वन पारिस्थितिकी को स्वस्थ और स्थिर बनाए रखने के लिए, आवश्यक है वनों के प्रकारों का ज्ञान

जंगल
08-11-2024 09:24 AM
Post Viewership from Post Date to 09- Dec-2024 (31st) Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2601 60 2661
वन पारिस्थितिकी को स्वस्थ और स्थिर बनाए रखने के लिए, आवश्यक है वनों के प्रकारों का ज्ञान
वन, न केवल हमारे जीवन में अविश्वसनीय महत्व रखते हैं, बल्कि वे संपूर्ण मानवता के लिए अपरिहार्य हैं। वन केवल पेड़ों के संग्रह से कहीं अधिक हैं; वे ग्रह का हृदय हैं, वे अपनी जड़ों और पत्तियों के माध्यम से जीवन को हमारी दुनिया में प्रवाहित करते हैं। क्या आप जानते हैं कि पृथ्वी पर वन, आश्चर्यजनक विविधता में मौज़ूद हैं | प्रत्येक प्रकार के वन, अपना स्वयं का पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करते हैं और पृथ्वी के स्वास्थ्य और हमारी भलाई में विशिष्ट योगदान देते हैं। तो आइए, आज वनों के विभिन्न प्रकारों, उनकी उपश्रेणियाँ और उनकी विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानते हैं। इसके साथ ही, यह भी समझते हैं कि वनों के विभिन्न प्रकारों के बारे में सीखना क्यों महत्वपूर्ण है।
वनों के विभिन्न प्रकार: पृथ्वी के भूमि क्षेत्र के एक तिहाई हिस्से पर वन मौज़ूद हैं, जिसमें अनुमानतः 3 ट्रिलियन पेड़ हैं, और कई अभी तक खोजे नहीं गए हैं। इस विशाल वन क्षेत्रों में लगभग 70 प्रतिशत कार्बन है; जो विशिष्ट रूप से, ऊपर और नीचे उगे बायोमास दोनों में लगभग 296 गीगा टन कार्बन है। दुनिया भर में 1.6 अरब लोग अपनी दैनिक आवश्यकताओं और अस्तित्व के लिए वनों पर निर्भर हैं। इसके साथ ही, ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से लड़ने के लिए वन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे वायु को 8°C तक ठंडा कर सकते हैं। हालाँकि, सभ्यता और जनसंख्या में तेज़ी से वृद्धि के कारण वनों के लिए एक बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है; क्योंकि इससे प्रदूषण, वनों की कटाई और औद्योगिक उपयोग की समस्याएँ दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जो चिंताजनक है। इसलिए दुनिया भर को विभिन्न प्रकार के वनों, उनकी विशेषताओं, विविधताओं और उनके महत्व के बारे में जागरूक होने की अत्यंत आवश्यकता है। सामान्यतः विश्व स्तर पर तीन प्रकार के वन पाए जाते हैं: उष्णकटिबंधीय वन, समशीतोष्ण वन और बोरियल वन।
1. उष्णकटिबंधीय वन (Tropical forests): भूमध्य रेखा के चारों ओर, अत्यधिक विविधता के साथ उगने वाले वनों को उष्णकटिबंधीय वन कहा जाता है। यह भूमध्यरेखीय क्षेत्र के भीतर, लगभग 23.5° उत्तर और 23.5° दक्षिण में होते हैं। ये वन अफ़्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिण अमेरिका में भूमध्य रेखा तक फैले हुए हैं। भले ही भूमध्य रेखा वन क्षेत्र दुनिया भर के समग्र वन क्षेत्र की तुलना में छोटा है, फिर भी इसमें प्रजातियों की विविधता सबसे अधिक है। इसके एक वर्ग किलोमीटर के भीतर सौ से अधिक विभिन्न वृक्ष प्रजातियाँ पाई जा सकती हैं। यहां मुख्य रूप से केवल दो ही मुख्य मौसम होते हैं, बरसात और शुष्क, यहाँ सर्दी नहीं होती है। यहां लगभग 12 घंटे तक सूर्य का प्रकाश प्राप्त होता है। यहां बहुत अधिक बारिश होती है, वार्षिक वर्षा 200 सेंटीमीटर से अधिक होती है, और तापमान 20°-25° सेल्सियस के बीच रहता है। विश्व स्तर पर विभिन्न प्रकार के वनों में, उष्णकटिबंधीय वर्षा वन सबसे समृद्ध और विविध हैं क्योंकि इस प्रकार का मौसम कई अलग-अलग पौधों के विकास को बढ़ावा देता है।
उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों की विशेषताएं:
➡ इन वनों के किसी क्षेत्र के एक वर्ग किलोमीटर में लगभग 100 विभिन्न प्रजातियों के पेड़ हो सकते हैं।
➡ पेड़ 25-35 मीटर ऊँचे होते हैं, और वे इतने अधिक घने होते हैं कि इनकी शाखाएँ और पत्तियाँ अधिक प्रकाश को घुसने और जमीन तक पहुँचने नहीं देती हैं।
➡ ये पेड़, अधिकतर सदाबहार होते हैं और इनमें गहरे हरे रंग की बड़ी पत्तियाँ होती हैं।
➡ यह विविध वनस्पति, विभिन्न जीवों का समर्थन करती है।
➡ 25 प्रतिशत औषधियाँ, जिनका हम वर्तमान में उपयोग करते हैं, उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों से उत्पन्न होती हैं। और दिलचस्प बात यह है कि, चिकित्सीय उपयोग के लिए अब तक केवल 1% वर्षावन पौधों का अध्ययन किया गया है।
उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों के अंतर्गत अन्य उपश्रेणियाँ:
➡ सदाबहार (Evergreen) - यहां कोई शुष्क मौसम नहीं होता, साल भर बारिश होती है।
➡ मौसमी (Seasonal) - यहां शुष्क मौसम बहुत छोटा होता है, और ज़्यादातर बरसात होती है।
➡ शुष्क (Dry) - यहां लंबे समय तक शुष्क मौसम मौज़ूद होता है, और पेड़ पर्णपाती होते हैं।
➡ पर्वतीय (Montane)- यहां अधिकतर धुंध और कोहरे के कारण वर्षा होती है, सामान्य नहीं। इस प्रकार के वनों को अक्सर बादल वन कहा जाता है।
➡ उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय शंकुधारी (Tropical and subtropical coniferous)- यहां की जलवायु शुष्क और गर्म होती है। यहां शंकुवृक्ष पाए जाते हैं, जो परिवर्तनशील मौसम के अनुकूल होते हैं।
➡ उपोष्णकटिबंधीय (sub tropical) - उष्णकटिबंधीय वनों के उत्तर और दक्षिण को उपोष्णकटिबंधीय वन माना जाता है; पेड़ शुष्क गर्मी के मौसम के अनुकूल होते हैं।
2. समशीतोष्ण वन (Temperate forests) : समशीतोष्ण वन, उष्णकटिबंधीय वर्षावनों के बाद अगले अक्षांश चक्र में पाए जाते हैं, जिन्की उपस्तिथि, उत्तरी अमेरिका, पूर्वोत्तर एशिया और यूरोप में होती है। इस क्षेत्र में मुख्य रूप से सर्दी के साथ, चार अलग-अलग मौसम होते हैं, इस कारण से इन वनों को बढ़ने के लिए, 1 वर्ष में 140-200 दिनों के साथ, 4-6 ठंढ-मुक्त महीने मिलते हैं। यहां की जलवायु मध्यम होती है, और तापमान -30° से 30° सेल्सियस के बीच रहता है। वर्षा, पूरे वर्ष अच्छी तरह से वितरित होती है और सालाना 75 से 150 सेंटीमीटर तक होती है।
समशीतोष्ण वनों की विशेषताएँ:
➡ इन वनों के पेड़, पर्णपाती होते हैं, जिसका अर्थ है कि मौसमी बदलाव के साथ इन वनों के पेड़ों के पत्ते गिर जाते हैं।
➡ समशीतोष्ण वन, दुनिया भर में वृक्ष संरचना का एक बड़ा हिस्सा हैं।
➡ इन वनों की मिट्टी, पोषक तत्वों से भरपूर और उपजाऊ होती है, और इसका कारण की कहां पाए जाने वाले पौधों और जानवरों के अवशेष हैं।
➡ इन वृक्षों की छतरी घनी होती है लेकिन तुलनात्मक रूप से उष्णकटिबंधीय वर्षावन की तरह नहीं। इससे प्रकाश, छनकर वन तल तक पहुँच जाता है। इसके परिणामस्वरूप, जानवरों के स्तरीकरण के साथ अच्छी तरह से विकसित और विविध ज़मीनी वनस्पति प्राप्त होती है।
➡ ये वन, उष्णकटिबंधीय वर्षा वन (tropical rainforests) की तरह उतने विविधतापूर्ण नहीं होते, लेकिन इनमें प्रति वर्ग किलोमीटर 3-4 पेड़ों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
➡ समशीतोष्ण वन, खरगोशों, गिलहरियों, पक्षियों, पहाड़ी शेरों, हिरण, भेड़ियों, लोमड़ियों, और काले भालूओं का घर हैं।
➡ इस क्षेत्र के कई पेड़ों में रस होता है, जो सर्दियों के दौरान, जड़ को सूखने और जमने से बचाता है।
समशीतोष्ण वन के अंतर्गत अन्य उपश्रेणियाँ:
➡ नम शंकुवृक्ष और सदाबहार (Moist conifer and evergreen broad-leaved)- यहां सघन वर्षा और शुष्क ग्रीष्मकाल के साथ हल्की सर्दी होती है।
➡ शुष्क शंकुवृक्ष (Dry conifer)- यहां वर्षा कम होती है, और जंगल अधिक ऊंचाई पर मौजूद होते हैं।
➡ भूमध्यसागरीय (Mediterranean)- ये समशीतोष्ण क्षेत्र के दक्षिण में, तटीय क्षेत्र के आसपास स्थित होते है। यहां के लगभग सभी पेड़ सदाबहार होते हैं।
➡ समशीतोष्ण चौड़ी पत्ती वाले वर्षावन (Temperate broad-leaved rainforest)- यहां हल्की सर्दी होती है। सर्दी के दौरान भी यहां उच्च वर्षा होती है, जो पूरे वर्ष समान रूप से वितरित होती है। इसलिए यहां के पेड़, सदाबहार होते हैं।
3. बोरियल वन (Boreal forests) : बोरियल वन, जिसे टैगा वन भी कहा जाता है, 50° और 60° डिग्री उत्तरी अक्षांश के बीच होते हैं। ये वन, आम तौर पर यूरेशिया और उत्तरी अमेरिका के विस्तृत बेल्ट, विशेष रूप से साइबेरिया, स्कैंडिनेविया, अलास्का और कनाडा में पाए जाते हैं। बोरियल वनों के क्षेत्र का तापमान -30° सेल्सियस तक होता है। यहां पर, अधिकांश भूमि, पूरे वर्ष जमी रहती है। इसका अर्थ यह है कि बहुत कम पौधे और जानवर यहां जीवित रह पाते हैं। ठंड के कारण, लंबे समय तक भोजन, धूप, पानी जैसे संसाधन सीमित हो जाते हैं, जिसका अर्थ है कि बोरियल वनों में किसी भी प्रकार के वनों की तुलना में सबसे कम वृद्धि का मौसम, केवल 130 दिन/वर्ष, होता है।
बोरियल वनों की विशेषताएं:
➡ बोरियल वनों में मुख्य प्रकार के पेड़ शंकुधारी होते हैं क्योंकि वे ठंड के लिए सबसे उपयुक्त होते हैं।
➡ बोरियल वन, विशाल, दूरदराज़ के क्षेत्रों को कवर करते हैं जिसका अर्थ है कि वे वास्तव में महत्वपूर्ण कार्बन भंडार हैं। जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, ज़मीन नरम हो जाती है, जिसका अर्थ अंततः होता है कि पेड़ गिर जाते हैं और मर जाते हैं। यदि हम सफलतापूर्वक बोरियल वनों का संरक्षण कर सकते हैं, तो ऐसा माना जाता है कि हम, जलवायु परिवर्तन को धीमा करने में सक्षम हो सकते हैं।
बोरियल वनों के प्रकार:
बोरियल वन दो प्रकार के हैं:

➡ जो बोरियल वन उच्च (अधिक उत्तरी) अक्षांशों पर पाए जाते हैं, वहां अत्यधिक ठंड के कारण, पेड़ों की प्रजातियाँ बहुत कम होती हैं। इन पेड़ों की छतरी खुली होती है और ये पेड़ घने नहीं होते।
➡ निचले अक्षांशों में थोड़ी गर्म जलवायु में पाए जाने वाले बोरियल वनों के पेड़ों में प्रजातियों की विविधता देखने को मिलती है। इन जंगलों में मिट्टी भी समृद्ध होती है, इसलिए पेड़ एक-दूसरे के करीब बढ़ते हैं। इसका अर्थ है कि बहुत कम रोशनी ज़मीन तक पहुंचती है।
पर्णपाती वन: पर्णपाती वनों में वे वृक्ष पाए जाते हैं जो पतझड़ के मौसम में अपनी जीवंत छटा बिखेरते हुए अपनी पत्तियां गिरा देते हैं। वास्तव में, ये वन, जीवन की हमेशा बदलती रहने वाली छवि के जीवित प्रमाण के रूप में खड़े हैं। पर्णपाती वनों में हल्की वर्षा होती है। इन वनों का वास्तविक आकर्षण परिदृश्य में शरद ऋतु के आगमन के साथ उभरता है, जो रंगों की एक लुभावनी चित्रावली प्रस्तुत करते हैं। मौसम के साथ बदलते इन वनों में, वनस्पतियों और जीवों की विविधता पाई जाती है। साल भर बदलते अनुकूलित मौसम के कारण, प्रवासी पक्षी और स्तनधारी भी अपने अस्तित्व के लिए, इन वनों में आश्रय लेते हैं। लेकिन पर्णपाती वनों का आकर्षण, उनके पारिस्थितिक महत्व से कहीं आगे तक फैला हुआ है। ये हरे-भरे स्थान, लंबी पैदल यात्रा, पक्षियों को देखने और असंख्य मनोरंजक गतिविधियों के लिए आकर्षक स्थान प्रदान करते हैं।
हमें वनों की किस्मों को समझने की आवश्यकता क्यों है?
वन, हमारे लिए केवल पर्यावरणीय और पारिस्थितिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं हैं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में उनकी विभिन्न उपयोगिताओं के कारण वनों के प्रकार एवं उनके महत्व को समझना आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है। प्रत्येक वन प्रकार में, वनस्पतियों और जीवों की एक विविध श्रृंखला पाई जाती है, जिनमें से कुछ विशिष्ट पारिस्थितिक तंत्र के लिए ही स्थानिक हैं। इन जैव विविधता केंद्रों की सुरक्षा के उद्देश्य से लक्षित संरक्षण रणनीतियों को विकसित करने के लिए, इनके बारे में जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है।
वनों में प्रकार के आधार पर कार्बन पृथक्करण की क्षमता भी अलग-अलग होती है। उदाहरण के लिए, उष्णकटिबंधीय वर्षावन और मैंग्रोव वन, कार्बन डाइऑक्साइड को अन्य वनों की तुलना में अधिक मात्रा में अवशोषित कर सकते हैं | यह तथ्य, जलवायु परिवर्तन शमन प्रयासों में वन प्रकारों को अलग करने के महत्व पर प्रकाश डालता है। इसके अलावा, वन, लकड़ी, गैर-लकड़ी उत्पाद और औषधीय पौधों सहित संसाधनों का खज़ाना प्रदान करते हैं। प्रत्येक वन प्रकार की विशेषताओं का ज्ञान, इन संसाधनों का स्थायी प्रबंधन सुनिश्चित करने का समर्थन करता है, जिससे वन क्षरण के बिना भविष्य की पीढ़ियों के लिए, उनकी उपलब्धता सुनिश्चित होती है।
जल निस्पंदन, मृदा स्थिरीकरण, बाढ़ नियंत्रण और परागण जैसी विभिन्न वनों द्वारा प्रदान की जाने वाली पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को समझने के लिए भी वनों के प्रकार के विषय में जानकारी होना आवश्यक है। विशिष्ट वन प्रकारों के संदर्भ में, इन सेवाओं को पहचानने से इन प्राकृतिक संपत्तियों की रक्षा करने और पारिस्थितिकी तंत्र सेवा संरक्षण का समर्थन करने वाली नीतियों को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।
जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, अधिक स्पष्ट होते जा रहे हैं, विभिन्न वन पारिस्थितिकी प्रणालियों की अनुकूली क्षमताओं को समझना महत्वपूर्ण है। यह ज्ञान, पुनर्स्थापना परियोजनाओं और विशेष वन वातावरण में जलवायु परिवर्तन के प्रति, अधिक लचीली वृक्ष प्रजातियों को पेश करने के लिए महत्वपूर्ण है।
संक्षेप में, विभिन्न प्रकार के वनों को जानने से ग्रह की पारिस्थितिक जटिलता के बारे में हमारी समझ समृद्ध होती है जिससे विशेष संरक्षण प्रयासों पर ज़ोर दिया जा सकता है। यह ज्ञान, व्यक्तियों, समुदायों और सरकारों को दुनिया भर में वन पारिस्थितिकी प्रणालियों के स्वास्थ्य और स्थिरता को बढ़ावा देने वाले सूचित निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/anummses
https://tinyurl.com/2s4aak44
https://tinyurl.com/33phndv8
https://tinyurl.com/mr3xvm64

चित्र संदर्भ
1. एक विशाल वृक्ष को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
2. उष्णकटिबंधीय वन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. समशीतोष्ण वन को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)
4. बोरियल वन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. पर्णपाती वन को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)
पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.