पारंपरिक तौर से पिसे गेहूँ और पैकेज्ड आटे में से किसे चुनेंगे आप ?

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17-01-2025 09:40 AM
पारंपरिक तौर से पिसे गेहूँ और पैकेज्ड आटे में से किसे चुनेंगे आप ?

रामपुर के हर इंसान के लिए, गेहूँ उनके आहार का प्रमुख हिस्सा है। क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के लोग पूरे देश के औसत से ज़्यादा गेहूँ खाते हैं? ग्रामीण इलाकों में, हर व्यक्ति औसतन हर महीने 4.288 किलोग्राम गेहूँ खाता है, जबकि शहरों में यह आंकड़ा 4.011 किलोग्राम है।
गेहूँ को खाने के लिए पहले इसे आटे में बदला जाता है। इसे पीसने से पहले डैम्पेनिंग (या टेम्परिंग/कंडीशनिंग नामक एक प्रक्रिया अपनाई जाती है। यह प्रक्रिया, गेहूँ में सही मात्रा में नमी बनाए रखती है, जिससे उसे पीसना आसान हो जाता है। आज के इस लेख में, हम भारत की आटा मिलों में इस्तेमाल होने वाली अलग-अलग नमी काम करने की विधियों को समझेंगे। इसके बाद, पैकेज्ड आटे और पारंपरिक चक्की में पिसे आटे के बीच के अंतर को जानेंगे। 
साथ ही, हम आधुनिक व्यावसायिक आटा चक्कियों में आने वाली समस्याओं पर भी चर्चा करेंगे। अंत में हम, उत्तर प्रदेश के प्रमुख आटा निर्माताओं की जानकारी हासिल करेंगे।
आइए, सबसे पहले भारत की आटा मिलों में गेहूँ की डैम्पेनिंग की सरल और प्रभावी विधियों के बारे में जानते हैं:
आटा मिलों में गेहूँ की डैम्पेनिंग एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है। इसके तहत गेहूँ को पीसने के लिए तैयार किया जाता है! साथ ही इससे आते की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। गेहूँ भिगोने या डैम्पेनिंग के तहत कई विधियाँ अपनाई जाती हैं। 
आइए इन विधियों को आसान भाषा में सरल तरीके से समझते हैं:
1. ठंडे पानी में भिगोना (Conventional Dampening (Cold Dampening): इस विधि में गेहूँ को कमरे के तापमान पर पानी में भिगोया जाता है। इसकी समय अवधि 24 से 72 घंटे तक हो सकती है! यह अवधि गेहूँ की गुणवत्ता और पर्यावरण पर निर्भर करती है। इस विधि के तहत, गेहूँ तेज़ी के साथ पानी सोख लेता है, लेकिन पानी को पूरे अनाज में समान रूप से फैलने में समय लगता है।
2. गर्म पानी में भिगोना (Warm and Hot Dampening): यह विधि, प्रक्रिया को तेज़ करती है। इसके तहत, गेहूँ को 30°C से 46°C तापमान वाले पानी में रखा जाता है। इससे नमी तेजी के साथ अनाज में समा जाती है। यह प्रक्रिया लगभग 1 से 1.5 घंटे में पूरी हो सकती है। इसके बाद, गेहूँ को 24 घंटे तक यूँ ही छोड़ की सलाह दी जाती है, ताकि मिलिंग से पहले उसके गुण बेहतर हो सकें।
3. वाष्प नम करना: वाष्प नम करना एक आधुनिक तकनीक है, जो जर्मनी में शुरू हुई और अब अमेरिका और कनाडा में प्रचलित है। इसमें पानी को वाष्प के रूप में गेहूँ में मिलाया जाता है। इस विधि के तहत गेहूँ को समान रूप से नमी मिलती है। वाष्प का प्रभाव 20 से 30 सेकंड में ही दिखाई देने लगता है, जबकि सूखी हवा के उपयोग से यह प्रक्रिया 3 मिनट तक ले सकती है।
4. माइक्रोवेव से नमी कम करना: खाद्य उद्योग में, माइक्रोवेव का उपयोग से बढ़ रहा है। यह विधि डीफ़्रॉस्टिंग, सुखाने और पाश्चराइजेशन के साथ-साथ नमी प्रदान करने के लिए भी कारगर साबित होती है। अध्ययनों से पता चला है कि माइक्रोवेव तकनीक अनाज की नमी प्रक्रिया को तेज़ और कुशल बनाती है।
ये सभी विधियाँ गेहूँ से उच्च गुणवत्ता वाला आटा बनाने में मदद करती हैं। इनमें से हर विधि के अपने फ़ायदे होते हैं और यह आटा मिलिंग के लिए गेहूँ को बेहतर ढंग से तैयार करने में सहायक होती हैं।
आपने अक्सर लोगों को पारंपरिक चक्की के आटे और पैकेज्ड आटे के फ़ायदे नुकसान गिनाते हुए सुना होगा, चलिए आज जान ही लेते हैं कि इनमें से कौन से सा आटा आपके लिए फ़ायदेमंद होगा?
चक्की का आटा:
पोषण से भरपूर: चक्की के आटे में गेहूँ के चोकर, बीज और एंडोस्पर्म मौजूद रहते हैं। इसमें फ़ाइबर, विटामिन और खनिज भरपूर मात्रा में होते हैं। इस कारण यह एक सेहतमंद विकल्प बन जाता है।
आवश्यक तेल सुरक्षित रहते हैं: पारंपरिक चक्की में पत्थर से पीसने की प्रक्रियाके दौरान गेहूँ के आवश्यक तेल बने रहते हैं। इससे रोटियों में खास स्वाद और सुगंध आती है।
बनावट की बात: चक्की आटे की मोटी और दानेदार बनावट पारंपरिक रोटियों के शौकीनों को बहुत पसंद आती है।
पैकेज्ड आटा:
सुविधाजनक विकल्प: पैकेज्ड आटा आसानी से उपलब्ध होता है और इसका इस्तेमाल करना भी सरल है। यह बारीक पिसा हुआ होता है और इसके गूथना भी आसान होता है। लेकिन इसे आधुनिक मशीनों से बनाया जाता है, जिससे गेहूँ के चोकर और बीज की परतें हट जाती हैं। यही परतें पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं।
क्या चुनें?
चक्की आटा और पैकेज्ड आटा के बीच चुनाव आपकी प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है। अगर आप पोषण को महत्व देते हैं, पारंपरिक स्वाद और बनावट पसंद करते हैं, तो चक्की आटा आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। लेकिन ध्यान रखें, चक्की के आटे में स्वच्छता और गुणवत्ता को लेकर अनियमितता हो सकती है। दूसरी ओर, अगर आप सुविधा चाहते हैं, तो पैकेज्ड आटा सही विकल्प रहेगा।
हालांकि देखा जाए तो आज के समय में पैकेज्ड आटे की मांग बहुत अधिक बढ़ रही है और देखा जाए तो जाने-अनजाने हम इसकी एक बहुत बड़ी कीमत चुका रहे हैं।
उदाहरण के तौर पर, आधुनिक व्यावसायिक आटा चक्कियों से जुड़ी कुछ गंभीर समस्याओं में शामिल हैं:
बच्चों के लिए नुकसानदायक: व्यावसायिक आटे को बिजली की मिलों में संसाधित किया जाता है। इस प्रक्रिया में गेहूं का चोकर और पोषक तत्व निकल जाते हैं। नतीजतन, आटा मैदा में बदल जाता है, जिसमें विटामिन और फाइबर नहीं होते। ऐसे आटे से बनी चीज़ें, जैसे कि बिस्कुट और पिज़्ज़ा, बच्चों को भूख का एहसास जल्दी कराती हैं। क्योंकि इसमें फ़ाइबर की कमी होती है, यह पाचन को धीमा कर देता है और आंतों को नुकसान पहुँचा सकता है।
ताज़गी की कमी: पैकेज्ड आटे को लंबे समय तक स्टोर किया जाता है। इसे सुरक्षित रखने के लिए रसायनों और संरक्षकों का उपयोग किया जाता है। इस वजह से, आटा ताज़ा नहीं रहता और सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। ताज़ा पिसा हुआ आटा पोषण के लिए बेहतर होता है।
पैकेजिंग में संदूषण: व्यावसायिक आटा तैयार होने के बाद भी लंबे समय तक पैक रहता है। इसमें क्या मिलाया गया है, यह जानना मुश्किल होता है। रसायनों और निम्न-गुणवत्ता वाले पदार्थों का उपयोग आटे की गुणवत्ता को खराब कर सकता है। ये प्रथाएँ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ पैदा कर सकती हैं।
असमय मशीनरी का उपयोग: आज की मिलों में उपयोग की जाने वाली मशीनरी पोषक तत्वों को संरक्षित नहीं करती। कई मिलें पारंपरिक तरीकों से आटा पीसने का दावा तो करती हैं, लेकिन वे स्टील या एमरी पत्थरों का उपयोग करती हैं। ये पत्थर आटे में हानिकारक पदार्थ छोड़ सकते हैं।
अत्यधिक रसायनों का उपयोग: व्यावसायिक आटा चक्कियों में अनाज से चोकर और रोगाणु को हटा दिया जाता है। यह प्रक्रिया पोषक तत्व, जैसे विटामिन बी और फाइबर, का 70% खत्म कर देती है। आटे को परिष्कृत करने और ब्लीच करने के लिए रसायनों का उपयोग किया जाता है। इस कारण, यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
इस प्रकार आधुनिक व्यावसायिक आटा चक्कियों की विधियाँ पोषण और सेहत पर बुरा प्रभाव डाल सकती हैं। आटा खरीदते समय, इन समस्याओं को ध्यान में रखना ज़रूरी है। ताज़ा और पोषक आटे का चुनाव करना आपके स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा। 
उत्तर प्रदेश में कई बड़े गेहूं आटा निर्माता हैं। ये निर्माता विभिन्न प्रकार के आटे का उत्पादन करते हैं और अलग-अलग ज़रूरतों को पूरा करते हैं।
आइए, अब आपको उत्तर प्रदेश के प्रमुख गेहूं आटा निर्माताओं से रूबरू करवाते हैं:
1. आयशा एक्सपोर्ट्स, करुला, मुरादाबाद
न्यूनतम ऑर्डर (MOQ): 10 टन
आपूर्ति क्षमता: 10 टन प्रति सप्ताह
डिलीवरी का समय: 2-3 दिन
निर्यात बाज़ार : पश्चिमी और पूर्वी यूरोप, एशिया, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अफ़्रीका, मध्य अमेरिका और मध्य पूर्व।
2. मेसर्स मैकी गोल्ड, अमरोहा
न्यूनतम ऑर्डर: 500 किलोग्राम
उत्पाद का प्रकार: साबुत गेहूं का आटा
विशेषताएँ: बिना संरक्षक और ग्लूटेन-मुक्त आटा
3. श्री पारसनाथ ट्रेडिंग कंपनी, प्रेमपुरी, मुज़फ़्फ़रनगर
उत्पाद: कनक साबुत गेहूं आटा
पैकेजिंग का आकार: 5 किलो
कीमत: 155 रुपये प्रति पैक
न्यूनतम ऑर्डर: 100 पैक
पैकेजिंग प्रकार: प्लास्टिक बैग
आटे का प्रकार: गेहूं का आटा
ब्रांड नाम: कनक
उपयोग की अवधि: 8 महीने
4. वैभव शक्ति भोग फ़ूड्स, टटीरी ग्रामीण, बागपत
उत्पाद: सफ़ेद प्राकृतिक गेहूं का आटा
ग्रेड: खाद्य ग्रेड
कीमत: 34 रुपये प्रति किलोग्राम
न्यूनतम ऑर्डर: 1 टन
आटे का प्रकार: गेहूं का आटा
ये सभी निर्माता, उत्तर प्रदेश के गेहूं आटा उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। वे उपभोक्ताओं की अलग-अलग ज़रूरतों के अनुसार, आटे की आपूर्ति करते हैं। उनकी गुणवत्ता और विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए, इनसे आटा खरीदना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

संदर्भ 
https://tinyurl.com/23dvcfbn
https://tinyurl.com/2yec77u5
https://tinyurl.com/224a2ov3
https://tinyurl.com/25uu5yx5
https://tinyurl.com/2962tnrc

चित्र संदर्भ
1. पारंपरिक चक्की में पिसे हुए और पैकेज्ड आटे को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. एक भारतीय आटा मिल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक पारंपरिक आटा चक्की को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. मशीनों से लैस एक आटा चक्की को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. पैकेज्ड आटे की एक बोरी को ली जाते कर्मियों को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)

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