जीवाश्म विज्ञान करता है, पृथ्वी पर जीवन की शुरूआत के रहस्यों को उजागर

कोशिका के आधार पर
08-01-2024 11:11 AM
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जीवाश्म विज्ञान करता है, पृथ्वी पर जीवन की शुरूआत के रहस्यों को उजागर

जीवाश्म विज्ञान (Paleontology), भूगर्भिक अतीत के जीवन का वैज्ञानिक अध्ययन होता है, जिसमें चट्टानों में संरक्षित, सूक्ष्म आकार के जीवाश्मों सहित पौधों एवं जानवरों के जीवाश्मों का विश्लेषण किया जाता है। प्राचीन जीवन रूपों के जीव विज्ञान के सभी पहलुओं से इसका संबंध है। जीवाश्म विज्ञान, स्ट्रैटिग्राफी(Stratigraphy), अर्थात पृथ्वी की परतों की व्यवस्था और अनुक्रमण; और ऐतिहासिक भूविज्ञान के साथ परस्पर निर्भर है।क्योंकि, जीवाश्म एक प्रमुख साधन है, जिसके द्वारा तलछटी परतों की पहचान की जाती है और एक दूसरे के साथ इन्हें सहसंबद्ध किया जाता है। इसकी जांच के तरीकों में बायोमेट्री(Biometry) (जीव विज्ञान पर लागू सांख्यिकीय विश्लेषण) भी शामिल है। जीवाश्म विज्ञान पृथ्वी पर जीवन की शुरूआत के रहस्यों को भी उजागर कर सकता है। आइए, पढ़ते हैं। ऑक्सीजन(Oxygen) रहित वातावरण एवं मीथेन(Methane) गैस की अधिकता के परिणामस्वरुप, अपने अधिकांश इतिहास के लिए,पृथ्वी पर जीवन नहीं रहा होगा। आज हम जीवन के जिन शुरुआती रूपों के बारे में जानते हैं, वे सूक्ष्म जीव थे। लगभग 3.7 अरब वर्ष पुरानी चट्टानों में, उनकी उपस्थिति के संकेत मिलते हैं। इन संकेतों मेंएक प्रकार का कार्बन अणु शामिल होता है, जो जीवों द्वारा उत्पन्न होता है। उनके द्वारा 3.5 अरब साल पहले बनाई गई कठोर संरचनाओं अर्थात,स्ट्रोमेटोलाइट्स(Stromatolites) में भी कुछ जीवाणुओं के साक्ष्य संरक्षित पाए गए हैं। स्ट्रोमेटोलाइट्स सूक्ष्म जीवों के चिपचिपे सांचे के रूप में बनते हैं, और तलछट को परतों में बांधते हैं। फिर, खनिज इन परतों के अंदर जमा हो जाते हैं, जिससे रोगाणुओं के मरने के बावजूद भी, टिकाऊ संरचनाएं बनती हैं। पृथ्वी के शुरुआती जीवन रूपों को बेहतर ढंग से समझने के लिए, वैज्ञानिक आज की दुर्लभ जीवित स्ट्रोमेटोलाइट चट्टानों का अध्ययन करते हैं। लगभग2.4 अरब साल पहले जब साइनोबैक्टीरिया(Cyanobacteria) विकसित हुआ, तब पृथ्वीपर उल्लेखनीय परिवर्तन का एक मंच तैयार हुआ । ये बैक्टीरियापृथ्वी पर पहले प्रकाश संश्लेषक(Photo-synthesizers) बन गए।अतः इन्होंने पानी और सूर्यप्रकाश का उपयोग करके भोजन का निर्माण करते हुए,वातावरण में ऑक्सीजन जारी किया। इससे ऑक्सीजन में अचानक, नाटकीय वृद्धि हुई, जिससे पर्यावरण अन्य जीवाणुओं के लिए कम अनुकूल हो गया। इस ऑक्सीकरण घटना का प्रमाण समुद्र तल की चट्टानों के परिवर्तन में भी दर्जहुआ है। विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिक इसका भी अध्ययन करते हैं। ऑक्सीजन की बढ़ती के साथ, यह वातावरण मेंनिचले स्तर पर स्थिर हो गया, जहां यह कुछ अरब वर्षों तक बना रहा।वास्तव में, जब साइनोबैक्टीरिया खत्म हुए, उनके शरीर के विघटन से संभवतः ऑक्सीजन का स्तर फिर से कम हो गया। इसलिए, महासागर तब भी अधिकांश जीवनरूपों के लिए उपयुक्त वातावरण नहीं था, जिन्हें पर्याप्त ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
हालांकि, इसी समय अन्य विकास हो रहा था। जीवाणुकई रसायनों को संसाधित कर सकते थे,लेकिन,उनके पास जटिल शारिरिक गतिविधियों के लिए आवश्यक विशेष कोशिकाएं नहीं थीं। इनकी तुलना में, जानवरों के शरीर में विभिन्न कोशिकाएं होती हैं। फिर जब रोगाणुओं ने अन्य रोगाणुओं के शरीर में रहना शुरू कर दिया, एवं उनके लिए, एकविशेष ‘अंग’ के रूप में कार्य करना शुरू कर दिया, तब अधिक विकास होने लगा।माइटोकॉन्ड्रिया(Mitochondria), वे अंग जो हमारी कोशिकाओं में संग्रहित भोजन को ऊर्जा में संसाधित करते हैं, इन्हीं पारस्परिक रूप से लाभप्रद संबंधों से विकसित हुए हैं। परिणामस्वरुप, नई जटिल कोशिकाएं अर्थात, यूकेरियोटिक कोशिकाएं(Eukaryotic cells) सामने आई।इनमें विशिष्ट भूमिकाओं के लिए, विशेष भाग थे। साथ ही, ये कोशिकाएं भी कुछ लाभ प्राप्त करने हेतु,समूह में रहने लगीं। कोशिकाओं के ये समूह अधिक कुशलता से भोजन करने में सक्षम हो सकते हैं, या समूह में रहने से,अधिक सुरक्षित थे। सामूहिक रूप से रहते हुए, इन कोशिकाओं में, प्रत्येक कोशिका एक विशिष्ट कार्य पूर्ण करने लगी, जिससे समूह की जरूरतें पूरी होने लगी। कुछ कोशिकाएं समूह को एक साथ रखने के लिए जंक्शन(Junction)बनाती थी, जबकि, अन्य कोशिकाएं पाचन रसबनाती थी। विशिष्ट, सहयोगी कोशिकाओं के ये समूह अंततः पहले जानवर बन गए।इनके डीएनए(DNA) साक्ष्य से पता चलता है कि, वे लगभग 800 मिलियन वर्ष पहले विकसित हुए थे। स्पंज(Sponges)कुछ सबसे शुरुआती जानवरों में से थे। जबकि, स्पंज के रासायनिक यौगिक 700 मिलियन वर्ष पुरानी चट्टानों में संरक्षित हैं, कुछ आणविक साक्ष्य स्पंज के इससे भी पहले विकसित होने की ओर इशारा करते हैं। समुद्र में ऑक्सीजन का स्तर आज की तुलना में तब भी कम था, लेकिन, स्पंज कम ऑक्सीजन की स्थिति को सहन करने में सक्षम होते हैं। अधिक से अधिक जटिल और विविध शारीरिक योजनाओं के विकास ने, अंततः जानवरों के अलग-अलग समूहों को जन्म दिया।लगभग 580 मिलियन वर्ष पहले अर्थात, एडियाकरन काल(Ediacaran Period) में, स्पंज के अलावा अन्य जीवों का भी प्रसार हुआ था। येसमुद्री तल वाले विविध जीव 80 मिलियन वर्षों तक स्पंज के साथ रहते थे। उनके जीवाश्म साक्ष्य दुनिया भर की तलछटी चट्टानों में पाए जा सकते हैं।
एडियाकरन काल के अंत तक, ऑक्सीजन का स्तर बढ़ गया, जो ऑक्सीजन-आधारित जीवन को बनाए रखने के लिए, पर्याप्त स्तर तक पहुंच गया। शुरुआती स्पंज वास्तव में बैक्टीरिया को खाकर, उन्हें अपघटन प्रक्रिया से हटाकर ऑक्सीजन को बढ़ावा देने में मदद कर सकते थे।हालांकि, लगभग 541 मिलियन वर्ष पहले, अधिकांश एडियाकरन जीव गायब हो गए, जो एक बड़े पर्यावरणीय परिवर्तन का संकेत था। एडियाकरन काल के अंत तक के जीवाश्म रिकॉर्ड में पाई गई जानकारी से पता चलता है कि, कृमि जैसे जानवरों ने समुद्र तल की खुदाई शुरू कर दी थी। इन शुरुआती पर्यावरण इंजीनियरों ने अन्य एडियाकरन जानवरों के लिए स्थितियों को बाधित करते हुए, तलछट को अव्यवस्थितकिया। फिर, जैसे-जैसे कुछ जानवरों के लिए पर्यावरणीय स्थितियां बिगड़ीं, दूसरों के लिए उनमें सुधार हुआ, जिससे संभावित रूप से प्रजातियों में बदलाव आने लगा। इसके पश्चात, कैंब्रियन काल(Cambrian Period) (541-485 मिलियन वर्ष पूर्व) में नए जीवन रूपों का जबरदस्त विस्फोट देखा गया। दरअसल, जीवन की उत्पत्ति का अध्ययन जटिल है, जिसमें जीव विज्ञान, खगोल रसायन, भू-रसायन, जैव रसायन, भू-सूक्ष्म जीव विज्ञान, जीवाश्म विज्ञान और आणविक जीव विज्ञान सहित कई विषय शामिल हैं। विस्तृत ज्ञान और पेट्रोग्राफिक मानचित्रण(Petrographic mapping) के साथ, संयुक्त जीवाश्म विज्ञान की प्रौद्योगिकी के उपयोग से जीवाश्म रिकॉर्ड में आर्कियन माइक्रोफॉसिल्स(Archean microfossils) और माइक्रोस्ट्रक्चर(Microstructure) की बेहतर, नई व्याख्या और लक्षणों का वर्णन होगा। इससे जीवित प्राणियों के अस्तित्व की अधिक सटीक गणना के लिए नए सुराग उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी और जीवन की उत्पत्ति कब हुई, इसके बारे में बेहतर जानकारी मिलेगी।

संदर्भ
http://tinyurl.com/ynxsttk9
http://tinyurl.com/ycke7p4c
http://tinyurl.com/48yrprjb

चित्र संदर्भ
1. जीवाश्म विज्ञानी को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. प्राकृतिक इतिहास के कार्नेगी संग्रहालय, पिट्सबर्ग में टायरानोसॉरस रेक्स होलोटाइप के नमूने को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. जीवन के क्रमिक विकास को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
4. यूकेरियोटिक कोशिका को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. एडियाकरन काल के जीवों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. यूरोपासॉरस होल्गेरी की जीवाश्म हड्डियों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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