अनुपचारित मल हमारे, जल और आने वाले कल को कैसे कर रहा है बीमार!

नगरीकरण- शहर व शक्ति
15-03-2024 09:36 AM
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अनुपचारित मल हमारे, जल और आने वाले कल को कैसे कर रहा है बीमार!

आधुनिक मानवता के साथ एक बड़ी समस्या यह है कि हमने अपनी स्वच्छता के दायरे को केवल अपने निजी घरों तक ही सीमित करके रखा है। उदाहरण के तौर पर हमारे घर का अपशिष्ट यदि किसी भी तरह से हमारे घर के बाहर चला जाता है, तो हम खुद को एक सफाई पसंद व्यक्ति मान लेते हैं। हम यह जानने की कोशिश भी नहीं करते कि हमारे घर से निकलने के बाद इस अपशिष्ट का आखिर होता क्या है, और यदि हमारा अपशिष्ट हमारे घर से बाहर निकल भी गया है तो क्या हम वाकई में सुरक्षित हैं? क्या आप जानते हैं कि भारत में आज भी 93% अनुपचारित सीवेज को तालाबों, झीलों और नदियों जैसे प्राकृतिक जल निकायों में बहा दिया जाता है। यह अनुपचारित सीवेज प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत बनता है, जिससे डायरिया (diarrhea) जैसी व्यापक बीमारियां फैलती हैं। इन बीमारियों के कारण हर साल लगभग 350,000 भारतीय बच्चों की मृत्यु हो जाती है, साथ ही इससे कृषि और पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान होता है। इस गंदगी से शहरों में रह रहे गरीब विशेष रूप से प्रभावित होते हैं, जो अक्सर गंदे जलमार्गों के पास रहते हैं। ये क्षेत्र मच्छरों और बीमारियों के लिए प्रजनन स्थल बन जाते हैं।
भारत के सबसे बड़े शहरों में केंद्रीकृत सीवेज सिस्टम (centralized sewage systems) हैं, जिसमें भूमिगत पाइप, पंपिंग स्टेशन (pumping stations) और उपचार संयंत्रों का नेटवर्क शामिल है। हालाँकि, इन प्रणालियों का निर्माण और रखरखाव महंगा साबित होता है, इसके लिए निरंतर बिजली, कुशल कर्मचारियों और नियमित रखरखाव की आवश्यकता होती है। भारत के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार इनमें से आधे से भी कम सिस्टम प्रभावी ढंग से काम करते हैं। वित्तीय बाधाओं का सामना कर रहे छोटे शहर इस तरह के बुनियादी ढांचे का खर्च उठाने में असमर्थ हैं। ऐसे कुछ प्रमुख कारण हैं, जिनकी वजह से आज भी कई भारतीय शहरों में उचित सीवेज सिस्टम का अभाव है।
इन कारणों में शामिल है:

- तीव्र शहरीकरण: भारतीय शहर बहुत ही तेजी के साथ विकसित हो रहे हैं, अतः अधिक लोगों और इमारतों के कारण पुराने बुनियादी ढांचे पर दबाव पड़ रहा है। इससे सभी के लिए सीवेज सिस्टम जैसी पर्याप्त बुनियादी सेवाएं प्रदान करना कठिन हो जाता है।
- सीमित फंडिंग और संसाधन: सीवेज प्रणाली का निर्माण और रखरखाव महंगा साबित होता है। भारतीय शहरों में अक्सर तंग बजट और कई अन्य ज़रूरतें होती हैं, जिसका मतलब है कि सीवेज परियोजनाओं के लिए हमेशा पर्याप्त पैसा नहीं होता है।
- अपर्याप्त योजना और शासन: कभी-कभी, शहरों के विकास की योजना बनाने और भूमि उपयोग के बारे में निर्णय लेने की प्रक्रिया सुव्यवस्थित नहीं होती है। इससे सीवेज सिस्टम सहित सेवाओं में बाधा पड़ सकती है।
अनौपचारिक बस्तियाँ और मलिन बस्तियां: भारतीय शहरों में बहुत से लोग बिना आधिकारिक भूमि अधिकार या उचित योजना के क्षेत्रों में रहते हैं। कानूनी और पर्यावरणीय मुद्दों के कारण इन स्थानों पर सीवेज सिस्टम बनाना कठिन है।
- पर्यावरणीय चिंताएं और प्रदूषण: उचित सीवेज सिस्टम के बिना, गंदा पानी नदियों और झीलों में जा सकता है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं और प्रकृति को नुकसान पहुँच सकता है।
- तकनीकी और रखरखाव चुनौतियां: सीवेज सिस्टम को चलाने के लिए विशेष कौशल और नियमित काम की आवश्यकता होती है। कुछ भारतीय शहरों में इस काम के लिए पर्याप्त प्रशिक्षित लोग नहीं हैं। स्थिति में सुधार के लिए सरकार, शहर योजनाकारों, सामुदायिक समूहों और निवासियों के बीच टीम वर्क (teamwork) की आवश्यकता है। अच्छे बुनियादी ढांचे, बेहतर शहर प्रबंधन और लोगों को शिक्षित करने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि हर किसी को स्वच्छ पानी और स्वच्छता तक पहुंच मिले।
ठोस अपशिष्ट के अनुचित प्रबंधन से कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इनमें शामिल है:
वायु गुणवत्ता का ख़राब होना: कचरे को जलाने या संसाधित करने से कार्बन मोनोऑक्साइड (carbon monoxide) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (nitrogen oxide) जैसे हानिकारक कण हवा में फैल सकते हैं। इनसे सांस लेने में समस्या और अस्थमा जैसी बीमारियां हो सकती हैं और ये ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) में भी योगदान देते हैं।
पानी की गुणवत्ता: कचरे को लैंडफिल (Landfill) में निपटाने या नदियों और झीलों में डंप करने से पानी खतरनाक रसायनों और भारी धातुओं से प्रदूषित हो जाता है। यह प्रदूषण कैंसर और जन्म दोष जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इसके अलावा, यह पारिस्थितिकी तंत्र और प्राकृतिक चक्र को बाधित करता है।
बीमारियों का प्रसार: अनुचित अपशिष्ट प्रबंधन बीमारियों के प्रसार को बढ़ावा दे सकता है। उदाहरण के लिए, अपर्याप्त अपशिष्ट संग्रहण से पर्यावरण प्रदूषण हो सकता है, पानी की नालियां अवरुद्ध हो सकती हैं और पानी जमा हो सकता है - जिससे हैजा और मलेरिया जैसी बीमारियाँ फ़ैल सकती हैं। सौभाग्य से, कंसोर्टियम फॉर डिसेंट्रलाइज्ड वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट सिस्टम डिसेमिनेशन सोसाइटी (Consortium for Decentralized Wastewater Treatment Systems Dissemination Society) जैसे संगठन, लागत प्रभावी और कुशल सीवेज उपचार समाधान विकसित करने के संदर्भ में प्रगति कर रहे हैं। 2002 से, सीडीडी विकेन्द्रीकृत अपशिष्ट जल प्रबंधन प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने में सबसे आगे रहा है। ब्रेमेन ओवरसीज रिसर्च एंड डेवलपमेंट एसोसिएशन ( Bremen Overseas Research and Development Association) द्वारा समर्थित उनकी विकेन्द्रीकृत अपशिष्ट जल उपचार प्रणाली (Decentralized Wastewater Treatment System) को, अविश्वसनीय बिजली और कुशल श्रम या प्रतिस्थापन भागों तक सीमित पहुंच वाले क्षेत्रों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
DEWATS छोटे, स्थानीयकृत उपचार प्रणालियों के निर्माण को प्रोत्साहित करता है जो पारंपरिक तरीकों की तुलना में संचालित करने के लिए 80% तक सस्ते हैं। ये प्रणालियाँ अपशिष्ट जल के उपचार के लिए बिजली और रसायनों पर निर्भर होने के बजाय बैक्टीरिया, पौधों और गुरुत्वाकर्षण से जुड़ी प्राकृतिक प्रक्रियाओं का उपयोग करती हैं। यह न केवल उन्हें अधिक किफायती बनाता है बल्कि स्थानीय घरेलू उद्देश्यों के लिए मीठे पानी के उपयोग को 50% तक कम करके पानी के संरक्षण में भी मदद करता है।सीडीडी ने 150 से अधिक ग्राहकों के साथ 13 भारतीय राज्यों में DEWATS को सफलतापूर्वक लागू किया है, और अपनी सेवाओं को नेपाल और अफ़ग़ानिस्तान तक बढ़ाया है। सीडीडी मॉड्यूलर सिस्टम (CDD modular system) भी बना रहा है जिसे विभिन्न समुदायों की विविध आवश्यकताओं और बजट को पूरा करने के लिए अनुकूलित किया जा सकता है। इन DEWATS का निर्माण भूमिगत किया जा सकता है, जिससे ऊपर की जगह का उपयोग बगीचों या पार्किंग के लिए किया जा सकता है। 2015 में, सीडीडी ने बेंगलुरु के पास देवनहल्ली में एक मल कीचड़ उपचार संयंत्र स्थापित किया, जो 31,000 की आबादी की जरूरतों को पूरी करता है। कम लागत पर संचालित होने वाली इस सुविधा ने लगभग 500,000 लीटर मल कीचड़ (faecal sludge) को पर्यावरण को दूषित करने से रोका है। इसके अलावा, उपचारित कीचड़ को स्थानीय किसानों को जैविक मिट्टी बढ़ाने वाले के रूप में प्रदान किया जाता है। सीडीडी की वकालत के साथ, स्थानीय सरकार ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए व्यापक मल कीचड़ प्रबंधन नीतियों को लागू किया है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/36sfjw58
https://tinyurl.com/fjwd6v6y
https://tinyurl.com/2xduf2fk

चित्र संदर्भ

1. एक दूषित जल के नल कों संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. खुले में बहते सीवेज जल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. सीवेज उपचार संयंत्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. रखरखाव की कमी के कारण दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन के पास एक अनौपचारिक बस्ती की सड़क पर एक मैनहोल से सीवेज बह रहा है! कों संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. सीवेज उपचार संयंत्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. अपशिष्ट जल उपचार प्रणाली को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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