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आपने अक्सर ध्यान दिया होगा कि सालों पहले जब मोबाइल फोन शुरू-शुरू में बाज़ार में आए थे, तब उनके चार्जिंग स्लॉट (charging ports) बड़े ही अजीबोंगरीब और अतरंगे हुआ करते थे। हर किसी फ़ोन को चार्ज करने हेतु अलग-अलग (कभी चौड़े, कभी गोल) चार्जर की आवश्यकता पड़ती थी। लेकिन फिर धीरे-धीरे बदलाव आया और अधिकांश कंपनियों ने चार्जिंग हेतु अपने फ़ोन में माइक्रो यूएसबी स्लॉट (micro USB slots) देना शुरू कर दिया, इस संदर्भ में धीरे-धीरे और अधिक बदलाव आया और आज अधिकांश कंपनियां मोबाइल के साथ-साथ लैपटॉप (laptops) में भी टाइप सी स्लॉट (Type-C slots) देने लगी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस छोटे से बदलाव से पूरी दुनियां के मोबाइल उपभोक्ताओं को कितनी सहूलियत मिलती है। अब आपको आपनी बुआ के घर जाने से पहले चार्जर ले जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। आप किसी न किसी तरह से अपनी बैटरी चार्ज कर ही लेंगे। अपने ग्राहकों को ठीक इसी तरह की सहूलियत देने का प्रयास कागज बनाने वाली कंपनियों ने भी किया। आज आप अधिकांश कार्यालयों और स्कूलों में A3, A4, आकार के कागज़ की जिस शीट को देखते हैं, उन शीटों का एक आकार में होना कोई संयोग नहीं है, बल्कि कागज़ उपभोक्ताओं की सहूलियत को ध्यान में रखकर अपनाई गई एक सोची समझी व्यवस्था है।
18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, जर्मन वैज्ञानिक जॉर्ज क्रिस्टोफ़ लिचटेनबर्ग (Georg Christoph Lichtenberg) ने 2 के वर्गमूल (लगभग 1.414) के पहलू अनुपात के पेपर साइज़ (paper size) को आधार बनाने का प्रस्ताव दिया, जो एक वर्ग की भुजा और उसके विकर्ण के बीच का अनुपात है। लिचटेनबर्ग का मानना था कि इससे पेपर की साइज़ को आसानी से स्केल किया जा सकेगा।
एक सदी से भी ज़्यादा समय बाद, 1920 के दशक में, जर्मन वैज्ञानिक डॉ. वाल्टर पोर्स्टमैन (Dr. Walter Porstmann) ने लिचटेनबर्ग के विचार को मीट्रिक सिस्टम (metric system) से जोड़कर और मूल A0 प्रारूप को एक वर्ग मीटर के क्षेत्रफल के रूप में परिभाषित करके इसका विस्तारित किया। पोर्स्टमैन के काम को जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर स्टैंडर्डाइजेशन (DIN) द्वारा अनुमोदित किया गया और इसे DIN 476 मानक के रूप में जाना जाने लगा।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया भर में, DIN 476 मानक का उपयोग व्यापक रूप से किया जाने लगा। 1975 में, एक अंतर्राष्ट्रीय मानक की खोज ने DIN 476 को ISO 216 के रूप में अपनाने का मार्ग प्रशस्त किया, जिसका उपयोग अब संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, मेक्सिको, पेरू, कोलंबिया और डोमिनिकन गणराज्य को छोड़कर लगभग सभी देशों में किया जाता है। ISO 216 मानक, जिसे A श्रृंखला के रूप में भी जाना जाता है, सबसे लोकप्रिय अंतर्राष्ट्रीय पेपर आकार मानक (international paper size standard) है।
इस प्रणाली के मुख्य लाभ हैं:
ए सीरीज़ पेपर साइज़ (A Series paper size) की प्रमुख विशेषताएं और तथ्य निम्नवत दिए गए हैं।
A4 का आकार A3 का आधा होता है।
A3 का आकार A2 का आधा होता है।
A2 का आकार A1 का आधा होता है।
A1 का आकार A0 का आधा होता है। (सीमा में सबसे बड़ा)
A0 का माप ठीक 1m² (84.1cm x 118.9cm) होता है। पेपर के वजन को ग्राम प्रति वर्ग मीटर (जीएसएम) में मापा जाता है।
ए सीरीज़ पेपर साइज़ के फायदे:
ए सीरीज़ पेपर साइज में 1: 1.41 का एक सुसंगत चौड़ाई-से-ऊंचाई अनुपात होता है, जिसका फायदा प्रिंटर और डिजाइनरों को मिलता है।
इस सुसंगत पहलू अनुपात को पहली बार 1786 में वापस सुझाया गया था, और 1920 के दशक के बाद से ए सीरीज़ पेपर साइज (A Series paper size) को विश्व स्तर पर व्यापक रूप से अपनाया गया है।
1975 तक, ए सीरीज़ पेपर साइज़ को एक आईएसओ मानक और आधिकारिक संयुक्त राष्ट्र दस्तावेज़ प्रारूप के रूप में स्थापित किया गया था। 1977 तक 148 में से 88 देशों में A4 को मानक पत्र प्रारूप माना जाने लगा था।
भारत वर्तमान में पूरी दुनिया में कागज निर्माण करने वाले देशों में 15वें स्थान पर है। हमारी कुल कागज उत्पादन क्षमता लगभग 12.7 मिलियन टन है। हालांकि, भारत में प्रति व्यक्ति कागज की खपत अपेक्षाकृत कम (लगभग 11 किलोग्राम) है, जबकि वैश्विक औसत 56 किलोग्राम और एशियाई औसत 40 किलोग्राम है। वैश्विक कागज उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी लगभग 2.6% है।
भारत का कागज उद्योग खंडित है। यहाँ 750 से अधिक कागज मिलें हैं, जिनमें से केवल 50 मिलों की क्षमता 50,000 टीपीए या उससे अधिक है। भारत में कागज उत्पादन की कुल स्थापित क्षमता का अधिकांश (कुल मिलाकर 72%) हिस्सा- पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, गुजरात, उड़ीसा, कर्नाटक और महाराष्ट्र के पास है। शेष 26% कागज़ उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, हरियाणा, केरल, बिहार और असम में उत्पादित किया जाता है।
वर्तमान में कागज की मांग 13.1 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया गया है, जिसमें घरेलू उत्पादन 11.4 मिलियन टन, निर्यात 0.5 मिलियन टन और आयात 2.2 मिलियन टन है। 2024-25 तक यह मांग बढ़कर 23.5 मिलियन टन होने का अनुमान है, जिससे भारत दुनिया में कागज के लिए सबसे तेजी से बढ़ने वाला बाजार बन जाएगा, जिसकी विकास दर लगभग 6% प्रति वर्ष होगी।
भारतीय कागज उद्योग को मोटे तौर पर दो मुख्य खंडों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
बढ़ती घरेलू मांग के कारण भारतीय पेपर उद्योग अधिक आशाजनक प्रतीत हो रहा है। इस वृद्धि में योगदान करने वाले कारकों में बढ़ती आबादी, साक्षरता दर में वृद्धि, जीडीपी वृद्धि, विनिर्माण क्षेत्र में प्रगति और जीवन शैली में सुधार शामिल हैं। यह उद्योग अधिक पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों और प्रौद्योगिकियों की ओर भी स्थानांतरित हो रहा है।
चलिए अब एक नज़र भारत में शीर्ष पेपर निर्माता कंपनियों पर डालते हैं।
- मुख्यालय: सिकंदराबाद, आंध्र प्रदेश
- शाखा स्थान: नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बैंगलोर, अहमदाबाद
- कर्मचारियों की संख्या: 3,804
- मुख्यालय: मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश
- शाखा स्थान: नई दिल्ली, मुंबई
- कर्मचारियों की संख्या: 450 (स्थायी रूप से कार्यरत)
- मुख्यालय: कोयंबटूर, तमिलनाडु
- शाखा स्थान: चेन्नई, तमिलनाडु
- कर्मचारियों की संख्या: 230 (स्थायी)
- मुख्यालय: बांगुर नगर, दांडेली, कर्नाटक
- शाखा स्थान: मुंबई, नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, अहमदाबाद
- कर्मचारियों की संख्या: 2,500
- मुख्यालय: नई दिल्ली
- शाखा स्थान: मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बैंगलोर, हैदराबाद, अहमदाबाद
- कर्मचारियों की संख्या: 2,000
इन सभी कंपनियों ने बदलते समय के साथ कई नई तकनीकें अपनाई हैं, नए उत्पाद लॉन्च किए हैं और बढ़ते भारतीय पेपर उद्योग में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए भविष्य में विस्तार और विविधीकरण की योजनाएँ भी बनाई हैं।
हमारे रामपुर में भी चड्ढा पेपर जैसी कुछ पेपर मिलें हैं। चड्ढा पेपर मिल (Chadha Paper Mill) चड्ढा एस्टेट, नैनीताल रोड, तहसील बिलासपुर में स्थित हैं, और शिवा पेपर मिल्स लिमिटेड (Shiva Paper Mills Limited), जैन नगर, बरेली रोड, रामपुर में स्थित है। यह कंपनी सभी प्रकार के कागज, बोर्ड, क्राफ्ट पेपर, सेमी-क्राफ्ट और अन्य कागज उत्पादों के निर्माण, उत्पादन, विपणन, निर्यात और कारोबार करती है। कंपनी अपनी उत्पाद लाइनों को पुनः स्थापित करने, आंतरिक दक्षता में सुधार करने, विस्तार में निवेश करने, उत्पादन क्षमता बढाने तथा वैश्विक बाजार में और अधिक पैठ बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2zypjaf6
चित्र संदर्भ
1. A4 साइज के पेपर पकड़े व्यक्ति को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. A0 से A8 तक के कागज़ी आकार को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. ISO A श्रृंखला को दर्शाने वाले आकार चार्ट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. ISO B श्रृंखला को दर्शाने वाला आकार चार्ट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. पेपर मिल में उतर रहे लकड़ी के बुरादे को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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