हो गया। 1950 के दशक में इसे बंद करने का यह विवाद उठा कि डालडा देसी घी का एक मिलावटी रूप था, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक था। तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्रव्यापी राय सर्वेक्षण की मांग की, जो अनिश्चित साबित हुई। घी में मिलावट को रोकने के तरीकों का सुझाव देने के लिए सरकार द्वारा एक समिति की स्थापना की गई थी। लेकिन उस से भी कुछ नहीं हुआ। 1990 के दशक तक डालडा को काफी झुकाव देखना पड़ा क्योंकि तब तक उसे अपने प्रतिद्वंद्वी तेल या परिष्कृत वनस्पति तेल का सामना करना पड़ा। वहीं 2007 में डालडा के तहत खाद्य तेल का निर्माण किया गया था।
1984 में ब्रुक बॉन्ड एक अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण के माध्यम से यूनीलीवर से जुड़ गया।
1986 में चेसेब्रो पोंड्स लिमिटेड भी यूनीलीवर में शामिल हो गयी।
1993 में टाटा ऑयल मिल्स कंपनी भी इसके साथ विलय हो गयी।
एच.यू.एल. (HUL) ने 1994 में अमेरिका स्थित किम्बर्ली क्लार्क कॉर्पोरेशन (हगीज़ डायपर और कोटेक्स सेनेटरी पैड का विपणन करता है) के साथ 50:50 संयुक्त उद्यम का गठन किया।
1996 में एक अन्य टाटा कंपनी और लेक्मे लिमिटेड ने 50:50 संयुक्त उद्यम का गठन किया। और 1998 में लेक्मे लिमिटेड ने अपने ब्रांड एच.यू.एल. को बेच दिए।
2000 में एक ऐतिहासिक कदम में सरकार ने आधुनिक खाद्य पदार्थों में एच.यू.एल. को 74% इक्विटी देने का फैसला किया। गेहूं व्यवसाय के रणनीतिक विस्तार के बाद एच.यू.एल. ने ब्रेड बनाना शुरू किया।
2008 में ब्रूक बॉण्ड और सर्फ एक्सेल ने उसी वर्ष 1,000 करोड़ रुपये का विक्रय किया, साथ ही व्हील ने 2,000 करोड़ रुपये का विक्रय किया।
जनवरी 2010 में, एच.यू.एल. का प्रमुख कार्यालय लीवर हाउस, मुंबई से मुंबई के अंधेरी (ई.) में स्थानांतरित हो गया।
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Unilever
2.https://www.ukessays.com/essays/commerce/history-and-background-of-unilever-company-commerce-essay.php
3.https://www.hul.co.in/about/who-we-are/our-history/
4.https://en.wikipedia.org/wiki/Hindustan_Unilever
5.https://www.business-standard.com/article/management/40-years-ago-and-now-how-dalda-built-and-lost-its-monopoly-115030501153_1.html
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