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क्या आप जानते हैं 1900 से 1915 तक के समय को कई कारणों से “पोस्टकार्ड का "स्वर्ण युग" भी कहा जाता है। इस अवधि को पोस्टकार्ड के प्रति उमड़े जूनून के कारण, "पोस्ट कार्ड क्रेज़ (Post Card Craze)" या "पोस्टकार्डिटिस (Postcarditis)" के नाम से भी जाना जाता है। इस नाम के पीछे कई कहानियां और कारण छिपे हुए हैं। जिन्हें जानने से पहले यह समझ लेते हैं, कि पोस्टकार्ड आखिर क्या होते हैं?
पोस्टकार्ड, मोटे कागज या पतले कार्डबोर्ड (Cardboard) का एक छोटा, आमतौर पर आयताकार टुकड़ा होता है। आप इस पर लिख सकते हैं और बिना किसी लिफ़ाफ़े की आवश्यकता के इसे डाक में डाल सकते हैं। आमतौर पर एक पत्र की तुलना मे पोस्टकार्ड को कम पैसे में भेज सकते हैं।
ये कार्ड दो प्रकार के होते हैं:
- पोस्टकार्ड, जिस पर आपको डाक टिकट लगाना होगा।
- डाक कार्ड, जिन पर पहले से ही डाक शुल्क मुद्रित होता है।
ये आमतौर पर डाक सेवा द्वारा जारी किए जाते हैं।
पोस्टकार्ड 1800 के दशक के अंत और 1900 के प्रारंभ में खूब लोकप्रिय हो गए। क्योंकि तब इंटरनेट या अन्य संचार तकनीकें विकसित नहीं हुई थी, इसलिए पोस्टकार्ड ही लोगों के लिए संदेश भेजने का एक त्वरित और आसान तरीका बन गए थे। लेकिन विशेषतौर पर 1900 से 1915 के बीच कुछ ऐसी घटनाएँ घटी जिसकी वजह से इनकी लोकप्रियता आसमान छूने लगी थी, और इस दौर को पोस्टकार्ड का "स्वर्ण युग" कहा जाने लगा। 19 मई, 1898 को अमेरिकी कांग्रेस ने एक कानून पारित किया, जिसके बाद निजी कंपनियों को पोस्टकार्ड बनाने की अनुमति मिल गई। इन पोस्टकार्डों को सरकार द्वारा निर्मित पोस्टकार्डों के समान ही लागत पर डाक द्वारा भेजा जा सकता था। इससे पहले, निजी पोस्टकार्डों के अलग-अलग नाम जैसे "पत्राचार कार्ड", "मेल कार्ड" या "स्मारिका कार्ड" होते थे। अब, 19 मई, 1898 के कांग्रेस अधिनियम द्वारा अधिकृत उन्हें "प्राइवेट मेलिंग कार्ड (Private Mailing Card)," कहा जाने लगा। तत्पश्च्यात इस अधिनियम को "प्राइवेट मेलिंग कार्ड एक्ट (Private Mailing Card Act)" के नाम से भी जाना जाता है।
24 दिसंबर, 1901 को पोस्टमास्टर-जनरल ने कुछ शब्दों पर से प्रतिबंध हटा दिया। इससे निजी पोस्टकार्डों पर "पोस्ट कार्ड" लिखने की अनुमति मिल गई। लेकिन लोग पोस्टकार्ड के केवल सामने वाले हिस्से पर ही लिख सकते थे, पिछले हिस्से पर केवल पता लिखा होता था। इस शुरुआती युग में सभी पोस्टकार्ड "अविभाजित पिछली तरफ के हुआ करते थे (Undivided BackPostcards)"।
फिर, 1 मार्च, 1907 से, अमेरिका में सरकारी और निजी, दोनों पोस्टकार्डों पर पते की तरफ संदेश हो सकने की अनुमति दी गई। इससे पोस्टकार्ड का "विभाजित पिछली तरफ " (Divided Back Postcards) युग शुरू हुआ, जो प्रथम विश्व युद्ध तक चला। इन कार्डों का पिछला भाग दो भागों में (एक तरफ संदेश के लिए और दूसरा पते के लिए) विभाजित था।
1905 के आसपास अमेरिकी पोस्टकार्ड का "स्वर्ण युग" शुरू हुआ और प्रथम विश्व युद्ध तक चला। यह वह समय था जब खासकर उत्तरी अमेरिका के ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में महिलाओं के बीच पोस्टकार्ड बहुत लोकप्रिय हो गए थे। लोकप्रियता की इस उछाल में कई कारकों ने योगदान दिया। उदाहरण के तौर पर उन्हें बनाने के सरकारी नियमों में ढील दी गई, और फोटोग्राफी, प्रिंटिंग (Photography, Printing) जैसे बड़े पैमाने पर उत्पादन के क्षेत्रों में तकनीक भी इस दौरान बेहतर हो गई थी । साथ ही, कारों की मदद से, ग्रामीण निःशुल्क डिलीवरी (Rural Free Delivery) पहले से कहीं अधिक घरों तक डाक पहुंचाने में सक्षम हो गई। इस दौरान अधिक से अधिक लोग पोस्टकार्ड भेजना और पाना चाहते थे, इनके उत्पादन की प्रौद्योगिकी में सुधार से उन्हें बनाना आसान हो गया था । इस दौरान अरबों पोस्टकार्ड भेजे गए, जिनमें से अकेले 30 जून, 1908 को समाप्त वर्ष में लगभग 700 मिलियन पोस्टकार्ड भेजे गए। चित्र पोस्टकार्ड के स्वर्ण युग (1898-1919) के दौरान, कई यूरोपीय पत्रिकाओं ने लोगों को एक-दूसरे को पोस्टकार्ड भेजने के लिए विज्ञापन भी दिए। ये पत्रिकाएँ दुनिया भर में पढ़ी गईं, और दुनिया के विभिन्न दशों और क्षेत्रों से लोगों ने इन पोस्टकार्डों को इकट्ठा करना और आपस में बदलना शुरू कर दिया। यह इतना लोकप्रिय हो गया कि इसने कई देशों के डाकघरों को पोस्टकार्डों से भर दिया। जब चित्र पोस्टकार्ड का स्वर्ण युग 1919 में समाप्त हुआ, तो यह अनुमान लगाया गया कि 200 से 300 अरब के बीच पोस्टकार्ड बनाए जा चुके थे।
उत्तरी अमेरिका में, खासकर ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में रहने वाली महिलाओं के बीच पोस्टकार्ड बहुत लोकप्रिय थे। पोस्टकार्ड एकत्र करना एक शौक बन गया, जिससे पोस्टकार्ड को समर्पित क्लबों और एक्सचेंजों (Dedicated Clubs And Exchanges) का निर्माण हुआ। कई घरों में अपने क़ीमती संग्रह प्रदर्शित करने के लिए विशेष एल्बम भी थे।
हमारे भारत में भी उस समय पोस्टकार्ड का आदान प्रदान करने में शौक़ीन लोग थे। इनमें एक प्रमुख हस्ती मुंबई की निवासी श्रीमती तलयेरखां भी थीं, जिन्होंने अमेरिका और यूरोप के अन्य पोस्टकार्ड संग्रहकर्ताओं को मुंबई के दृश्यों के पोस्टकार्ड भेजे और उनसे यूरोप और अमेरिका के शहरों और लोगों के दृश्य पोस्टकार्ड प्राप्त करे। रोचक बात यह है कि उनके पति श्री तलयेरखां ने गाँधी जी के साथ विलायत में वकालत पढ़ी और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान भी दिया।
1909 के पेन-एल्ड्रिच टैरिफ अधिनियम (Payne-Aldrich Tariff Act) के साथ इस स्वर्ण युग का पतन शुरू हो गया। इस कानून ने जर्मन-निर्मित पोस्टकार्ड पर टैरिफ लगा दिया गया। कुछ लोगों का कहना है कि इस टैरिफ के तहत 300 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी। टैरिफ लागू होने से पहले कई वितरकों ने बहुत सारे जर्मन-निर्मित कार्ड आयात किए, जिसके कारण आपूर्ति बहुत बढ़ गई। अमेरिकी बाज़ार में बिक्री जारी रखने के लिए जर्मन प्रकाशकों ने अमेरिका में कार्ड बनाना शुरू कर दिया। लेकिन कार्डों की गुणवत्ता कम हो गई क्योंकि अमेरिकी तकनीक जर्मन तकनीक जितनी अच्छी नहीं थी और लोगों की पोस्टकार्ड संग्रह करने में रुचि कम हो गई। ब्रिटिश नौसेना द्वारा जर्मन व्यापारी जहाजों को रोकने के कारण टैरिफ का प्रभाव और भी बदतर हो गया था। जब तक प्रथम विश्व युद्ध शुरू हुआ, तब तक पोस्टकार्ड का स्वर्ण युग समाप्त हो चुका था।
चलिए अब चलते-चलते हमारे मेरठ के दो अत्यंत दुर्लभ पोस्टकार्डों पर एक नजर फेर लेते हैं:
शीर्षक: ब्रिटिश भारत का पुराना पोस्टकार्ड - कम्बोब गेट, मेरठ का सड़क दृश्य
ऊपर दिए गए पोस्टकार्ड में कंबोब गेट पर एक स्थानीय सड़क दृश्य दर्शाया गया है, जिसमें स्थानीय बाज़ार की दुकानें प्रदर्शित हैं। यह इस प्राचीन शहर के अतीत की एक झलक है।
2.ऊपर दिए गए 1910 के आसपास के एक सेपिया पोस्टकार्ड (Sepia Postcard) में हमारे मेरठ के टाउन हॉल का चित्र दिया गया है।
संदर्भ
http://tinyurl.com/bdef9dx3
http://tinyurl.com/4kxcvtu7
http://tinyurl.com/bde98jsj
http://tinyurl.com/jt2sdkds
http://tinyurl.com/2ezdk3pt
http://tinyurl.com/3b556w3d
चित्र संदर्भ
1. मेरठ की रोमन कैथोलिक चर्च को दर्शाते पोस्टकार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
2. मेरठ के व्हीलर क्लब को दर्शाते पोस्टकार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
3. प्राइवेट मेलिंग कार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
4. मेरठ की काली नदी को दर्शाते पोस्टकार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
5. श्रीमती एफएस तलयेरखान द्वारा प्राग में ओटो स्टेनर और अमेरिका को भेजे गए पोस्टकार्ड की छवियों को संदर्भित करता एक चित्रण (indiatimes)
6. उक्त पोस्टकार्ड में कंबोब गेट पर एक स्थानीय सड़क दृश्य दर्शाया गया है, जिसमें स्थानीय बाज़ार की दुकानें प्रदर्शित हैं। यह इस प्राचीन शहर के अतीत की एक झलक है। को संदर्भित करता एक चित्रण (past-india)
7. 1910 के आसपास के एक सेपिया पोस्टकार्ड (Sepia Postcard) में हमारे मेरठ के टाउन हॉल का चित्र दिया गया है। को संदर्भित करता एक चित्रण (past-india)
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