कई फायदों के कारण ग्राफ़िक उपन्यास भारतीय पाठकों को भी रास आने लगे हैं

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21-09-2023 09:39 AM
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कई फायदों के कारण ग्राफ़िक उपन्यास भारतीय पाठकों को भी रास आने लगे हैं

आधुनिक पुस्तकालयों में ग्राफ़िक उपन्यासों (Graphic Novels) का संग्रह लगातार बढ़ता जा रहा है, और हर गुजरते दिन के साथ, ग्राफ़िक उपन्यास अधिक लोकप्रिय होते जा रहे हैं। ग्राफ़िक उपन्यास के लोकप्रिय होने के कारणों को जानने से पहले, हम यह जान लेते हैं कि ग्राफ़िक उपन्यास आखिर क्या होते हैं?
“ग्राफिक उपन्यास साहित्य का वह रूप होता है, जिसमें पाठ और छवियों के माध्यम से एक कहानी कही जाती है।” आमतौर पर ग्राफ़िक उपन्यास का प्रारूप कॉमिक बुक (Comic Book) की तरह होता है, लेकिन ग्राफ़िक उपन्यास बहुत लंबा और अधिक जटिल भी हो सकता है। “ग्राफिक उपन्यास" शब्द को पहली बार 1964 में ‘कॉमिक एमेच्योर प्रेस एलायंस’ (Comic Amateur Press Alliance) द्वारा प्रकाशित एक समाचार पत्र में रिचर्ड काइल (Richard Kyle) द्वारा लिखागया था। 1972 में डीसी कॉमिक्स (DC Comics) ने अपने “सिनिस्टर हाउस ऑफ सीक्रेट लव” (Sinister House Of Secret Love) के दूसरे अंक के लिए इस शब्द का उपयोग किया था। लेकिन व्यक्तिगत कार्यों के लिए “ग्राफिक उपन्यास" शब्द का पहला उपयोग 4 साल बाद रिचर्ड कॉर्बन (Richard Corben) के “ब्लडस्टार" (Bloodstar), जॉर्ज मेट्ज़गर (George Metzger) के “बियॉन्ड टाइम" (Beyond Time), और जिम स्टरानको (Jim Steranko) की “चैंडलर: रेड टाइड" (Chandler: Red Tide) के लिए हुआ। 1978 में विल आइजनर (Will Eisner) के “ए कॉन्ट्रैक्ट विथ गॉड, एंड अदर टेनमेंट स्टोरीज़” (A Contract With God, And Other Tenement Stories) के ट्रेड पेपरबैक (Trade Paperbacks) प्रकाशन के साथ ही इस शब्द की लोकप्रियता आसमान छूने लगी।
एक कॉमिक बुक और ग्राफिक उपन्यास के बीच कुछ सामान्य अंतर होते हैं जो निम्न हैं:
1. कहानियों की संख्या: एक कॉमिक बुक में कई कहानियाँ हो सकती हैं, जबकि एक ग्राफिक उपन्यास में आमतौर पर केवल एक ही कहानी होती है।
2. लंबाई: आमतौर पर ग्राफिक उपन्यास, कॉमिक पुस्तकों की तुलना में अधिक लंबे होते हैं। ग्राफिक उपन्यास में 60 से लेकर 500 पृष्ठ भी हो सकते हैं। वहीं कॉमिक पुस्तकें आमतौर पर लगभग 32 पृष्ठ लंबी होती हैं।
3. बाइंडिंग: कॉमिक पुस्तकें आमतौर पर एक साथ स्टेपल (Staple) की जाती हैं, जबकि ग्राफिक उपन्यास आमतौर पर किताबों की तरह बंधे होते हैं।
4. कागज की गुणवत्ता: ग्राफिक उपन्यास को आमतौर पर कॉमिक पुस्तकों की तुलना में उच्च गुणवत्ता वाले कागज पर मुद्रित किया जाता है।
5. कीमत: ग्राफिक उपन्यासों की कीमत आमतौर पर कॉमिक पुस्तकों से अधिक होती है। अपनी कई विशेषताओं के कारण ग्राफ़िक उपन्यास पाठक की आंखों के लिए वरदान साबित होते हैं। एक पाठक के तौर पर ग्राफिक उपन्यास पढ़ना बहुत मज़ेदार हो सकता है। ग्राफिक उपन्यास कलाकारों की अपनी शैलियाँ होती हैं, जो इनमें कहानी को दृश्य तरीके से बताने के लिए अपनी अनोखी कला का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, इसके केवल एक ही पन्ने में ग्राफिक उपन्यास लेखक एक ही लड़ी में अनेकों मोतियों के समान बहुत सारी भावनाओं के साथ साहित्य विशेषताएं प्रस्तुत कर सकते हैं। ग्राफिक उपन्यास पढ़ने में आसान होते हैं, और इन्हें जल्दी पढ़ा जा सकता है। आमतौर पर ग्राफिक उपन्यास पारंपरिक किताबों की तुलना में छोटे होते हैं, इसलिए वे उन लोगों के लिए एक बढ़िया विकल्प हो सकते हैं, जो व्यस्त रहते हैं या जिनके पास पढ़ने के लिए बहुत समय नहीं होता है। इसके अलावा ग्राफिक उपन्यासों की एक विस्तृत विविधता भी मौजूद है, जिस कारण पाठक अपनी पसंद के अनुसार किसी विषय को चुन सकते हैं।
सबसे अच्छी बात यह है कि ग्राफिक उपन्यास सभी प्रकार की शैलियों में उपलब्ध होते हैं। ये काल्पनिक (Fiction), अकाल्पनिक (Non-Fiction), तथा बच्चों और किशोरों सभी की समझ एवं रूचि के आधार पर उपलब्ध होते हैं। ग्राफिक उपन्यास आपकी शब्दावली में भी इजाफा करते हैं, क्योंकि ग्राफिक उपन्यासों में अक्सर उन्नत दर्जे के शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
ये पाठकों को शब्दों के अर्थ की तस्वीरें दिखाकर नए शब्द भी सिखाते हैं। ग्राफिक उपन्यास दृश्य साक्षरता के माध्यम से अर्थात छवियों को समझने और व्याख्या करने की क्षमता में भी वृद्धि करते हैं। दृश्य छवियों के माध्यम से ग्राफिक उपन्यास हमें कहानियों को बेहतर ढंग से समझने में भी मदद करते हैं। ग्राफिक उपन्यासों में मौजूद छवियां हमें अतिरिक्त संदर्भ प्रदान करती हैं, जो हमें कहानी या विषय को अधिक गहराई से समझने में मदद कर सकते हैं। इन सभी कारणों से ग्राफिक उपन्यास दुनियाभर के विद्यालयों में भी अधिक लोकप्रिय हो रहे हैं। आज विद्यालयों में छात्र महान उपन्यासों जैसे कि ‘प्राइड एंड प्रेजुडिस’ (Pride And Prejudice) और शेक्सपियर के नाटकों (Shakespeare's Plays) के ग्राफिक उपन्यास रूपांतरणों को पढ़ रहे हैं। चूंकि, ग्राफ़िक उपन्यास देखने में बहुत आकर्षक होते हैं, इसलिए ये अनिच्छुक अर्थात ऐसे पाठकों को भी आकर्षित कर सकते हैं, जिन्हें पढ़ना पसंद नहीं होता है। आज ग्राफिक उपन्यास अमेरिका (America) और जापान (Japan) जैसे देशों में अविश्वसनीय रूप से लोकप्रिय हो गए हैं, लेकिन भारत में उन्हें उतनी लोकप्रियता हासिल नहीं हुई है। जिसके कुछ प्रमुख कारण भी हैं । सबसे पहले, भारत में सदियों पुरानी कहानी कहने की एक समृद्ध परंपरा है इससे महाकाव्यों, धार्मिक ग्रंथों और नाटकों जैसे विभिन्न प्रकार के पारंपरिक साहित्य का विकास हुआ है, जो आज भी लोकप्रिय हैं। इसके अलावा भारत में कई अलग-अलग भाषाओं और बोलियों को बोलने वाली विशाल आबादी रहती है, जिस कारण यहां पर किसी ऐसी ग्राफिक उपन्यास का निर्माण करना मुश्किल हो जाता है, जो हर किसी के लिए सुलभ हो और हर किसी की समझ में आ जाए। साथ ही ग्राफिक उपन्यास को छापना और वितरित करना भी बहुत महंगा सौदा साबित होता है। इसके अलावा भारत में ग्राफिक उपन्यासों को एक शैक्षिक माध्यम के बजाय मनोरंजन के रूप में देखा जाता है। विद्यालयों और अन्य संस्थानों तक उनकी पहुंच भी काफी सीमित है। ये सभी चुनौतियाँ भारत में ग्राफिक उपन्यास के बाजार के विकसित होने में एक बड़ी बाधा बन जाती हैं।
हालाँकि, भारत में ग्राफ़िक उपन्यास अभी भी कम लोकप्रिय है, लेकिन धीरे-धीरे भारत में इनकी लोकप्रियता बढ़ रही है। जिस कारण आज देश के कई प्रमुख पुस्तक प्रकाशक इस शैली पर अधिक ध्यान दे रहे हैं, और हर साल नए ग्राफिक उपन्यास प्रकाशित हो रहे हैं। 1994 में ओरिजीत सेन ने “द रिवर ऑफ स्टोरीज़” (The River Of Stories) नामक पुस्तक प्रकाशित की, जिसे पहला भारतीय ग्राफिक उपन्यास माना जाता है। यह एक सराहनीय कार्य था जिसमें एक बांध के निर्माण से विस्थापित आदिवासियों की कहानी बताने के लिए चित्रों का उपयोग किया गया था। 2004 में, दो घटनाओं ने ग्राफिक उपन्यासों को भारत में एक शैली के रूप में स्थापित किया। पहली घटना में बॉलीवुड फिल्म “हम तुम" का नायक एक कार्टूनिस्ट (Cartoonist) था, जिसने साहित्यकारों का ध्यान इस तरफ खींचा। दूसरी घटना के तहत भारत के सबसे प्रसिद्ध ग्राफिक उपन्यासकार, सारनाथ बनर्जी ने अपना पहला ग्राफिक उपन्यास “कॉरिडोर” प्रकाशित किया। इसके बाद अमिताभ कुमार ने प्रसिद्ध फ्रांसीसी ग्राफिक उपन्यासकारों के साथ कई कार्यशालाएँ भी आयोजित कीं। साल 2006 में, ग्राफिक उपन्यासों की एक नई लहर ने भारतीय पाठकों में ग्राफिक उपन्यास के प्रति रूचि को कई गुना बड़ा दिया। हालांकि, सारनाथ बनर्जी के अनुसार “हर साल कई ग्राफिक उपन्यास सामने आने के बावजूद, ग्राफिक उपन्यास की वास्तविक क्षमता अभी सामने नहीं आई है। भारत में इनकी लोकप्रियता का चरम समय आना अभी भी बाकी है।”

संदर्भ
https://tinyurl.com/2dz54tbv
https://tinyurl.com/2p92fv4e
https://tinyurl.com/5aa3mtkp
https://tinyurl.com/3zcv48tx
https://tinyurl.com/2kw28n66

चित्र संदर्भ

1. किताबें ढूंढते बच्चों को दर्शाता एक चित्रण (Pxfuel)
2. टेबल पर रखे गए ग्राफ़िक उपन्यासों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. भीतर से ग्राफ़िक उपन्यास को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. काल्पनिक ग्राफ़िक उपन्यासों को दर्शाता एक चित्रण (pxhere)
5. एक हिंदी पाण्डुलिपि को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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