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टिकट संग्राहक लगभग उसी समय से मौजूद हैं, जब 1800 के दशक के बाद, पहला डाक टिकट जारी किया गया था। डाक टिकटों को इकट्ठा करने की रुचि या शौक, एक एकांत कार्य है, जो टिकट संग्रहकर्ताओं को किसी देश की विशेष परंपरा, संस्कृति, मान्यताओं, जातीयता, मूल्यों, इतिहास, कला, धर्म, सरकार, पारिस्थितिक पर्यावरण, विकास और प्रगति, आदि विषयों के बारे में सूचित या शिक्षित करता है। मनुष्यों द्वारा बनाए गए किसी भी अन्य उत्पाद की तरह, डाक टिकटों में भी गलत छपाई, त्रुटियां और अन्य विचित्रताएं हो सकती हैं, जो आश्चर्यजनक रूप से ऐसे टिकटों को और अधिक मूल्यवान एवं शैक्षिक दृष्टिकोण से बहुत दिलचस्प बनाती हैं।
दुनिया भर में, कई टिकट संग्रहकर्ता हैं। टिकट संग्रह करना दुनिया के सबसे लचीले शौक में से एक माना जाता है, जिसकी शुरुआत अक्सर हमारे बचपन से ही हो जाती है। यहां हमें, यह चुनने की स्वतंत्रता होती है कि, डाक टिकट संग्रह की दुनिया में अपना रास्ता कैसे बनाया जाए। आज, युवाओं की रुचि के लिए अत्यधिक आकर्षक प्रौद्योगिकी की उपस्थिति के बावजूद भी, कुछ लोग हमेशा ही, ऐसे होंगे जो दिल से टिकट संग्रहकर्ता बने रहेंगे। परंतु, एक समय “शौक का राजा” माना जाने वाला, टिकट संग्रह, अब इस तेज़ गति वाले इंटरनेट युग की, तकनीक-प्रेमी पीढ़ी के लिए अधिक आकर्षण की चीज़ नहीं है।लिफाफों से टिकटों को नाजुक ढंग से निकालना, और उन्हें इकट्ठा करके अपने एल्बम में रखना; अपने संग्रह को बढ़ाने के लिए दूसरों के साथ उनका आदान-प्रदान करना, इन सभी बातों में आज केवल पुरानी पीढ़ी का आकर्षण हो सकता है।
डाक टिकट संग्रह से सामान्य ज्ञान का विस्तार करने, अन्य देशों की राजनीति, इतिहास, भूगोल, वनस्पतियों और जीवों, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं, खेल, फिल्मों, संस्कृति, विज्ञान, कृषि आदि के बारे में दिलचस्प विवरण जानने में मदद मिलती हैं। और यहां तक कि, सीमा पार अन्य संग्राहकों से मित्रता बनाने में भी यह हमारी मदद करता हैं।
साथ ही, आज विदेशी डाक टिकट एकत्र करना कठिन हो गया है, क्योंकि, दूसरे देशों से कोई हमें पत्र नहीं भेजता हैं। वे हमें ई-मेल(e-mail) भेजना पसंद करते हैं। इसके अलावा, हम पार्सल, किताबों के पैकेज और विदेशी पत्रिकाओं पर आने वाले विदेशी टिकटों को शायद ही कभी एकत्र करते हैं। जबकि, आजकल कई देश पत्रों और पैकेजों पर डाक टिकटों का उपयोग भी नहीं करते हैं।
परंतु, एक तरफ, इस शौक का ऑनलाइन आयाम आश्चर्यजनक है, क्योंकि, अधिकांश टिकट संग्राहक पुरानी पीढ़ी से हैं, जो कंप्यूटर और इंटरनेट से कम परिचित हैं। फिर भी, अन्य टिकट संग्राहकों से मिलने, संग्रह के लिए उस टिकट का पता लगाने, या संपूर्ण संग्रह प्रदर्शित करने की इच्छा ने कई संग्राहकों को इंटरनेट पर आकर्षित किया है।
इंटरनेट पर टिकटों को प्रदर्शित करने का एक अनपेक्षित परिणाम, व्यक्तिगत संग्राहकों द्वारा डाक टिकटों की छवियों और इतिहास को दस्तावेज़ीकृत करने और संरक्षित करने में सहायता के लिए गैलरीयों(Galleries) का निर्माण है। आज इंटरनेट पर ऐसे सैकड़ों टिकट प्रदर्शन हैं, जो विशिष्ट विषय के अनुसार विभाजित हैं।
कई डाक टिकट संग्रहकर्ताओं का कहना है कि, यदि ये संग्रह वेब पर प्रदर्शित नहीं किए गए, तो अन्य लोग उन्हें कभी देख ही नहीं पाएंगे। टिकट संग्रहकर्ताओं के लिए एक साप्ताहिक प्रकाशन, लिनन्स स्टैम्प न्यूज़(Linn’s Stamp News) ने पाया है कि, 2004 में, उनके 44% ग्राहकों ने अपने संग्रहण के लिए कंप्यूटर का उपयोग किया था। जबकि,टिकट संग्राहकों के लिए पारंपरिक स्थान, जैसे किसी शहर में आयोजित किए गए सम्मेलन और स्थानीय टिकट दुकानें, आज भी मौजूद हैं, और इसके साथ साथ इंटरनेट पर टिकट क्लब भी तेज़ी से बढ़ रहे हैं।
स्टैम्प कीपर डिलक्स(Stamp Keeper Deluxe), स्टैम्प कलेक्टर डेटा बेस(Stamp Collector’s Data Base) और स्टैम्पकैट(StampCAT) जैसे विशिष्ट डेटाबेस सॉफ़्टवेयर(software), डाक टिकट संग्रहकर्ताओं को, उनकी सूची को ट्रैक करने की अनुमति देते हैं। जबकि, कुछ संग्राहक केवल वाणिज्यिक डेटाबेस या स्प्रेडशीट(Spreadsheet) अनुप्रयोगों की ओर रुख करते हैं।
अपने टिकट कलेक्टर कैटलॉग(Collector catalogues) के लिए प्रसिद्ध तथा हाल ही में लॉन्च किया गया, माई कलेक्शन ऐप(My Collection app) टिकट संग्रहकर्ताओं को अपने संग्रह को वस्तुतः संग्रहित करने और प्रबंधित करने में सक्षम बनाता है।
इसके अलावा, टिकट खरीदने और बेचने के लिए ऑनलाइन नीलामी भी तेज़ी से महत्वपूर्ण होती जा रही है। हालांकि, ऐसी कई वेब साइटें हैं, जो संग्रहणीय वस्तुओं में विशेषज्ञ हैं; टिकट संग्रहकर्ताओं के अनुसार,ईबे(EBay) अब तक टिकटों का सबसे बड़ा स्रोत है।
आज हमें टिकट संग्रहकर्ताओं और टिकटों के प्रति उत्साह को कैद करने की जरूरत है। फिर चाहे, यह यूट्यूब(Youtube) पर उनके बारे में अधिक जानने के माध्यम से हो, या प्रदर्शनियों में टिकट प्रदर्शन पर क्यूआर कोड(QR Code) का उपयोग करना हो।अतः टिकट प्रदर्शनियों और प्रतियोगिताओं के आयोजन से, युवाओं को कागज़ के इन छोटे टुकड़ों के प्रति दीवानगी वापस लाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
ऑनलाइन टिकट संग्रह के विपरीत, क्या आप जानते हैं कि, हमारे शहर मेरठ के चिप्पी टैंक क्षेत्र में, “इंडियन स्टैंप कंपनी(Indian Stamp Company)” है।इसके मालिक–श्री राकेश गुप्ता, बचपन से ही टिकटों का संग्रह कर रहे है।वे डाकघर, आयातकों और पुराने संग्राहकों से टिकट प्राप्त करते हैं। उनके द्वारा एकत्र किए गए और बेचे जाने वाले टिकटों की मूल्य सीमा, न्यूनतम 10 रुपये से 1000 रुपए तक जा सकता है। हालांकि इस शौक के शौकीन हमेशा ही दक्षिण भारत में अधिकतम रहे हैं।
ऐसे अलग सोच वाले पेशे को अपनाने के लिए, अत्यधिक जुनून के साथ-साथ साहस की भी आवश्यकता होती है। यह दुकान 1980 में स्थापित की गई थी, और आज टिकटों की “बिक्री और खरीद” के लिए कार्य करती है।साथ ही, इस दुकान की अब,वेबसाइट(http://www.stampexindia.com/) भी है। जहां संग्रहकर्ता अपने ऑर्डर ऑनलाइन दे सकते हैं। एवं, उनके विशाल संग्रह की श्रृंखला इस वेबसाइट पर देखी जा सकती है।
हमारे राज्य उत्तर प्रदेश में इस तरह की एकमात्र दुकान और पूरी तरह से डाक टिकट संग्रह के लिए समर्पित दुर्लभ दुकानों में से एक होने के कारण, श्री राकेश को भारत के विभिन्न हिस्सों से ग्राहक मिले हैं। उनका कहना है कि काम उन्हें इतना व्यस्त रखता है कि वे और विस्तार करने का सोच भी नहीं पा रहे हैं। इसके अलावा मेरठ के डॉ. एस.पी. गुप्ता नामक एक अन्य संग्रहकर्ता भी, भारत के सबसे शौकीन स्टांप संग्रहकर्ताओं में से एक हैं!
संदर्भ
https://tinyurl.com/2s3m9sm3
https://tinyurl.com/bdhwsdvm
https://tinyurl.com/yck6waz6
https://tinyurl.com/ycyws6x9
https://tinyurl.com/5cwnc2es
चित्र संदर्भ
1. डाक टिकट पर चित्रित मेरठ शहर में स्थित औघड़नाथ मंदिरको दर्शाता एक चित्रण (Knowledge World)
2. डाक टिकटों के संग्रह को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
3. मेरठ के पोस्टकार्ड को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
4. फ्रांसीसी भारत की अपनी मुद्रा (ब्रिटिश भारत की मुद्रा से जुड़ी) और डाक टिकटें थीं। ये टिकट 1939 में जारी किए गए थे! को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. भारतीय रियासतों के डाक टिकट को दर्शाता एक चित्रण (
World History Encyclopedia)
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