जानें, औषधि से फ़र्नीचर तक, कैसे देते हैं वृक्ष, हमारी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान

पेड़, झाड़ियाँ, बेल व लतायें
29-08-2024 09:35 AM
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जानें, औषधि से फ़र्नीचर तक, कैसे देते हैं वृक्ष, हमारी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान
हमारे देश भारत में, वनस्पतियों और जीवों की समृद्ध एवं सघन विविधता देखने को मिलती है। यहां की विशिष्ट जलवायु परिस्थितियाँ, जल निकाय और विविध मिट्टी के कारण, देश के अलग-अलग हिस्सों में पूरे वर्ष, विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे उगते हैं। कुछ पेड़, हमारी भूमि के मूल निवासी हैं, जबकि कुछ अन्य स्थानों पर भी पाए जाते हैं। तापमान और वर्षा का अंतर, विभिन्न प्रकार के पेड़ों को बढ़ने की अनुमति देता है। भारत में पेड़ पौधों को देश की सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक विरासत से भी जुड़ा हुआ माना जाता है। बरगद, भारत का राष्ट्रीय वृक्ष है। पेड़ों को शास्त्रों में पवित्र स्थान दिया गया है और कई पेड़ों की पूजा भी की जाती है। कई पवित्र वृक्षों को देवी देवताओं से जुड़ा हुआ भी माना जाता है, जबकि कई वृक्ष औषधीय महत्व रखते हैं। इसके साथ ही, ये वृक्ष, देश की अर्थव्यवस्था में बहुमूल्य योगदान भी देते हैं। तो आइए, आज के इस लेख में, भारत में उगने वाले कुछ ऐसे औषधीय पेड़ों के बारे में जानते हैं जो आर्थिक रूप से भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इसके बाद, फ़र्नीचर के लिए, भारत में उगाए जाने वाले सर्वोत्तम पेड़ों के बारे में जानेंगे और कुछ सर्वाधिक लाभदायक पेड़ों के बारे में भी चर्चा करेंगे, जिन्हें आप उगा सकते हैं।
भारत में आर्थिक रूप से लाभकारी औषधीय पेड़:
1.) नीम - नीम का वैज्ञानिक नाम, अज़ादिराक्टा इंडिका (Azadirachta इंडिका) है। इस पेड़ की पत्तियों, बीजों और छालों का उपयोग, पारंपरिक चिकित्सा में, बुखार, संक्रमण और त्वचा विकारों सहित कई प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है।
2.) पीपल - पीपल का वैज्ञानिक नाम, फ़िकस रिलिजियोसा (Ficus religiosa) है। इसकी छाल और पत्तियों का उपयोग, पारंपरिक चिकित्सा में, दस्त, पेचिश और अन्य पाचन विकारों के इलाज के लिए किया जाता है।
3.) बरगद - बरगद के पेड़ की पत्तियों, जड़ों और छालों का उपयोग, पारंपरिक चिकित्सा में घाव, दस्त और श्वसन विकारों सहित विभिन्न स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम, फ़िकस बेंघालेंसिस (Ficus benghalensis) है।
4.) जामुन - जामुन के पेड़ के फल, छाल और पत्तियों का उपयोग, मधुमेह, दस्त और अन्य पाचन विकारों के इलाज के लिए पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम, साईज़ीजियम क्यूमिनी (Syzygium cumini) है।
5.) बेल - बेल के पेड़ के फल, पत्तियों और छाल का उपयोग, पारंपरिक चिकित्सा में, दस्त, बुखार और त्वचा विकारों सहित कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम, एगल मार्मेलोस (Aegle marmelos) है।
6.) अर्जुन - अर्जुन पेड़ की छाल का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में उच्च रक्तचाप और हृदय रोग सहित कई हृदय संबंधी स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम, टर्मिनलिया अर्जुन (Terminalia arjuna) है।
फ़र्नीचर के लिए भारत में उगाए जाने वाले सर्वोत्तम पेड़:
1. भारतीय महोगनी: यह पेड़, अपने खूबसूरत रंग और मज़बूती के लिए जाना जाता है। इस पेड़ की शाखाओं और तने का उपयोग, आमतौर पर संगीत वाद्ययंत्र और फ़र्नीचर बनाने के लिए किया जाता है। जो लोग मज़बूत और टिकाऊ फ़र्नीचर के शौकीन हैं, वे इस वृक्ष की लकड़ी को प्राथमिकता देते हैं। यह पेड़, न केवल अपने स्थायित्व के लिए, बल्कि अपने अन्य लाभों के लिए भी लोकप्रिय है।
2. नीलगिरी: यह लंबा सदाबहार पेड़, 300 फ़ुट तक बढ़ता है। यह मुख्य रूप से अपने अर्क के लिए जाना जाता है जिसका उपयोग कई चिकित्सा उत्पादों में किया जाता है। इससे मांसपेशियों में दर्द से राहत मिलती है और रक्त संचार बेहतर होता है। इस पेड़ की छाल का उपयोग प्लाईवुड, दरवाज़े और खिड़कियां बनाने में किया जाता है। यह आमतौर पर भारत के नीलगिरि क्षेत्र में पाया जाता है।
3. साल: यह वृक्ष भारतीय उपमहाद्वीप का मूल निवासी है और अपनी उत्तम गुणवत्ता वाली लकड़ी के लिए जाना जाता है। इसका उपयोग, फ़र्नीचर और लकड़ी के उपकरण बनाने में किया जाता है।
4. सागौन: यह एक सदाबहार पेड़ है जिसकी छाल, पीले सुनहरे रंग की या लाल-भूरे रंग की होती है, जिसका उपयोग फ़र्नीचर, नाव के डेक और इनडोर फ़र्श बनाने में किया जाता है। इसकी छाल का उपयोग, गले की खराश और बुखार को दूर करने के लिए भी किया जाता है। यह पेट की समस्याओं और सिरदर्द में भी उपयोगी है।
5. शीशम: यह सफ़ेद-गुलाबी फूलों वाला एक पर्णपाती पेड़ है। यह एक छायादार पेड़ है जिसकी लकड़ी का उपयोग दरवाज़े , फ़र्नीचर , संगीत वाद्ययंत्र, नक्काशी, खिड़कियां, जहाज़ के फ़र्श आदि बनाने के लिए किया जाता है। इस पेड़ की छाल बहुत टिकाऊ होती है इसलिए इसका उपयोग मार्शल आर्ट्स हथियार बनाने के लिए भी किया जाता है।
6. ओक: यह आमतौर पर हिमालय क्षेत्र के साथ-साथ देवदार के जंगलों में पाया जाता है। इसकी छाल का उपयोग, फ़र्नीचर और लकड़ी के उपकरण बनाने में किया जाता है। ओक के वृक्ष की आयु, 1000 साल तक लंबी होती है जिसके कारण इनकी लकड़ी मजबूत और टिकाऊ होती है। इन पेड़ों से बने फ़र्नीचर, विलासितापूर्ण सामानों की सूची में आते हैं जो अत्यंत महंगे होते हैं। भारत में उगने वाले 5 लाभदायक पेड़:
भारत की जलवायु में कुछ ऐसे वृक्षों की खेती भी की जा सकती है जिनसे आप लाभ अर्जित कर सकते हैं।
कुछ ऐसे वृक्ष निम्न प्रकार हैं:
चिनार की खेती -
चिनार की खेती करना, तेज़ी से विकास और बहुमुखी प्रतिभा का पर्याय है | इसके कारण, यह भारत में व्यावसायिक वृक्षारोपण के लिए एक पसंदीदा विकल्प बन गया है। लकड़ी और लकड़ी-आधारित उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ, चिनार, अपेक्षाकृत कम अवधि, लगभग 2.5 से 4 वर्ष के भीतर, उच्च गुणवत्ता वाली लकड़ी प्रदान करने की अपनी क्षमता के लिए जाना जाता है। चिनार के बागान कृषि वानिकी प्रणालियों के लिए आदर्श तो होते ही हैं, साथ ही, ये मृदा संरक्षण, कटाव नियंत्रण और कार्बन पृथक्करण जैसे अतिरिक्त लाभ प्रदान करते हैं। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में चिनार की खेती के सफल उद्यम देखे गए हैं, जो ग्रामीण आजीविका और पर्यावरणीय स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। मौजूदा बाज़ार दर पर, इस खेती से प्रति वर्ष, लगभग 1.4 से 2 लाख रुपये प्रति एकड़ तलाव अर्जित किया जा सकता है।
नीलगिरी की खेती -नीलगिरी के पेड़, अपनी तीव्र वृद्धि (केवल 4-5 वर्ष के भीतर), सूखा सहनशीलता और विविध अनुप्रयोगों के लिए किसानों के पसंदीदा हैं। नीलगिरी के पेड़ों की लकड़ी का लुगदी और कागज़ उद्योग, निर्माण और ईंधन की लकड़ी में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त, नीलगिरी के आवश्यक तेल का उपयोग फार्मास्युटिकल और अरोमाथेरेपी में किया जाता है, जिसके कारण यह पेड़, व्यावसायिक रूप से अधिक आकर्षक बन जाता है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्य, नीलगिरी की सफल खेती के लिए जाने जाते हैं, जो आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण दोनों में योगदान करते हैं।
मेलिया दुबिया की खेती -मेलिया दुबिया, जिसे मालाबार नीम या भारतीय महोगनी के नाम से भी जाना जाता है, भारत में खेती के लिए, अत्यधिक लाभदायक वृक्ष प्रजाति है। इसकी टिकाऊ लकड़ी बेशकीमती मानी जाती है। मेलिया दुबिया के बागान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों में विशेष रूप से लोकप्रिय हैं, जहां उनकी खेती, लकड़ी, प्लाईवुड और कृषि वानिकी उद्देश्यों के लिए की जाती है। मेलिया दुबिया की लकड़ी की, अपनी उत्कृष्ट मज़बूती. कीटों और रोगों के प्रतिरोध के कारण, फर्नीचर निर्माण, भवन निर्माण और पैकेजिंग उद्योगों में उच्च मांग है। सबसे अधिक जलवायु के अनुकूल पेड़ों में से एक, इसकी खेती व्यावहारिक रूप से पूरे भारत में की जा सकती है। इस पेड़ की खेती सबसे पहले राजस्थान में की गई थी, जो यह दर्शाता है कि यह पेड़ कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी आसानी से पनप सकता है।
चंदन की खेती -चंदन का पेड़, भारत का ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे महंगे पौधों में से एक है। इसीलिए यह भारत में उगने वाले सबसे अधिक लाभदायक पेड़ों में से एक है। इस पेड़ की लकड़ी, अपनी सुगंध के लिए जानी जाती है, जिसका उपयोग कई अनुप्रयोगों में किया जाता है। चंदन के पेड़ों की खेती, ज़्यादातर मैसूर और महाराष्ट्र में की जाती है।
नारियल की खेती -नारियल के एक मजबूत पेड़ से, 1 वर्ष में, 75 फल भी मिल सकते हैं। पेड़ पर पहला फल, 6 से 10 वर्षों के बाद आता है, और अधिकतम फल उत्पादन, 15 वर्षों के बाद होता है। भारत के अधिकांश दक्षिणी राज्य जैसे कि तमिलनाडु, ओडिशा, केरल, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश, नारियल की खेती के लिए जाने जाते हैं। प्रति एकड़, 150 नारियल के पेड़ लगाने से किसानों को 104900 रुपये का शुद्ध लाभ मिल सकता है।
मोरिंगा की खेती -सहजन का पेड़, जिसे आमतौर पर मोरिंगा के नाम से जाना जाता है, विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के प्रति, त्वरित अनुकूलनशीलता के कारण, दुनिया भर में आसानी से उगाया जा सकता है। इस वृक्ष पर, प्रति एकड़ फलियों की पैदावार, 12 से 20 टन तक होती है और इसकी खेती, फली और पत्तियों दोनों के लिए की जाती है। प्रति किलोग्राम मोरिंगा की पत्तियों की कीमत 20 रुपये से 25 रुपये तक होती है, और एक एकड़ में 145,400 रुपये का शुद्ध लाभ मिल सकता है।
अगरवुड की खेती -अगर के पेड़ों को परिपक्वता तक पहुंचने के लिए 10-12 साल लगते हैं। पेड़ को बढ़ने और विकसित होने के लिए, हर साल बहुत अधिक पानी और वर्षा की भी आवश्यकता होती है। लेकिन, एक एकड़ में 700 पेड़ लगाने पर एक किसान को 10 साल बाद, 9 करोड़ रुपये तक का लाभ मिल सकता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/mu39nfru
https://tinyurl.com/mr42jvrf
https://tinyurl.com/9zjwu4ku
https://tinyurl.com/bddcfuuk

चित्र संदर्भ
1. फ़र्नीचर का काम करते एक कारीगर को संदर्भित करता एक चित्रण (Rawpixel)
2. नीम के पत्तों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक हथोड़ी के साथ लकड़ी पे काम करते कारीगर को संदर्भित करता एक चित्रण (Rawpixel)
4. चिनार के पेड़ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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