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रामपुर आज वर्तमान में भारत के सबसे बड़े जंगलों में से एक जिम कोर्बेट के पास स्थित है। यह एक मध्यकाल में बसाया गया शहर है जो कि एक ऐसे क्षेत्र में बसा है जो एक समय में एक गहन जंगल हुआ करता था। यह क्षेत्र हिमालय के तराई क्षेत्र में आता है तथा गंगा के मैदान से भी यह क्षेत्र सटा हुआ है जिस कारण यह क्षेत्र अत्यंत उर्वर हो जाता है। यहाँ का वातावरण सघन जंगल के लिए अत्यंत उपयुक्त स्थान है। यही कारण है कि यहाँ पर गहन जंगल हुआ करता था। रामपुर और इसके आस-पास के क्षेत्रों में मानव की गतिविधियाँ करीब 2000 ईसा पूर्व के करीब शुरू हुयी थी जिसके साक्ष्य यहाँ की पुरातात्विक खुदाइयों से मिल जाता है। 2000 ईसा पूर्व के पहले विश्व की आबादी 2 करोड़ 70 लाख थी तथा वर्तमान काल में रामपुर की आबादी 31 लाख है जो यह प्रदर्शित करती है कि उस काल में इस क्षेत्र की आबादी अत्यंत कम थी जिस कारण यहाँ पर जंगल भी बड़े क्षेत्र में फैला हुआ करता था।
कोर्बेट राष्ट्रीय उद्यान का फैलाव उस काल में बड़ी दूरी तक था। कोर्बेट राष्ट्रीय उद्यान हिमालय के तराई क्षेत्र से लेकर शिवालिक पर्वतमाला तक फैला हुआ है। इस वन का कटान मध्यकाल में बड़ी जोर से किया गया था तथा यह वन जहाँ रामपुर और आस-पास के क्षेत्रों तक कभी फैला हुआ था वर्तमान के छोटे स्थान तक सिमट कर रह गया। मानव की बढ़ती आबादी और कारखाने इस वन के काटे जाने का प्रमुख कारण थे। यह वन अपने जीवों के लिए जाना जाता है। यहाँ पर रीछ, हाथी, बाघ, तेंदुआ, हिरण आदि बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। इस वन का फैलाव क्षेत्र ज्यादा होने के कारण यहाँ के जैव-जगत में हम विविधिता देख पाते हैं। जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास अत्यंत मनोरम है। यहाँ पर 488 किस्म की वनस्पतियां पायी जाती हैं जो यहाँ की वन परंपरा को प्रदर्शित करता है। जिम कोर्बेट राष्ट्रीय उद्यान कुल 520.8 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इस उद्यान का संरक्षण 19वीं शब्ताब्दी में मेजर रामसे द्वारा शुरू किया गया था जो यहीं पर कार्यरत थे। इस क्षेत्र के संरक्षण का पहला कदम सन 1868 में उठाया गया था जब यहाँ पर ब्रितानी सरकार ने खेती आदि करने से लोगों को रोक दिया था। सन 1879 में यह संरक्षित जंगल के रूप में उभर कर सामने आया। 1900 के करीब इ. आर. स्टीवन और इ. ए. स्म्य्थिएस ने इसको राष्ट्रीय उद्यान बनाने का सुझाव दिया। 1907 में ब्रितानी सरकार ने यहाँ शिकार खेलने का संरक्षित स्थान बनाने का सोचा। परन्तु 1930 ही वह दौर था जब जिम कोर्बेट के सानिध्य में इस वन का आकार बनाया गया। उस वक्त यह जंगल हेली राष्ट्रीय उद्यान के रूप में उभर कर सामने आया था (हेली संयुक्त प्रान्त के गवर्नर थे)। यह वन एशिया का पहला राष्ट्रीय वन उद्यान या वन अभ्यारण्य था। इस वन में किसी भी प्रकार का शिकार वर्जित था तथा उस समय इसका क्षेत्र 323.75 वर्ग किलोमीटर ही था। 1954-55 में इस वन का नाम बदल कर रामगंगा राष्ट्रीय उद्यान रख दिया गया था पर फिर 1955-56 में इसका नाम कोर्बेट राष्ट्रीय उद्यान रख दिया गया जो आज भी है। इसका नाम जिम कोर्बेट के ऊपर रखा गया है जो कि एक वन संरक्षक थे तथा जिन्होंने इस राष्ट्रीय उद्यान को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस वन को बड़ी मात्रा में क्षति हुयी थी। इस वन ने बाघों के संरक्षण में अहम् भूमिका का निर्वहन किया है जिसका फल यह है कि आज भारत भर में बाघों की संख्या अन्य देशों से बहुत अधिक है।A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
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