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भारत में प्रेम का प्रतीक, सारस क्रेन पक्षियों में सबसे बड़ा उड़ने वाला पक्षी है। इस पक्षी के बारे में कुछ रोचक जानकारियां निम्नवत हैं-
सारस दुनिया का सबसे बड़ा पक्षी है जो कि 240 सेंटीमीटर लम्बे पंख के साथ 152-156 सेंटीमीटर लम्बा है। इसका पंख धूसर रंग का होता है तथा इसका सर लाल होता है। इनमें मादाएं आकार में छोटी होती हैं जो कि लगभग 35-40 किलो तक की होती हैं तथा नरों का वजन करीब 40-45 किलो तक का होता है। सारस एक सामाजिक प्राणी होता है जो कि अधिकतर जोड़े में या फिर 3 या चार के समूहों में रहता है। इनका प्रजनन भारी बारिश के दौरान होता है। सारस मुख्यरूप से प्राकृतिक गीले क्षेत्र में या बाढ़ वाले धान के खेतों में पानी पर अपना घोसला बनाते हैं। ये एक बार में एक से दो अंडे देते हैं जिन्हें माता-पिता द्वारा 26 से 35 दिनों तक देखा जाता है तथा अंडे से बहार आने के बाद माता-पिता बच्चे का पालन करते हैं।
सारस को भारतीय धर्म ग्रन्थ में भी एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। बढ़ते औद्योगिकीकरण और जनसंख्या ने इस पक्षी की संख्या को अप्रतिम तरीके से हानी पहुंचाने का कार्य किया है। जो पक्षी एक समय पूरे गंगा क्षेत्र में बड़ी संख्या में पाया जाता था वह आज यहाँ से विलुप्तप्राय हो चुका है। कभी लाखों की संख्या में पाया जाने वाला यह पक्षी आज केवल 15-20 हजार के करीब ही भारत भर में बचा है। रामपुर और आस पास का क्षेत्र सारस के लिए अत्यंत उत्तम स्थान हुआ करता था तथा आज भी हम यहाँ पर सारस क्रेन देख लेते हैं परन्तु कब तक? एक समय जो हजारों की संख्या में ये पक्षी इस क्षेत्र में चला करते थे आज गिनती के बचे हैं। चीन से लेकर थाईलैंड तक ये पक्षी पूर्ण रूप से विलुप्तता के कगार पर हैं। वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट (Wildlife Protection Act) 1972 के तहत भारत सरकार ने सारस को ‘वल्नरेबल’ (Vulnerable) की श्रेणी में रखा है। अंतर्राष्ट्रीय संस्थान भी इस मुहीम में भारत के साथ जुड़े हैं, जैसे वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फण्ड (World Wildlife Fund) ने उत्तर प्रदेश में सारस क्रेन कनसर्वेशन कमिटी (Sarus Crane Conservation Committee) स्थापित करके एक बड़ा योगदान दिया तथा समय-समय पर वे इस पक्षी के हित में कार्य भी करते रहते हैं।
वहीं थाईलैंड में इनके संरक्षण के लिए कदम उठाये जा रहे हैं जैसे वैज्ञानिक तकनीकों से उन्हें पैदा करना और जन्म से ही इनकी देख-रेख करना। इनका पालन-पोषण करके यह सुनिश्चित किया जाता है कि वे स्वस्थ रहें और फिर उन्हें खेतों में खुला छोड़ दिया जाता है।
हमें भी इस खूबसूरत पक्षी के संरक्षण के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है, कहीं देर न हो जाये। इन पक्षियों के विलुप्तता का प्रमुख कारण है खेतों में कीट नाशक दवाओं का प्रयोग, आहार ग्रहण करते समय यह दवाएं पक्षी खा लेते हैं जिससे वे मर जाते हैं। आर्द्रभूमी की कमी भी इन पक्षियों के विलुप्तता का कारण है। विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी योजनाओं के साथ-साथ यहाँ के लोगों को भी इस पक्षी के संरक्षण का कार्य करना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि आगे आने वाली पीढ़ी इस खूबसूरत पक्षी को मात्र किताब के पन्नों में ही देख पाए।
संदर्भ:
1.https://www.wwfindia.org/about_wwf/priority_species/threatened_species/sarus_crane/
2.https://www.savingcranes.org/species-field-guide/sarus-crane/
3.http://www.chinadaily.com.cn/cndy/2016-11/15/content_27376868.htm
4.https://www.scmp.com/news/asia/southeast-asia/article/2045791/big-birds-lost-decades-return-thailand-thanks-organic
5.http://oaji.net/articles/2017/736-1507309284.pdf
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