नैना देवी मंदिर व नैनी झील का घर, नैनीताल है, हिल स्टेशनों का राजा

पर्वत, चोटी व पठार
08-08-2024 09:19 AM
Post Viewership from Post Date to 08- Sep-2024 (31st) day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2485 80 2565
नैना देवी मंदिर व नैनी झील का घर, नैनीताल है, हिल स्टेशनों  का राजा

हमारे शहर रामपुर से लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित, नैनीताल, उत्तराखंड का एक आकर्षक हिल स्टेशन है। यह अपने सौंदर्य के कारण, सदियों से पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है। यह शहर राजसी हिमालय पर्वतों से घिरा हुआ है, तथा एक खूबसूरत झील के आसपास स्थित है। इस सुरम्य शहर ने अपनी मनमोहक प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए, “हिल स्टेशनों का राजा” का खिताब अर्जित किया है। आज हम नैनीताल की एक हिल स्टेशन के रूप में स्थापना, इसकी शुरुआती बसावट और यह एक पर्यटक स्थल कैसे बना, इसके बारे में चर्चा करेंगे। फिर, हम नैना देवी मंदिर से जुड़ी पौराणिक कहानी के बारे में बात करेंगे। आगे, हम उन पांच अनुभवों के बारे में जानेंगे, जिनका आपको नैनीताल में अवश्य आनंद लेना चाहिए।
1815 में, अंग्रेजों ने कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया था। ब्रिटिश कब्ज़े के बाद, ई. गार्डिनर(E. Gardiner) को मई 1815 में, कुमाऊं मंडल के आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था। 1817 में, कुमाऊं के दूसरे आयुक्त श्री जी. डब्ल्यू. ट्रेल(G.W. Traill) ने कुमाऊं का दूसरा राजस्व बंदोबस्त किया। ट्रेल, नैनीताल की यात्रा करने वाले पहले यूरोपीय थे, लेकिन, उन्होंने इस जगह की धार्मिक पवित्रता के सम्मान में, अपनी यात्रा को लोकप्रिय नहीं बनाया।
वर्ष 1839 में, रोसा के एक अंग्रेज़ व्यापारी, पी. बैरन(P. Barron) एवं एक चीनी व्यापारी, शिकार करते समय पहाड़ियों में भटक गए और वे खो गए। जब वे वापस लौट रहे थे, तो अचानक एक अद्भुत स्थान पर पहुंच गए। तब, वहां की एक शांत झील के दर्शन से बैरन इतने मोहित हो गए कि, उन्होंने उस चीनी का व्यापार छोड़ दिया, और झील के किनारे एक यूरोपीय कॉलोनी का निर्माण किया। अतः 1841 में, नैनीताल अंग्रेज़ी पत्रिका, ‘इंग्लिशमैन कलकत्ता’ के अंक में, अलमोड़ा के आसपास, इस झील की खोज की घोषणा की गई थी।
1847 तक, नैनीताल एक लोकप्रिय पहाड़ी रिसॉर्ट बन गया था। फिर, 3 अक्तूबर 1850 को औपचारिक रूप से नैनीताल नगरपालिका मंडल का गठन किया गया। तब यह उत्तर पश्चिमी प्रांतों का दूसरा नगर बोर्ड था। 1862 में, नैनीताल उत्तर पश्चिमी प्रांत की ग्रीष्मकालीन राजधानी बन गया। ग्रीष्मकालीन राजधानी बनने के बाद, चारों ओर शानदार बंगलों के विकास , सचिवालय और अन्य प्रशासनिक इकाइयों के साथ-साथ विपणन क्षेत्रों, विश्राम गृहों, मनोरंजन केंद्रों, क्लब आदि सुविधाओं के निर्माण के साथ इस शहर का उल्लेखनीय विस्तार हुआ। साथ ही, यह कुछ अंग्रेज़ों के लिए शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र भी बन गया था।
नैनीताल का प्रसिद्ध नैना देवी मंदिर, शहर का महत्त्वपूर्ण पर्यटन व धार्मिक स्थल है। यह मंदिर उस स्थान पर स्थित है, जहां, मृत देवी सती की आंखें ज़मीन पर गिरी थीं। दरअसल, भगवान विष्णु ने देवी सती को 51 टुकड़ों में विभाजित किया था, और भगवान शिव ने उनके शव को उठाकर, पृथ्वी भ्रमण किया था। यह कहानी दक्ष प्रजापति नामक एक शक्तिशाली राजा से शुरू होती है, जिनके घर सती नामक एक प्यारी राजकुमारी का जन्म हुआ था। समय बीतने के साथ, दक्ष ने सती के लिए एक संभावित पति की तलाश शुरू कर दी।
हालांकि, देवी सती को भगवान शिव से प्यार हो गया था, जिसे दक्ष ने स्वीकार नहीं किया। बावजूद इसके, सती ने भगवान शिव से विवाह किया। विवाह के दौरान, देवी सती और भगवान शिव को उनके पिता दक्ष द्वारा आयोजित एक यज्ञ अनुष्ठान के बारे में पता चला। इस यज्ञ में भाग लेने हेतु, पवित्र अग्नि में कुछ अर्पित करना आवश्यक था।
राजा दक्ष ने, इस यज्ञ में देवी सती और भगवान शिव का स्वागत नहीं किया। अतः सती को बहुत निराशा हुई। हालांकि, देवी सती ने यज्ञ अनुष्ठान में भाग लिया, लेकिन, क्रोधित दक्ष ने जोड़े को अपमानित किया। इस कारण, देवी सती क्रोधित हो गईं, और यज्ञ अग्नि में कूदकर उन्होंने अपनी आहुति दे दी ।
भगवान शिव ने अपनी पत्नी की मृत्यु का सामना करने में असमर्थ होकर, अपना विनाशकारी नृत्य तांडव करना शुरू कर दिया। विभिन्न देवताओं के आग्रह के बावजूद भी, उनका तांडव शुरु था। इस स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, भगवान विष्णु ने देवी सती के जले हुए शरीर को, 51 टुकड़ों में विभाजित करने के लिए अपने ‘ब्रह्मास्त्र’ – ‘सुदर्शन चक्र’ का उपयोग करने का फैसला किया।
शव का विभाजन होने के बाद, भगवान शिव, देवी सती के शव को लेकर घूमने लगे। तब, उनके शरीर के विभिन्न भाग, विभिन्न स्थानों पर गिरते । इस प्रकार बने, शक्तिपीठ, वे स्थान हैं, जहां उनके शरीर के टुकड़े गिरे थे। और, नैना देवी मंदिर माता सती की आंखों का प्रतीक है। परिणामस्वरूप, भक्त मुख्य मंदिर में आंखों के आकार में देवी की पूजा करते हैं।
नैनीताल में नैना देवी के मंदिर के अलावा, कुछ अन्य अनुभवों का भी आनंद हमें लेना चाहिए। ऐसे कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
1.) नैनी झील पर शांत नाव की सवारी: नैनी झील के झिलमिलाते पानी पर एक आरामदायक नाव की सवारी के साथ अपने नैनीताल प्रवास की शुरुआत करें। हरी-भरी पहाड़ियों से घिरी यह पन्ना झील रोज़मर्रा की ज़िंदगी की हलचल से एक शांत मुक्ति प्रदान करती है। एक नाव या पैडलबोट किराए पर लें, और आसपास के परिदृश्य के लुभावने दृश्यों का आनंद लेते हुए, शांत पानी में सैर करें। सुबह– सुबह या देर दोपहर का समय ऐसी शांतिपूर्ण सवारी के लिए आदर्श होता है।
2.) मॉल रोड का अन्वेषण: एक शांत नाव सवारी के बाद, नैनीताल के हलचल भरे मॉल रोड पर टहलें, जो विचित्र दुकानों, आरामदायक कैफ़े और जीवंत बाज़ारों से युक्त एक आकर्षक सैरगाह है। जब आप ढेर सारे स्थानीय हस्तशिल्प, स्मृति चिन्ह और ऊनी वस्त्रों को देखते हैं, तो आप जीवंत वातावरण में डूब जाते हैं। आप अपनी जिव्हा व पेट को यहां के स्वादिष्ट व लज़ीज़ व्यंजनों से आनंदित भी कर सकते हैं!
3.) बर्फ़ दृश्य स्थान का मनोरम दृश्य: राजसी हिमालय के मनोरम दृश्यों के लिए, बर्फ़ दृश्य स्थान या स्नो व्यू पॉइंट की ओर जाएं, जो नैनीताल के सबसे सुंदर सुविधाजनक स्थानों में से एक है। छोटी केबल कार की सवारी, या सुरम्य ट्रेक द्वारा पहुंच योग्य यह स्थल, नंदा देवी, त्रिशूल और नंदा कोट की बर्फ़ से ढकी चोटियों के मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता है। बादलों के रहस्यमय आवरण में घिरे आसपास के पहाड़ों की विस्मयकारी सुंदरता आपको आश्चर्यचकित कर देंगी ।
4.) टिफ़िन टॉप के लिए ट्रैकिंग: साहसिक कार्य के शौकीनों को अयारपट्टा पहाड़ी के ऊपर स्थित टिफ़िन टॉप, जिसे डोरोथी सीट के नाम से भी जाना जाता है, के लिए एक रोमांचक ट्रेक पर जाना चाहिए। इस ट्रेक्किंग का रास्ता घने जंगलों, हरे-भरे घास के मैदानों और विचित्र गांवों से होकर गुज़रता है, जो प्राकृतिक सुंदरता और शांति का एक सुखद मिश्रण पेश करता है। जैसे ही आप शिखर पर चढ़ेंगे, तो हिमालय की चोटियों के लुभावने दृश्यों और नीचे नैनीताल शहर के मनोरम विस्तार से मंत्रमुग्ध होने के लिए तैयार रहें।
5.) इको केव गार्डन की यात्रा: इको केव गार्डन की यात्रा के साथ अपने नैनीताल प्रवास का समापन करें, जो एक अद्वितीय प्राकृतिक आकर्षण है। यह सभी उम्र के आगंतुकों के लिए मज़ेदार अन्वेषण का वादा करता है। हरे-भरे जंगलों के बीच स्थित, गुफ़ाओं और सुरंगों का यह नेटवर्क, क्षेत्र के भूवैज्ञानिक आश्चर्यों की एक आकर्षक झलक पेश करता है। बगीचों में एक संगीतमय फ़व्वारा और बच्चों के खेलने का क्षेत्र भी है, जो इसे परिवारों और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान बनाता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/3ptkpj5j
https://tinyurl.com/3pvvc4p3
https://tinyurl.com/5ejpjtw8

चित्र संदर्भ
1. नैनीताल घाटी के दृश्य को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. 1885 में नैनीताल के दृश्य को दर्शाता चित्रण (PICRYL)
3. नैनीताल में क्रिकेट के खेल को संदर्भित करता एक चित्रण (PICRYL)
4. नैनीताल में नैना देवी मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. नैनीताल में बोटिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. नैनीताल की मॉल रोड को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. नैनीताल के स्नो व्यू पॉइंट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. टिफ़िन टॉप को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
9. इको केव गार्डन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.