पोषक तत्वों की प्रचुरता के बावजूद जैन समुदाय जड़ वाली सब्जियां क्यों नहीं खाते?

साग-सब्जियाँ
20-11-2023 09:55 AM
Post Viewership from Post Date to 21- Dec-2023 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2803 209 3012
पोषक तत्वों की प्रचुरता के बावजूद जैन समुदाय जड़ वाली सब्जियां क्यों नहीं खाते?

जड़ वाली सब्जियाँ न केवल बेहद स्वादिष्ट होती हैं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी कई मायनों में लाभदायक मानी जाती हैं। ये पौधे के ऐसे भाग होते हैं, जिन्हें हम भूमिगत रूप से उगाते हैं। इनमें जड़ें और कंद वाले ऐसे पौधे होते हैं, जिनके मोटे हिस्से जमीन के नीचे होते हैं। ये भाग जड़ों, तनों या पत्तियों के तल या आधार से उग सकते हैं। ये सब्जियाँ, कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) के रूप में बहुत अधिक ऊर्जा का भंडारण करती हैं। इसके अलावा स्टार्च (Starch) से भरपूर कुछ जड़ वाली सब्जियां विशेष रूप से लाभदायक मानी जाती हैं। वास्तव में कई उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में, ये स्टार्च युक्त जड़ वाली सब्जियाँ एक मुख्य खाद्य स्रोत साबित होती हैं। जड़ वाली सब्जियों के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि “इन्हें लंबे समय तक संग्रहीत किया जा सकता है!”, जिससे कटाई के बाद भी कई महीनों तक इन्हें खाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
ऐसी सब्जियां विशेष तौर पर उन जगहों के लिए उपयोगी साबित होती हैं, जहां सर्दियों के दौरान कोई फसल नहीं होती है। अपने दैनिक आहार में एक या दो जड़ वाली सब्जियों को शामिल करना, हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। इनमें मौजूद ऑक्सीडेटिव (Oxidative), तनाव को कम करने और पुरानी बीमारियों की रोकथाम में मदद कर सकते हैं। चलिए अब एक नजर कुछ सबसे अधिक प्रचलित जड़ वाली सब्जियों और उनसे होने वाले फायदों पर भी डाल लेते हैं:
1. प्याज: प्याज एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। यह रक्त शर्करा (Blood Sugar) के स्तर को कम करने और कुछ स्तर तक कैंसर के खतरे को भी कम करने में मदद कर सकता है।
2. शकरकंद: शकरकंद रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। साथ ही इसमें विटामिन ए (Vitamin A) की मात्रा अधिक होती है, जो हमारी आंखों की प्रतिरक्षा को मजबूती देने और त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकता है।
3. शलजम: शलजम में विटामिन सी (Vitamin C) प्रचुर मात्रा में होता है, जो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसे खाने से कुछ प्रकार के कैंसर होने का खतरा भी कम हो सकता है।
4. अदरक: अदरक एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidant) से भरपूर होती है। साथ ही यह मितली को कम करने तथा दर्द और सूजन को कम करने में मददगार साबित हो सकती है।
5. चुकंदर: चुकंदर को नाइट्रेट का एक अच्छा स्रोत माना जाता है। यह हमारे शरीर में रक्त प्रवाह बढ़ा सकता है और कैंसर कोशिकाओं के विकास को धीमा कर सकता है।
6. लहसुन: लहसुन में एलिसिन यौगिक (Allicin Compound) की उपस्थिति के कारण इसमें अनेक औषधीय गुण होते हैं। यह आपकी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने, रक्तचाप को कम करने और कोलेस्ट्रॉल तथा ट्राइग्लिसराइड (Cholesterol and Triglyceride) के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है।
7. मूली: मूली को फाइबर और विटामिन सी (Fiber And Vitamin C) का अच्छा स्रोत माना जाता है। इनमें एंटीफंगल गुण (Antifungal Properties) भी हो सकते हैं और पेट के अल्सर से बचा सकते हैं।
8. गाजर: गाजर में उच्च मात्रा में बीटा-कैरोटीन (Beta-Carotene) होता है, जो दृष्टि से जुड़ी समस्याओं और कुछ प्रकार के कैंसर के खतरे को कम कर सकता है। गाजर खाने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी कम रहता है और एंटीऑक्सीडेंट की स्थिति में सुधार होता है।
10. हल्दी: हल्दी में करक्यूमिन (Curcumin) नामक एक ऐसा यौगिक होता है, जो जोड़ों के दर्द में सुधार, रक्त शर्करा के स्तर और अवसाद के लक्षणों सहित कई लाभ प्रदान कर सकता है। हालांकि पोषक तत्वों की इतनी अधिक प्रचुरता के बावजूद आपको जानकर हैरानी होगी कि, “जैन समाज में जड़ वाली सब्जियों के सेवन की सख्त मनाही है।” जैन समुदाय में अहिंसा की विचारधारा के कारण शाकाहारिता का पालन, बहुत ही सख्ती के साथ किया जाता है। जैन लोग न केवल मांस, बल्कि आलू, प्याज और लहसुन जैसी जड़ वाली सब्जियां भी नहीं खाते हैं। ऐसा संभवतः कीटों और सूक्ष्म जीवों को नुकसान पहुंचाने से बचाने और पूरे पौधे को नष्ट होने से बचाने के लिए किया जाता है। जैन लोग अपने दैनिक जीवन में यथासंभव पौधों को नुकसान पहुँचाने से बचने के लिए हमेशा प्रयासरत रहते हैं। जैन धर्म में, आलू और प्याज जैसे खाद्य पदार्थों को "कंद मूल" कहा जाता है। कंद मूल को "अनंतकाय" माना जाता है, जिसका अर्थ है 'अनंत जीवों से युक्त एक शरीर'। कट्टर जैन जड़ वाली सब्जियाँ इसलिए नहीं खाते, क्योंकि वे लोग ऐसा मानते हैं कि इन सब्जियों से कई और जीवों का जीवन भी जुड़ा रहता है। उदारहण के तौर पर आलू के पौधे को उखाड़ने से उस पौंधे के चारों ओर पनप रहे छोटे-छोटे जीव रूपों को नुकसान हो सकता है।
इसके अलावा अधिकांश जड़ वाली सब्जियां खाने से पूरा पौधा नष्ट हो जाता है, जबकि अन्य सब्जियां खाने से ऐसा नहीं होता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि भारतीय जैनियों में, 67% लोग जड़ वाली सब्जियां खाने से परहेज़ करते हैं। जैन मान्यताओं के अनुसार, इन खाद्य पदार्थों के सबसे छोटे छेद में भी अनगिनत जीव हो सकते हैं, जो केवल "केवलिन" या "प्रबुद्ध लोगों" को दिखाई देते हैं, हम अपनी नग्न आंखों से इन्हें नहीं देख सकते। जैन धर्म का प्रमुख सिद्धांत "अहिंसा परमो धर्म" अहिंसा पर जोर देता है। हालाँकि, मूंगफली, जो भूमिगत उगती है, को "कंदमूल" के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है और जैनियों द्वारा इसका सेवन किया जा सकता है।

सारांश
https://tinyurl.com/4xuctuyw
https://tinyurl.com/29hjh2m7
https://tinyurl.com/mryye5fb
https://tinyurl.com/3re32tjf
https://tinyurl.com/392ea9f6

चित्र संदर्भ
1. जड़ वाली सब्जियों को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
2. जड़ वाली सब्जियों के आरेख को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
3. जमीन के भीतर जड़ वाली सब्जियों को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
4. बेचने के लिए रखी गई जड़ वाली सब्जियों को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
5. जमीन में उग रही गाजर को दर्शाता एक चित्रण (PickPik)
6. जमीन से निकाली गई गाजर को दर्शाता एक चित्रण (PixaHive)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.