Post Viewership from Post Date to 26- Mar-2024 (31st Day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2229 | 147 | 2376 |
संपूर्ण विश्व में अपनी मनोरम संस्कृति, जीवंत परंपराओं और जीवंत जीवन शैली के कारण हमारे देश भारत का सदैव एक विशिष्ट स्थान रहा है। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक, भारत की सांस्कृतिक समृद्धि ने दुनिया भर के लोगों को आकर्षित किया है। इसके साथ ही भारत की कला ने भी वैश्विक स्तर पर लोगों को अपनी तरफ खींचा है। भारतीय कला प्राचीन काल से लेकर आज तक धीरे धीरे विकसित हुई है, जिसमें संस्कृति की विविधता और लगातार बदलते समाज का सार प्रतिबिंबित होता है। जटिल गुफा चित्रों से लेकर विस्तृत दरबारी उत्कृष्ट कृतियों तक फैला हुआ, भारतीय चित्रकला का विकास एक ऐसा आकर्षण दर्पण है जिसमें रचनात्मकता, आध्यात्मिकता और समय के साथ समाज में बदलावों की छवि झलकती है। इसके बाद आधुनिक युग में भारतीय कला क्षेत्र में जे. ज़ोफ़नी (J Zoffany), टिली केटल (Tilly Kettle), टी. डेनियल (T Daniell), और डब्ल्यू. डेनियल (W Daniell) जैसे कई यूरोपीय चित्रकारों के आगमन के बाद इन कलाकारों और उनकी शैली ने धीरे-धीरे भारतीय कलाकारों और उनकी विषय वस्तु को प्रभावित करना शुरू कर दिया। इसके अलावा, ब्रिटिश राज द्वारा संरक्षण और प्रसार की रणनीतिक नीतियों ने भी स्थानीय कलाकारों को तेल चित्रों, प्रकृतिवादी परिदृश्य और अकादमिक जैसी नई शैलियों को अपनाने के लिए प्रेरित किया। इन सभी प्रभावों के परिणामस्वरूप भारत में कई कला समाजों का विकास हुआ। 1854 में, राजेंद्रलाल मित्रा, जस्टिस प्रैट, जतींद्र मोहन टैगोर और अन्य लोगों द्वारा कलकत्ता में पहली औद्योगिक कला समाज (Art Society) की स्थापना की गई थी, जिसे 1864 में , 'कलकत्ता गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ़ आर्ट' (Calcutta Government College of Art) में परिवर्तित कर दिया गया। इसके बाद शीघ्र ही बॉम्बे गवर्नमेंट आर्ट कॉलेज (Bombay Government Art College) और 'मद्रास गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स' (Madras Government College of Arts and Crafts) की स्थापना भी की गई। इन कला संस्थानों में कलाकृतियों के लिए रूपांकन, चित्रण आदि का शिक्षण यूरोपीय रूचि के अनुरूप प्रदान किया जाता था। शीघ्र ही इन ब्रिटिश आर्ट स्कूलों का प्रभाव दूर-दूर तक फैलने लगा। कलाकारों द्वारा अपनी कलाकृतियों में रोजमर्रा की जिंदगी के दृश्यों, रियासतों के दरबारों और देशी उत्सवों और रीति-रिवाजों को चित्रित किया जाने लगा। इन विकासों से प्रेरित होने वाले पहले प्रमुख भारतीय कलाकार राजा रवि वर्मा थे, जिन्होंने त्रावणकोर के महाराजा के दरबार में यूरोपीय कलाकारों से तेल चित्रकला की तकनीक में महारत हासिल की। उनकी कई कलाकृतियों में ‘तंजौर स्कूल ऑफ ग्लास पेंटिंग’ (Tanjore School of glass painting) और ‘ब्रिटिश स्कूल ऑफ आर्ट’ (British School of Art) का मिश्रण भी झलकता है, जिसके माध्यम से उन्होंने कैनवास पर तेल रंगों के साथ भारतीय विषयवस्तु पर चित्रण किया। पश्चिमी शैली और आधुनिक तकनीकों के मिश्रण ने देशी कला आंदोलन के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसे बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट (Bengal School of Art) के नाम से भी जाना जाता है। बंगाल कला की उत्पत्ति को भारतीय राष्ट्रवाद के साथ भी जोड़ा जाता है। अवनींद्रनाथ टैगोर बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट से निकले पहले महत्वपूर्ण कलाकार थे। इसके अलावा बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट ने जामिनी रॉय, नंदलाल बोस, के. वेंकटप्पा, समरेंद्रनाथ गुप्ता, असित कुमार हलधर, क्षितींद्रनाथ मजूमदार, सारदा उकील और एम. ए. आर. चुगताई जैसे आधुनिक बंगाली कलाकारों को जन्म दिया। समय के साथ भारत में कुछ ऐसे सबसे प्रतिभाशाली कलाकारों का उदय हुआ जिन्होंने अपनी कला के माध्यम से चित्रकला में रचनात्मक भव्यता का परिचय दिया। आइए ऐसे ही कुछ भारत के सर्वश्रेष्ठ चित्रकारों के विषय में विस्तार से जानते हैं: 1. राजा रवि वर्मा: भारतीय देवी-देवताओं और पौराणिक पात्रों के यथार्थवादी चित्रण के लिए प्रसिद्ध राजा रवि वर्मा को भारतीय चित्रकला में 'आधुनिकतावाद के जनक' के रूप में भी जाना जाता है। वह तेल रंगों के साथ काम करने वाले पहले भारतीय कलाकारों में से एक थे। उन्नीसवीं सदी के मध्य में, उनके द्वारा चित्रित देवी-देवताओं और पौराणिक आकृतियों के चित्रों की प्रतियाँ भी बनाई जाने लगीं। उनके चित्रों की प्रतियों की बार-बार मांग के कारण रवि वर्मा ने 1894 में महाराष्ट्र में अपना खुद का प्रिंटिंग प्रेस खोलने का निर्णय लिया। और इस प्रकार अपने भाई की सहायता से उन्होंने ‘रवि वर्मा फाइन आर्ट लिथोग्राफिक प्रेस’ (Ravi Varma Fine Art Lithographic Press) की स्थापना पहले घाटकोपर में और अंततः लोनावाला में की। अपनी प्रेस के माध्यम से देवी-देवताओं की छवियों का बड़े पैमाने पर तैल मुद्रण का उत्पादन करके, रवि वर्मा प्रेस ने न केवल कला के यूरोपीय स्वामित्व, बल्कि आस्था के विशेषाधिकार के पारंपरिक विचारों को भी चुनौती दी। मंदिरों में उपलब्ध देवी देवताओं की मूर्तियों की प्रतियों को उन्होंने सभी के लिए सुलभ बना दिया। 2. अवनीन्द्रनाथ टैगोर: भारतीय चित्रकला के दिग्गजों में से एक, अवनींद्रनाथ टैगोर ने अपने चित्रों के माध्यम से अपने समय की राजनीतिक स्थितियों को चित्रित किया। स्वदेशी आंदोलन में राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों पर चित्रकला के प्रभाव को समझकर उन्होंने पश्चिमी कला के बजाय राजपूत और मुगल पारंपरिक कला शैलियों पर ध्यान केंद्रित किया और बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट की स्थापना भी की। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृतियों में से एक 'भारत माता' की छवि है जो राष्ट्रवादी उत्साह से ओत-प्रोत है। उनके कुछ अन्य कार्यों में 'अशोक की रानी', 'द पासिंग ऑफ शाहजहाँ' और 'गणेश जननी' शामिल हैं। 3. रवीन्द्रनाथ टैगोर: साहित्यिक प्रतिभा के धनी रवीन्द्रनाथ टैगोर एक महान चित्रकार भी थे। वह पहले भारतीय कलाकार थे जिनकी चित्रकला संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America), यूरोप (Europe) और रूस (Russia) में प्रदर्शित की गईं थी। उनके चित्रण में अधिकांशतः मानव चेहरों, फूलों, पक्षियों और परिदृश्यों की छवियां शामिल हैं। यह बात कम ही लोग जानते हैं कि रवीन्द्रनाथ टैगोर लाल-हरे रंग के अंधे थे, फिर भी उनकी कलाकृतियाँ बेहद उत्कृष्ट थीं। उनकी कुछ प्रसिद्ध कृतियों में सेल्फ-पोर्ट्रेट (Self-Portrait), द डांसिंग वुमन (Dancing Woman) और हेड स्टडी (Head Study) शामिल हैं! 4. नंदलाल बोस: भारत में आधुनिक कला की सबसे महत्वपूर्ण हस्तियों में से एक, नंदलाल बोस की कृतियाँ ज्यादातर ग्रामीण भारत, धर्म और स्त्रीत्व पर केंद्रित हैं। क्या आप जानते हैं कि नंदलाल बोस ने ही भारत रत्न सहित विभिन्न सरकारी पुरस्कारों के प्रतीक चिन्ह बनाए और उन्होंने भारतीय संविधान की मूल पांडुलिपि को भी सजाया। उनकी प्रसिद्ध कृतियों में 1930 की प्रसिद्ध दांडी मार्च चित्रकला एवं महात्मा गाँधी का चित्र शामिल है। 5. जामिनी रॉय: ब्रिटिश प्रणाली में प्रशिक्षित जामिनी रॉय ने अपनी शैली को पश्चिमी दृष्टिकोण से बंगाली परंपरा में बदल लिया। उनकी कला लोक परंपरा और उसके लोगों पर केंद्रित है। कालीघाट चित्रकला शैली से सबसे अधिक प्रभावित जामिनी रॉय की कला की विषय वस्तु मुख्य रूप से संथाल जनजाति पर आधारित थी। उनकी प्रसिद्ध कृतियों में ‘मदर एंड चाइल्ड’ (Mother and Child), ‘कृष्णा एंड थ्री पुजारिन्स’ (Krishna and Three Pujarins) शामिल हैं। 6. सैयद हैदर रज़ा: सैयद हैदर रज़ा अपनी अमूर्त कला और ज्यामितीय कैनवस के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं, हालांकि शुरुआत में वह एक धरातलीय कलाकार थे। वह ‘बॉम्बे प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप’ (Bombay Progressive Artists Group) के सह-संस्थापक भी थे। उनकी कुछ प्रसिद्ध कलाकृतियों में ‘कंपोज़िशन जियोमेट्रिक’ (Composition Geometric ), सौराष्ट्र और अंकुरण शामिल हैं। 7. अमृता शेरगिल: भारत की सबसे महत्वपूर्ण और आश्चर्यजनक महिला चित्रकारों में से एक, अमृता शेरगिल के काम को अक्सर भारतीय और पश्चिमी कला के बीच संबंधक के रूप में माना जाता है। हालांकि उनकी तकनीक में काफी हद तक पश्चिमी प्रभाव परिलक्षित होता है, लेकिन उनकी कलात्मकता में भारतीय तत्व प्रभावशाली रूप से स्पष्ट है। उनकी कलाकृतियों में थ्री लेडीज़ (Three Ladies), लेडीज़ एनक्लोजर (Ladies Enclosure) और सिएस्टा (Siesta) शामिल हैं। इनके अलावा अतीत और वर्तमान दोनों में कई अन्य भारतीय कलाकार हैं जिन्होंने कला और चित्रकला के क्षेत्र में योगदान दिया है।
संदर्भ
https://shorturl.at/jKOR3
https://shorturl.at/AHPQV
https://shorturl.at/jtvU1
https://shorturl.at/dik14
चित्र संदर्भ
1. राजा रवि वर्मा की "शकुंतला का पत्र लेखन" नामक चित्र कला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. मधुबनी पेंटिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. राजा रवि वर्मा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. राजा रवि वर्मा की पेंटिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. अवनीन्द्रनाथ टैगोर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. चित्रकारी करते रवीन्द्रनाथ टैगोर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. नंदलाल बोस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. जामिनी रॉय को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
9. सैयद हैदर रज़ा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
10. अमृता शेरगिल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.