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आइए, आज समझें कि, कैसे संग्रहालय दैनिक जीवन का दस्तावेजीकरण करके, दूसरों को शिक्षित करके, वैकल्पिक ऐतिहासिक दृष्टिकोण प्रदर्शित करके और विविध पृष्ठभूमियों को जोड़कर, स्थानीय संस्कृति को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे उपनिधि, दान और खरीद के माध्यम से संग्रह प्राप्त करते हैं, और यह सुनिश्चित करते हैं कि, सांस्कृतिक कलाकृतियां संरक्षित और साझा की जाती हैं।
हमारे शहर रामपुर में प्रसिद्ध रामपुर रज़ा पुस्तकालय है, और इस पुस्तकालय में एक संग्रहालय है। वहां फ़ारसी पांडुलिपियां, सुलेख कार्य और लघु चित्र संग्रहीत हैं। इसकी स्थापना 18वीं सदी में नवाब फैज़ुल्लाह खान ने की थी। अब इसका प्रबंधन भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा किया जाता है। इसके अतिरिक्त, हमारे निकटवर्ती शहर बरेली में, पांचाल संग्रहालय है, जो महाभारत युग, गुप्त और मौर्य काल के प्राचीन अवशेषों को प्रदर्शित करता है।
संग्रहालय स्थानीय संस्कृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सावधानीपूर्वक दस्तावेज़ीकरण और कलाकृतियों के संरक्षण के साथ, संग्रहालयों में किसी संस्कृति को उसके भविष्य की परवाह किए बिना रिकॉर्ड (record )और याद किया जा सकता है। इसे विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाले लोग भी साझा कर सकते हैं व समझ सकते हैं।
नीचे कुछ कारण बताए गए हैं कि, सांस्कृतिक संरक्षण के लिए संग्रहालय इतने आवश्यक क्यों हैं?
१.दैनिक जीवन का दस्तावेजीकरण करना:
किसी संस्कृति की दैनिक जिंदगी को रिकॉर्ड करना, उसे संरक्षित करने के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक है। चाहे वह किसी भी प्रकार का संग्रहालय हो, संभावना है कि, उसमें कुछ सांस्कृतिक कलाकृतियां, कला, संगीत या प्रौद्योगिकी प्रदर्शित हो।
२.स्थानीय संस्कृति के बारे में शिक्षित करना:
किसी संस्कृति का सम्मान करने और उसके वैश्वीकरण से बचे रहने के लिए, प्रमुख संस्कृति के लोगों को अल्पसंख्यक संस्कृतियों और उनके जीवन के तरीके के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए। ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका एक संग्रहालय में स्थानीय संस्कृति का सम्मानजनक प्रदर्शन है।
३.इतिहास पर वैकल्पिक परिप्रेक्ष्य प्रदर्शित करना:
मुख्यधारा के कई इतिहास पाठ्यक्रम और किताबें पक्षपातपूर्ण हैं, जो प्रमुख संस्कृति के परिप्रेक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करते हैं, और हजारों अल्पसंख्यक संस्कृतियों को अनदेखा करते हैं। जबकि, संग्रहालय इतिहास, समयरेखा और दृष्टिकोण प्रदर्शित करते हैं, जो आपने पहले कभी नहीं सुने होंगे। इस प्रकार, वे संभावित रूप से उन लोगों की मानसिकता को बदल देते हैं, जिन्हें मुख्यधारा की संस्कृति से बाहर कभी शिक्षित नहीं किया गया है।
४.अलग-अलग पृष्ठभूमि वाले लोगों को जोड़ना:
दो प्रकार के लोग अन्य संस्कृतियों के बारे में जानकारी की तलाश में संग्रहालयों का दौरा करते हैं। पहले, उस विरासत वाले लोग होते है, और दूसरे उस विरासत के बारे में जानने में रुचि रखने वाले लोग होते हैं, जो एक अलग पृष्ठभूमि से आते हैं। विरासत और संस्कृति पर केंद्रित संग्रहालय ऐसे लोगों को एक साथ लाते हैं, तथा विभिन्न अल्पसंख्यकों और समूहों के लिए समर्थन का एक नेटवर्क बनाते हैं। यह ऐसे समर्थन नेटवर्क हैं, जो संस्कृतियों को लुप्त होने और भाषाओं को ख़त्म होने से रोकते हैं।
संग्रहालय अपने संग्रह वाली वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए, जिन मानदंडों का उपयोग करते हैं, वे एक-दूसरे के बीच बहुत भिन्न नहीं होते हैं। संग्रह अधिकतर समान श्रेणियों के माध्यम से ही बनते हैं। इनमें उपनिधि, मिला हुआ दान और खरीदारी शामिल हैं। उपनिधि के मामले में, कोई कलाकार, परिवार या अभिभावक, एक निश्चित संस्थान को अपने संग्रह और कार्यों को संरक्षित और प्रदर्शित करने के लिए देता है।
दोनों पक्षों के बीच कोई आर्थिक समझौता नहीं होता है, और एक अनुबंध के माध्यम से सुरक्षा अवधि निर्धारित की जाती है। एक बार समाप्त होने पर, वस्तुओं को वापस करना होता है। जबकि, दान के लिए, संग्रहाध्यक्ष और विशेषज्ञ वस्तु का मूल्यांकन करते है, और इसकी गुणवत्ता और ऐतिहासिक महत्व के अलावा, संग्रहालय मिशन के लिए इसकी प्रासंगिकता को ध्यान में रखते हुए, संबंधित वस्तु का चयन करते हैं।
हमारा शहर रामपुर भी ऐसे ही एक महत्वपूर्ण संग्रहालय का घर है। रामपुर के पहले नवाब फैज़ुल्लाह खान (1748 – 1793) ने रामपुर रज़ा लाइब्रेरी का केंद्र बनाया, जिसके, शानदार संग्रह में दुर्लभ और अमूल्य पांडुलिपियां, किताबें और कला के कार्य शामिल हैं। उनके वंशज भी कला, संस्कृति और साहित्य के महान संरक्षक थे। रज़ा लाइब्रेरी को विशेष रूप से, अपनी अरबी और फ़ारसी पांडुलिपियों, सुलेख कार्यों और लघु चित्रों के लिए जाना जाता है। यह पुस्तकालय किसी संग्रहालय से कम नहीं है। शायद इसीलिए, अब यह पुस्तकालय भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के नियंत्रण में है।
दूसरी ओर, अगर आप इतिहास और अपने शहर की धरोहर में जरा सी भी रूचि रखते हैं, और अगर आप बरेली में हैं, तो आपको बरेली के पांचाल संग्रहालय में जरूर जाना चाहिए। यह संग्रहालय बरेली शहर की धरोहर को बखूबी से संजोये हुए है। पांचाल संग्रहालय महात्मा ज्योतिबा फूले विश्वविद्यालय, बरेली के कैंपस में स्थित है। संस्थान के इतिहास विभाग के प्रोफेसर (Professor) और छात्रों ने इसे बड़ी मेहनत से संजोया है, और संग्रहालय में रखे गए प्राचीन अवशेषों को खोजने में उन्होंने बड़ी मेहनत की है। इस म्यूजियम में आपको महाभारत काल के अवशेषों से लेकर, गुप्त काल और मौर्य काल के अवशेष भी देखने को मिलते हैं। जबकि, अति प्राचीन काल की मुद्राएं, इस संग्रहालय की शोभा बढ़ा रही है। साथ ही, संपूर्ण रोहिलखंड क्षेत्र के प्राचीन इतिहास और इस शहर की धरोहर को पांचाल म्यूजियम में देखा जा सकता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/568czup4
https://tinyurl.com/me38dapd
https://tinyurl.com/2v44k8vs
https://tinyurl.com/ycy8vchs
चित्र संदर्भ
1. रामपुर के रज़ा पुस्तकालय को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
2. संग्रहालय में रखी गई दुर्लभ प्रतिमा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. प्रारंभिक मध्यकालीन गैलरी के एक दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
4. बाहर से रज़ा लाइब्रेरी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. पांचाल संग्रहालय को दर्शाता एक चित्रण को दर्शाता एक चित्रण (yotuube)
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