हर भारतीय की कलाई पर शान से पहनी जाने वाली, एचएमटी घड़ी का शानदार एतिहासिक सफर

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हर भारतीय की कलाई पर शान से पहनी जाने वाली, एचएमटी घड़ी का शानदार एतिहासिक सफर

90 के दशक में आम आदमी की पहचान बन चुकी एचएमटी (HMT) घड़ी आज शायद ही किसी दुकान पर नजर आती हो। एचएमटी(HMT) का नाम आज भले ही गुम हो गया हो, लेकिन 90 के दशक में इसका अलग ही रूतबा हुआ करता था।1961 से 2016 तक, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी, एचएमटी ने अपनी स्थापना के बाद के पहले 3 दशकों में बेजोड़ लोकप्रियता हासिल की।
कभी-कभी तो देश में कुल घड़ी बिक्री में इनकी बिक्री का 90 प्रतिशत हिस्सा होता था। इसके कुछ प्रतिस्पर्धी भी थे जैसे टाइमस्टार (Timestar), ऑल्विन (Allwyn) और कुछ आयातित ब्रांड,लेकिन इन सबका योगदान 10 प्रतिशत से भी कम था। लेकिन 2016 तक, जैसे-जैसे मोबाइल फोन का प्रसार हुआ, और लोगों ने समय देखने के लिए घड़ी का इस्तेमाल करना बंद कर दिया, तो इस कंपनी को तगड़ा झटका लगा और अंततः 2500 करोड़ रुपये के घाटे के बाद, सरकार ने इसे बंद करने का फैसला किया। पहली एचएमटी घड़ी, जिसका नाम "जनता" रखा गया था, 1963 में तत्कालीन माननीय प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा लॉन्च की गई थी। यह आज भी सबसे लोकप्रिय एचएमटी घड़ियों में से एक है। इंदिरा गांधी भी एचएमटी की एक प्रतिष्ठित राजदूत रहीं।70 के दशक के आसपास भारतीय घड़ी बाजार पर भारत सरकार के ब्रांड ‘हिंदुस्तान मशीन टूल्स’ (Hindustan Machine Tools (HMT)का दबदबा था।
एचएमटी ने 1961 में मैसर्स सिटीजन वॉच कंपनी, जापान(M/s Citizen Watch Company, Japan) के सहयोग से बैंगलोर में एक घड़ी निर्माण कारखाने की स्थापना की। यहां निर्मित यांत्रिक (हाथ से बनी) कलाई घड़ियों को भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा जारी किया गया था। सबसे लोकप्रिय यांत्रिक घड़ी ‘एचएमटीजनता’ थी। अन्य यांत्रिक घड़ी शैलियों में एचएमटी पायलट (HMT Pilot), एचएमटी झलक (HMT Jhalak ), एचएमटी सोना (HMT Sona), एचएमटी ब्रेल(HMT Braille) शामिल हैं। स्वतंत्रता के बाद देश में घड़ियों की मांग तेजी से बढ़ने लगी और जल्द ही बैंगलोर संयंत्र की क्षमता सीमित हो गई, जिसके कारण देश भर में कई नए कारखाने स्थापित किए गए। पहले कुछ दशकों तक, एचएमटी ने बुनियादी हाथ से चलने वाली यांत्रिक घड़ियाँ बनाईं, हालांकि बाद में स्वचालित घड़ियों का उत्‍पादन भी शुरू कर दिया गया। समय के बदलाव के अनुरूप घड़ियों को जनता, तरूण, नूतन, प्रिया, निशात और कोहिनूर जैसे नाम दिए गए। बाद में इन घडि़यों में तारीख और दिन प्रदर्शित करने जैसी सुविधाएँ जोड़ी गईं, जिसके बाद एच एम टी की घड़ियों ने नए बाजार में प्रवेश किया और उदारीकरण के प्रारंभिक चरणों में एचएमटी प्रति वर्ष लगभग सात मिलियन घड़ियों का उत्पादन कर रही थी।
देश में कलाई घड़ियों के पहले निर्माता के रूप में, एचएमटी ने बड़े पैमाने पर उत्पादन और नवप्रवर्तन के लिए पूरी तरह से नई सटीक विनिर्माण तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग किया। सूक्ष्म आकार के घटकों के साथ भी यह प्रयास जारी रहा और भारत की पहली स्वचालित डे-डेट घड़ी (Day-Date watch), पहली क्वार्ट्ज घड़ी (quartz watch), पहली ब्रेल घड़ी (Braille watch), पहली एना-डिजी घड़ी (ana-digi watch) इत्यादि एचएमटी द्वारा ही जारी की गई। ‘जनता’आज भी सबसे लोकप्रिय एचएमटी घड़ियों में से एक है। 1972 से 1985 के बीच, एचएमटी ने बैंगलोर, श्रीनगर, तुमकुर और रानीबाग में विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित कीं, केवल बैंगलोर इकाई में इसके 3500 अभियंता थे।एचएमटी के द्वारा 50 वर्षों में 10 करोड़ से अधिक घड़ियाँ बनाई गईं। दुख की बात यह है कि खराब प्रबंधन और कई अन्य कारणों से, भारत सरकार को2014 के आसपास इनके अधिकांश कारखाने बंद करने पड़े। हालांकि, आपको भारत में लगभग हर घर में एक एचएमटी की घड़ी जरूर मिल जाएगी। 1987 में टाटा समूह और तमिलनाडु औद्योगिक विकास निगम (Tata Group, and the Tamil Nadu Industrial Development Corporation (TIDCO) के बीच एक संयुक्त उद्यम के रूप में टाइटन घड़ी (Titan) ने प्रवेश किया। हालांकि प्रारंभ में, टाइटन ने एचएमटी की बाजार हिस्सेदारी में ज्यादा सेंध नहीं लगाई, लेकिन इसने क्वार्ट्ज घड़ियों की बढ़ती मांग का सही अनुमान लगाया और उनका निर्माण शुरू कर दिया।विडंबना यह थी कि इनके आने से पांच साल पहले तक तोएचएमटी क्वार्ट्ज घड़ियों का उत्पादन कर रही थी, लेकिन शुरुआती कम बिक्री औरआंशिक रूप से उनकी ऊंची कीमतों के कारण, एचएमटी ने उन्हें आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया। लेकिन भारत के बाहर की दुनिया तेजी से क्वार्ट्ज प्रौद्योगिकियों को अपना रही थी। 1985-86 तक सरकार ने क्वार्ट्ज घड़ियों के लिए आवश्यक हिस्सों पर आयात प्रतिबंधों में भी ढील दी। और यही एचएमटी के अंत की शुरुआत और टाइटन के प्रभुत्व की शुरुआत थी। इस समय तक, एचएमटी की क्वार्ट्ज रहति घड़ियाँ टाइटन की क्वार्ट्ज घड़ियों के सामने निश्चित रूप से पुरानी और फीकी लगने लगी थीं। कंपनी ने इसके डिज़ाइन पर कोई ध्यान नहीं दिया, नए युग में जहां भारतीयों के लिए कई अंतरराष्ट्रीय ब्रांड उपलब्ध थे, यह एक बड़ी कमी थी।1990 के दशक के मध्य तक इसकी बाजार हिस्सेदारी घटने के साथ, घड़ी व्यवसाय एचएमटी के लिए घाटे का सौदा बन गया था, हालांकि यह ब्रांड वर्षों तक संघर्ष करता रहा, लेकिन 2016 में सरकार द्वारा इसके आखिरी संयंत्र को बंद करने के साथ ही इसकी गौरवशाली यात्रा हमेशा के लिए रुक गई।

संदर्भ:
https://cutt.ly/SwmhOaHz
https://cutt.ly/DwmhOx57
https://cutt.ly/jwmhOb5l
https://rb.gy/ot95o

चित्र संदर्भ
1.चामुंडी हिल, मैसूर, कर्नाटक के चामुंडेश्वरी मंदिर में लगी एचएमटी घड़ी को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia, openverse)
2. एचएमटी की एक कलाई घड़ी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. एचएमटी कंचन स्वचालित कलाई घड़ी को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
4. एचएमटी क्वार्ट्ज घड़ी को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
5. पुष्प घड़ी, लाल बाग को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
6. टाइटन घड़ी को दर्शाता एक चित्रण (pixahive)

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