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रोहिल्ला पठान, या रोहिल्ला अफ़गान, पश्तून जातीयता के उर्दू भाषी लोगों का एक समुदाय है। यह ऐतिहासिक रूप से उत्तर-प्रदेश राज्य के रोहिलखंड क्षेत्र में पाए जाते हैं। रोहिल्ला समुदाय के कुछ सदस्य भारत-पाकिस्तान के बटवारे के बाद पकिस्तान चले गए थे। आज वे सिंध के मुहजीर समुदाय का 30-35 प्रतिशत हिस्सा हैं।
इतिहास -
रोहिलखंड का पश्तून राज्य दाउद खान और उनके गोद लिए बेटे अली मुहम्मद खान बंगश द्वारा निर्मित किया गया था। रोहिलखंड की पहला राजधानी के रूप में रामपुर के समीप का आंवला उभरा और बाद में बरेली। आज भी आंवला में कई रोहिल्लाओं की कब्र पाई जा सकती हैं जैसे कि चित्र में प्रस्तुत की गयी है। दाउद खान ने दक्षिण एशिया में 1705 में कदम रखा था, वे अपने साथ बरेच जनजाति को भी लाए थे। बरेच जनजाति पश्तून जनजाति का ही एक हिस्सा है, दोनों ही जनजातियाँ अफगानिस्तान से हैं। दाउद खान को मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब के द्वारा उत्तर भारत का कठेर क्षेत्र तोहफ़े के रूप में सौंपा गया था। औरंगज़ेब यह चाहता था कि राजपूतों पर किसी भी तरह से दबदबा बना रहना चाहिए। मुग़लों ने कुल 20,000 सैनिकों को भरती किया, वे सभी सैनिक पश्तून जनजाति के थे। पश्तून जनजाति में निम्न जनजातियाँ आती हैं -
*युसुफ़ज़ई
*घोरी
*खिल्जई
*बरेच
*मारवात
*दुर्रानी
*तारीन
*काकड़
*नाघर
*अफ्रीदी
*बंगश
*खत्तक
*मोह
*अम्मदज़ई
*मोहमंद
*घोर्घुष्टि
(यह उप-जातियां आज भी उत्तर-प्रदेश में मौजूद हैं।)
अली मुहम्मद ने दाउद खान की गद्दी को संभाला। अली मुहम्मद काफ़ी मज़बूत सम्राट बन गया था, उसने केंद्र सरकार को कर देना भी छोड़ दिया था। 1739 में रोहिल्ला समुदाय की जनसंख्या 1 लाख हो गई थी, यह मुग़ल सम्राट मुहम्मद शाह के लिए चिंता का विषय था। उन्हें डर था कि मुग़ल साम्राज्य का उत्तरदायित्व कहीं रोहिल्ला पठान के हाथ में न हो। मुहम्मद अली के 6 बेटे थे और उनके निधन के वक़्त 2 बेटे अफगानिस्तान में थे और बाकी के 4 छोटे थे, और इस वजह से रोहिलखंड के राज्य का कमान रोहिल्ला सरदारों के हाथ में आ गया। रोहिल्ला सरदारों में से सबसे ताकतवर और अहम हाफिज रहमत बरेच, नजीब-उद-दौला और दुन्दी खान थे।
रोहिल्ला युद्ध -
यह युद्ध भारतीय इतिहास में एक अहम भूमिका निभाता है। बंगाल के ब्रिटिश गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स ने अयोध्या में ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिकों के ब्रिगेड को उधार देकर रोहिल्ला को पराजित करने में मदद की थी। बाद में इस करवाई ने हेस्टिंग्स की संसदीय छेड़छाड़ में प्रारंभिक आरोप लगाया, लेकिन संसद ने उसे सही साबित कर दिया। 1901 में हुई जनगणना के अनुसार बरेली ज़िले में पश्तून समुदाय के लोगों की संख्या 40,779 थी और पूरे राज्य के पठानों की संख्या कुल 10,90,117 थी।
रोहिलखंड के रामपुर की स्थापना -
रामपुर एक रोहिल्ला राज्य था जिसकी स्थापना 7 अक्टूबर 1774 में ब्रिटिश कमांडर कर्नल चैंपियन की उपस्थिति में नवाब फैजुल्लाह खान ने की थी। इसके बाद ब्रिटिश संरक्षण के तहत रामपुर एक विशाल राज्य बना रहा।
आज के समय में कहाँ बसे हैं रोहिल्ला?
भारत में रोहिल्ला आज उत्तर प्रदेश के एक बड़े मुस्लिम समुदाय का हिस्सा हैं। इनकी बसावट ज़्यादातर रामपुर, बरेली और शाहजहाँपुर में है। उनकी शहरी आबादी आज हिंदी बोला करती है तथा ग्रामीण इलाकों में रहने वाली खड़ी बोली का इस्तेमाल करते हैं। कुछ रोहिल्ला महाराष्ट्र के वाशिम और नांदेड जिले में भी निवास करते हैं।
वहीँ दूसरी ओर पकिस्तान में रोहिल्ला और अन्य उर्दू-भाषीय पठान अब एकजुट होकर एक बड़ा उर्दू भाषीय समुदाय बन गए हैं। वहाँ आज के रोहिल्ला पठानों के वंशजों में अपनी पहचान को लेकर कोई कट्टरता नहीं है और इसके चलते वे अन्य मुस्लिमों के यहाँ भी ब्याह करने में कोई झिझक नहीं रखते। पाकिस्तान में रोहिल्ला आज ज़्यादातर कराची, हैदराबाद, सिक्कुर और सिंध के अन्य शहरी इलाकों में बसे हुए हैं।
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Rohilla
2. https://www.britannica.com/event/Rohilla-War
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