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आज हम तराई क्षेत्र और हमारे राज्य उत्तर प्रदेश के लिए इसके महत्व को समझेंगे। इस क्षेत्र की समतल भूमि गाद, मिट्टी, रेत, कंकड़ और बजरी से मिलकर बनी गंगा के जलोढ़ से बनी है, जिससे उपजाऊ बाढ़ के मैदान बनते हैं। इसके उत्तरी किनारे पर, कई झरने जलधाराएं बनाते हैं, जिनमें घाघरा नदी भी शामिल है। अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण, यहां उल्लेखनीय संरक्षित क्षेत्र हैं। इनमें जिम कॉर्बेट(jim Corbett) व दुधवा राष्ट्रीय उद्यान शामिल हैं। इस क्षेत्र में कुछ जातीय समूह (जनजाति) भी हैं, जो कई सदियों से यहां रहते हैं। तराई क्षेत्र के आरक्षित वन, उत्तर प्रदेश की कृषि में सहायता करते हैं। अपनी समतल भूमि, नदियों और उपजाऊ मिट्टी के कारण तराई क्षेत्र में कृषि अत्यधिक उत्पादक है। आइए, जानते हैं।
तराई क्षेत्र, उत्तरी भारत और दक्षिणी नेपाल व हिमालय की निचली श्रेणियों के समानांतर चलता है। पहले यह क्षेत्र दलदली भूमि हुआ करती थी, और आज यह पश्चिम में यमुना नदी से पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी तक फैली हुई है। एक तरफ़, इसके उत्तरी किनारे पर कई झरने हैं, धाराओं का निर्माण करते हैं। इनमें महत्वपूर्ण घाघरा नदी भी शामिल है, जो तराई से होकर बहती है और इसके दलदली भूभाग के लिए जिम्मेदार है। दरअसल, तराई शब्द का अर्थ – “नम भूमि” ही है। तराई के ठीक बाद, भाबर क्षेत्र पाया जाता है, जो साल वनों को सहारा देने वाली मोटी बजरी और चट्टानी निक्षेपों का क्षेत्र है। भाबर क्षेत्र में जल निकासी और खेती ने दलदली भूमि को कम कर दिया है। इसके अलावा, तराई का पूर्वी भाग पश्चिम बंगाल राज्य और बांग्लादेश में दुआर(Duar) के नाम से जाना जाता है।
तराई भूमि पूर्व से पश्चिम तक लगभग 800 किलोमीटर और उत्तर से दक्षिण तक लगभग 30-40 किलोमीटर तक फैली हुई है। तराई क्षेत्र, भाबर तराई और भीतरी तराई क्षेत्रों सहित, इस भूभाग की औसत ऊंचाई 750 मीटर से कम है।
तराई की समतल भूमि का निर्माण गाद, मिट्टी, रेत, कंकड़ और बजरी के तलों से बनी गंगा के जलोढ़ से हुआ है। नदी के बाढ़ क्षेत्र में उपजाऊ मिट्टी होती है, जबकि, पहाड़ियों में कटाव के कारण मिट्टी बहुत उपजाऊ नहीं होती है।
दूसरी ओर, तराई आर्क लैंडस्केप(Terai Arc Landscape) भारत और नेपाल में दोनों देशों की अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास स्थित, क्षेत्र है। यह क्षेत्र 49,500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है, और हिमालय के आधार के निकट स्थित है। इस क्षेत्र में, 15 संरक्षित क्षेत्र हैं।
मुख्य रूप से तराई घास के मैदानों से बना यह क्षेत्र, दलदली भी है। इस कारण, यह प्रवासी जलपक्षियों को आकर्षित करता हैं, और दलदली हिरण, हॉग हिरण और गैंडे जैसी प्रजातियों के निवास के लिए अनुकूल परिस्थितियां प्रदान करता हैं। इस क्षेत्र के संरक्षित क्षेत्र - पीलीभीत, दुधवा और वाल्मिकी टाइगर रिजर्व – मानव उपयोग वाले क्षेत्रों और गन्ने के खेतों के भीतर स्थित हैं। ये संरक्षित क्षेत्र, बाघों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि, ये नेपाल से भी जुड़े हुए हैं।
भारत में जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, राजाजी राष्ट्रीय उद्यान, पीलीभीत टाइगर रिजर्व, किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य, दुधवा राष्ट्रीय उद्यान, कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य, सुहेलवा अभयारण्य और वाल्मिकी राष्ट्रीय उद्यान आदि संरक्षित क्षेत्र हैं।
जबकि, नेपाल में शुक्लाफांटा राष्ट्रीय उद्यान, बर्दिया राष्ट्रीय उद्यान, बांके राष्ट्रीय उद्यान, काला हिरण संरक्षण क्षेत्र, चितवन राष्ट्रीय उद्यान और परसा राष्ट्रीय उद्यान आदि संरक्षित क्षेत्र हैं।
और क्या आप जानते हैं कि, थारू और धीमल लोग तराई जंगलों के मूल निवासी हैं। कई थारू उपसमूह नेपाल और भारतीय तराई के अधिकांश हिस्सों में निवास करते हैं। वे अर्ध-खानाबदोश हुआ करते थे, स्थानान्तरित खेती करते थे और जंगली फल, सब्जियां और औषधीय जड़ी-बूटियां एकत्र करते थे। वे कई शताब्दियों से तराई में रह रहे हैं। माना जाता है कि, उनमें मलेरिया रोग के प्रति जन्मजात प्रतिरोधक क्षमता होती है। धीमल पूर्वी नेपाल तराई, अर्थात, सुनसारी, मोरंग और झापा जिलों में रहते हैं। अतीत में, वे जंगल के किनारे रहते थे और बीमारियों के प्रकोप से बचने के लिए अर्ध-खानाबदोश जीवन व्यतीत करते थे। हालांकि आज, वे निर्वाह किसान हैं।
एक तरफ़, भोक्सा लोग भारतीय कुमाऊं मंडल के पश्चिमी तराई के मूल निवासी हैं। जबकि, मैथिल लोग बिहार में भारतीय तराई और नेपाल में पूर्वी तराई में निवास करते हैं। भोजपुरी लोग मध्य और पूर्वी तराई में और अवधी लोग मध्य और पश्चिमी तराई में रहते हैं। इसके अलावा, बंटावा लोग नेपाल के पूर्वी तराई के दो जिलों में प्रमुख रूप से निवास करते हैं।
भारत में तराई का विस्तार हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल राज्यों तक है। निम्नलिखित अधिकतर इन राज्यों के जिले हैं, जो भारत-नेपाल सीमा पर हैं:
हरियाणा: पंचकुला जिला।
उत्तराखंड: हरिद्वार, उधम सिंह नगर, चंपावत और नैनीताल जिले।
उत्तर प्रदेश: पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराईच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर और महाराजगंज जिले।
बिहार: पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज जिले।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग जिले का सिलीगुड़ी उपखंड और जलपाईगुड़ी जिले का जलपाईगुड़ी सदर उपखंड।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2kty2sb6
https://tinyurl.com/5xm3bfxc
https://tinyurl.com/2s3djwn8
https://tinyurl.com/yeyp27fj
https://tinyurl.com/bdenwt2d
https://tinyurl.com/3cjfexmz
चित्र संदर्भ
1. तराई आर्क लैंडस्केप एवं खेतों में काम करते मजदूरों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. शुक्लाफांटा राष्ट्रीय उद्यान में रानीताल झील को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. तराई आर्क लैंड में उभरती हुई बाबई नदी को दर्शाता चित्रण (
wikimedia)
4. बालियों से चावल निकालते थारू लोगों को संदर्भित करता एक चित्रण (
PICRYL)
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