अत्यधिक खेती व् पशुपालन से प्रकृति पर दुष्प्रभाव को सीमित करने हेतु,नीदरलैंड में प्रदर्शन

भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)
27-12-2023 10:13 AM
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अत्यधिक खेती व् पशुपालन से प्रकृति पर दुष्प्रभाव को सीमित करने हेतु,नीदरलैंड में प्रदर्शन

यूरोप के नीदरलैंड(Netherland) देश की सघन पशुधन कृषि प्रणाली में, पशुओं के मल की बहुत अधिक मात्रा उत्पन्न होती है। पशुओं के मूत्र के साथ मिश्रित होने पर, यह मलअमोनिया(Ammonia) और नाइट्रस ऑक्साइड(Nitrous oxide) को बढ़ाता है। अमोनिया एक प्रदूषक है, जो हवा और पानी में रिसकर स्थानीय वन्यजीवों को नुकसान पहुंचा सकता है। जबकि, नाइट्रस ऑक्साइड एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस(Greenhouse gas) है। यह गैस वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग 6% है।
नीदरलैंड के किसानों का विरोध प्रदर्शन यहां के पशुपालकों द्वारा किए गए प्रदर्शनों की एक श्रृंखला है, जिसमें सड़कों को अवरुद्ध करने और सार्वजनिक स्थानों पर कब्ज़ा करने के लिए ट्रैक्टरों का उपयोग किया गया था। कृषि प्रदूषण को सीमित करने के प्रयास में, संसद में एक प्रस्ताव के बाद, अक्तूबर 2019 में यह विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। लेकिन, प्रदर्शनकारी किसानों ने अक्सर मीडिया से कहा था कि, उन्होंने देश की जनता, मीडिया और राजनेताओं द्वारा उनके पेशे के प्रति सम्मान की कमी की वजह से, विद्रोह शुरू किया। इस प्रदर्शन में कई कार्रवाई समूह और बड़े लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु एक समामेलन शामिल था। इसमें किसानों के लिए, कम सरकारी विनियमन, किसान समर्थक भावनाओं के लिए अधिक प्रसारण समय और पर्यावरण में हानिकारक उत्सर्जन में उनकी हिस्सेदारी के लिए, शेल(Shell) और टाटा स्टील(Tata steel) जैसी कुंपनियों को दंडित करने की नीति शामिल थी। पिछले वर्ष जून माह में, नीदरलैंड ने अपने पर्यावरण और जलवायु प्रभावों से निपटने हेतु, 2030 तक गैसों के साथ-साथ उर्वरकों से आने वाले अन्य नाइट्रोजन यौगिकों के उत्सर्जन को 50% कम करने के लिए, एक विश्व-अग्रणी लक्ष्य का अनावरण किया था। दूसरी ओर, किसान अपने पशुधन के प्रबंधन तकनीकों में बदलाव करके भी, नाइट्रोजन यौगिकों के उत्सर्जन को कम कर सकते हैं। लेकिन सरकारी लक्ष्य को पाने हेतु, कुल पशुधन संख्या में 30% की कमी की आवश्यकता है, और विशेषज्ञों का कहना है कि, इसलिए कई पशु शालाओं को बंद करना होगा।
इस प्रकार, किसानों की दुर्दशा जलवायु कार्रवाई पर एक बड़ी बहस छेड़ रही है, जिसका प्रभाव नीदरलैंड तक ही सीमित नहीं है। इसी आंदोलन के साथ, जर्मनी(Germany) से लेकर कनाडा(Canada) तक एकजुटतापूर्वक विरोध प्रदर्शन की लहर चल पड़ी थी। इसके अलावा, इस आंदोलन के कारण अन्य कुछ परिणाम भी सामने आए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि, यह कृषि को लेकर व्यापक वैश्विक अशांति की शुरुआत हो सकती है। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए, न केवल क्रमिक सुधार की आवश्यकता होगी, बल्कि वैश्विक खाद्य प्रणाली में तीव्र एवं थोक परिवर्तन की भी आवश्यकता होगी। दुनिया के सबसे सघन कृषि वाले देशों में से एक होने के कारण, नीदरलैंड उन देशों में से एक है, जो इस बात से जूझ रहा है कि, इस उथल-पुथल का किसानों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। नीदरलैंड की गायें इतनी अधिक खाद पैदा करती हैं कि, किसानों को इसके सुरक्षित निपटान के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप, ‘अमोनिया प्रदूषण’ कुछ क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है। और तो और, कृषि का इस देश के नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन में 86% हिस्सा है। इसके अलावा, व्यापक उर्वरक उपयोग के कारण, देश के जलमार्गों में ज़हरीले शैवाल उग आए हैं, जो मछलियों की मृत्यु का कारण बनते हैं, और झीलों के पानी को भी दूषित कर देते हैं। दरअसल, वर्ष 2018 में ही, एक पर्यावरण एनजीओ(NGO) द्वारा लाए गए मुकदमे के बाद, यूरोपीय न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि, नीदरलैंड की नाइट्रोजन प्रदूषण समस्या से निपटने की नीति बहुत कमज़ोर थी और यह यूरोपीय संघ के कानून का उल्लंघन भी है। अतः पिछले वर्ष जून माह में, नई गठबंधन सरकार ने प्रदूषण में नाटकीय रूप से कमी लाने की योजना का अनावरण किया।
क्या आप जानते हैं कि, दुनिया भर में, 20वीं शताब्दी के दौरान फसलों और पशुधन के लिए, उपयोग की जाने वाली भूमि की मात्रा दोगुनी हो गई है। इसके लिए, जंगलों को साफ करने की आवश्यकता महसूस की गई, जो जैव विविधता को आश्रय देते है, और कार्बन को अलग करके, हमारी जलवायु को स्थिर रखते हैं। वातावरण में, मीथेन(Methane) गैस का प्रमाण बढ़ाने वाली गायों की वैश्विक आबादी में वृद्धि– जो अब एक अरब से अधिक है, ने 1900 के बाद से, शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस के वायुमंडलीय स्तर को दोगुना कर दिया है। साथ ही, हर साल ताज़े पानी के 70% उपभोग के लिए भी, कृषि जिम्मेदार है। डच नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पब्लिक हेल्थ एंड एनवायरनमेंट(Dutch National Institute for Public Health and the Environment) के अनुसार, नीदरलैंड में मौजूद, टाटा स्टील के डच स्टीलवर्क्स फैक्ट्री (Dutch steelworks) के करीब रहने वाले लोगों की जीवन प्रत्याशा, संयंत्र के उत्सर्जन के कारण नीदरलैंड की औसत जीवन प्रत्याशा, से 2.5 महीने कम है। एक शोध से पता चला है कि, पार्टिकुलेट मैटर (Particulate matter) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड(Nitrogen dioxide) के संपर्क में आने से, फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। शोध से यह भी पता चला कि, बच्चों में दर्ज हुए, अस्थमा के 3% नए मामले उत्सर्जन के कारण थे।
इस कारण, पर्यावरणविदों का कहना है कि, हमें मांस खाने का प्रमाण कम करकर और कम हानिकारक तकनीकों से फसलें उगाकर, खेती से प्रकृति पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम करने की ज़रूरत है। साथ ही, हमें अपनी खाद्य प्रणालियों को गर्मी, सूखे, तूफान और बाढ़ के प्रति अधिक लचीला बनाना होगा, जो स्थितियां जलवायु परिवर्तन से अधिक तेज़ हो जाएंगी।

संदर्भ
http://tinyurl.com/364rpd5s
http://tinyurl.com/3x25bxhj
http://tinyurl.com/mr3x3day
http://tinyurl.com/bdh7e9y3

चित्र संदर्भ
1. नीदरलैंड में किसान प्रदर्शन को संदर्भित करता एक चित्रण (Wikimedia)
2. रैली में शामिल लोगों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. जलवायु परिवर्तन को लेकर आंदोलन करते नीदरलैंड वासियों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. हाथों में बैनर पकड़े लोगों को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)

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