मेरठ के सरधना चर्च के शिल्प

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
03-03-2018 11:10 AM
मेरठ के सरधना चर्च के शिल्प

बेगम समरू भारत के इतिहास की और ख़ास कर मेरठ के इतिहास की एक आला और निराला व्यक्ति है। एक नाचनेवाली लड़की जो आगे चल मेरठ में स्थित सरधना की शासक बनी और साथ ही किराये के पेशेवर सेना की मुखिया भी थी। बेगम समरू ने इसाई धर्म स्वीकार कर लिया था तथा अपने कार्यकाल में इसाई धर्म का प्रचार एवं प्रसार करवाया। बेगम समरू के न्योते की वजह पहली बार प्रोटेस्टेंट इसाई मिशनरी भारत में आया।

बासिलिका ऑफ़ आवर लेडी ऑफ़ ग्रेसेस यह बेगम समरू द्वारा बनाया गया चर्च उत्तर भारत का सबसे बड़ा चर्च है। वर्जिन मेरी को पूजने वाला ये चर्च 1809 में वास्तुविद अंतोनियो रेघेल्लीनी ने बनाया था और इसकी वास्तुकला पर गोथिक के साथ-साथ भारतीय वास्तुकला का भी प्रभाव है।उसने बासिलिका के साथ मेरठ शहर में मूलनिवासी धर्मान्तरित ईसायों के लिए छोटा गिरिजाघर भी बनवाया।

सरधना का चर्च उसके ऐतिहासिक मूल्य, वास्तुकला के अलावा यहाँ की शिल्पकला की वजह से महत्वपूर्ण है। चर्च के सामने वाले अंदरूनी रास्ते के दोनों तरफ यशु भगवान के जीवन के कुछ दृश्य अंकित किये गए हैं। यह शिल्प ख़ास तौर पर ईसा मसीह के क्रूस पे चढ़ाए जाने के वक़्त का चित्रण करते हैं। एक शिल्प में वे माता मैरी को धैर्य देते दिखाएँ हैं, दुसरे में थके हुए, तीसरे में दो लोगों को उन्हें उठाते हुए दिखाया है।

चर्च के अन्दर इसाईओं के संरक्षक संतो के भी शिल्प है जैसे पडुआ के संत.अन्थोनी, संत.रोख आदि। यहाँ का सबसे महत्वपूर्ण शिल्प समूह है जिसमे बेगम समरू एक बड़े मंच पर तक्त पर बैठे दिखाई है तथा ऊपर उसकी तरफ देखते हुए संत और देवदूत, कुछ लोग तथा एक हिन्दुस्तानी और एक अंग्रेज़ दिखाया है। इस शिल्पसमूह का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है उसके सबसे निचली सतह में एक आयत में बना पट्टिका में तराशा हुआ शिल्पसमुह। इसमें बेगम समरू को इसाई धर्मगुरु से मिलते दिखाया गया है। यह शिल्प बेगम समरू की याद में बनवाया गया था तथा उसपर लिखे शिलालेख के अनुसार बेगम समरू के पार्थिव को इसी चर्च में दफनाया गया है। सर डेविड ऑक्टरलोनी ने इसीपर लिखे शिलालेख के जरिये बेगम समरू को श्रद्धांजली अर्पित की है।

प्रस्तुत चित्र इस चर्च के हैं जिसमे पहले में येशु माता मैरी को धैर्य देते दिखाएँ हैं, दूसरा बेगम समरू के याद में बनाया हुआ शिल्प समूह, तीसरे में थके हुए येशु को दो लोग उठाते हुए दिखाए हैं और आखरी शिल्प पडुआ के संत.अन्थोनी का है।

1. द हिस्ट्री ऑफ़ क्रिस्चानिटी इन इंडिया- फ्रॉम द कमेंसमेंट ऑफ़ द क्रिस्चियन एरा, वॉल्यूम 4: जेम्स हौग्ह
2. इन द दोआब एंड रोहिलखंड- नार्थ इंडियन क्रिस्चानिटी 1815- 1915: जेम्स आल्टर
3. अ हिस्ट्री ऑफ़ द चर्च ऑफ़ इंग्लैंड इन इंडिया: एयर चाटरटन
http://anglicanhistory.org/india/chatterton1924/22.html
4. आगरा सर्कल, उत्तर प्रदेश, लिस्ट ऑफ़ नेशनल मोनुमेंट्स:
http://asi.nic.in/asi_monu_alphalist_uttarpradesh_agra.asp
5. हेरिटेज साइट्स ऑफ़ इंडिया- मेरठ: http://www.heritagesitesofindia.in/uttar-pradesh/meerut/
6. मेरठ: https://wiki.fibis.org/w/Meerut

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