समयसीमा 245
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 942
मानव व उसके आविष्कार 740
भूगोल 219
जीव - जन्तु 273
Post Viewership from Post Date to 05- Feb-2024 (31st Day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2472 | 269 | 2741 |
हमारा राज्य उत्तर प्रदेश बौद्ध, हिंदू, इंडो-इस्लामिक और इंडो-यूरोपीय वास्तुकला शैलियों के समृद्ध और विविध संयोजन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। गौरतलब हमारा शहर मेरठ भी उत्तर प्रदेश राज्य के प्रमुख शहरों में से एक है और स्थापत्य सौंदर्य की दृष्टि से एक अनूठा शहर है, जिसमें धार्मिक स्मारक, औपनिवेशिक इमारतें और उद्यान शामिल हैं। भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक, मेरठ आपको हर कदम पर चौंका देने की क्षमता रखता है। एक बार जब आप शहर में घूमना शुरू करेंगे तो आपको जीवन के सभी रंगों का अनुभव होगा। शहर की सांस्कृतिक और समृद्ध विरासत आपको मेरठ के इतिहास के विषय में बहुत कुछ बताती हैं। मेरठ छावनी, जिसे 1803 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा स्थापित किया गया था, स्थापत्य कला का एक अनुपम उदाहरण है। इसके अलावा औपनिवेशिक इमारतें और सेंट थॉमस चर्च, मेरठ छावनी में वास्तुशिल्प चमत्कार की मुख्य इमारतों में से एक है। आइए मेरठ छावनी और सेंट थॉमस चर्च की उत्कृष्ट वास्तुकला को विस्तार में जानते हैं।
मेरठ छावनी भारत में ब्रिटिश राज के दौरान स्थापित सबसे पुरानी और दूसरी सबसे बड़ी छावनी है। इसकी स्थापना 1803 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा की गई थी। वास्तव में अंग्रेज़ो द्वारा शहरों की परिधि पर ज़्यादातर सभी छावनियाँ सैन्य शिविर एक विशिष्ट समान पैटर्न के अनुसार स्थापित की जाती थीं जिनमें चर्च, क्लब, परेड मैदान, बैरक, बंगले, विशाल वृक्ष-रेखा वाले रास्ते होते थे। हालांकि, प्रत्येक छावनी के अंदर सबसे महत्वपूर्ण स्थान परेड मैदान होता था जिसका उपयोग कई कार्यो के लिए किया जाता था। सबसे पहले इसका प्राथमिक उपयोग सैन्य इकाइयों द्वारा विभिन्न युद्धाभ्यास का अभ्यास करने के लिए किया जाता था। रविवार और छुट्टियों के दिन, इसी मैदान को पोलो या क्रिकेट के खेल का मैदान बना लिया जाता था। अंत में, यह छावनी के बंगलों और मूल शहर की भीड़-भाड़ वाली गलियों और सड़कों के बीच एक रिक्त स्थान के रूप में कार्य करता था।
छावनियों के अंदर अंग्रेज़ो द्वारा विशिष्ट रूप से बनाए गए बंगले दक्षिण-पूर्व एशिया (Asia) की स्थानीय वास्तुकला से निर्णायक रूप से प्रभावित थे। भारत के उष्णकटिबंधीय तापमान में अंग्रेज़ो द्वारा आदर्श आवास के रूप में विकसित किए गए ये बंगले धूप एवं बारिश से बचाव के लिए चौड़े बरामदे वाले एक मंज़िला घर होते थे जो आंग्ल भारतीय शैली के मिश्रण से बनाए जाते थे।
मेरठ छावनी ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि 'दिल्ली चलो आंदोलन' और 'भारतीय स्वतंत्रता का प्रथम युद्ध, 1857' जैसी घटनाओं की शुरुआत यहीं छावनी में हुई थी। वर्तमान युग में, छावनी में कुछ महत्वपूर्ण संरचनाएँ हैं जो बीते युग की यादें ताज़ा करती हैं। इनमें काली पलटन मंदिर, शहीद स्मारक, मेरठ संग्रहालय आदि शामिल हैं। छावनी क्षेत्र में लगभग 3,568 हेक्टेयर भूमि शामिल है, जिसमें से केवल 150 हेक्टेयर नागरिक क्षेत्र के अंतर्गत है, जो पल्लवपुरम, गंगानगर और सैनिक विहार से घिरा हुआ है।
मेरठ छावनी में दर्शनीय स्थल:
शहीद स्मारक
शहीद स्मारक, 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मारे गए सैनिकों को श्रद्धांजलि हेतु, स्मारक पत्थरों से सुशोभित एक स्थल है। शहीद स्मारक के शीर्ष स्तंभ पर अशोक प्रतीक सुशोभित है। यह 30 मीटर की संगमरमर की संरचना है जिसे युद्ध नायकों की याद में बनाया गया था। इस संरचना की दीवारों पर कुछ प्रसिद्ध युद्ध नायकों जैसे तांतिया टोपे, नाना साहिब आदि के चित्र लगाए गए हैं।
औघड़नाथ मंदिर
इस मंदिर को काली पलटन मंदिर भी कहा जाता है, इस मंदिर ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह स्थान छावनी क्षेत्र के करीब स्थित है जहां भारतीय सैनिक तैनात थे। उस समय भारतीय सैन्य दल को अक्सर काली पलटन कहा जाता था। इसी मंदिर में भारतीय सैनिक अंग्रेज़ो के हस्तक्षेप के बिना अपनी बैरकों की योजना बनाते थे। यहां के इष्टदेव भगवान शिव हैं और माना जाता है कि इस मंदिर में शिवलिंग स्वयं ही उभरा है।
स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय
यह संग्रहालय शहीद स्मारक के परिसर में स्थित है। इस संग्रहालय में इतिहास के विभिन्न चरणों, विशेष रूप से प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित विभिन्न कलाओं, कलाकृतियों, संस्मरणों का एक विस्तृत संग्रह है। संग्रहालय में पाँच दीर्घाएँ हैं जिनमें सिक्के, चित्रकलाओं, डाक टिकट आदि का अच्छा संग्रह है।
गांधी बाग
छावनी में स्थित गांधी बाग एक बड़ा सार्वजनिक उद्यान है, जहाँ लोग विश्राम और आनंद के लिए आते हैं। हरे-भरे परिवेश और अच्छे रखरखाव के कारण, यह उद्यान सभी आयु समूह के लोगों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हैं। इस उद्यान की स्थापना स्वतंत्रता पूर्व काल में की गई थी।
सेंट थॉमस : चर्च
इस चर्च की स्थापना 1819 में मुख्य रूप से उन ब्रिटिश अधिकारियों के लिए की गई थी जो उस समय भारत में विभिन्न पदों पर कार्यरत थे। यह मेरठ के सबसे बड़े चर्चों में से एक है, क्योंकि इसमें 10,000 से अधिक लोगों के बैठने की क्षमता है। यह अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए जाना जाता है, जो गोथिक शैली (Gothic) का उदाहरण है। वर्तमान समय में इस चर्च का प्रबंधन मेरठ सूबा द्वारा किया जाता है।
सेंट जॉन चर्च: मेरठ छावनी के अंदर स्थित विशाल सेंट जॉन चर्च, जिसे ‘सेंट जॉन द बैपटिस्ट’ (Saint John the Baptist), चर्च भी कहा जाता है, ‘चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया’ (Church of North India) के आगरा ,सूबा में एक पैरिश (Parish) चर्च है। इस चर्च की इमारत का निर्माण 1819-1821 के बीच हुआ था और यह ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान बनाया गया उत्तर भारत का सबसे पुराना चर्च है। मेरठ में इस चर्च की स्थापना 1819 में ब्रिटिश सेना के पादरी रेव हेनरी फिशर (Rev. Henry Fischer) द्वारा स्थानीय स्तर पर तैनात सैन्य चौकी के लिए की गई थी। इस चर्च में अभी भी एक विशाल लेकिन गैर-कार्यशील पाइप संगीत यंत्र (Organ), लकड़ी के आसन, बाज़ पक्षी की आकृति वाले, पीतल के पाठ मंच, संगमरमर की बैपटिस्टी (baptistry), और रंगीन कांच की खिड़कियां, सभी लगभग दो शताब्दियों पहले की हैं। सेंट जॉन्स चर्च की इमारत गोथिक पुनरुद्धार से पहले लोकप्रिय अंग्रेज़ी पैरिश चर्च वास्तुकला की शैली के अनुरूप है, और मेरठ के इस पवित्र स्थल की वास्तुकला में पल्लाडियन (Palladian) या शास्त्रीय शैली का प्रभाव स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। इसमें स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल पूजा के लिए एक बड़ा खुला आंतरिक स्थान बनाया गया है। इस चर्च में 1,500 लोगों के बैठने की क्षमता है। इसकी बनावट ऐसी है कि भीषण गर्मी में भी इसमें हवा स्वतंत्र रूप से प्रसारित हो सकती है। इसमें एक ऊपरी बैठने का क्षेत्र (बालकनी) भी है, जो अब उपयोग में नहीं है। लगभग 200 वर्ष पुराना होने के कारण इसका कई बार जीर्णोद्धार भी किया गया है। जीर्णोद्धार के कारण चर्च की बनावट में थोड़ा बदलाव भी आया है, लेकिन इसकी भव्यता अभी भी बरकरार है।
संदर्भ
https://shorturl.at/dhjY9
https://shorturl.at/ahjtP
https://t.ly/lNoWw
चित्र संदर्भ
1. मेरठ की सेंट थॉमस चर्च को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
2. मेरठ छावनी के एक गेट को दर्शाता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
3. मेरठ छावनी के बोर्ड को दर्शाता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
4. मेरठ, में स्थित शहीद स्मारक की एक सूचना पट्टी जिस पर तीसरी बंगाल लाइट कैवलरी के उन 85 सैनिकों के नाम लिखे हैं जिन्होंने मई 1857 में तब नई आई पैटर्न 1853 एनफ़ील्ड राइफ़ल की चर्बी लगी कार्टरिजों का प्रयोग करने से इनकार कर दिया था। को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. काली पलटन मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय मेरठ को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
7. गांधी बाग के प्रवेश द्वार को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. सेंट थॉमस चर्च को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
9. सेंट जॉन चर्च को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.