रामपुर क्षेत्र के कृषि विकास को मज़बूत कर रही है, रामगंगा नहर प्रणाली

नदियाँ
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रामपुर क्षेत्र के कृषि विकास को मज़बूत कर रही है, रामगंगा नहर प्रणाली
रामपुर, उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण कृषि केंद्र है, जिसे रामगंगा नहर से बहुत लाभ मिलता है। यह नहर, इस क्षेत्र को सिंचाई प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह नहर, खेतों में पानी की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करती है, जिससे गन्ना, गेहूं और चावल सहित विभिन्न फ़सलों की खेती में मदद मिलती है। यह सिंचाई प्रणाली, यह भी सुनिश्चित करती है कि, किसान निरंतर जल स्रोत पर भरोसा कर सकते हैं, एवं विशेष रूप से शुष्क अवधि के दौरान, फ़सल की पैदावार को बढ़ावा देने में मदद करती है। कृषि उत्पादकता में सुधार करके, रामगंगा नहर, रामपुर की अर्थव्यवस्था का एक अनिवार्य हिस्सा बन गई है, जो अनगिनत किसानों की आजीविका को सीधे प्रभावित कर रही है, और क्षेत्र के कृषि विकास को मज़बूत कर रही है। आज हम, उत्तर प्रदेश की विभिन्न नहरों और सिंचाई में, उनकी भूमिका पर चर्चा करेंगे। फिर, हम रामपुर नहर प्रणाली पर ध्यान केंद्रित करेंगे, एवं इसकी संरचना और महत्व की जांच करेंगे। अंत में, हम प्रमुख विकास और चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए, उत्तर प्रदेश में सिंचाई की समग्र स्थिति पर करीब से नज़र डालेंगे।
उत्तर प्रदेश की विभिन्न नहरें-
•ऊपरी गंगा नहर

ऊपरी गंगा नहर, मूल गंगा नहर है, जो हरिद्वार में हर की पौड़ी के पास भीमगोड़ा बैराज से शुरू होती है, फिर मेरठ और बुलंदशहर से होकर गुजरती है और अलीगढ़ ज़िले के नानऊ तक जाती है। वहां यह कानपुर और इटावा शाखाओं में विभाजित हो जाती है। 1,412 किलोमीटर लंबी इस ऊपरी गंगा नहर का उपयोग, भारत के दोआब क्षेत्र को सिंचित करने के लिए किया जाता है।
•निचली गंगा नहर
यह गंग नहर का निचला हिस्सा है। यह नरोरा (बुलंदशहर के पास) में, एक बैराज से निकलती है। निचली गंगा नहर की तीन मुख्य शाखाएं हैं – भोगनीपुर शाखा जो मैनपुरी ज़िले के जेरा गांव के पास से शुरू होती है, और कानपुर और इटावा शाखाएं । भोगनीपुर शाखा, वर्ष 1880 में खोली गई थी।
•शारदा नहर
शारदा नहर उत्तर प्रदेश की सबसे लंबी नहर है। अपनी कई शाखाओं के साथ, यह नहरों का एक बड़ा नेटवर्क बनाती है। शारदा नहर पीलीभीत ज़िले में स्थित है और सभी शाखाओं सहित इसकी कुल लंबाई 938 किलोमीटर है।
•आगरा नहर
आगरा नहर, दिल्ली से 18 किलोमीटर दक्षिण में, ओक्ला बैराज से निकलती है। इसका निर्माण वर्ष 1928 में पूरा हुआ था। यह यमुना नदी के दाहिने किनारे से पानी खींचती है। आगरा नहर – आगरा, मथुरा, फ़रीदाबाद व भरतपुर की लगभग 1.5 लाख हेक्टेयर खेती योग्य भूमि की सिंचाई के लिए ज़िम्मेदार है।
रामपुर नहर प्रणाली-
रामपुर ज़िले का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 2,35,360 हेक्टेयर है और ज़िले में कुल कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल 1,11,190 हेक्टेयर है। खरीफ़ के लिए, पी पी ए (Proposed Irrigation Area (PPA)) 37972 हेक्टेयर और रबी के लिए, 29768 हेक्टेयर है। रामपुर ज़िले की नहर प्रणाली रियासत काल की है और 100 वर्ष से अधिक पुरानी है। सभी नहर प्रणालियां, नदियों पर छोटे-छोटे रेगुलेटर, वियर, बैराज और मिट्टी के बांध बनाकर बनाई गई हैं। रामपुर ज़िले में 18 नहर प्रणालियां हैं, जो मुख्य रूप से कोसी, पीलाखार, भकड़ा, सैजनी, धीमरी, बहल्ला, नाहल किछिया, डकरा, कलियानी, कलैया आदि नदियों से पोषित होती हैं। नहरों में पानी, नदियों में पानी की उपलब्धता पर निर्भर है।
•रामगंगा नहर प्रणाली:
इस प्रणाली के अंतर्गत दो नहरें हैं, जो मुरादाबाद, बिजनौर और जे.पी. नगर ज़िलों को सिंचाई सुविधा प्रदान करती हैं।
•रामगंगा पोषक नहर:
रामगंगा फ़ीडर नहर, रामगंगा हरेवली बैराज के दाहिने किनारे पर बने हेड रेगुलेटर से निकलती है और इसका अधिकृत बहाव 5350 क्यूसेक है। यह नहर 10.40 किलोमीटर की लंबाई तय करने के बाद, खो नदी में मिलती है। 2 किलोमीटर तक नदी के साथ आगे बढ़ने के बाद, रामगंगा फ़ीडर नहर ऑफ़-टेक श्रृंखला – 12.40 किलोमीटर, शेरकोट इलाके के पास खो बैराज के दाहिने किनारे पर निकलती है। 81.71 किलोमीटर के बाद, यह फ़ीडर नहर धनौरा ब्लॉक के अंतर्गत बाह नाला से मिलती है, और 20 किलोमीटर तक इसके साथ बहने के बाद, तिगरी के पास गंगा नदी में मिल जाती है।
•उप-फ़ीडर नहर और रामगंगा नहर प्रणाली:
खो बैराज से 250 क्यूसेक क्षमता की रामगंगा फ़ीडर नहर और उप–फ़ीडर नहर निकलती है। उप-फ़ीडर नहर की लंबाई 21.60 किलोमीटर के अंत पर, जिसकी लंबाई – 46.26 किलोमीटर है, जिसमें मुख्य बहाव 231 क्यूसेक (cusec) है। और, रामगंगा नहर के 2.81 किलोमीटर से, महमूदपुर रजबहा की लंबाई 30.70 किलोमीटर है, जिसका रिसाव 90 क्यूसेक है। पहले, रामगंगा नहर प्रणाली को वर्ष 1930 में निर्मित पंप नहर प्रणाली के माध्यम से, चलाया जाता था। बाद में, वर्ष 1972 में, खो बैराज के निर्माण के बाद इसे उप-फ़ीडर प्रणाली के माध्यम से चलाया जाता था। रामगंगा मुख्य नहर की शृंखला 20.92 किलोमीटर पर, 19.12 किलोमीटर लंबाई की उमरी रजबहा नहर निकलती है, जिसका मुख्य बहाव 52 क्यूसेक है। इस नहर प्रणाली में 101.22 किलोमीटर की लंबाई वाली 29 छोटी नहरें शामिल हैं। इस नहर प्रणाली से बिजनौर की 9,316 हेक्टेयर, मुरादाबाद की 12,666 हेक्टेयर तथा अमरोहा की 9,907 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि लाभान्वित होती है। इसमें 12,118 हेक्टेयर रबी फ़सल और 1,02,014 हेक्टेयर खरीफ़ फ़सल शामिल है।
इन नहर प्रणालियों में 32 नहरें हैं, जिनकी कुल लंबाई 218.90 किलोमीटर है, जिसमें मुख्य नहर शामिल नहीं है।
उत्तर प्रदेश में सिंचाई-
उत्तर प्रदेश में एक सुविकसित सिंचाई नेटवर्क है। 2014-15 के आंकड़ों के अनुसार, राज्य का लगभग 86.7% शुद्ध बोया गया क्षेत्र, सिंचित क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यह 2014-15 के राष्ट्रीय औसत – 48.8% से काफ़ी अधिक है। सिंचाई नेटवर्क के विकास से, अधिक क्षेत्र को खेती के अंतर्गत लाने और बहुफ़सल एवं दोहरी फ़सल को बढ़ाने में मदद मिलती है।
उत्तर प्रदेश में सिंचाई सुविधाओं के मामले में बड़ी क्षेत्रीय विविधताएं हैं। पश्चिमी क्षेत्र में शुद्ध बोए गए क्षेत्र की तुलना में, शुद्ध सिंचित क्षेत्र का प्रतिशत सबसे अधिक है। मध्य और पूर्वी क्षेत्र, क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। जबकि, सबसे कम प्रतिशत बुन्देलखण्ड क्षेत्र का है।
नहर सिंचाई के अंतर्गत, क्षेत्रफल की दृष्टि से, पूर्वी क्षेत्र प्रथम है, तथा बुन्देलखण्ड सबसे निचले स्थान पर है। कुओं और ट्यूबवेल सिंचाई के अंतर्गत क्षेत्रफल की दृष्टि से, पश्चिमी क्षेत्र पहले स्थान पर है और बुन्देलखण्ड सबसे निचले स्थान पर है। टैंक सिंचाई के मामले में, बुन्देलखण्ड सबसे आगे है, और उसके बाद पूर्वी क्षेत्र है।
राज्य में सिंचाई के साधन-
उत्तर प्रदेश में सिंचाई के लिए, भूजल और सतही जल दोनों का बड़े पैमाने पर, उपयोग किया जाता है। भूजल सिंचाई के लिए ट्यूबवेलों (Tubewells) और कुओं का उपयोग किया जाता है, जबकि सतही जल सिंचाई के लिए नहरों और तालाबों का उपयोग किया जाता है।
2015-16 के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में सिंचाई का सबसे बड़ा साधन ट्यूबवेल हैं। यहां यहाँ के कुल सिंचित क्षेत्र में से लगभग 84% क्षेत्र, कुओं और ट्यूबवेल सिंचाई के अंतर्गत आता है।
शेष क्षेत्र में से 15.2% नहर सिंचाई के अंतर्गत, 0.5% टैंक सिंचाई के अंतर्गत और 0.6% सिंचाई के अन्य स्रोतों के अंतर्गत हैं। इस प्रकार, 2015-16 में उत्तर प्रदेश में शुद्ध सिंचित क्षेत्र 14,232 हज़ार हेक्टेयर था।

संदर्भ
https://tinyurl.com/34pz7vm6
https://tinyurl.com/28k9cjcb
https://tinyurl.com/5n92c9zv

चित्र संदर्भ
1. उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद के समीप रामगंगा नदी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. उत्तर प्रदेश के सीतापुर ज़िले  में रामपुर मथुरा नामक एक गाँव के पास उल्ल नदी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. मेरठ में गंगा नहर प्रणाली को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
4. खेतों में सिंचाई को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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