औपनिवेशिक भारत में समुद्री बंदरगाहों के माध्यम से कैसे शुरू हुआ था व्यापार?

उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक
23-01-2024 09:46 AM
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औपनिवेशिक भारत में समुद्री बंदरगाहों के माध्यम से कैसे शुरू हुआ था व्यापार?

भारत के प्रांत (Provinces of India), जिन्हें ब्रिटिश काल के दौरान, ब्रिटिश भारत के प्रेसीडेंसी(Presidencies of British India) और उससे पहले प्रेसीडेंसी शहर (Presidency towns), कहा जाता था, भारतीय उपमहाद्वीप में ब्रिटिश शासन के प्रशासनिक प्रभाग थे। इन्हें सामूहिक रूप से ‘ब्रिटिश भारत’ कहा गया है। ये प्रांत 1612 और 1947 के बीच अस्तित्व में थे। पारंपरिक रूप से इन्हें तीन ऐतिहासिक अवधियों में विभाजित किया गया है। •1612 और 1757 के बीच, ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुगल सम्राटों, मराठा साम्राज्य और स्थानीय शासकों की सहमति से, कई स्थानों पर, व्यापारिक केंद्र स्थापित किए थे। अतः 18वीं शताब्दी के मध्य तक तीन प्रेसीडेंसी शहर: मद्रास(वर्तमान चेन्नई), बॉम्बे(वर्तमान मुंबई) और कलकत्ता, अस्तित्व में आए।
•भारत में कंपनी शासन की अवधि अर्थात 1757-1858 के दौरान, कंपनी ने धीरे-धीरे भारत के बड़े हिस्से पर संप्रभुता हासिल कर ली थी, जिसे अब “प्रेसीडेंसी” कहा जाता है। हालांकि, यह भी ब्रिटिश सरकार की निगरानी में आ गया, और वास्तव में, ब्रिटेन(Britain) के मुख्य शासक के साथ संप्रभुता साझा करने लगा। साथ ही, इसने धीरे-धीरे अपने व्यापारिक विशेषाधिकार खो दिए।
•1857 के भारतीय विद्रोह के बाद कंपनी की शेष शक्तियां ब्रिटेन को हस्तांतरित कर दी गई थी। ब्रिटिश राज (1858-1947) के तहत, ऊपरी बर्मा(Burma) जैसे कुछ अन्य ब्रिटिश-प्रशासित क्षेत्रों को शामिल करने के लिए प्रशासनिक सीमाओं का विस्तार किया गया था। हालांकि, इन प्रेसीडेंसीयों को “प्रांतों” में विभाजित किया गया। ईस्ट इंडिया कंपनी, ने वर्ष 1611 में हमारे देश के पूर्वी तट पर, मसुलीपट्टम और 1612 में पश्चिमी तट पर सूरत में भारतीय शासकों के साथ व्यापार संबंध स्थापित किए। कंपनी ने 1639 में मद्रास में एक छोटी व्यापारिक चौकी किराए पर ली। जबकि, बॉम्बे को ईस्ट इंडिया कंपनी ने ब्रिटेन के शासक के लिए ट्रस्ट(Trust) में रखने के लिए प्रदान किया गया था।
सत्रहवीं शताब्दी के दौरान, ब्रिटिश भारत से सूती वस्तुओं और वस्त्रों का निर्यात बहुत तेजी से बढ़ा। गुजरात तट पर सूरत का बंदरगाह भारत को ओमान की खाड़ी(Gulf of Oman) और लाल सागर(Red Sea) के बंदरगाहों से जोड़ता था। जबकि, पश्चिम तट के मसूलीपट्टम बंदरगाह और बंगाल में हुगली बंदरगाह से जावा(Java), सुमात्रा(Sumatra) और पेनांग(Penang) के साथ भारत के व्यापार मार्ग थे। भारतीय व्यापारी और बैंकर उत्पादन का वित्तपोषण करके, गांवों से बुने हुए कपड़े इकट्ठा करके तथा बंदरगाह शहरों में इसकी आपूर्ति करके, इस निर्यात से जुड़े थे। इस बीच, पूर्वी भारत में मुगल सम्राट शाह जहाँ से बंगाल के साथ व्यापार करने की अनुमति प्राप्त करने के बाद, कंपनी ने 1640 में हुगली में अपना पहला कारखाना स्थापित किया। लेकिन, कुछ वर्षों बाद, मुगल सम्राट औरेंगजेब ने ‘कर चोरी’ के लिए कंपनी को हुगली से बाहर कर दिया। तब प्रबंधक– जॉब चार्नॉक(Job Charnock) तीन छोटे गांवों के किरायेदार थे। 1686 में इसका नाम बदलकर, कलकत्ता कर दिया गया, जिससे यह कंपनी का नया मुख्यालय बन गया। इस प्रकार, 18वीं शताब्दी के मध्य तक, कारखानों और किलों सहित तीन प्रमुख व्यापारिक बस्तियों को मद्रास प्रेसीडेंसी, बॉम्बे प्रेसीडेंसी और बंगाल प्रेसीडेंसी कहा जाता था।
इन प्रेसीडेंसीयों की कलाकृतियां मैकलेर(McAleer) द्वारा संकलित, पिक्चरिंग इंडिया: पीपल, प्लेसेस एंड द वर्ल्ड ऑफ़ द ईस्ट इंडिया कंपनी(Picturing India: People, Places And The World Of The East India Company) में देखी जा सकती हैं। पुस्तक के एक अध्याय में मैकलेर ने, 18वीं शताब्दी के मध्य के दौरान, तीन मुख्य बंदरगाह कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास चित्रित एवं गठित किए हैं। मैकलेर लिखते हैं: “हालांकि कंपनी अपने शुरुआती दिनों में उत्तर-पश्चिमी तट पर सूरत से व्यापार करती थी, भारत में कंपनी का पहला स्थायी किला फोर्ट सेंट जॉर्ज(Fort St George), मद्रास में था।” मद्रास के अधिकांश कार्यों में फोर्ट सेंट जॉर्ज को प्रमुखता से दर्शाया गया है। 19वीं सदी की शुरुआत तक, बॉम्बे पश्चिम में ब्रिटिश वाणिज्य के एक महान केंद्र के रूप में उभरा था। मैकलेर लिखते हैं कि, “जॉर्ज लैंबर्ट(George Lambert) और सैमुअल स्कॉट(Samuel Scott) द्वारा चित्रित बॉम्बे का दृश्य कंपनी द्वारा इसके विकास की एक झलक देता है। यह छवि किले(गोदाम) और नौ-परिवहण पर केंद्रित है।’’
दूसरी ओर, ब्रिटिश भारत की राजधानी– कलकत्ता ने वास्तव में कलाकारों का मन मोह लिया था। मैकलेर लिखते हैं, “यह शहर कंपनी के अधिकारियों के लिए एक चुंबक था। कई कलाकार जो अपना पेशा बनाने का प्रयास कर रहे हैं, सीधे कलकत्ता चले आए।” परिणामस्वरूप, यह ब्रिटिश भारत में सबसे अधिक प्रतिनिधित्व किये जाने वाले स्थानों में से एक था। कलाकारों ने शहर की नदी, इसके दृश्यों, इसके तट, इसकी इमारतों और इसके लोगों पर विभिन्न प्रकार के दृष्टिकोण पेश किए।

संदर्भ
http://tinyurl.com/byc44hym
http://tinyurl.com/4hmju5m7
http://tinyurl.com/38d62r97

चित्र संदर्भ
1. वास्को डी गामा के भारत आगमन के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)
2. 1857 में भारत के मानचित्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापार मार्गों को संदर्भित करता एक चित्रण (worldhistory)
4. पिक्चरिंग इंडिया: पीपल, प्लेसेस एंड द वर्ल्ड ऑफ़ द ईस्ट इंडिया कंपनी को संदर्भित करता एक चित्रण (amazon)
5. ईस्ट इंडिया कंपनी के जहाजों को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)

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