रामायण एवं महाभारत काल के जंगलों का, कलयुग में भी अस्तित्व कायम है!

जंगल
24-08-2024 09:20 AM
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रामायण एवं महाभारत काल के जंगलों का, कलयुग में भी अस्तित्व कायम है!
रामपुर के निकट, उत्तराखंड के हल्द्वानी क्षेत्र में, एक 'ग्रीन रामायण पार्क' विकसित किया गया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस पार्क में, वाल्मीकि द्वारा रामायण में वर्णित पौधों की प्रजातियाँ भी हैं। ये प्रजातियाँ भगवान श्री राम से जुड़ी हैं और भारत में पाए जाने वाले छः प्रमुख वन प्रकारों का प्रतिनिधित्व करती हैं। कई शोधकर्ताओं के अनुसार, रामायण को वनस्पति शास्त्रियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण पुस्तक माना जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के वनों और उनमें उगने वाले पौधों का विस्तृत वर्णन है। इस शास्त्र में कुल छः वनों का वर्णन मिलता है। आज, हम रामायण में वर्णित छः वनों पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा, महाभारत में संदर्भित वनों का भी पता लगाया जाएगा। अंत में, उत्तराखंड में विकसित ग्रीन रामायण पार्क की भी चर्चा की जाएगी ।
रामायण में छः मुख्य वनों का उल्लेख मिलता है।
इनमें से वर्णित पहले चार वनों में प्रभु श्री राम अपने वनवास के दौरान निवास करते हैं। ये सभी वन इस प्रकार हैं:
 ➜ चित्रकूट: चित्रकूट, फलों के पेड़ों से भरा एक सुंदर वन है। प्रभु श्री राम ने अपने वनवास का पहला भाग यहीं बिताया था। इस वन में कटहल और आम के पेड़ बहुतायत में पाए जाते हैं और यह एक पर्णपाती वन है।
 ➜ दंडकारण्य : इसके बाद, राम दंडक़ारण्य में प्रवेश करते हैं। यह भी एक पर्णपाती वन है, जिसमें साल, बद्री और बिल्व जैसे कई ऊँचे पेड़ हैं। माना जाता है कि इस वन का नाम वहाँ पाई जाने वाली घास के प्रकार से उत्पन्न हुआ है, जिसे दंड-तृण घास कहा जाता है। यह भी माना जाता है कि यह वही वन है जहाँ राक्षस दंडक निवास करता था।
 ➜ पंचवटी: रामायण में वर्णन मिलता है कि पंचवटी से ही, रावण ने, माता सीता का अपहरण किया था। यह वन, आधुनिक महाराष्ट्र में स्थित है। पंचवटी नाम में "पंच" का अर्थ है पाँच, और "वट" का अर्थ बरगद होता है। यह शुष्क पर्णपाती वन, आज भी मध्य महाराष्ट्र के बड़े हिस्से में मौजूद है। इसे ताड़, ख़जूर, आम और अन्य पेड़ों से युक्त बताया गया है।
 ➜ किष्किंधा: अंत में, प्रभु श्री राम, माता सीता की खोज में किष्किंधा चले जाते हैं। यह राज्य, दक्षिण में स्थित है और इसे घने जंगलों वाला क्षेत्र बताया गया है। यहाँ, श्री राम, हनुमान, सुग्रीव और बाली से मिलते हैं। यह क्षेत्र, वर्तमान कर्नाटक, विशेष रूप से ऋष्यमूक और मतंगा पहाड़ियों से मेल खाता है, जिनके नाम आज भी कायम है ।
 ➜ लंका: जब हनुमान जी, माता सीता की खोज में लंका गए थे, तो रामायण में लंका के जंगलों को सदाबहार बताया जाता है। जिस वृक्ष के नीचे सीता बैठती थीं, उसे अब, सीता अशोक (अ + शोक़ जिसका अर्थ है "कोई दुख नहीं") कहा जाता है, जो उस पेड़ का प्रतीक है जिसने माता सीता के दुख को दूर किया। अशोक वाटिका, लंका में एक बड़ा बगीचा था, जो अशोक के पेड़ों से भरा हुआ था।
 ➜ द्रोणागिरी:  रामायण में द्रोणागिरी का परिचय बाद में दिया गया है। यह हिमालय क्षेत्र का वह जंगल है, जहाँ युद्ध में, लक्ष्मण के घायल होने पर, हनुमान जी ने संजीवनी बूटी की खोज करी थी । इसे उत्तर में, अल्पाइन वन के रूप में जाना जाता है।
क्या आप जानते हैं कि रामपुर के निकट, उत्तराखंड के वन विभाग ने, ग्रीन रामायण पार्क विकसित किया है? इस पार्क में, वाल्मीकि द्वारा रामायण में वर्णित और भगवान राम से जुड़ी वनस्पतियों की प्रजातियाँ उगाई गई हैं।
ग्रीन रामायण पार्क को विकसित करने में छः महीने से ज़्यादा का समय लगा। यह कुमाऊँ के हल्द्वानी क्षेत्र में स्थित है। यह अपनी तरह का पहला पार्क है, जो रामायण के कम ज्ञात पहलुओं की खोज करने वाली विषयगत परियोजना पर केंद्रित है। यह रामायण में वर्णित वनस्पतियों और भारत में चार मुख्य वन प्रकारों में भगवान राम की यात्रा से इसके संबंध पर ज़ोर देता है। दो अन्य प्रकार के वन देवी सीता और हनुमान जी से जुड़े हैं।
विशेषज्ञों ने पाया कि रामायण में वर्णित 139 प्रजातियों में से लगभग 90 प्रजातियां, अभी भी धार्मिक पांडुलिपि में मूल रूप से वर्णित क्षेत्रों में मौजूद हैं।
दिलचस्प बात यह है कि वाल्मीकि रामायण में वर्णित वनों की भौगोलिक स्थिति और प्रजातियों की संरचना में बहुत हद तक कोई बदलाव नहीं हुआ है। यह बात, दंडकारण्य में साल और सागौन के पेड़ों से सत्य साबित होती है, जो मध्य भारत में स्थित है। यह बात वर्तमान कर्नाटक में स्थित किष्किंधा क्षेत्र में चंदन और रक्त चंदन पर भी लागू होती है। इसके अलावा, श्रीलंका के सदाबहार जंगलों में अशोक और नाग केसर जैसे वृक्षों का पाया जाना, इस मान्यता को सत्य साबित करता है कि अशोक वाटिका यहीं स्थित थी।
चलिए रामायण के बाद, अब महाभारत में वर्णित वनों के बारे में जानते हैं:
🟢 काम्यक वन:  काम्यक वन का उल्लेख, भारतीय महाकाव्य महाभारत में किया गया है। यह वन अब विलुप्त हो चुका है। काम्यक वन की भौगोलिक स्थिति, त्रिबिंदु झील के पास, थार रेगिस्तान के शीर्ष पर थी। एक समय में काम्यक, सरस्वती नदी के तट पर स्थित एक विस्तृत जंगल हुआ करता था। यह पांडवों के दूसरे वनवास के दौरान उनके विश्राम स्थल के रूप में कार्य करता था। काम्यक वन, कुरु साम्राज्य की पश्चिमी सीमा और कुरुक्षेत्र के मैदान के पश्चिम में स्थित था। इस जंगल के भीतर काम्यक झील नामक एक झील पाई जाती थी।
🟢द्वैत वन : द्वैत वन, काम्यक वन के दक्षिण में स्थित एक प्राचीन वन है। इस जंगल में, एक सुंदर झील थी, जिसे द्वैत झील के नाम से जाना जाता है। यह झील, चमकीले फूलों से घिरी हुई थी। महाभारत में उल्लेख मिलता है कि द्वैत वन का दृश्य बहुत ही मनोरम था और इसमें पक्षियों और अन्य जीवों की विविध प्रजातियाँ पाई जाती थीं। यह कुरु जंगल के दक्षिण-पश्चिमी बाहरी इलाके में स्थित था और पूरे कुरु साम्राज्य में फैला हुआ था।
🟢 नैमिषा वन:  नैमिषा वन, भारत के प्राचीन वनों में से एक है। यह अब, भारत के उत्तरी भाग में एक तीर्थ स्थल बन चुका है। वर्तमान में, यह लखनऊ के निकट स्थित है। नैमिषा वन का उल्लेख, भारतीय महाकाव्य महाभारत और एक अन्य पवित्र ग्रंथ, शिव पुराण में भी मिलता है, जो भगवान शिव को समर्पित धार्मिक ग्रंथ है।
खांडव वन की कथा का महाभारत में वर्णन मिलता है कि देवराज इंद्र, खांडव वन के रक्षक देवता थे। यही कारण है कि इस क्षेत्र को इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था। एक बार, अचानक से, इस जंगल में आग लग गई। इसके बाद, देवराज इंद्र ने अपने वज्र से अर्जुन पर हमला किया, जिससे वह घायल हो गए। हालाँकि, अर्जुन और भगवान् श्री कृष्ण ने उस भीषण युद्ध में सभी देवों, गंधर्वों और असुरों को हरा दिया। इसके बाद, उन्होंने सफलतापूर्वक पूरे जंगल को जला दिया। केवल सात को छोड़कर सभी जीवित प्राणी अग्नि द्वारा भस्म हो गए। आग से बचाए गए सात प्राणियों में अश्वसेन ( तक्षक के पुत्र), माया दानव और पाँच सारंगक़ (पक्षी) शामिल थे। बचाए गए पाँच पक्षी, ऋषि मंडपला की पत्नी जरीता, और उनके चार बच्चे, जरीतारी, सरिस्रिका, स्तम्भमित्र और द्रोण थे।

संदर्भ
https://tinyurl.com/ycphgmyj
https://tinyurl.com/yvfwhpk5
https://tinyurl.com/2cg4yshm
https://tinyurl.com/2nkggwqh

चित्र संदर्भ
1. जंगल में प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. पंचवटी वृक्ष को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. तमिलनाडु के कोयंबटूर में स्थित रामायण पार्क के प्रवेश द्वार को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. जंगल में पांडवों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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