हिमालयन न्यूट के प्राकृतिक निवास स्थान, अब कंक्रीट के ढांचों में बदल गए हैं

मछलियाँ व उभयचर
19-10-2024 09:15 AM
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हिमालयन न्यूट के प्राकृतिक निवास स्थान, अब कंक्रीट के ढांचों में बदल गए हैं
हमारा रामपुर शहर, तराई क्षेत्र में स्थित है, जो हिमालय की तलहटी का निचला इलाका है। तराई क्षेत्र को अपने उपजाऊ मैदानो तथा वनों और वन्यजीवों सहित अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है। लेकिन हिमालय के ऊंचाई वाले क्षेत्र भी जैव विविधता के मामले में हमसे कम नहीं हैं। इन क्षेत्रों में कई ऐसे दुर्लभ जीव जंतु पनपते हैं जो आपको यहां के अलावा कहीं और नहीं दिखाई देंगे। "हिमालयन न्यूट (Himalayan newt)" भी एक ऐसा ही दुर्लभ जीव है। इसे युन्नान, काख्येन हिल्स, सिक्किम, मणिपुर और उत्तरी म्यांमार के पहाड़ों में देखा जा सकता है। आज, हम हिमालयन न्यूट के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करेंगे। हम इसकी शारीरिक विशेषताओं, रहने की जगह और व्यवहार पर भी ध्यान देंगे। इसके साथ ही, हम उन ख़तरों और चुनौतियों के बारे में जानेंगे जिनका सामना ये जीव कर रहे हैं।
हिमालयन न्यूट (टाइलोटोट्रिटोन वेरुकोसस (Tylototriton verrucosus)) एक बेहद दिलचस्प और अनोखा जीव है। हिमालयन न्यूट, सैलामैंडर की एक प्रजाति है जो मुख्य रूप से हिमालयी क्षेत्र में पाई जाती है। यह भारत में पाया जाने वाला एकमात्र पूंछ वाला उभयचर है। इसकी अनोखी विशेषताएं इसे और भी खास बनाती हैं। आप इसे दार्जिलिंग, सिक्किम, मेघालय, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश जैसे पूर्वी हिमालयी क्षेत्रों में देख सकते हैं। हिमालयन न्यूट को तालाबों, पोखरों और चावल के खेतों में रहना बहुत पसंद होता है। इसकी पूँछ, चपटी होती है और तैरने में इसकी मदद करती है।
ये न्यूट, मुख्य रूप से कीड़े और छोटे जलीय जीवों का भोजन करते हैं। दिन में आमतौर पर, ये छिपे रहते हैं और रात में सक्रिय होते हैं। सर्दियों में, ये अपने बिलों और सुरक्षित स्थानों में छिप जाते हैं। लेकिन जब मानसून का मौसम आता है, तो ये प्रजनन के लिए बाहर आते हैं और इस समय, ये सबसे अधिक सक्रिय होते हैं।
हिमालयन न्यूट का शारीरिक विवरण: हिमालयन न्यूट की लंबाई, 20 सेंटीमीटर तक हो सकती है। इसकी जीभ, छोटी और किनारों पर थोड़ी लचीली होती है। इसके मुंह के अंदर, दो पंक्तियों में दांत होते हैं। इसकी खोपड़ी में एक मोटी, हड्डी की आर्च होती है, जो सभी सैलामैंडर (Salamander) में पाई जाती है। इस प्रजाति के न्यूट के पास, पांच पंजे होते हैं। इनकी पूंछ चपटी होती है, जो तैरने में इनकी मदद करती है।
इनका शरीर, सिर की लंबाई से 3 से 3.5 गुना लंबा होता है। अन्य न्यूट के मुकाबले, इनके पीठ पर आकर्षक रिज होती है, जो पृष्ठीय कशेरुकाओं (dorsal vertebrae) से बनी होती है। इनकी पीठ के किनारों पर, 15 या 16 छोटी ग्रंथियाँ होती हैं। इनमें से अंतिम तीन ग्रंथियाँ, पैरों के पीछे होती हैं। हिमालयन न्यूट का मुख्य रंग, गहरा भूरा या काला होता है। इसके अंडाकार सिर, पूंछ और अंगों पर चमकीला नारंगी रंग होता है। इस रंग के कारण, इन्हें इनके प्राकृतिक वातावरण में आसानी से पहचाना जा सकता है। इनकी त्वचा खुरदरी और ऊबड़-खाबड़ होती है, इसलिए इन्हें "मगरमच्छ न्यूट (Crocodile Newt)" भी कहा जाता है। पूंछ का रंग, अक्सर शरीर के बाकी हिस्सों की तुलना में हल्का होता है। यह रंग, संभोग के दौरान या शिकारियों का ध्यान भटकाने में मदद कर सकता है!
यौन द्विरूपता: इस प्रजाति के नर और मादा के बीच आकार में अंतर होता है। मादाएं आमतौर पर नर से बड़ी होती हैं। प्रजनन के मौसम में, यह आकार का अंतर फ़ायदेमंद होता है। बड़ी मादाएं अधिक अंडे दे सकती हैं।
निवास स्थान: हिमालयन न्यूट, ऊंचे पहाड़ी जंगलों, झीलों, तालाबों और नदियों के पास रहते हैं। ये प्रजनन और विकास के लिए ठंडे, साफ़ पानी को पसंद करते हैं। इनका प्रजनन टाइलोटोट्रिटन वेरुकोसस (Tylototriton verrucosus) नामक प्रजाति के तहत होता है। इसमें अंडे, पहले लार्वा के रूप में विकसित होते हैं और फिर भूमि पर रहने वाले किशोरों में बदलते हैं।
हिमालयी न्यूट के सामने चुनौतियाँ और खतरे: आज हिमालयी आर्द्रभूमि, तेज़ी के साथ गायब हो रही है। यह आर्द्रभूमि, हिमालयी न्यूट का मुख्य निवास स्थान है। अपने आवास के नुकसान के कारण, न्यूट की संख्या भी तेज़ी के साथ घट रही है। उदाहरण के तौर पर, दार्जिलिंग के टुरुक-मालदीग्राम रिज (Turuk-Maldigram Ridge) पर, बागोरा में, एक एयर बेस के निर्माण से न्यूट के निवास स्थान को नुकसान पहुँचा रहा है। इसके अलावा, गोपाल धारा चाय बागान (Gopal Dhara Tea Estate) के पास नखा पानी झील (Nakha Paani Lake) में कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग भी कई न्यूट की मौत का कारण बन रहा है। इस क्षेत्र में चाय के बागान हैं, और न्यूट, अक्सर इन्हीं क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
प्रदूषण और मानव गतिविधियाँ, उन तालाबों और आर्द्रभूमियों को भी नुकसान पहुँचा रही हैं, जहाँ न्यूट प्रजनन करते हैं। हालाँकि दार्जिलिंग में कुछ आर्द्रभूमियाँ, अभी भी न्यूट के संरक्षण में मदद कर रही हैं। इनमें शेल्पू हिल्स (Shelpu Hills), मिरिक झील (Mirik Lake), रैधाप (Raidhap), पाचेंग टी एस्टेट (Pacheng Tea Estate) और मार्गरेट होप (Margaret's Hope) शामिल हैं। इन क्षेत्रों की सुरक्षा करना बहुत ज़रूरी हो गया है
1985 में, दार्जिलिंग के ज़ोरपोखरी (Jorpokhri) में वन्यजीव अभयारण्य के चारों ओर ,एक संरक्षित देवदार का जंगल बनाया गया था। यहाँ न्यूट, कुछ समय तक पनपे। लेकिन, अधिक संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए मुख्य तालाब को कंक्रीट के पूल में बदल दिया गया। इस दौरान, वहां की वनस्पतियों को हटा दिया गया और पूल में सजावटी मछलियाँ डाली गईं। प्रबंधन की कमी से न्यूट की आबादी को गंभीर नुकसान पहुँचा और वे उस क्षेत्र में दुर्लभ हो गए।
हिमालयी न्यूट्स के संरक्षण के लिए उठाए गए कदम: वर्ष 2000 में पद्मजा नायडू हिमालयी प्राणी उद्यान (Padmaja Naidu Himalayan Zoological Park) द्वारा हिमालयी न्यूट्स के प्रजनन के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए गए। उसी वर्ष, पश्चिम बंगाल के राज्य वन्यजीव सलाहकार बोर्ड ने भी न्यूट्स के प्रजनन में सहायता के लिए जल क्षेत्र बनाने का सुझाव दिया। इस दिशा में, पार्क समिति द्वारा तालाबों का विकास किया गया। वर्ष 2001 में, मानेभंजयांग से सैलामैंडर को इन तालाबों में छोड़ा गया।
हालांकि, प्रारंभिक प्रयासों में तालाब में न्यूट्स का प्रजनन सफ़ल नहीं हो सका। लेकिन स्थिति में सुधार लाने के लिए, पी एन एच ज़ेड पार्क (PNHZ Park) ने वर्ष 2003-2004 में कंकड़ वाले फ़र्श के साथ, 10 मीटर गुणा 4 मीटर का एक ग्लास टेरारियम (Terrarium) बनाया। वर्ष 2006 में, इस टेरारियम को फिर से डिज़ाइन किया गया। इस बार, सफ़लता हाथ लगी और बाड़ों में छह टैडपोल दिखाई दिए। तब से, न्यूट्स के सफल प्रजनन की प्रक्रिया शुरू हुई। वर्ष 2008 में, नई दिल्ली में आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में, विशेषज्ञों द्वारा संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम की शुरुआत की सिफ़ारिश की गई। इस कार्यक्रम के लिए, पी एन एच ज़ेड पार्क (PNHZ Park) को मुख्य चिड़ियाघर के रूप में चुना गया, जिसमें सिक्किम का हिमालयन ज़ूलॉजिकल पार्क (Himalayan Zoological Park) और मणिपुर चिड़ियाघर (Manipur Zoo) भी शामिल हुए। वर्तमान में, पी एन एच ज़ेड पार्क में, 50 हिमालयन न्यूट्स हैं, जिनमें छह नर, सात मादा और अज्ञात लिंग के 37 न्यूट्स शामिल हैं।

संदर्भ

https://tinyurl.com/2ylojb7y
https://tinyurl.com/22adxaxh
https://tinyurl.com/2xnlulot
https://tinyurl.com/2bb7ksrc
https://tinyurl.com/27aw9djq

चित्र संदर्भ

1. आकाश की ओर देखती हिमालयन न्यूट (Himalayan newt) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. एक व्यक्ति के हाथ में हिमालयन न्यूट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. पानी की सतह पर हिमालयन न्यूट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. टाइलोटोट्रिटोन हिमालयनस (Tylototriton himalayanus) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. झाड़ियों के बीच में हिमालयन न्यूट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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