भविष्य की भूकंपीय घटनाओं के लिए हम ले सकते हैं, पहले हो चुकी आपदाओं से सबक

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भविष्य की भूकंपीय घटनाओं के लिए हम ले सकते हैं, पहले हो चुकी आपदाओं से सबक

भूकंप हमारे ग्रह पर होने वाली सबसे शक्तिशाली और विनाशकारी प्राकृतिक घटनाओं में से एक है। वे व्यापक तबाही, जीवन की हानि और आर्थिक क्षति का कारण बन सकते हैं, जिससे वे मानव समाज के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा हैं। अपने अस्तित्व के पूरे इतिहास में, पृथ्वी ने कई शक्तिशाली भूकंपों का अनुभव किया है, जिन्होंने प्रभावित क्षेत्रों पर स्थायी प्रभाव छोड़ा है। इन भूकंपीय घटनाओं की तीव्रता अलग-अलग हो सकती है।
भारतीय उपमहाद्वीप में आज तक भूकंपों का भयावह इतिहास रहा है। यहां भूकंप की तीव्रता और उच्च आवृत्ति का कारण, भारतीय टेक्टोनिक प्लेट(Tectonic plate) का लगभग 47 मिलीमीटर प्रति वर्ष की दर से एशिया(Asia) खंड की प्लेट से टकराना, है।आज हम, हमारे देश भारत में घटित एवं अब तक दर्ज दस सबसे शक्तिशाली भूकंपों का पता लगाएंगे, उनके कारणों, प्रभावों और इन विनाशकारी घटनाओं से सीखे गए सबक की जांच करेंगे। निम्नलिखित उन कुछ प्रमुख भूकंपों की सूची है, जो भारत में घटित हुए हैं।
इसके अलावा, इस सूची में वे भूकंप भी शामिल हैं, जिनका केंद्र वास्तव में भारत के बाहर था, परंतु जिनसे देश में महत्वपूर्ण क्षति या हताहत हुए हैं: हिंद महासागर भूकंप, 2004: 26 दिसंबर, 2004 के दिन इस भूकंप की घटना हुई थी। इसमें अपनी जान गंवाने वाले लोगों की संख्या 2,83,106 से भी थोड़ी ज्यादा थी। इस भूकंप के कारण हमारे देश भारत सहित अन्य कई देश प्रभावित हुए थे, जो हिंद महासागर के तट पर बसे हैं। इस भूकंप की तीव्रता 9.1-9.3रिक्टर(Richter) थी। इसका केंद्र सुमात्रा(Sumatra)द्वीपों का पश्चिमी तट था, जो इंडोनेशिया(Indonesia) देश में है।इस भूकंप ने व्यापक विनाश किया था। यह आपदा इतनी बड़ी थी कि, हिंद महासागर के बीच में स्थित कुछ द्वीप दरअसल गायब ही हो गए या 3-5 मीटर गहरे पानी में डूब गए।क्योंकि, इस भूकंप के कारण सुनामी भी आई थी।इससे हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति नष्ट होने की भी खबरें आई थी।
कश्मीर भूकंप, 2005: दिनांक 8 अक्तूबर 2005 को घटित इस भूकंप में लगभग 1,30,000 मृत्यु दर्ज किए गए थे।इसकी तीव्रता 7.6रिक्टर थी, जबकि इसका केंद्र पाकिस्तान का मुजफ्फराबाद था। इस भूकंप के दौरान भारत में दर्ज मृत्यु की संख्या कम थी, वहीं पाकिस्तान को जान-माल का भारी नुकसान हुआ। यह इतना गंभीर था, कि चीन, अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में भी इस भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। अतः तब अंतरराष्ट्रीय समुदाय पीड़ितों की मदद के लिए हर संभव तरीके से आगे आया था। बिहार भूकंप, 1934 15 जनवरी, 1934 को इस भूकंप के कारण, अनुमानित 30,000 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।इस भूकंप की तीव्रता काफ़ी अधिक अर्थात, 8.7 थी। इस भूकंप का केंद्र माउंट एवरेस्ट(Mount Everest) के दक्षिण में था। पोखरा भूकंप के समान, बिहार भूकंप ने भी नेपाल और भारत दोनों देशों को प्रभावित किया था।
गुजरात भूकंप, 2001: जब हमारा संपूर्ण देश गणतंत्र दिवस मना रहा था, 26 जनवरी, 2001 को 7.7 रिक्टर तीव्रता के साथ इस भूकंप ने देश में हाहाकार मचा दिया। इसमें 20,000 मृत्यु दर्ज किए गए थे।इस भूकंप का केंद्र कच्छ, गुजरात में था। इस भूकंप से हुए व्यापक विनाश के बाद, समाज के सभी वर्गो के छह महीने के कठोर राहत प्रयासों के बाद ही सामान्य स्थिति बहाल की जा सकी थी।
कांगड़ा भूकंप, 1905: 4 अप्रैल, 1905 का दिन हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में काफ़ी दुखद था। लगभग 20,000 दर्ज मृत्यु का कारण इसकी 7.8 रिक्टर की तीव्रता हो सकती है।इस भूकंप का केंद्र हिमालय में स्थित था। 100,000 से अधिक घर तथा कांगड़ा क्षेत्र की प्राकृतिक वनस्पति और जानवरों का आवास इस कारण पूरी तरह से नष्ट हो गया था।
लातूर भूकंप, 1993: दिनांक 30 सितंबर, 1993 की यह आपदा लगभग 9,748 मृत्यु का कारण बनी। इस भूकंप का केंद्र, किलारी, लातूर था जहां 6.4 रिक्टर की तीव्रता दर्ज की गई थी।लातूर भूकंप महाराष्ट्र में अब तक घटित सबसे घातक प्राकृतिक आपदाओं में से एक था। इससे जो विनाश हुआ, वह व्यापक था।इससे सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र लातूर और धाराशिव(पूर्व उस्मानाबाद) थे। इस प्राकृतिक आपदा ने सरकार का ध्यान, इस क्षेत्र की ओर आकर्षित किया और अब लातूर तथा इसके आसपास के क्षेत्र भी अच्छी तरह से विकसित हो गए हैं।
असम भूकंप, 1950: वर्ष 1950 के स्वतंत्रता दिवस पर आई इस आपदा ने अनुमानित 1,526 लोगों की जान ले ली थी।इस भूकंप की तीव्रता 8.6 थी, जबकि, इसका केंद्र रीमा, तिब्बत में था।इस कारण, असम और तिब्बत के कई हिस्से गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए थे। हालांकि, तिब्बत की तुलना में असम को इस भूकंप का अधिक खामियाजा भुगतना पड़ा था। भूकंप रुकने के बाद, बाढ़ भी आ गई, जिसने पहले से ही डरावनी, दुखद स्थिति को और बढ़ा दिया था।
असम भूकंप, 1897: 12 जून, 1897 के दिन 8.1 रिक्टर तीव्रता के साथ असम में फिर से एक भूकंप आया था। तब इसमें,1,500 लोगों के प्राण गए थे।इस भूकंप ने भारत, तिब्बत और बर्मा(Burma) को प्रभावित किया था।
उत्तरकाशी भूकंप, 1991: 20 अक्तूबर, 1991 को उत्तरकाशी की भूकंप आपदा 1,000 मृत्यु एवं 6.8रिक्टर तीव्रता के साथ, यहां घटित कुछ सबसे भयावह आपदाओं में दर्ज हो गई।इसका केंद्र गढ़वाल, उत्तराखंड था।इस भूकंप में बहुत से लोग बेघर हो गए और लगभग 42,000 घर और इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई। लगभग 1300 से अधिक गांव भी इसमें नष्ट हो गए थे। इससे संपूर्ण उत्तरकाशी क्षेत्र (अब उत्तराखंड) बुरी तरह प्रभावित हुआ था।
कोयनानगर भूकंप, 1967: 11 दिसंबर, 1967 को कोयनानगर पर आया भूकंप महाराष्ट्र के इतिहास का एक अन्य भयावह भूकंप था। इस भूकंप में 180 मृत्यु दर्ज किए गए थे। इसकी तीव्रता 6.5 रिक्टर थी।कोयनानगर देश के सर्वाधिक भूकंपीय सक्रिय क्षेत्र में आता है।कोयनानगर में अब तक ज्ञात, 20 भूकंप आ चुके हैं। अभी कुछ वर्षों पहले, 14 अप्रैल, 2014 को भी यहां भूकंप आया था।
भारत के इन भूकंपों के अलावा, आइए अब विश्व के कुछ सबसे भयावह भूकंपों के बारे में जानते हैं। वाल्डिविया(Valdivia) भूकंप (1960)- 9.5रिक्टर: विश्व में यह अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। यह भूकंप 22 मई को दोपहर में,चिली(Chile) के तट से लगभग 100 मील दूर, वाल्डिविया शहर के पास आया था। इससे 25 मीटर तक की ऊंची लहरों के साथ, एक विशाल सुनामी भी उत्पन्न हुई थी। मुख्य सुनामी ने चिली तट को बुरी तरह प्रभावित किया, और प्रशांत महासागर को पार करते हुए हवाई(Hawai) में भी तबाही मचाई । भूकंप के केंद्र से 10,000 किलोमीटर दूर तथा जापान(Japan) और फिलीपींस(Philippines) तक भी 10.7 मीटर तक ऊंची समुद्री लहरें दर्ज की गईं। 1960 के वाल्डिविया भूकंप में हुईं मृत्यु की संख्या 1,000 और 6,000 के बीच अनुमानित की गई है।
ग्रेट अलास्का(Great Alaska) भूकंप (1964)- 9.2रिक्टर: 1964 का ग्रेट अलास्का भूकंप 27 मार्च को,अलास्का के प्रिंस विलियम साउंड(Prince William Sound) क्षेत्र में आया था। यह अमेरिकी इतिहास में दर्ज किया गया सबसे शक्तिशाली भूकंप है। भूकंप के कारण 27 फुट ऊंची लहरों वाली सुनामी आई थी। माना जाता है कि, व्यापक तबाही के साथ इसमें कुल 139 लोग मारे गए थे। सुमात्रा भूकंप (2004)- 9.1रिक्टर: हमनें ऊपर देखा ही है कि, हिंद महासागर में 2004 को एक भूकंप आया था। दरअसल, यही भूकंप विश्व का तीसरा सबसे भयावह भूकंप था। इन भूकंपों की शक्ति और प्रभाव को समझने से हमें भविष्य की भूकंपीय घटनाओं से होने वाले नुकसान के लिए तैयारी करने और नुकसान कम करने में मदद मिल सकती है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2m5edjzk
https://tinyurl.com/4mk6j6ex
https://tinyurl.com/yc2ejdph

चित्र संदर्भ

1. भूकंप के कारण क्षतिग्रस्त हुए एक घर को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. हिंद महासागर में आए भूकंप को एक ब्लैंक मानचित्र द्वारा दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. बिहार भूकंप, 1934 को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. वाल्डिविया(Valdivia) भूकंप (1960)- 9.5रिक्टर को दर्शाता एक चित्रण (pixels)
5. सुमात्रा भूकंप (2004)- 9.1रिक्टर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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