रामपुर की फ़सलों की रक्षा हेतु, एफ़िड जैसे कीटों को खा जाती है, लेडीबग!

तितलियाँ व कीड़े
23-09-2024 09:19 AM
Post Viewership from Post Date to 24- Oct-2024 (31st) Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2070 77 2147
रामपुर की फ़सलों की रक्षा हेतु, एफ़िड जैसे कीटों को खा जाती है, लेडीबग!
रामपुर में यदि आपका घर किसी खेत या खलिहान के नज़दीक है, तो आप भी दिन में एक न एक बार "लेडीबग (Ladybug)" नाम के इन छोटे से सुंदर कीटों के दर्शन अवश्य कर लेते होंगे। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि आकार में आपके नाख़ून से भी छोटे होने के बावजूद "लेडीबग", एक शिकारी कीट होते हैं । ये एक बहादुर सैनिक की भांति किसानों की फ़सल की रक्षा भी करते हैं । कई बार ये कीट खेतों या घरों में मकड़ी द्वारा बनाए गए जालों में फंसे हुए भी दिखाई दे जाते हैं। आज के इस दिलचस्प लेख में हम इसी नन्हें सिपाही की बहादुरी को परखेंगे। इसके अलावा हम मकड़ियों द्वारा जाल बनाए जाने की अनोखी प्रक्रिया को भी समझेंगे। अंत में हम लेडीबग सहित अपने ही कुछ कीट साथियों को खा जाने वाले लोकप्रिय शिकारी कीटों के बारे में जानेंगे। लेडीबग सबसे अधिक फ़सलों और बगीचों में दिखाई देते हैं । इनका मुख्य भोजन एफ़िड (Aphid) नामक छोटे से कीट होते हैं। एफ़िड आपकी फ़सल के लिए बहुत ही ख़तरनाक हो सकते हैं। ये लहराती फ़सल को सफाचट कर सकते हैं। लेकिन हमारी नन्ही सैनिक (लेडीबग) इन्हें कच्चा चबा जाती है। कुछ लेडीबग, सिर्फ़ कुछ खास प्रजातियों के एफ़िड को खाते हैं। दूसरी लेडीबग, कई अलग-अलग फ़सलों पर कई अलग-अलग एफ़िड प्रजातियों का भोजन करते हैं। कुछ लेडीबग माइट (Mite) या स्केल कीट (Scale Insect) खाना पसंद करती हैं। अगर एफ़िड पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलते, तो वयस्क लेडीबग और उनके बच्चे पतंगे और बीटल के अंडे (Eggs of Moths and Beetles), माइट (Mite), थ्रिप्स (Thrips) और दूसरे छोटे कीटों को भी खा सकते हैं। साथ ही वे पौंधों के पराग को भी खाते हैं।
हैरानी की बात है कि लेडीबग एक-दूसरे को भी खा सकते हैं। जब बहुत ज़्यादा एफ़िड नहीं होते हैं, तो लेडीबग एक-दूसरे को खाकर ज़िंदा रह सकते हैं।
दो विशेष लेडीबग (मैक्सिकन बीन बीटल (Mexican Bean Beetle)) और स्क्वॉश बीटल (Squash Beetle) दूसरों से अलग होते हैं। इन दो प्रजातियों के वयस्क बीटल और उनके बच्चे अन्य कीटों को खाने के बजाय पौधे खाते हैं। लेडीबग के अलावा भी कुछ अन्य कीट होते हैं, जो जीवित रहने के लिए, अन्य कीटों का भक्षण करने में बिल्कुल नहीं हिचकते!
इन शिकारी कीटों में शामिल है:
होवरफ़्लाई (Hoverfly): होवरफ़्लाई अक्सर फूलों के ऊपर मंडराते हुए पाए जाते हैं। ये कीट, पीछे की ओर भी उड़ सकते हैं। वयस्क होवरफ़्लाई बेहतरीन परागणकर्ता होते हैं। उनके लार्वा, कीट नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। वयस्क होवरफ़्लाई, एफ़िड की कॉलोनियों के पास अंडे देते हैं। लार्वा अंडे से निकलकर तुरंत एफ़िड को खाना शुरू कर देते हैं। इनके लार्वा अन्य नरम शरीर वाले कीटों को भी खाते हैं।
ग्रीन लेसविंग्स (Green Lacewings): वयस्क लेसविंग्स पतले हरे शरीर और नाज़ुक पंखों वाले आकर्षक कीट होते हैं। उनके लार्वा को "एफ़िड शेर (Aphid Lion)" के रूप में जाना जाता है। प्रत्येक लार्वा, वयस्क बनने से पहले सैकड़ों एफ़िड को चट कर सकता है। होवरफ़्लाई की तरह, लेसविंग्स भी अपने बच्चों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए एफ़िड कॉलोनियों के पास अपने अंडे देते हैं। वे गोभी कीट कैटरपिलर (Cabbage Worm) सहित कई अन्य नरम शरीर वाले कीटों को भी खाते हैं।
परजीवी ततईये (Parasitic Wasps): आमतौर पर ये छोटे ततईये मुश्किल से दिखाई देते हैं। लेकिन एफ़िड, कॉलोनियों के पास आपको ये अक्सर दिखाई दे जायेंगे। आपको सुनने में थोड़ा क्रूर लग सकता है लेकिन वयस्क ततैये अपने अंडे, जीवित एफ़िड के शरीर के अंदर देते हैं। जब लार्वा फूटते हैं, तो वे अंदर से एफ़िड को खाने लगते हैं, और पीछे एक खोखला खोल छोड़ देते हैं।
ग्राउंड बीटल (Ground Beetle): ग्राउंड बीटल की लंबाई एक इंच तक हो सकती है। इनका रंग चमकदार काला होता है। खतरे में पड़ने पर वे जल्दी से छिप जाते हैं। वयस्क ग्राउंड बीट और उनके लार्वा दोनों ही किसानों के लिए फ़ायदेमंद होते हैं। दोनों ही मिट्टी में या उसके आस-पास रहने वाले कटवर्म (Cutworm) और स्लग (Slug) जैसे कई कीटों को खाते हैं।
हालांकि ये सभी कीट, एक दूसरे के दुश्मन की तरह जान पड़ते हैं, लेकिन इन सभी का एक ऐसा समान दुश्मन भी है, जो किसी शिकार को खाने से पहले उसकी प्रजाति का भेद नहीं देखता: मकड़ी अपना जाला बनाने के लिए अपने ही शरीर से रेशम निकालती है। यह एक विशेष पदार्थ होता है, जिसमें अद्वितीय रासायनिक गुण होते हैं। यह गुण जाले को चमकदार, मज़बूत और हल्का बनाते है। आपको जानकर हैरानी होगी कि मकड़ी का रेशम, स्टील से भी अधिक मज़बूत होता है। टूटने से पहले यह बहुत लंबा खिंच सकता है।
यह रेशम, प्रोटीन श्रृंखलाओं (Protein Chains) से बना होता है जो आपस में जुड़ी हुई होते हैं। यही श्रृंखलाएं रेशम को मज़बूती देती हैं। इस रेशम का उत्पादन, मकड़ी अपनी आंतरिक ग्रंथियों में करती है। रेशम तरल रूप से ठोस रूप में बदल जाता है। फिर इसे मकड़ी के पेट पर स्थित स्पिनरेट्स (Spinnerets) द्वारा रेशों में बदल दिया जाता है। मकड़ी अपना जाल कैसे बनाती है?
मकड़ी अपने चौथे पैर का उपयोग करके एक ग्रंथि से रेशम खींचना शुरू करती है। दूसरे चौथे पैर का उपयोग लगभग 20 अन्य रेशम ग्रंथियों से रेशम के कई धागों को खींचने के लिए किया जाता है। इससे एक गुब्बारे जैसी संरचना बनती है। मकड़ी धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करती है। एक गर्म हवा गुब्बारे को ऊपर उठाती है और रेशम की पहली पंक्ति को बहा ले जाती है।
पुष्टि करने के बाद, मकड़ी और रेशम खींचती है और उसे उस सतह पर चिपका देती है जिस पर वह बैठी हुई है। फिर वह फंसे हुए धागे को इकट्ठा करती है, खुद को अंतिम बिंदु की ओर खींचती है और उसके पीछे नया रेशम बिछाती है।
इस प्रकार, मकड़ी अपना जाला बुनना शुरू करती है। यह प्रक्रिया सरल होती है, जिसके तहत पूर्वानुमानित पैटर्न का पालन किया जाता है। मकड़ी, बाहरी किनारे से जाल बनाना शुरू करती है और अंदर की ओर बढ़ती है। वह अपने पैरों का उपयोग करके प्रत्येक खंड को एक-एक करके जोड़ती है, जिससे एक-दूसरे के करीब आते हुए घेरे बनते हैं। अंत में, यह चिपचिपे रेशम का एक सर्पिल केंद्र (Spiral Center) बनाती है। यह सर्पिल केंद्र शिकार को फँसाता है। जाला बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली सारी ऊर्जा, उसके शरीर में संग्रहित प्रोटीन से आती है। मकड़ियों द्वारा अपने शिकार के भक्षण की प्रक्रिया भी बेहद रोमांचकारी है। जाल में फंसने के बाद मकड़ी सबसे पहले शिकार को काटती है और उसे रेशम में लपेटती है। फिर वह खाने से पहले शिकार के मरने का इंतज़ार करती है। खाने के पहले चरण में, मकड़ी शिकार पर पाचन द्रव की उल्टी करती है। इसके बाद, मकड़ी द्वारा शिकार को जबड़े से चबाया जाता है, जिसे चेलिसेरा (Chelicera) कहा जाता है। तरल पदार्थ को मकड़ी अपने मुंह में फिर से चूस लेती है। इसके साथ ही शिकार से कुछ तरलीकृत "मांस" भी चूसा जाता है। इस प्रक्रिया को जितनी बार ज़रूरत हो उतनी बार दोहराया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि शिकार के कठोर हिस्सों के अलावा सब कुछ पच जाए और निगल लिया जाए। अब केवल शिकार के अवशेषों की एक छोटी सी गेंद रह जाती है। ऑर्बवीवर (Orbweaver) के अलावा अन्य प्रकार की मकड़ियाँ अपने शिकार के पूरे शरीर को खा सकती हैं। लेकिन पंख, पैर और अन्य हिस्सों को छोड़ देती हैं। क्रैब स्पाइडर (Crab Spider) और कॉबवेब वीवर (Cobweb Weaver) जैसी बहुत छोटे लेकिन मज़बूत जबड़े वाली मकड़ियाँ, अपने शिकार में छोटे-छोटे छेद कर देती हैं। इसके बाद वे शिकार के शरीर में पाचन द्रव को उगल देती हैं, और फिर उसे चूसते हुए निगल जाती हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2yspy5f9
https://tinyurl.com/y2oydtoy
https://tinyurl.com/2yaq66kf
https://tinyurl.com/2hjffkf9

चित्र संदर्भ
1. एफ़िड को खाती लेडीबग को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. पत्ते पर बैठी लेडीबग को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
3. होवरफ़्लाई को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. परजीवी ततईये को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. जाल बुनती हुई मकड़ी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. सेंट ऐंड्र्यूज़ क्रॉस स्पाइडर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.