जानें, हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके इंटरनेट की शुरुआत कैसे हुई

संचार एवं संचार यन्त्र
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जानें, हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके इंटरनेट की शुरुआत कैसे हुई
वर्तमान समय में, इंटरनेट हमारी दुनिया एवं जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। बिना इंटरनेट के मानो आज व्यक्ति, अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। आज दुनिया भर में कुल 4.8 बिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। इंटरनेट के माध्यम से, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर लोगों की उपस्थिति के आंकड़े अत्यंत महत्वपूर्ण हैं | 3.18 बिलियन लोगों द्वारा फ़ेसबुक का उपयोग किया जाता है, 1.09 बिलियन उपयोगकर्ताओं द्वारा लिंक्डइन का उपयोग किया जाता है, और ट्विटर (x) पर, वैश्विक स्तर पर, 583 मिलियन सक्रिय उपयोगकर्ता हैं। हमारे देश भारत में लगभग 455.95 मिलियन इंटरनेट कनेक्शन हैं, यह आंकड़ा देश की बढ़ती डिजिटल भागीदारी को दर्शाता है। हमारे अपने रामपुर में, 2023 में इंटरनेट कनेक्शनों की संख्या 661,035 थी और 2024 में फ़ेसबुक उपयोगकर्ताओं की औसत संख्या लगभग 208,200 होने का अनुमान है। इंटरनेट ने लोगों के रहने, काम करने और संचार करने के तरीके को बदल दिया है। हाई-स्पीड नेटवर्क तक बेहतर पहुंच के साथ, लोग अब शिक्षा, खरीदारी और मनोरंजन के लिए ऑनलाइन जुड़ रहे हैं। इंटरनेट ने स्थानीय व्यवसायों को अधिक ग्राहकों तक पहुँचने और बढ़ने में भी मदद की है। छात्रों के लिए, यह सीखने और जानकारी तक पहुँचने का एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया है। जैसे-जैसे इंटरनेट की पहुंच में सुधार जारी है, यह नए अवसरों को बोलने की दिशा में तेज़ी से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इंटरनेट की शुरुआत कैसे हुई और यह कैसे आज हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है। तो आइए, आज इंटरनेट के शुरुआती दिनों से लेकर इसके वैश्विक विकास तक के संक्षिप्त इतिहास के बारे में जानते हैं और इसके साथ ही समझते हैं कि इंटरनेट और वर्ल्ड वाइड वेब एक साथ कैसे काम करते हैं। अंत में, हम भारत में इंटरनेट की शुरूआत के बारे में जानेंगे।
इंटरनेट का संक्षिप्त इतिहास:
इंटरनेट की शुरुआत, 1960 के दशक में सरकारी शोधकर्ताओं के लिए जानकारी साझा करने के एक तरीके के रूप में हुई थी। 60 के दशक में, कंप्यूटर, आकार में बड़े थे जिन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना आसान नहीं था इसलिए एक कंप्यूटर में संग्रहीत जानकारी का उपयोग करने के लिए, या तो कंप्यूटर की साइट पर जाना पड़ता था या पारंपरिक डाक प्रणाली के माध्यम से चुंबकीय कंप्यूटर टेप भेजना पड़ता था।
इंटरनेट के निर्माण में शीत युद्ध ने भी एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य किया। सोवियत संघ द्वारा स्पुतनिक उपग्रह के प्रक्षेपण ने अमेरिकी रक्षा विभाग को उन तरीकों पर विचार करने के लिए प्रेरित किया, जिनसे परमाणु हमले के बाद भी सूचना प्रसारित की जा सके। इसलिए अंततः 'एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी नेटवर्क' (ARPANET) का निर्माण किया गया, जो अंततः वह नेटवर्क था, जिसे अब हम इंटरनेट के रूप में जानते हैं। अरपानेट वास्तव में विज्ञान की दुनिया में एक बड़ी सफलता थी, लेकिन शुरुआत में इसकी सदस्यता, कुछ शैक्षणिक और अनुसंधान संगठनों तक ही सीमित थी जिनका रक्षा विभाग के साथ अनुबंध था। इसलिए, सूचना साझाकरण प्रदान करने के लिए अन्य नेटवर्क बनाए गए।
1 जनवरी 1983 को इंटरनेट का आधिकारिक जन्मदिन माना जाता है। इससे पहले, विभिन्न कंप्यूटर नेटवर्क के पास एक दूसरे के साथ संचार करने का कोई मानक तरीका नहीं था। कंप्यूटरों के बीच संचार के लिए, एक नया संचार प्रोटोकॉल स्थापित किया गया जिसे ट्रांसफ़र कंट्रोल प्रोटोकॉल/इंटरनेटवर्क प्रोटोकॉल कहा जाता है। इसने विभिन्न नेटवर्कों पर विभिन्न प्रकार के कंप्यूटरों को एक-दूसरे से "बातचीत" करने की अनुमति दी। 1 जनवरी 1983 को अरपानेट और डिफ़ेंस डेटा नेटवर्क को आधिकारिक तौर पर टी सी पी/आई पी (TCP/IP) मानक में बदल दिया गया, जिससे इंटरनेट का जन्म हुआ। अब सभी नेटवर्क एक सार्वभौमिक भाषा से जुड़े हो सकते हैं।
इंटरनेट और वर्ल्ड वाइड वेब:
आज, दुनिया भर में लाखों कंप्यूटर, एक ही विशाल नेटवर्क से जुड़े हुए हैं जिसे इंटरनेट कहा जाता है। इंटरनेट तकनीकी रूप से नेटवर्कों का एक नेटवर्क है। आज कई कंप्यूटरों को नेटवर्क पर एक साथ जोड़ा जा सकता है। एक कंप्यूटर किसी नेटवर्क पर डेटा और फ़ाइलों का आदान-प्रदान करके या संदेश भेजकर और प्राप्त करके उसी नेटवर्क पर अन्य कंप्यूटरों के साथ संचार कर सकता है। एक नेटवर्क पर कई कंप्यूटर बड़ी गणना पर भी एक साथ काम कर सकते हैं।
इंटरनेट पर संचार के लिए विस्तृत प्रोटोकॉल हैं। एक प्रोटोकॉल, बस एक विस्तृत विवरण है कि संचार को कैसे आगे बढ़ाया जाना है। दो कंप्यूटरों के बीच संचार करने के लिए, उन दोनों को समान प्रोटोकॉल का उपयोग करना होता है। इंटरनेट पर सबसे बुनियादी प्रोटोकॉल में से एक 'इंटरनेट प्रोटोकॉल' (IP) हैं, जो निर्दिष्ट करता है कि डेटा को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में भौतिक रूप से कैसे प्रसारित किया जाना है, और एक अन्य 'ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल' (Transmission Control Protocol (TCP)) है, जो यह सुनिश्चित करता है कि आईपी का उपयोग करके भेजा गया डेटा पूरी तरह से और त्रुटि के बिना प्राप्त हो। ये दो प्रोटोकॉल, जिन्हें सामूहिक रूप से टी सी पी/आई पी कहा जाता है, संचार के लिए एक आधार प्रदान करते हैं। अन्य प्रोटोकॉल विशिष्ट प्रकार की जानकारी जैसे फ़ाइलें और इलेक्ट्रॉनिक मेल भेजने के लिए टी सी पी/आई पी का उपयोग करते हैं।
इंटरनेट पर सभी संचार पैकेट के रूप में होते हैं। एक पैकेट में एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर पर भेजा जाने वाला कुछ डेटा होता है, साथ ही ऐसी जानकारी भी होती है जो इंगित करती है कि इंटरनेट पर वह डेटा कहाँ जाना चाहिए।
इंटरनेट पर, प्रत्येक कंप्यूटर का एक आई पी पता होता है | आई पी पता, एक संख्या है, जो नेट पर सभी कंप्यूटरों के बीच इसकी विशिष्ट पहचान करती है। आई पी पते का उपयोग, पैकेट को संबोधित करने के लिए किया जाता है। एक कंप्यूटर, इंटरनेट पर दूसरे कंप्यूटर को डेटा तभी भेज सकता है, जब उसे उस कंप्यूटर के आई पी पते के बारे में जानकारी हो। चूँकि लोग, संख्याओं के बजाय नामों का उपयोग करना पसंद करते हैं, इसलिए कई कंप्यूटरों की पहचान नामों से भी की जाती है, जिन्हें डोमेन नाम (domain name) कहा जाता है। इंटरनेट इससे जुड़े कंप्यूटरों को कई सेवाएँ प्रदान करता है। ये सेवाएँ नेट पर विभिन्न प्रकार के डेटा भेजने के लिए टी सी पी/आई पी का उपयोग करती हैं। सबसे लोकप्रिय सेवाओं में इलेक्ट्रॉनिक मेल, FTP (फ़ाइल ट्रांसपोर्ट प्रोटोकॉल) और वर्ल्ड-वाइड वेब हैं।
एफ़ टी पी को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में फ़ाइलों को कॉपी करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। एक एफ़ टी पी, उपयोगकर्ता को वांछित फ़ाइलों वाले कंप्यूटर तक पहुंच प्राप्त करने के लिए उपयोगकर्ता नाम और पासवर्ड की आवश्यकता होती है। वर्ल्ड-वाइड वेब उन पृष्ठों पर आधारित है, जिनमें कई अलग-अलग प्रकार की जानकारी के साथ-साथ अन्य पृष्ठों के लिंक भी हो सकते हैं। इन पृष्ठों को फ़ायरफ़ॉक्स (Firefox) या इंटरनेट एक्सप्लोरर (Internet Explorer) जैसे वेब ब्राउज़र प्रोग्राम के साथ देखा जाता है। बहुत से लोग सोचते हैं कि वर्ल्ड-वाइड वेब ही इंटरनेट है, लेकिन यह वास्तव में इंटरनेट का एक ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस है। जो पृष्ठ आप वेब ब्राउज़र से देखते हैं, वे केवल फ़ाइलें हैं, जो इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटरों पर संग्रहीत होती हैं। जब आप अपने वेब ब्राउज़र पर एक पृष्ठ लोड करते हैं, तो यह उस कंप्यूटर से संपर्क करता है जिस पर पृष्ठ संग्रहीत है और HTTP (हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफ़र प्रोटोकॉल) नामक प्रोटोकॉल का उपयोग करके इसे आपके कंप्यूटर पर स्थानांतरित करता है। इंटरनेट पर कोई भी कंप्यूटर वर्ल्ड-वाइड वेब पर पृष्ठ प्रकाशित कर सकता है। एक सामान्य वेब ब्राउज़र, एच टी टी पी के अलावा, अन्य प्रोटोकॉल का उपयोग भी कर सकता है। उदाहरण के लिए, यह फ़ाइलों को स्थानांतरित करने के लिए एफ़टीपी का भी उपयोग कर सकता है। एफ़ टी पी एक प्रोग्राम नहीं है, बल्कि यह एक प्रोटोकॉल है, अर्थात, कंप्यूटर के बीच एक निश्चित प्रकार के संचार के लिए मानकों का एक सेट है।
भारत में इंटरनेट की शुरुआत:
- भारत में इंटरनेट के शुरुआत और विकास को निम्न बिंदुओं के रूप में समझा जा सकता है:
- भारत में इंटरनेट की शुरुआत, 1986 में हुई थी, लेकिन इसे जनता के लिए उपलब्ध कराने में एक दशक लग गया।
- भारत में इंटरनेट, पहली बार, 15 अगस्त 1995 को वी एस एन एल द्वारा लॉन्च किया गया था।
- अगले वर्ष, रेडिफ़ (Rediff.com) ने मुंबई में भारत का पहला साइबर कैफ़े खोला।
- 1997 में आई सी आई सी आई बैंक ने ऑनलाइन बैंकिंग शुरू की।
- वर्ष 1998 भी एक और महत्वपूर्ण वर्ष था, जिसमें नैसकॉम की स्थापना हुई थी। इसी साल, पहली हैकिंग की घटना भी सामने आई थी।
- 1999 में, देशभर में, रेलवे आरक्षण प्रणाली को इंटरनेट से जोड़ा गया।
- वर्ष 2000, भारत में इंटरनेट का ऐतिहासिक वर्ष था। इस वर्ष, केबल इंटरनेट, आई टी अधिनियम का आगमन हुआ और याहू, ईबे और एम एस एन जैसी साइटों का शुभारंभ हुआ।
- नई सदी की शुरुआत में आई आर सी टी सी ऑनलाइन टिकटिंग साइट के लॉन्च जैसी अच्छी खबर के साथ हुई। हालांकि, एयरलाइंस को ऑनलाइन टिकटिंग प्रणाली की अनुमति देने में दो साल लग गए। गूगल (Google) ने 2004 में, भारत में अपना कार्यालय खोला। इसी वर्ष, बी एस एन एल ने ब्रॉडबैंड सेवाएं भी लॉन्च कीं।
- भारत में, 2005 में, ऑर्कुट के साथ सोशल नेटवर्किंग की शुरुआत हुई, उसके एक साल बाद फ़ेसबुक आया।
- 2008 में 2जी स्पेक्ट्रम आवंटित किया गया और उसके एक साल बाद 3जी स्पेक्ट्रम आवंटित किया गया।
- 2010 में, वाईमैक्स की भी नीलामी हुई। 2011 में, मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी सेवाएं पेश की गईं।
- 2012 में, भारती एयरटेल, डोंगल-आधारित 4जी सेवाएं प्रदान करने वाला पहला ऑपरेटर बन गया और बाद में 2014 में, ऑपरेटर द्वारा मोबाइल 4जी सेवाएं पेश की गईं।
- 2016 में, रिलायंस जियो सेवाएं लॉन्च की गईं। उसी वर्ष, रेलवे स्टेशनों पर मुफ़्त वाई फ़ाई सेवाएं उपलब्ध कराई गईं।
- भारत ने 2019 में, 500 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ताओं का महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार कर लिया।
- 2020 में, दुनिया के बाकी हिस्सों की तरह, कोविड लॉकडाउन ने भारत में इंटरनेट के उपयोग को बड़ा बढ़ावा दिया है। वर्तमान में, देश 5जी वायरलेस तकनीक की अगली पीढ़ी को अपनाने के लिए भी तत्पर है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/s9ecj7hy
https://tinyurl.com/bdf94jhk
https://tinyurl.com/mr2h6ert

चित्र संदर्भ
1. इंटरनेट चलाती महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
2. इंटरनेट रूटिंग पथों के दृश्यीकरण को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. वर्ल्ड वाइड वेब के लोगो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. लैपटॉप पर गूगल ब्राउज़र को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
5. लैपटॉप चलाते भारतीय युवक को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
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