रोहिलखंड के इस मकबरे को चित्रित करने हेतु प्रयुक्त स्टील उत्कीर्णन की विशेषताएं क्या हैं?

वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली
03-04-2024 09:28 AM
Post Viewership from Post Date to 04- May-2024 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1833 117 1950
रोहिलखंड के इस मकबरे को चित्रित करने हेतु प्रयुक्त स्टील उत्कीर्णन की विशेषताएं क्या हैं?

स्टील एक बहुपयोगी धातु है, जिसका प्रयोग हमारे घरों के निर्माण से लेकर बर्तनों और कई प्रकार के उपकरणों के निर्माण में किया जाता है। लेकिन बहुत कम लोग इस तथ्य को जानते होंगे कि स्टील का प्रयोग एक प्रिंटिंग मशीन (Printing Machine ) के तौर पर भी किया गया है, और इस प्रक्रिया को स्टील उत्कीर्णन (Steel Engraving) के नाम से जाना जाता है।
इस्पात या स्टील उत्कीर्णन एक ही चित्र को बार-बार मुद्रित करने की एक शानदार विधि है। हालांकि आधुनिक कलात्मक प्रिंटमेकिंग (Modern Artistic Printmaking) में इसका उपयोग कम होता है, लेकिन 19वीं शताब्दी के दौरान इसका उपयोग बड़े पैमाने पर किसी भी चित्र के पुनरुत्पादन के लिए किया जाता था। स्टील उत्कीर्णन की शुरुआत 1792 में हुई थी। इसकी खोज विशेष रूप से बैंकनोट मुद्रण (Banknote Printing) के लिए एक अमेरिकी आविष्कारक जैकब पर्किन्स (Jacob Perkins) द्वारा की गई थी। 1820 में, चार्ल्स वॉरेन (Charles Warren) और चार्ल्स हीथ (Charles Heath) ने इसे थॉमस कैंपबेल (Thomas Campbell ) के काम, "प्लेज़र ऑफ़ होप (Pleasure Of Hope)" के लिए अनुकूलित किया, जिसमें स्टील पर उकेरी गई पहली प्रकाशित प्लेटें थीं। हालाँकि, स्टील उत्कीर्णन के आगमन ने उस युग के दौरान प्रचलित अन्य व्यावसायिक तकनीकों, जैसे लकड़ी की उत्कीर्णन, तांबा उत्कीर्णन और बाद में, लिथोग्राफी, को पूरी तरह से प्रभावित नहीं किया। इसने पहले से प्रचलित प्रिंटिंग के इन तरीकों को केवल आंशिक रूप से प्रतिस्थापित किया। स्टील उत्कीर्णन के प्रचलित होने से पहले, उत्कीर्णन के लिए तांबा (Copper) पसंद की धातु हुआ करती थी। तांबे की प्लेटें नरम और तराशने में आसान होती थी। साथ ही छवि की तीक्ष्णता बनाए रखने के लिए जब उन्हें दोबारा उकेरा जाता था तो वह इससे पहले कुछ सौ प्रिंट तैयार कर सकती थीं। इन सभी विशेषताओं ने तांबे को विशेष रूप से मानचित्र निर्माताओं के लिए एक लोकप्रिय माध्यम बना दिया। मानचित्र निर्माताओं को अक्सर नई भूमि की खोज होने पर या मौजूदा भूमि हस्तांतरित होने पर अपने प्रिंट को अपडेट करना पड़ता था। हालाँकि, 1820 के दशक के बाद, उत्कीर्णन के लिए स्टील को अपनाया जाने लगा। इसका प्रमुख कारण यह था कि स्टील, तांबे की तुलना में सस्ता था। साथ ही उत्कीर्ण प्लेटों पर बहुत तीखी और स्पष्ट रेखाएं उत्पन्न होती थीं। 1820 के दशक में, चित्रण के लिए वाणिज्यिक प्रकाशकों के लिए पसंदीदा सामग्री के रूप में स्टील ने तांबे की जगह लेना शुरू कर दिया, हालांकि इस क्षेत्र को अभी भी लकड़ी की नक्काशी और बाद में लिथोग्राफी से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही थी। स्टील की प्लेटें अधिक टिकाऊ भी होती थीं, जिसके परिणामस्वरूप पुन: उत्कीर्णन की आवश्यकता से पहले हजारों प्रिंट छापे जा सकते थे। स्टील की इस कठोर प्रकृति ने तांबे की तुलना में अधिक बारीक विवरण बनाने की अनुमति दी। इसके अलावा अपनी चमकदार उपस्थिति के कारण स्टील की नक्काशी, तुरंत नजर में आ जाती थी। 1820-1840 के दशक में अपने स्वर्ण युग के दौरान, स्टील उत्कीर्णन की मदद से कुछ सबसे शानदार चित्रों को बनाया गया। स्टील ने उत्कीर्णकों को शिल्प को उसकी पूर्ण सीमा तक धकेलने की अनुमति दी। इस प्रक्रिया से निर्मित कुछ चित्र इतने सजीव, इतने वास्तविक थे कि उन्हें देखकर पाठक के लिए,वास्तव में वहां स्वयं की कल्पना करना आसान हो गया था। अपने अद्वितीय गुणों के कारण स्टील उत्कीर्णन की शैली कलाकारों और इतिहासकारों को समान रूप से आकर्षित करते रहते हैं। हमारे बीच में स्टील उत्कीर्णन की कला, आज भी मौजूद है। हालांकि आजकल, अधिकांश मुद्रण कार्य कंप्यूटर-जनित स्टेंसिल (Computer-Generated Stencils) का उपयोग करके पूरा किया जाता है, लेकिन कई देशों के करेंसी नोट (Currency Notes) अभी भी स्टील डाइज़ (Steel Dyes) का उपयोग करके मुद्रित किए जाते हैं, जिससे प्रत्येक नोट को एक अनूठी बनावट और एहसास मिलता है। इस प्रकार जालसाजों के लिए नकली नोट बनाना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है। स्टील प्लेट पर उत्कीर्णन की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप स्याही थोड़ी ऊपर उठ जाती है और कागज़ में हल्का सा गड्ढा हो जाता है, जिससे एक स्पर्शनीय अनुभव (Tactile Feel) उत्पन्न होता है जो स्टैंसिल स्याही हस्तांतरण विधि (Stencil Ink Transfer Method) का उपयोग करके मुद्रित कागज़ की तुलना में बेहतर होता है। 19वीं सदी की शुरुआत के बाद से, नए उपकरणों के आगमन ने उत्कीर्णन प्रक्रिया को सरल बना दिया है और इसकी सटीकता को बढ़ा दिया है। ऐसा ही एक उपकरण रूलिंग मशीन भी है, जो सीधी या लहरदार और बारीकी से समान दूरी वाली समानांतर रेखाएं बनाने में सक्षम है। इन पंक्तियों का उपयोग आमतौर पर नक़्क़ाशी के साथ संयोजन में किया जाता है। इस संदर्भ में अन्य महत्वपूर्ण उपकरण ज्यामितीय खराद(Geometric lathe) है, जिसका उपयोग प्लेटों पर छवियों को उकेरने के लिए किया जाता है। फिर रोल पर नक्काशी करने के लिए इन प्लेटों का उपयोग किया जाता है, यह प्रक्रिया भी आमतौर पर बैंक के नोटों की छपाई में अपनाई जाती है। उत्कीर्णन मशीन(engraving machine) ऐसी ही एक अन्य उपकरण है। यह मशीन डुप्लिकेट छवि (Duplicate Image ) की हल्की नक्काशी बनाने के लिए एक मास्टर टेम्पलेट (Master Template) का उपयोग करके संचालित होती है।
नीचे दिए गए चित्र में नजीबाबाद के रोहिलखंड क्षेत्र में नवाब नजीब-अद-दावला के मकबरे को दर्शाया गया है, जिसे भारत में स्टील उत्कीर्णन का एक प्रमुख उदाहरण माना जाता है। इस कलाकृति का रेखाचित्र विलियम डेनियल आरए (William Daniels Ra) द्वारा बनाया गया था और बाद में जे. एच. कर्नोट (J. H. Cournot) द्वारा उकेरा गया था। इसे होबार्ट काउंटर (Hobart Counter) की कृति 'द ओरिएंटल एनुअल, ऑर सीन्स इन इंडिया 1835 (The Oriental Annual, Or Scenes In India 1835)' में शामिल किया गया था।
विलियम डेनियल केवल 15 वर्ष के थे जब वे 1786 में कलकत्ता आए थे। उनके साथ उनके चाचा थॉमस (Thomas), (जो एक कलाकार और उत्कीर्णक भी थे) आए हुए थे। उन्होंने 1779 में उनके पिता (थॉमस के भाई) के निधन के बाद उन्हें गोद ले लिया था। डेनियल्स 1793 तक भारत में ही रहे और इस दौरान उन्होंने बड़े पैमाने पर यात्रा की तथा अपने रेखाचित्रों और चित्रों के माध्यम से विविध भारतीय परिदृश्यों को चित्रित किया। ऊपर दिए उत्कीर्णन का मूल रेखाचित्र 1788 और 1793 के बीच बनाया गया था।

संदर्भ
https://tinyurl.com/3bpwmd8c
https://tinyurl.com/4xbsd8zm
https://tinyurl.com/4xbsd8zm
https://tinyurl.com/yam4uurd

चित्र संदर्भ
1. नजीबाबाद के रोहिलखंड क्षेत्र में नवाब नजीब-अद-दावला के मकबरे को भारत में स्टील उत्कीर्णन का एक प्रमुख उदाहरण माना जाता है। को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. जेम्स एस. वर्चु कंपनी द्वारा प्रकाशित एक स्टील उत्कीर्णन को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)
3. 19वीं सदी में ईसा मसीह के स्टील उत्कीर्णन चित्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. एक पक्षी पर अपनी बंदूक ताने हुए आदमी को दर्शाता एक स्टील उत्कीर्णन चित्रण (wikimedia)
5. टीपू सुल्तान के वालिद "हैदर अली" का, 1790 में बनाया गया एक स्टील उत्कीर्ण चित्र (getarchive)
6. वेस्टर्न बैंक नोट के स्टील उत्कीर्ण विज्ञापन को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)
7. रोहिलखंड क्षेत्र में नवाब नजीब-अद-दावला के मकबरे को भारत में स्टील उत्कीर्णन का एक प्रमुख उदाहरण माना जाता है। को संदर्भित करता एक चित्रण (britton-images)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.