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क्या आप जानते हैं कि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (Delhi-Meerut Expressway) के आने से पहले इस एक्सप्रेसवे के आसपास की जो जमीन औने-पौने दामों में बिक रही थी, एक्सप्रेसवे के आने के बाद उसी जमीन को खरीदने में बड़े-बड़े धन्नासेठों के पसीने छूट गए हैं। भारत के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में राज्य सरकारें ‘नगरपालिका और ग्रामीण’, दोनों क्षेत्रों के लिए ‘सर्किल दरें’ (Circle Rates) तय करती हैं। आज के इस लेख में हम मेरठ सहित पूरे उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में चल रही सर्किल दरों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
जमीनी खरीद-फरोख्त अर्थात रियल एस्टेट (Real Estate) के बाजार में प्रवेश करते समय आपका सामना ‘सर्कल रेट' शब्द से अवश्य होगा। सर्किल दरें जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित मानक भूमि और संपत्ति दरें होती हैं। ये दरें एक शहर के एक इलाके से दूसरे इलाके में भिन्न-भिन्न हो सकती हैं। इन्हे भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में सर्कल दरों को ‘रेडी रेकनर दर' (Ready Reckoner Rates) के रूप में जाना जाता है। राजस्थान में इसे ‘डीएलसी दर’ (DLC Rate) तथा हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में सर्कल दरों को ‘कलेक्टर दर’ (Collector Rates) या ‘जिला कलेक्टर दर’ (District Collector Rates) के रूप में भी जाना जाता है। जबकि कर्नाटक में, सर्कल दरों को ‘मार्गदर्शन मूल्य’ (Guidance Value) के रूप में जाना जाता है। सरकारी निकायों को कार्य करने और नागरिकों को सेवाएँ प्रदान करने के लिए राजस्व की आवश्यकता होती है। इसलिए वे संपत्ति से संबंधित लेनदेन पर कर लगाकर राजस्व प्राप्त करते हैं। इस संदर्भ में, आपके संपत्ति खरीद निर्णय को सर्कल दरें प्रभावित करती हैं। अतः इनके बारे में जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है ।
सर्किल दरें किसी क्षेत्र के स्थान और विकास की स्थिति के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकती हैं। बेहतर सुविधाओं और अच्छी तरह से स्थापित बुनियादी ढांचे वाले इलाकों में सर्कल दरें अधिक और कम सुविधाओं वाले क्षेत्रों में कम होती हैं।
बाजार दरों और सर्किल दरों के बीच अंतर:
बाज़ार दरें उन वास्तविक कीमतों को संदर्भित करती हैं, जिन पर किसी विशिष्ट क्षेत्र में संपत्ति या जमीन बेची जाती हैं। जबकि सर्किल दरें सरकार द्वारा निर्धारित की जाती हैं, हालांकि इन्हे आदर्श रूप से बाजार दरों के करीब होना चाहिए। जब अटकलों के कारण बाजार दरें बढ़ती हैं, तो अधिकारी प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए सर्कल दरों को कम रखने की कोशिश की जाती हैं। जब सर्कल दर बाजार मूल्य से अधिक होती है, तो खरीदार और विक्रेता दोनों को इन दोनों मूल्यों के बीच के अंतर पर कर का भुगतान करना पड़ता है। खरीदार को ‘अन्य स्रोतों से आय’ (Income From Other Sources) नामक श्रेणी के तहत कर का भुगतान करनाहोता है, जबकि विक्रेता को ‘पूंजीगत लाभ' के तहत कर का भुगतान करना होता है।
संपत्ति के सर्कल दर के आधार पर स्टाम्प ड्यूटी (Stamp Duty) की भी गणना की जाती है। यह संपत्ति के मूल्य का एक प्रतिशत होता है और इसका भुगतान पंजीकरण के दौरान करना पड़ता है। पंजीकरण शुल्क संपत्ति पंजीकरण से जुड़ा एक अतिरिक्त शुल्क होता है। बदलते बाज़ार के साथ तालमेल बिठाने के लिए जिला प्रशासन समय-समय पर सर्कल दरों में संशोधन करता रहता है। गुड़गांव, नोएडा और मुंबई जैसे कुछ शहरों में, जहां आवास बाजार बहुत सक्रिय है, वहां पर सर्कल दरों को अधिक बार संशोधित किया जा सकता है। हालाँकि, इन मामलों में भी दरें आमतौर पर वर्ष में अधिकतम दो बार संशोधित की जाती हैं। कभी-कभी, जब बुनियादी ढांचे के विकास के कारण संपत्ति की कीमतें तेजी से बढ़ती हैं, तो सर्कल दरों में देर से संशोधन से सर्कल दर और बाजार दर के बीच बड़ा अंतर पैदा हो सकता है।
आइए, इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं। जब सरकार ने घोषणा की कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Region (NCR) के ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) के पास जेवर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाया जाएगा, तो जेवर गांव और उसके आसपास की जमीन की कीमतें तुरंत बढ़ गईं। पहले यहां किसान 4 लाख से 5 लाख रुपये प्रति बीघे में जमीन बेचते थे, लेकिन अब यह दर 20 लाख से 25 लाख रुपये प्रति बीघे तक पहुंच गई है।
दिलचस्प बात यह है कि ग्रेटर नोएडा में सर्कल दरों को 2015 के बाद से 2021 तक संशोधित नहीं किया गया। संशोधन नहीं करने से जिला प्रशासन को नुकसान हो सकता है। जब सर्कल दरें वास्तविक लेनदेन मूल्य से कम होती हैं, तो इससे अवैध गतिविधियां बढ़ सकती हैं। अधिक करों से बचने के लिए खरीदार और विक्रेता सर्कल दर पर संपत्ति को पंजीकृत करने के लिए सहमत हो सकते हैं। यह चल अचल संपत्ति के लेनदेन में बेहिसाब धन, जिसे आमतौर पर काले धन के रूप में जाना जाता है, के उपयोग को प्रोत्साहित करता है।
इसलिए संपत्ति की कीमत से जुड़ी बातचीत करने से पहले सर्कल दर और प्रचलित बाजार दरों को जानना महत्वपूर्ण है। लेन-देन के मूल्य को कम बताने से कानूनी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। आमतौर पर यह सलाह दी जाती है कि भुगतान की गई वास्तविक राशि के आधार पर ही संपत्ति का पंजीकरण कराया जाए और अवैध गतिविधियों में शामिल विक्रेताओं से जुड़ने से बचा जाए।
दिल्ली सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए संपत्तियों के सर्कल दर में संशोधन करने पर विचार कर रही है। दिल्ली सरकार ने हाल ही में विभिन्न श्रेणियों की संपत्तियों की सर्कल दरों में 20% की कटौती की घोषणा भी की है। नोएडा प्रशासन भी खरीदारों की भावनाओं को पुनर्जीवित करने के लिए सर्कल दरों को संशोधित करने की योजना बना रहा है। उत्तर प्रदेश क्षेत्रफल की दृष्टि से बहुत बड़ा राज्य है, जहाँ पर तकरीबन 22 करोड़ से अधिक आबादी रहती है। मेरठ, लखनऊ, वाराणसी, नोएडा, आगरा, मथुरा जैसे उत्तर प्रदेश के कई जनपद पोश इलाके (Posh Area) या उच्च श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। उत्तर प्रदेश में जमीन की सरकारी दर को ऑनलाइन (Online) भी देखा जा सकता है। सरकारी दरों के बारे में जानकारी होने से स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क की गणना करने में मदद मिलती है।
यूपी में स्टांप ड्यूटी शुल्क की गणना संपत्ति के बाजार मूल्य के आधार पर निर्धारित की जाती है।
आमतौर पर संपत्ति की सर्किल दरें विभिन्न कारकों पर निर्भर करती हैं, जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण कारक निम्नवत दिए गए हैं:-
१. संपत्ति का स्थान:- यदि आपकी संपत्ति किसी भीड़भाड़ वाली जगह पर है तो ग्रामीण संपत्ति के बजाय उसकी सर्किल दर अधिक होगी।
२. संपत्ति का उपयोग:- यदि संपत्ति का प्रयोग व्यवसाय के लिए किया जाता है, तब भी सर्किल दर अधिक होगी।
३. आपकी संपत्ति के आसपास मिलने वाली सेवाएं:- जिस संपत्ति के निकट में व्यावसायिक इंडस्ट्री (Industry), अच्छी सड़कें, अस्पताल, कॉलोनियां, शॉपिंग माल (Shopping Mall) इत्यादि होते हैं। तो ऐसी संपत्ति की सर्किल दर अत्यधिक होती है।
उत्तर प्रदेश में सर्किल दर की गणना इस सूत्र से की जा सकती है :- एक अपार्टमेंट (Apartment) का सर्किल दर = (भूमि शेयर अनुपात X भूमि लागत) + (समतल क्षेत्र X भवन लागत) + (सामान्य क्षेत्र X निर्माण लागत)।
यह फॉर्मूला अपार्टमेंट के सर्कल दर की गणना करने के लिए ऊपर बताए गए विभिन्न कारकों को ध्यान में रखता है।
आप उत्तर प्रदेश स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग द्वारा संपत्ति के पंजीकरण शुल्क, सर्किल दर, तथा संपत्ति से जुड़ी अन्य जानकारी के बारे में जानने के लिए ऑनलाइन वेबसाइट (https://igrsup.gov.in) पर भी जा सकते है।
इस पोर्टल (Portal) पर आप निम्न चरणों के आधार पर किसी भी ज़िले के सर्किल दर की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं:-
सबसे पहले उत्तर प्रदेश स्टांप एवं रजिस्ट्री विभाग की आधिकारिक वेबसाइट https://igrsup.gov.in पर जाएं।
वेबसाइट के होमपेज (Homepage) पर सबसे ऊपर मेनू बार (Menu Bar) में “मूल्यांकन सूची" विकल्प पर क्लिक करें।
सर्कल दर सूची से उत्तर प्रदेश का जिला चुनें।
सब रजिस्ट्रार कार्यालय का चयन करें और कैप्चा कोड (Captcha Code) दर्ज करें। (Please reduce all table and chart size)
सर्किल दर लिस्ट (Circle Rate List) पर क्लिक करें।
इसके बाद आप सर्किल दरों से जुड़े पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड कर सकते हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2s3b43fb
https://tinyurl.com/5n6kcprh
चित्र संदर्भ
1. हाईवे के किनारे की जमीन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. एनएच-58 सरधना रोड क्रॉसिंग को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. ‘सर्कल रेट' को संदर्भित करता एक चित्रण (prarang)
4. रियल एस्टेट को संदर्भित करता एक चित्रण (
Wallpaper Flare)
5. एक बिकाऊ प्लाट को दर्शाता चित्रण (Collections - GetArchive)
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