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आमतौर पर निवेशकों द्वारा किसी भी व्यापार में लंबे समय के लिए निवेश करने की सलाह दी जाती है। लेकिन, मेरठ सहित पूरे देश में आज हजारों लोग ऐसे भी हैं, जो ट्रेडिंग करके दिनों दिन में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। हालांकि, कई लोग केवल इसलिए ट्रेडिंग का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता ही नहीं रहता कि ट्रेडिंग वास्तव में क्या है?
“ट्रेडिंग (Trading)” का सीधा सा मतबल होता है, कि आप लाभ कमाने के लिए स्टॉक (Stock), बॉन्ड (Bond) और मुद्रा जैसे वित्तीय साधनों को खरीदते और बेचते हैं। इन साधनों की कीमत ऊपर या नीचे जा सकती है। आपको होने वाला लाभ भी इन्हीं उतार-चढ़ावों के अनुमान की सटीकता या आपके अनुभव पर निर्भर करता है।
ट्रेडिंग करने के लिए आज कई अलग-अलग प्रकार के वित्तीय बाज़ार (Financial Markets) और मंच उपलब्ध हैं, जिनमें शेयर बाज़ार (Stock Market), बांड बाज़ार (Bond Market) और मुद्रा बाज़ार (Currency Market) आदि शामिल हैं। आप तेल और सोना जैसी वस्तुओं पर भी ट्रेड कर सकते हैं। ट्रेडिंग शुरू करने के लिए आपको किसी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (Trading Platform) पर एक खाता खोलना पड़ता है।
ट्रेडिंग कई प्रकार से की जा सकती है। जैसे:
1. स्कैल्पिंग (Scalping): स्कैल्पिंग ऐसी ट्रेडिंग को कहा जाता है, जहां ट्रेडर (Trader) बार-बार (आमतौर पर मिनटों या घंटों के भीतर) होने वाले व्यापार से छोटे-छोटे लाभ कमाने की कोशिश करते हैं। ट्रेडिंग की इस शैली में जोखिम उच्च होता है, क्योंकि इसमें ट्रेडर को उसके वित्तीय साधनों (Financial Instruments) के मूल्य में आने वाले, उतार चढ़ाव के बारे में सटीक भविष्यवाणी करने की आवश्यकता होती है।
2. डे ट्रेडिंग या इंट्रा-डे (Day Trading Or Intraday): डे ट्रेडिंग के तहत ट्रेडर, एक ही दिन में स्टॉक खरीदते और बेचते हैं। ट्रेडिंग की इस शैली में भी जोखिम उच्च होता है, क्योंकि यहां पर ट्रेडर को बाजार में हो रहे बदलावों पर तुरंत प्रतिक्रिया करनी पड़ती है।
3. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading): स्विंग ट्रेडिंग के तहत ट्रेडर कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक एक स्टॉक को अपने पास रख सकते हैं। इसमें स्केलिंग या डे ट्रेडिंग की तुलना में जोखिम कम होता है, क्योंकि इसमें ट्रेडर को शेयर बाजार के अपने पक्ष में जाने का इंतजार करने के लिए अधिक समय मिल जाता है।
4. मोमेंटम ट्रेडिंग (Momentum Trading): मोमेंटम ट्रेडिंग में ट्रेडर उन शेयरों से लाभ कमाने की कोशिश करते हैं, जो बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे होते हैं। ट्रेडिंग की इस शैली में भी उच्च जोखिम होता है, क्योंकि इसमें ट्रेडरों को बाजार के रुझानों की शीघ्र पहचान करने और कुछ गलत होने पर बहुत ही जल्दी बाजार से बाहर निकल जाने की आवश्यकता होती है।
आज पैसा हमारे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्राचीन काल में लोग बिना किसी मध्य मूल्य (पैसे या स्टॉक) के भी सीधे-सीधे वस्तुओं या सेवाओं का आदान-प्रदान करके व्यापार किया करते थे। उदाहरण के लिए, वह लोग जानवरों की खाल के बदले, भोजन का व्यापार कर सकते हैं। बाद में, उन्होंने व्यापार को आसान बनाने के लिए सिक्कों और मुद्राओं का उपयोग करना शुरू कर दिया। पैसे या क्रेडिट कार्ड (Credit Card) अथवा किसी भी अन्य मध्य मूल्य का उपयोग किये बिना वस्तुओं या सेवाओं के इस आदान-प्रदान को आधुनिक भाषा में वस्तु विनिमय (Barter) कहा जाता है। यह वाणिज्य का सबसे पुराना रूप है, और दुनिया के कुछ हिस्सों में आज भी प्रचलित है। वस्तु विनिमय लोगो को उन वस्तुओं का व्यापार करने की अनुमति देता है, जो उनके पास हैं लेकिन वे उन वस्तुओं का उपयोग नहीं कर रहे हैं। वस्तु विनिमय कई मायनों में फायदेमंद हो सकता है। जैसे कि इसका उपयोग उन वस्तुओं या सेवाओं (जैसे कौशल या ज्ञान आदि।) का आदान प्रदान करने के लिए किया जा सकता है, जिन्हें आसानी से पैसे में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। इसका उपयोग उन वस्तुओं या सेवाओं के व्यापार के लिए भी किया जा सकता है, जो पैसे से खरीदने के लिए उपलब्ध नहीं हैं। इनमे घर का बना सामान या सेवाएं भी आ सकती हैं। इसके अलावा वस्तु विनिमय लोगों के बीच संबंध और विश्वास बढ़ाने का एक शानदार तरीका हो सकता है।
वस्तु विनिमय प्रणाली के ऐसे कई फायदे होते हैं, जो इसे सरल और उपयोगी बनाते हैं। सबसे पहले इसका उपयोग करना आसान होता है और इसके तहत अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधी मुद्दों को लेकर भी कोई चिंता नहीं होती है। यह प्रणाली प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक उपयोग को भी सीमित करती है।
इसके अलावा कुछ अन्य कारण भी हैं, जिनकी वजह से वस्तु विनिमय प्रणाली फायदेमंद नजर आती है। जैसे:
1. सरलता: आज की मुद्रा प्रणाली की समस्याओं से दूर, वस्तु विनिमय प्रणाली को समझना और उपयोग करना आसान है।
2. बेरोज़गारी की कोई चिंता नहीं: वस्तु विनिमय प्रणाली से, वस्तुएं और सेवा ज़रूरतें पूरी हो जाती हैं, इसलिए नौकरियों की कमी से जुड़ी चिंता भी कम हो जाती है।
3. सुचारू अंतर्राष्ट्रीय व्यापार: वस्तु विनिमय प्रणाली में असंतुलित भुगतान या मुद्रा संबंधी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है।
4. संसाधन की देखभाल: वस्तु विनिमय में, लोग बर्बादी और लालच से बचते हुए अपने संसाधनों का बुद्धिमानी से उपयोग करते हैं।
यदि पैसा मौजूद नहीं होता, तो हम वस्तु विनिमय पर ही निर्भर होते। लेकिन इस शानदार प्रणाली के कुछ अपने नुकसान भी हैं। जैसे कुछ भी खरीदने के लिए, हमें पैसे के बजाय केवल वही चीज देनी पड़ती, जो हमारे पास है। उदाहरण के लिए, एक कार मैकेनिक (Mechanic) को भोजन की आवश्यकता होने पर, उसे एक किसान की टूटी हुई या खराब कार ठीक करनी होगी। लेकिन सोचिये कि क्या होगा यदि किसान को कार की मरम्मत की आवश्यकता ही नहीं हो? या उसके पास कार ही न हो। एक और उदाहरण के तौर पर आप कल्पना करें कि एक स्थानीय लोहार को रोटी की आवश्यकता है, और एक होटल मालिक को प्लम्बर (Plumber) की आवश्यकता है। ऐसे में दोनों की जरूरतें एक दूसरे की ज़रूरतों से मेल नहीं खाती हैं, इसलिए उनके बीच कोई भी व्यापार नहीं हो सकता। इससे होगा ये कि, विशिष्ट व्यापार साझेदार ढूंढने में काफी परेशानी होगी, जिससे संभवतः भुखमरी की स्थिति भी पैदा हो सकती है। हालांकि, पैसा इस झंझट को ही ख़त्म कर देता है। इसमें आपको विशिष्ट हुनर वाले लोगों की कोई आवश्यकता नहीं होती। आपको बस एक बाज़ार की आवश्यकता है। इस बाज़ार में आप पैसे देकर वस्तुओं या सेवाओं का व्यापार करते हैं। पैसे से आप अपनी ज़रूरत की चीज़ें दूसरों से आसानी से खरीद सकते हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2d88t3he
https://tinyurl.com/36pcsk8w
https://tinyurl.com/dzbjyzna
https://tinyurl.com/2rehzuzf
https://tinyurl.com/5ekwhxyy
https://tinyurl.com/4hrc9heb
https://tinyurl.com/yks3kkrt
चित्र संदर्भ
1. भारतीय स्टॉक को संदर्भित करता एक चित्रण (PixaHive)
2. एक ट्रेडर को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
3. दलाल स्ट्रीट पर बीएसई बिल्डिंग को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
4. एक चढ़ते हुए स्टॉक को दर्शाता चित्रण (Pxfuel)
5. वस्तु विनिमय प्रणाली को दर्शाता चित्रण (PICRYL)
6. डियोरामा वस्तु विनिमय प्रणाली के चित्र को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
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